नई दिल्ली: एक अंतर-मंत्रालयी समिति की शुरुआती रिपोर्ट में कहा गया है कि दवा निर्माताओं के बीच टाई-अप, और उत्पादन इकाइयां तैयार करना, समय से ऑर्डर देना, फंड की व्यवस्था, आसान भुगतान आदि कुछ ऐसे तरीके हैं, जिनसे भारत में वैक्सीन का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है.
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, वैक्सीन उत्पादन बढ़ाने के प्रयासों के तहत गठित समिति ने इसी हफ्ते नरेंद्र मोदी सरकार को सौंपी गई एक रिपोर्ट में यह भी कहा है कि भारत बॉयोटेक की तरफ से जल्द ही कोवैक्सीन का उत्पादन दोगुना कर दिया जाएगा.
इस समिति में शामिल एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, ‘हमने यह सुनिश्चित किया है कि भारत बॉयोटेक कोवैक्सीन के उत्पादन में व्यापक स्तर पर वृद्धि करे.’
उन्होंने आगे कहा कि निर्माता के इस माह के अंत तक प्रति माह 1 करोड़ खुराक का उत्पादन करने में सक्षम हो जाने की उम्मीद है. मार्च तक इसकी तरफ से प्रति माह 40 लाख खुराक का उत्पादन किया जा रहा था.
इस बीच, रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि कोविशील्ड वैक्सीन का उत्पादन करने वाला सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया भी अभी उत्पादन और बढ़ाने के उपाय खोज रहा है.
अधिकारी ने कहा, ‘यद्यपि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) पहले ही विशाल क्षमता में निर्माण कर रहा है, लेकिन हम अब भी उत्पादन और बढ़ाने के तरीकों का पता लगा रहे हैं, खासकर यह देखते हुए कि उसकी एस्ट्राजेनेका के साथ एक अलग तरह की व्यवस्था है.’ कंपनी अभी प्रति माह 6.5 करोड़ खुराक का उत्पादन कर रही है.
उन्होंने कहा, ‘उक्त रिपोर्ट स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के विचारार्थ पेश कर दी गई है. दोनों कंपनियों को कोई बड़ी समस्या नहीं है और हमने उनकी चिंताओं पर गौर किया है और इन्हें आगे मंत्रालय के समक्ष उठाया जाएगा.’
घरेलू वैक्सीन का उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से इस छह सदस्यीय अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन केंद्र की तरफ से मार्च में किया गया था.
समिति का तात्कालिक लक्ष्य कम से कम 30 से 40 करोड़ लाभार्थियों का टीकाकरण है. इसके लिए देश को आने वाले महीनों में टीकों की करीब 60 से 80 करोड़ खुराक की जरूरत पड़ेगी (दोनों वैक्सीन की दो-दो खुराक जरूरी होती है). देश में अब तक 9,80,75,160 करोड़ लोगों को टीका लग चुका है.
दिप्रिंट ने ईमेल के जरिये भारत बॉयोटेक और एसआईआई से संपर्क साधा लेकिन रिपोर्ट प्रकाशित होने तक उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया था.
वहीं, स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने इस मामले पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
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मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए फंड और भुगतान सुनिश्चित करने की जरूरत
समिति ने अपनी रिपोर्ट में सरकार को यह भी बताया है कि दोनों कंपनियां वैक्सीन उत्पादन बढ़ाने के लिए वित्तीय सहायता चाहती हैं.
भारत बॉयोटेक बेंगलुरु और हैदराबाद में अपनी उत्पादन क्षमता के विस्तार के लिए करीब 150 करोड़ रुपये की सरकारी सहायता चाहती है. विस्तार किया जाए तो कंपनी की मैन्युफैक्चरिंग सात गुना तक बढ़ सकती है.
वहीं, सीरम इंस्टीट्यूट ने विनिर्माण क्षमता के विस्तार के लिए करीब 3,000 करोड़ रुपये की सरकारी सहायता की मांग की है.
समिति में ही शामिल एक दूसरे अधिकारी ने कहा, ‘दोनों कंपनियां अन्य वैक्सीन और दवा निर्माता कंपनियों के साथ टाई-अप की संभावनाएं तलाश रही हैं.’
अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘निर्माता यह भी चाहते हैं कि सरकार टीके की खुराक के लिए औपचारिक अनुबंध संबंधी ऑर्डर पहले से ही जारी कर दे और इसके साथ ही भुगतान की व्यवस्था भी कर दे ताकि उन्हें वित्तीय संकट का सामना न करना पड़े.’
सरकार की तरफ से हाल में किए गए खरीद करार के अनुसार, भारत बॉयोटेक को मई तक 2 करोड़ खुराक की आपूर्ति करनी है, जबकि सीरम इंस्टीट्यूट को इसी अवधि में 10 करोड़ खुराक की आपूर्ति करनी है.
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