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Monday, 6 May, 2024
होमहेल्थ'क्या मुझे अपने बच्चों को स्कूल भेजना चाहिए, क्या मुझे यात्रा करनी चाहिए ?’ -NIMHANS हेल्पलाइन के सामने आईं ऐसी चिंताएं

‘क्या मुझे अपने बच्चों को स्कूल भेजना चाहिए, क्या मुझे यात्रा करनी चाहिए ?’ -NIMHANS हेल्पलाइन के सामने आईं ऐसी चिंताएं

निमहांस के पास सीधे तौर पर आई 3.15 लाख कॉल में से लगभग 49,000 कॉल करने वालों के मामले में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी अवसाद, चिंता, अनिद्रा, आक्रामकता और उत्तेजना जैसी स्थितियों से जुड़ीं थीं.

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नई दिल्ली: कोविड-19 के कारण लगी पाबंदियों में भले ही ढील दी जा चुकी हो लेकिन भारतीयों की चिंताएं बरकरार हैं. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज (निमहांस), बेंगलुरु द्वारा स्थापित 24×7 हेल्पलाइन पर.

उनकी तरफ से महामारी की चपेट में आने, बच्चों को स्कूल भेजने या ऑफिस आने-जाने आदि को लेकर लगातार सवाल पूछे जा रहे हैं.

निमहांस के निदेशक डॉ. जी. गुरुराज ने दिप्रिंट को दिए खास इंटरव्यू में कहा, ‘यह महामारी जारी रहने से हमारे पास उलझन, चिंता, तनाव, भय और दबाव आदि के कारण तमाम तरह के सवाल आ रहे हैं.’

गुरुराज ने कहा, ‘हमसे खासकर इस तरह के सवाल पूछे जा रहे हैं, ‘क्या मुझे अपने बच्चों को स्कूल भेजना चाहिए’; ‘क्या मुझे अपनी बेटी को ऑफिस भेजना चाहिए’; ‘मैं यात्रा करना चाहता हूं लेकिन क्या मुझे ऐसा करना चाहिए’; ‘मुझे आपातकालीन देखभाल कहां मिल सकती है’; ‘मैं कोविड टेस्ट कहां से करा सकता हूं.’

उन्होंने बताया, ‘लॉकडाउन और बढ़ती महामारी के बीच लोग मदद लेने के लिए बाहर नहीं जा सकते थे. इसके अलावा, स्वास्थ्य सेवाएं घट गई थीं और आने-जाने के साधन भी उपलब्ध नहीं थे.’

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9 महीने में 3 लाख से ज्यादा कॉल

निमहांस हेल्पलाइन (080-4611 0007) कोविड-19 संक्रमण रोकने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 21 दिन का राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन घोषित किए जाने के एक दिन बाद 25 मार्च को शुरू की गई थी.

निमहांस के प्लेटफॉर्म पर 29 मार्च से 16 दिसंबर के बीच आई कुल कॉल की संख्या 3.15 लाख है, जिसमें इंस्टीट्यूट के साथ जोड़े गए कॉल सेंटर में आई कॉल शामिल नहीं हैं. हेल्पलाइन शुरू होने के बाद इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी जैसे कई मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों ने अपने हेल्पलाइन नंबर निमहांस के साथ जोड़ दिए थे. इन पर आई कॉल की कुल संख्या संस्थान के पास उपलब्ध नहीं है.

शुरू में इस प्लेटफॉर्म पर प्रति माह 11,000 से अधिक कॉल आ रहे थे, जो अक्टूबर और नवंबर में घटकर करीब 5,000 हो गए. गुरुराज ने कहा कि हालांकि, अब भी तनाव से जुड़े मामलों को लेकर हेल्पलाइन पर कॉल आती रहती हैं लेकिन सलाह मांगने वाले लोगों की संख्या काफी घटी है.

गुरुराज ने कहा, ‘लॉकडाउन के शुरुआती चरण के दौरान लगभग हर महीने 30,000 से 50,000 परामर्श मांगे जाते थे जो (अब संख्या घटकर) अक्टूबर और नवंबर में 1,200 परामर्श प्रतिमाह हो गए हैं.’

