नई दिल्ली: 2019 में दुनिया में लगभग 1 करोड़ लोगों को टीबी होने का आकलन किया गया है और इनमें से एक चौथाई से भी अधिक मामले भारत में थे, हाल ही में जारी वैश्विक क्षयरोग (टीबी) रिपोर्ट 2020 का कहना है.
भारत, जहां 26 प्रतिशत मामले थे और सात अन्य देशों के मामले विश्व के कुल मामलों के दो तिहाई हैं. इनमें इंडोनेशिया (8.5%), चीन (8.4%), फिलीपीन्स (6%), पाकिस्तान (5.7%), नाइजीरिया (4.4%), बंगलादेश (3.6%) और दक्षिण अफ्रीका के (3.6%) के मामले शामिल हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में एचआईवी-निगेटिव लोगों में 12 लाख लोगों की टीबी से मौत (2000 में 17 लाख से कम) का अनुमान है, और (2000 में 6,78,000 से कम) के साथ एचआईवी-पॉजिटिव लोगों में 2,08,000 लोगों की अतिरिक्त मौतें हैं.
जिन्हें 2019 में टीबी हुआ, इनमें 15 वर्ष से अधिक आयु के पुरुष 56 प्रतिशत थे, जबकि महिलाएं 32 प्रतिशत और शेष बच्चों की संख्या (15 वर्ष की आयु वाले) 12 प्रतिशत रही. उन सभी प्रभावित लोगों में से 8.2 प्रतिशत एचआईवी से ग्रसित थे.
रिपोर्ट में कहा गया है कि टीबी के मामलों की दर घट रही है, लेकिन यह भी कहा गया है कि 2015 और 2020 के बीच की मामलों की दर में 20 प्रतिशत ती कमी लाने का लक्ष्य बढ़ सकता है. 2015 से 2019 तक प्रति 1 लाख जनसंख्या पर 142 से 130 नए मामलों के साथ कुल 9% की कमी हुई है. 2018 से 2019 के बीच 2.3 प्रतिशत की कमी हुई.
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भारत पर दवा के बेअसर होने वाले टीबी के मामलों का सबसे ज्यादा बोझ
भारत में प्रति 1 लाख जनसंख्या पर टीबी होने की अनुमानित दर 193 है, जिसकी कुल संख्या 26,40,000 है. इनमें से 2.8 फीसदी नए मामले हैं.
एक काफी अच्छी बात है, रिपोर्ट कहती है कि इन रोगियों में से 82 प्रतिशत का उपचार किया जा रहा है. मामलों में मौत का अनुपात 17 प्रतिशत है.
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि भारत में दवा के बेअसर होने वाले टीबी के मामलों का बोझ सबसे ज्यादा है.
इसमें कहा गया है, ‘दवा के बेअसर होने वाले मामले लगातार सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा बने हुए हैं. 2019 में विश्वभर में, लगभग आधे मिलियन (5 लाख) लोगों में राइफैंपिसिन-प्रतिरोधी टीबी (दवा का बेअसर होने) (आर-आर-टीबी) हुई जिनमें 78 प्रतिशत मल्टीड्रग-प्रतिरोधी (दवा के बेअसर होने) वाली टीबी (एमडीआर-टीबी) के मामले हुए.
‘वैश्विक मामलों में सबसे बड़े हिस्से वाले तीन देश भारत (27%), चीन (14%) और रूसी संघ (8%) में मामले थे. वैश्विक स्तर पर 2019 में, टीबी के नए मामलों में 3.3% और पहले से इलाज किए गए 17.7% मामले एमडीआर/आरआर-टीबी के थे. (पहले के इलाज किए गए मामलों में 50%) सबसे ज्यादा पूर्व सोवियत संघ के देशों में थे.’
कोविड-19 महामारी का असर
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि वैश्विक टीबी से होने वाली मौतों में केवल 2020 में लगभग 0.2-0.4 मिलियन की वृद्धि हो सकती है. ‘भारत में, इंडोनेशिया, फिलीपींस और दक्षिण अफ्रीका में चार देशो में जहां वैश्विक टीबी के 44 प्रतिशत मामलों का अनुमान है, जनवरी और जून 2020 के बीच टीबी से ग्रस्त लोगों की संख्या में बड़ी गिरावट को रिपोर्ट किया गया है. 2019 में इसी 6 माह की अवधि की तुलना में भारत, इंडोनेशिया और फिलीपींस में कुल 25-30 प्रतिशत की कमी हुई है,’ रिपोर्ट में कहा गया है.
आजीविका पर प्रभाव जैसे नौकरी जाना वगैरह के टीबी वाले लोगों के प्रतिशत में बढ़ोत्तरी हो सकती है और उनके परिवारों को भयावह कीमत चुकानी पड़ सकती है. रिपोर्ट में कहा गया है.
नरेंद्र मोदी सरकार का अनुमान है कि कोविड-19 के कारण स्वास्थ्य सेवाओं में रुकावट के परिणामस्वरूप अगले पांच वर्षों में अनुमानित 5 लाख अतिरिक्त टीबी के मामले और 1 लाख से अधिक मौतें हो सकती हैं. भारत ने कोविड-19 को नियंत्रित करने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण टीबी की सूचनाओं में 60 प्रतिशत की कमी दर्ज की है.
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