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Friday, 26 April, 2024
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राज्यों के लिए केंद्र की कोविड गाइडलाइंस—पांच सदस्यीय टीम, मोबाइल साइट और कोई ‘घालमेल’ नहीं

‘कोविड-19 वैक्सीन ऑपरेशनल गाइडलाइंस’ में आधार और पेंशन कार्ड समेत 12 ऐसे दस्तावेजों की सूची भी शामिल की गई है जिनका इस्तेमाल लाभार्थियों की पहचान के लिए किया जा सकता है.

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नई दिल्ली: कोविड टीकाकरण कार्यक्रम के लिए होने वाले व्यापक इंतजामों में पांच सदस्यीय टीकाकरण टीम, इंटरनेट सुविधा वाले और सचल टीकाकरण केंद्र और टीका लगने के बाद कोई प्रतिकूल असर पड़ने की स्थिति पर नजर रखने की व्यवस्था की जाएगी.

केंद्र की तरफ से पिछले हफ्ते जारी गाइडलाइंस में राज्यों से यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि किसी एक जिले को एक ही निर्माता की वैक्सीन मिले, ताकि किसी ‘घालमेल’ से बचा जा सके.

यह दस्तावेज, जिसकी एक प्रति दिप्रिंट के पास मौजूद हैं, में स्पष्ट किया गया है कि टीकाकरण में पहले चार समूहों को प्राथमिकता दी जाएगी जिसमें स्वास्थ्य कार्यकर्ता, फ्रंटलाइन कर्मचारी, 50 वर्ष से अधिक आयु के लोग और मधुमेह, उच्च रक्तचाप, फेफड़ों आदि की गंभीर बीमारियों से पीड़ित किसी भी उम्र के लोग शामिल हैं.

50 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों की पहचान करने के लिए नवीनतम मतदाता सूची का इस्तेमाल किया जाएगा.

इसके अलावा लाभार्थियों की पहचान के लिए आधार, पेंशन कार्ड और बैंक दस्तावेजों सहित 12 फोटो पहचानपत्रों का इस्तेमाल किया जाएगा.

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‘कोविड-19 वैक्सीन ऑपरेशनल गाइडलाइंस’ शीर्षक वाले इस दस्तावेज में यह भी उल्लेख किया गया है कि संभव है कि वैक्सीन की शीशियां एक्सपायरी डेट के बिना आएंगी, लेकिन फिर वैक्सीनेटर को इनके प्रबंधन में कोई चूक नहीं करना चाहिए. सत्र पूरा होने के बाद सभी खुली शीशियों को हटाना होगा.


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चोरी रोकने के लिए ‘सख्त निगरानी’

टीके की ज्यादा मांग और कम आपूर्ति को देखते हुए ‘कोविड-19 वैक्सीन ऑपरेशनल गाइडलाइंस’ में चोरी और झपटमारी की आशंका को लेकर ‘कड़ी सतर्कता’ बरतने की सलाह भी दी गई है.

दस्तावेज कहता है, ‘चोरी-झपटमारी जैसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त निगरानी तंत्र होना चाहिए. ऐसी किसी भी गतिविधि की सूचना तुरंत दी जानी चाहिए और स्पष्ट जवाबदेही के साथ तत्काल पुलिस की कार्रवाई होनी चाहिए.’

नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी.के पॉल की अध्यक्षता वाले कोविड-19 वैक्सीन प्रशासन पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह (NEGVAC) के नेतृत्व में खेल, गृह, रेलवे, अल्पसंख्यक मामलों, आवास, रक्षा, बिजली श्रम और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय सहित बीस मंत्रालय कोविड टीकाकरण कार्यक्रम में समन्वय कायम करेंगे.

इसमें प्रत्येक मंत्रालय और डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ जैसी सहयोगी संस्थाओं की भूमिका को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है.

दस्तावेज के मुताबिक, ‘यद्यपि अधिकांश हेल्थकेयर और फ्रंटलाइन कर्मियों का टीकाकरण फिक्स्ड सेशन साइट पर होगा लेकिन अन्य उच्च जोखिम वाली आबादी के टीकाकरण के लिए उनके पास पहुंचना होगा जिसके लिए आउटरीच सेशन साइट और मोबाइल साइट/टीमों की आवश्यकता हो सकती है.

टीकाकरण टीम में पांच अधिकारी शामिल होंगे—इनमें एक वैक्सीनेटर अधिकारी, जो कोई डॉक्टर/स्टाफ नर्स/फार्मासिस्ट/या वैध तौर पर इंजेक्शन देने के लिए अधिकृत व्यक्ति होगा; एक वैक्सीनेशन अधिकारी, जो पुलिस, होमगार्ड या नागरिक सुरक्षा आदि से जुड़ा होगा और टीका लगवाने पहुंचे व्यक्ति के पंजीकरण की जांच करेगा; एक अन्य वैक्सीनेशन अधिकारी जो दस्तावेजों को प्रमाणित या सत्यापित करेगा और दो अन्य अधिकारी जागरूकता बढ़ाने में सहायता या समर्थन करेंगे.

