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Friday, 1 November, 2024
होमहेल्थकोविड टीकाकरण के लिए भारत जैसी चुनौती का सामना कोई नहीं कर रहा- सरकारी पैनल के प्रमुख वीके पॉल

कोविड टीकाकरण के लिए भारत जैसी चुनौती का सामना कोई नहीं कर रहा- सरकारी पैनल के प्रमुख वीके पॉल

नीति आयोग के सदस्य पॉल का कहना है कि मुख्य समस्याएं हैं- लॉजिस्टिक और तकनीकी चुनौतियां, गलत जानकारियों का डर और विपरीत दुष्प्रभावों का ‘वैश्विक हौआ’.

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नई दिल्ली: कम समय में भारत की आबादी को वैक्सीन के कई डोज़ देने की लॉजिस्टिक और तकनीकी चुनौतियां, एक ऐसी आजमाइश है जिसे पहले कहीं और नहीं देखा गया है- ये कहना है भारत की कोविड-19 कमेटी के चीफ और नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ वीके पॉल का.

पॉल ले कहा कि भारत के कोविड टीकाकरण अभियान में तीन प्रमुख चिंताएं हैं- लॉजिस्टिक और तकनीकी चुनौतियां, गलत जानकारियों का डर और विपरीत दुष्प्रभावों का ‘वैश्विक हौआ’.

टाइम्स ऑफ इंडिया से एक इंटरव्यू में पॉल ने कहा, ‘एक भारत की विशाल वयस्क आबादी को अपेक्षाकृत कम समय में वैक्सीन के कई डोज़ देना, इतनी लॉजिस्टिक और तकनीकी चुनौतियां किसी के सामने नहीं आईं हैं…’

उन्होंने कहा, ‘दो, गलत जानकारियां और झूठे कथन- हमें उम्मीद है कि पारदर्शी और विज्ञान पर आधारित संचार से हम इसका सामना कर पाएंगे. तीन, एईएफआई (टीकाकरण के बाद विपरीत घटनाएं) का वैश्विक हौआ. एक बार शुरू कर देने के बाद हम गंभीर दुष्प्रभावों की अपेक्षा नहीं कर रहे हैं लेकिन किसी भी वैक्सीन के साथ ऐसी संबंधित या असंबंधित संभावना लगी रहती है’. उन्होंने आगे कहा कि ऐसी किसी भी आशंका से निपटने के लिए ‘रैपिड रेस्पॉन्स सिस्टम’ स्थापित किया गया है.

एक सरकारी बयान के मुताबिक भारत के कोविड-19 टीकाकरण के पहले दौर में 2021 के मध्य तक लगभग 30 करोड़ सबसे असुरक्षित लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया है.


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कोविड टीकाकरण कार्यक्रम

इस चुनौती से निपटने में भारत की ताकत के बारे में बात करते हुए पॉल ने वैज्ञानिक तथा तकनीकी विशेषज्ञता के साथ मिलकर सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (यूआईपी) के ‘हथियारों’ पर ज़ोर दिया.

यूआईपी को जो पहले ही चल रहा है, माइक्रो-प्लानिंग और मॉनीटरिंग सिस्टम्स के ज़रिए कोविड के हिसाब से ढाला जा सकता है.

कोविड पैनल अध्यक्ष ने कहा, ‘पहले दौर के लिए हमें 29,000 कोल्ड चेन्स, 240 वॉक-इन कूलर्स, 70 वॉक-इन फ्रीज़र्स, 45 हज़ार आइस-लाइन्ड रेफ्रिजरेटर्स, 41 हज़ार डीप फ्रीज़र्स और 300 सोलर रेफ्रिजरेटर्स की ज़रूरत है’.

उन्होंने आगे कहा कि हज़ारों अतिरिक्त टीका लगाने वालों की ट्रेनिंग, पहले ही शुरू की जा चुकी है. इसके लिए राज्य, ज़िला और ब्लॉक स्तर पर संचालन एवं समन्वय तंत्र को सक्रिय कर दिया गया है. पूरी प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने और ई-सर्टिफिकेशन के लिए, को-विन नाम से एक आईटी प्लेटफॉर्म भी तैयार किया जा रहा है.

