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Sunday, 3 November, 2024
होमहेल्थप्रदूषण, त्योहार, सर्दियों की शुरुआत- कोरोना की 'तीसरी लहर' क्यों झेल रही है दिल्ली

प्रदूषण, त्योहार, सर्दियों की शुरुआत- कोरोना की ‘तीसरी लहर’ क्यों झेल रही है दिल्ली

दिल्ली में पॉजिटिविटी रेट बढ़कर 11.29% हो गया है और कुल मामलों का आंकड़ा 4 लाख को पार कर गया है. इसी हफ्ते इसने 6,842 केस के साथ एक दिन में सबसे ज्यादा मामलों का रिकॉर्ड दर्ज किया.

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नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में बुधवार को 6,842 नए कोविड-19 केस के साथ एक दिन में सामने आए सबसे ज्यादा मामलों ने शहर को हिलाकर रख दिया. हालांकि, इसमें कुछ भी आश्चर्यजनक न मानते हुए विशेषज्ञों ने केस बढ़ने के लिए त्योहारी सीजन, बढ़ते प्रदूषण, कांटैक्ट ट्रेसिंग के उपायों में खामी और तापमान में तेजी से गिरावट आदि को जिम्मेदार माना है.

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को कहा था कि सितंबर और अक्टूबर में हर दिन 3,000 से 5,000 के बीच ही मामले सामने आने के बाद शहर अब संक्रमण की ‘तीसरी लहर’ का सामना कर रहा है.

शहर में पॉजिटिविटी रेट 11.29 प्रतिशत हो गया और कुल मामले की संख्या 4 लाख का आंकड़ा पार कर चुकी है.

गुरुवार को दिल्ली में 6,715 नए मामले सामने आए जबकि देश में उस दिन कुल मिलाकर 47,682 मामले सामने आए थे. इसका मतलब यह है कि राजधानी में दिन के कुल केस लोड के लगभग 14 प्रतिशत मामले आए.

मामलों में यह तेजी ज्यादा मामलों वाले महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे अन्य राज्यों की तुलना में ज्यादा है, जहां कोविड के मामले पिछले एक हफ्ते से एक ही स्तर पर बने हुए हैं. कुल मिलाकर सितंबर मध्य के बाद से देश से दैनिक केस लोड घट रहा है.

राजीव गांधी सुपर स्पैशएलिटी अस्पताल के निदेशक डॉ. बी.एल. शेरवाल ने दिप्रिंट से कहा, ‘त्योहारी सीजन में बाजारों में भीड़भाड़ के कारण मामले (दिल्ली में) बढ़ रहे हैं. लोग खरीदारी करने जा रहे हैं लेकिन मास्क नहीं पहन रहे हैं. यदि मास्क पहन भी रहे हैं तो इसे ठीक से नहीं पहन रहे हैं.’

शेरवाल ने कहा, ‘इसके अलावा तापमान भी घट रहा है और प्रदूषण बढ़ रहा है. इन सभी वजहों से मामलों में वृद्धि हुई है.’


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कोविड वृद्धि के पीछे कई फैक्टर

भारत का मौसम विभाग मंगलवार को तापमान 10 डिग्री सेल्सियस तक गिरने के बाद शहर में शीत लहर की घोषणा कर सकता है— यह ऐसा फैक्टर है जिसके बारे में कई सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड के मामले बढ़ने का एक बड़ा कारण बन सकता है.

पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया में वाइस प्रेसीडेंट हेल्थ सपोर्ट सिस्टम डॉ. प्रीति कुमार ने कहा, ‘भारत में हमने इस महामारी को एक समान रूप से फैलते नहीं देखा है, इसलिए यह वृद्धि महामारी की उतार-चढ़ाव वाली लहर का असर है. किसी भी फैक्टर को चुनना और यह कहना मुश्किल है कि यही मामले बढ़ने का कारण है लेकिन तापमान में गिरावट और मानव व्यवहार में बदलाव दोनों ही फैक्टर इसे बढ़ा रहे हैं.’