निमहांस के सूत्रों ने इन नंबरों को यह कहते हुए स्पष्ट कि परामर्श में कॉल करने वालों का दोहराव शामिल हो सकता है, क्योंकि एक व्यक्ति को परामर्श के कई सत्र की आवश्यकता पड़ सकती है. अब, संख्या कम हो रही है, क्योंकि लोगों ने अपने डॉक्टरों और चिकित्सकों से मिलने के लिए घर से निकलना शुरू कर दिया है.

निमहांस के पास सीधे तौर पर आई 3.15 लाख कॉल में से लगभग 49,000 कॉल करने वालों के मामले में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी अवसाद, चिंता, अनिद्रा, आक्रामकता और उत्तेजना जैसी स्थितियों के लिए साइकोसोशल परामर्श मुहैया कराया गया.

निमहंस के आंकड़ों के अनुसार, लगभग 78.4 प्रतिशत परामर्श कोविड को लेकर लोगों की चिंताओं से जुड़ा था. लगभग 24 प्रतिशत के पास मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी पुरानी समस्याएं ही थीं.

महामारी विज्ञान, जनस्वास्थ्य और स्वास्थ्य प्रणालियों के क्षेत्र में व्यापक अनुभव रखने वाले डॉ. गुरुराज ने कहा कि हेल्पलाइन सेवा का सहारा लेने वाले लोगों की तीन श्रेणियां हैं.

उन्होंने कहा, ‘पहली श्रेणी वह है जिसमें चिंता और दबाव के लक्षण दिखते हैं. उनके सवालों में ‘क्या मुझे कोविड होने की संभावना है’ जैसी बातें शामिल हैं. दूसरी श्रेणी में वो लोग हैं जो कोविड के लक्षणों का अनुभव कर चुके हैं, जबकि तीसरी श्रेणी में वे लोग आते हैं जो कोविड का शिकार बन चुके हैं और अब तमाम मुद्दों या दुष्प्रभावों को झेल रहे हैं.’

‘बच्चों और बुजुर्गों का मानसिक स्वास्थ्य बड़ा मुद्दा’

डॉ. गुरुराज ने कहा कि बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य अगला बड़ा मुद्दा है जिसे करीब से देखने की जरूरत है.

उन्होंने कहा, ‘बच्चे भी महामारी के कारण गंभीर दबाव का सामना कर रहे हैं क्योंकि ऑनलाइन कक्षाएं चल रही हैं और शारीरिक और सामाजिक गतिविधियां घटी हैं.’ साथ ही जोड़ा न्यूक्लियर फैमिली में यह समस्या ज्यादा हो रही है.

निमहांस बुजुर्गों के लिए मानसिक स्वास्थ्य देखभाल को मजबूत करने में भी जुटा है. डॉ. गुरुराज ने कहा, ‘उम्र और अनिश्चितता के अलावा एक से ज्यादा गंभीर रोगों की चपेट में आने की आशंका के कारण बुजुर्ग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. बुजुर्गों के बीच मानसिक स्वास्थ्य संकट को दूर करने के लिहाज से निमहांस अपने मौजूदा कार्यक्रमों के विस्तार के साथ-साथ गैर-सरकारी संगठनों को साथ लाने, निजी और सार्वजनिक भागीदारी बढ़ाने और ज्यादा संख्या में लोगों को प्रशिक्षित करने की योजना बना रहा है.’

हालांकि, निमहांस में महामारी विज्ञान विभाग, सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र, डब्ल्यूएचओ के सहयोग से सेंटर फॉर इंजरी प्रिवेंशन एंड सेफ्टी प्रोमोशन, और पब्लिक हेल्थ ऑब्जरवेटरी की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले निदेशक का मानना है कि भारत ने कोविड के खिलाफ बेहद सकारात्मक प्रतिक्रिया दिखाई है.

उन्होंने कहा, ‘भारत अपने आप में कई राष्ट्रों को समेटे है. सार्वजनिक स्वास्थ्य पर इसकी प्रतिक्रिया विभिन्न राज्यों में अलग-अलग रही है. लेकिन महामारी ने सीधे और स्पष्ट तौर पर एक संदेश जरूर दिया है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों और निगरानी व्यवस्था पर तत्काल ध्यान देने और इसे मजबूत करने की आवश्यकता है.’


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