हर सत्र में 100-200 लाभार्थियों को कवर किया जाएगा

नौ घंटे—सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे– तक चलने वाले हर टीकाकरण सत्र में जगह और कर्मियों की उपलब्धता के आधार पर 100 से 200 तक लाभार्थियों को कवर किया जाएगा.

यह सुनिश्चित करने पर काफी जोर दिया गया है कि टीकाकरण सत्र इस तरह से चलाया जाए कि टीके की कोई बर्बादी न हो. लाभार्थियों की भीड़ लगने से रोकने के लिए उन्हें संभालने की व्यवस्था करनी होगी और चुनावी मॉडल की तर्ज पर प्रत्येक साइट को लाभार्थियों की सूची की तीन प्रतियां मिलेंगी जिन्हें वहां पर टीका लगना होगा. स्पॉट रजिस्ट्रेशन नहीं होगा.

प्री-रजिस्ट्रेशन संबंधित विभागों द्वारा हेल्थकेयर वर्कर्स डाटा बड़े पैमाने पर अपलोड किए जाने और नवीनतम मतदाता सूची का उपयोग किए जाने के आधार पर होगा.

दिशानिर्देशों के मुताबिक, ‘प्रत्येक टीकाकरण सत्र में अधिकतम 100 लाभार्थियों (वैक्सीन उपलब्धता के आधार पर) को टीका लगने के आसार है. हालांकि, दूरदराज के और कम आबादी वाले क्षेत्रों के मामले में राज्य यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि लाभार्थियों की कम संख्या के लिए सत्र आयोजित किए जाएं लेकिन टीके की कोई बर्बादी न हो. यदि एक सत्र में लाभार्थियों की संख्या कम हो रही हो तो ऐसी सेशन साइट को अन्य के साथ मिला दिया जाएगा.’

इसमें आगे जोड़ा गया, ‘यदि सेशन साइट में पर्याप्त लॉजिस्टिक और वेटिंग रूम और ऑब्जर्वेशन रूम के लिए जगह उपलब्ध होने के साथ-साथ भीड़ प्रबंधन की व्यवस्था भी है तो एक और वैक्सीनेटर अधिकारी को जोड़कर वहां पर 200 लाभार्थियों तक के लिए सत्र बढ़ाया जा सकता है. यदि किसी एक सत्र में 200 से ज्यादा लाभार्थियों को शामिल करने की उम्मीद होगी तो एक वैक्सीनेटर अधिकारी के साथ चार टीकाकरण अधिकारियों की पूरी टीम को तैनात करने की जरूरत पड़ेगी.’

इसमें यही भी कहा गया है कि टीकाकरण की जगह का पूरा ढांचा चुनाव बूथ की तरह होना चाहिए, जिसमें टीम के हर सदस्य के भूमिका निर्धारित हो, इंटरनेट कनेक्टिविटी की बेहतरीन सुविधा हो और यहां आने वाले बुजुर्गों की सुविधा का भी पूरा ख्याल रखा जाए.

हर टीकाकरण केंद्र पर एक प्रतीक्षालय, एक टीकाकरण कक्ष और एक निरीक्षण कक्ष होगा ताकि टीका लगवाने वाले व्यक्ति के वहां से जाने से पहले यह देखा जा सके कि उसमें कोई प्रतिकूल प्रभाव तो नहीं पड़ा है.

एक डिजिटल प्लेटफॉर्म कोविड वैक्सीन इंटेलोजेंस नेटवर्क (को-विन) प्रणाली के जरिये टीकाकरण के लिए सूचीबद्ध लाभार्थियों और कोविड-19 टीकों को रियल टाइम पर ट्रैक किया जाएगा.

दस्तावेज में इस पूरी प्रक्रिया के दौरान ‘दो गज की दूरी’ को कायम रखने पर खासा जोर दिया गया है.

निजी प्रदाताओं का प्रशिक्षण

कोविड टीकाकरण का एक बेहद महत्वपूर्ण सिद्धांत यह सुनिश्चित करना होगा कि नियमित टीकाकरण कार्यक्रम बाधित न हो.

इस काम में निजी क्षेत्र का इस्तेमाल किया जाएगा. दिशानिर्देशों में कहा गया है कि निजी स्वास्थ्य क्षेत्र के संभावित वैक्सीनेटर की सूची समय पर पूरी करने की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वह जिला या ब्लॉक स्तर पर वैक्सीनेटर ट्रेनिंग में हिस्सा लें.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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