अभियान के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर की व्याख्या करते हुए पॉल ने कहा कि टीम ने अनुमान लगाया है कि ज़मीनी स्तर पर एक टीम जिसमें कम से कम दो टीका लगाने वाले तथा उनकी सहायता के लिए वॉलंटियर्स हों, सुरक्षित तरीके से एक दिन में 100 लाभार्थियों को टीका लगा सकती है.

उन्होंने कहा, ‘अगर टीम और लॉजिस्टिक्स को और मज़बूत किया जाए तो ये संख्या बढ़ सकती है’.

उन्होंने कहा, ‘लाभार्थियों को एक विशेष बूथ आवंटित किया जाएगा और एसएमएस के ज़रिए या ज़ुबानी, दो डोज़ के लिए एक समय दिया जाएगा. ‘दोनों डोज़ लग जाने के बाद, क्यूआर पर आधारित एक डिजिटल सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा. एसओपीज़ के अनुपालन की, जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग शामिल होगी, निगरानी की जाएगी’.


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प्राथमिकता समूह

ये पूछे जाने पर कि उनकी टीम आबादी के सबसे असुरक्षित सदस्यों को छांटने के लिए किस ‘बिग डेटा’ का सहारा लेगी, नीति आयोग सदस्य ने कहा कि पहली प्राथमिकता 27 करोड़ वो लोग हैं, जो 50 से अधिक उम्र के हैं और जिनकी उम्र 50 से कम हैं लेकिन उन्हें दूसरी बीमारियों हैं और फिर तीन करोड़ हेल्थकेयर और फ्रंटलाइन वर्कर्स हैं.

असरदार लोगों के ‘कतार तोड़ने’ के बारे में बात करते हुए पॉल ने कहा: ‘सुगम और नियमों पर आधारित टीकाकरण अभियान की ज़िम्मेदारी, राज्य और ज़िला प्रशासन की है. कतार तोड़ने या प्रोटोकोल्स में तोड़-मरोड़ को रोकने का काम उन्हीं का है’.

वैक्सीन शुरू किए जाने के बारे में पॉल ने कहा कि प्राथमिकता वाले लोगों का टीकाकरण, लॉन्च के छह से आठ महीने के भीतर हो जाना चाहिए, ‘बशर्ते कि बहुत सी मशीनों और ज़्यादा से ज़्यादा आपूर्तियों के लाइसेंस मिल जाएं’.

लेकिन उन्होंने आगे कहा, ‘हालांकि अभी तक, यहां किसी एक वैक्सीन के इस्तेमाल का लाइसेंस भी नहीं मिला है लेकिन फिर भी हम आशावान हैं’.


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केंद्र-राज्य तालमेल ज़रूरी

वैक्सीन के लिए राज्यों के बीच लगी होड़ के बारे में पूछे जाने पर पॉल ने कहा कि कोविड-19 को लेकर भारत की प्रतिक्रिया ‘पूरी सरकार, पूरे राष्ट्र और पूरे समाज की तरफ से थी’.

उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें हर रोज़ अनथक प्रयास कर रही हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘बार-बार मुख्यमंत्रियों से नियंत्रण रणनीति पर बात की है’.

पॉल ने कहा, ‘सहयोग ही एकमात्र रास्ता है.’

‘सामान्य जीवन की बहाली’

पूछे जाने पर कि ‘हिचकिचाहट’ के बीच, फाइज़र के ऑर्डर्स कैसे बढ़ गए हैं, जिसे भारत ने अभी तक बुक भी नहीं किया है या एईएफआईज़ और इसके विज्ञान के अपारदर्शक होने के आरोप के बाद दुनियाभर में एस्त्राज़ेनेका के ऑर्डर्स क्यों कम हो गए, पॉल ने कहा कि इस तरह की शंकाएं कई कारणों से हैं.

उन्होंने कहा, ‘कोविड-19 वैक्सीन्स के बारे में संदेह, प्रतिस्पर्धा/ गलत जानकारी/आम शंकाओं से पैदा होते हैं’.

डॉ पॉल ने आगे कहा, ‘वैक्सीन हमारे पास सबसे अच्छा हथियार है, एक सुरक्षित और सामान्य जीवन में वापस आने का’.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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