शहर गुरुवार को एक्यूआई रीडिंग 452 तक बढ़ने के बाद प्रदूषण भी ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गया है.

सफदरजंग अस्पताल में कम्युनिटी मेडिसिन के प्रमुख डॉ. जुगल किशोर ने कहा, ‘जब तापमान गिरता है, तो हम आम तौर पर सांस संबंधी संक्रमण के मामले बढ़ते देखते हैं, खासकर तब जब प्रदूषण भी बढ़ रहा हो.’

उन्होंने कहा कि क्वारेंटाइन से थक चुके और दिवाली की तैयारियों में व्यस्त लोग बिना किसी हिचकिचाहट के बाहर निकल रहे हैं. ‘लोग थक चुके हैं और त्योहार को मिस नहीं करना चाहते. वे डर से ऊब चुके हैं और जोखिम लेने को तैयार हैं.’


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टेस्टिंग और तेजी का ट्रेंड

वैश्विक स्वास्थ्य और बायोइथिक्स में शोधकर्ता अनंत भान ने कहा, ‘इस धारणा के विपरीत कि शहरी भारत के कई हिस्सों में संक्रमण पहले ही फैल चुका है और संख्या अब गिर रही है, दिल्ली ने दिखाया है कि लोगों में संक्रमण का खतरा अभी टला नहीं है. इसलिए यह हमें फिर उसी बात पर ले आया है कि केवल रोकथाम के उपाय और संक्रमण पर नियंत्रण ही इससे बचाने के दो तरीके हैं.’

भान ने आगे यह भी कहा कि दिल्ली में संख्या इसलिए भी ज्यादा हो सकती है क्योंकि अन्य राज्यों की तुलना में यह गोल्ड स्टैंडर्ड वाले माने जाने वाले आरटी-पीसीआर पर अधिक भरोसा करता है.

उन्होंने कहा, ‘दूसरी ओर कई राज्य एंटीजेन टेस्टिंग पर अधिक भरोसा कर रहे हैं, इसलिए गलत निगेटिव रिपोर्ट के कारण उनकी संख्या कम दिखाई दे सकती है.’

इंडियन एकेडमी ऑफ पब्लिक हेल्थ के अध्यक्ष डॉ. संजीव कुमार ने कहा कि भले ही दिल्ली ने अपने यहां परीक्षण बढ़ा दिए हैं लेकिन पॉजिटिविटी रेट ज्यादा होने से पता चलता है कि अब तक पकड़ में नहीं आए मामलों की संख्या कहीं ज्यादा हो सकती है.

उन्होंने कहा, ‘देश की आबादी में मात्र 1.5 प्रतिशत की हिस्सेदारी वाले शहर में 5 नवंबर को 14 प्रतिशत मामले सामने आए थे. इससे पता चलता है कि शुरुआती चरण में परीक्षण और कांट्रैक्ट ट्रेसिंग के जरिये वायरस का पता लगाने में कहीं न कहीं कुछ ढिलाई हुई है. संक्रमण फैलना सक्रिय मामलों में ही निहित है और भले ही हम बहुत से लोगों का टेस्ट कर रहे हैं लेकिन ऐसे कई और मामले हैं, जिनमें संक्रमण का पता नहीं चल पाया है और इनकी वजह से फैलने वाला संक्रमण मामले बढ़ने की वजह है.’

कुमार ने कहा, ‘वायरस का जल्द से जल्द पता लगाने के लिए कड़ाई से कांट्रैक्ट ट्रेसिंग ही एकमात्र उपाय है.’

मुख्यमंत्री केजरीवाल ने अपने बयानों में आश्वास्त किया है कि राष्ट्रीय राजधानी में कोविड मरीजों के लिए पर्याप्त संख्या में बेड उपलब्ध हैं.

प्रीति ने कहा, ‘हमें अगले 15-21 दिनों में अस्पताल में भर्ती होने के पैटर्न को देखना होगा. हमें इसका अध्ययन करने की जरूरत है कि कौन-सा समूह संक्रमित हो रहा है और उनके परिणाम क्या हैं.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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