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Saturday, 21 December, 2024
होमहेल्थपिछली बार की अपेक्षा कोविड की दूसरी लहर में ज़्यादा बीमार पड़ रहे हैं 0-19 आयु वर्ग के लोग: ICMR

पिछली बार की अपेक्षा कोविड की दूसरी लहर में ज़्यादा बीमार पड़ रहे हैं 0-19 आयु वर्ग के लोग: ICMR

आईसीएमआर के आंकड़ों में ये भी उजागर किया गया है कि पिछली लहर की अपेक्षा इस बार सिर्फ एक सदस्य के पॉज़िटिव होने पर, पूरा परिवार कोविड से संक्रमित हो रहा है.

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नई दिल्ली: बृहस्पतिवार को कोविड-19 टास्क फोर्स की एक बैठक में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराया है कि कोरोनावायरस की दूसरी लहर में संक्रमित होने वालों में 0-19 आयु वर्ग का अनुपात कहीं अधिक है.

लेकिन, आंकड़े कुछ मानदंडों पर पूरे नहीं उतरे, इसलिए अब परिषद से कहा गया है कि आंकड़ों का फिर से मूल्यांकन करे और ताज़ा निष्कर्षों के साथ वापस आए.

सूत्रों ने कहा कि आंकड़े ये तो दिखाते हैं कि इस मरतबा कहीं ज़्यादा बच्चे प्रभावित हो रहे हैं लेकिन वायरस के व्यवहार या इसके म्यूटेशन में किसी बदलाव की बजाय, इसका कारण खुलने की प्रक्रिया भी हो सकती है, जिसके तहत स्कूल और कॉलेज खोले गए थे.

राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के सूत्रों ने ये भी कहा कि दूसरी लहर की दो प्रमुख विशेषताएं ये हैं कि पूरे-पूरे परिवार पॉज़िटिव निकल रहे हैं और कहीं अधिक संख्या में युवा, बीमारी की चपेट में आ रहे हैं.

टास्क फोर्स की बैठक में मौजूद रहे एक अधिकारी ने कहा, ‘आईसीएमआर के आंकड़े दिखाते हैं कि पिछली बार की अपेक्षा, इस बार 0-19 आयु वर्ग के लोग कहीं ज़्यादा प्रभावित हुए हैं. लेकिन ज़रूरी नहीं कि इसका ये मतलब हो कि वायरस कुछ अलग तरह से व्यवहार कर रहा है. पिछली बार युवा लोग लगभग पूरे समय घरों के अंदर थे. खरीदारी और ज़रूरी काम तक बड़े लोगों द्वारा किए जा रहे थे. अब चीज़ें बदल गईं हैं’.

अधिकारी ने आगे कहा, ‘अब चीज़ें काफी बदल गईं हैं और वो खेलने के लिए निकल रहे हैं. बड़े बच्चे तो स्कूल और कॉलेज भी जा रहे हैं. इसलिए हमें बहुत सावधान रहना होगा कि हम इन आंकड़ों की किस तरह व्याख्या करते हैं’.

अधिकारी ने ये भी कहा कि एक वास्तविकता ये भी है कि पिछले तीन महीनों में टीकाकरण अभियान में, ज़्यादातर अधिक आयु के वर्गों को टीके लगाए गए हैं, इसलिए अब वो वायरस से कुछ हद तक सुरक्षित हैं, जबकि इसके विपरीत युवा लोगों का टीकाकरण सबसे कम हुआ है.

ये लोग अधिकतर वो हैं जो रोज़गार में नहीं हैं. युवा लोग टीका तभी लगवा सकते हैं, जब वो स्वास्थ्य सेवा या फ्रंटलाइन वर्कर्स हों. इसका मतलब ये है कि इनके लिए वो विकल्प भी बंद है.


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इस बार पूरे परिवार प्रभावित

एनसीडीसी के अधिकारियों ने कहा कि दूसरी लहर की प्रमुख विशेषता ये रही है कि पिछली लहर के विपरीत इस बार, अगर परिवार का एक सदस्य पॉज़िटिव होता है, तो उस घर में रहने वाले सभी लोग बीमारी की चपेट में आ रहे हैं.

एनसीडीसी के एक अधिकारी ने कहा, ‘हम ऐसे बहुत से युवा लोग देख रहे हैं, जो प्रभावित हो रहे हैं. इसका एक कारण ये है कि पिछली बार, हमने ऐसी बहुत सारी मिसालें देखीं, जहां अगर एक व्यक्ति बीमार हुआ, तो उसके खुद को अलग कर लेने से बाकी परिवार बच जाता था. लेकिन अब, अगर एक सदस्य पॉज़िटिव है, तो बाकी सब लोग भी संक्रमित हो रहे हैं’.

वायरस विज्ञानी शाहिद जमील, जो अशोका यूनिवर्सिटी में त्रिवेदी स्कूल ऑफ बायोसाइंसेज़ के डायरेक्टर भी हैं, इस बात से सहमत हैं कि पूरे परिवार का बीमारी की चपेट में आना, एक नई प्रवृत्ति है.

उन्होंने कहा, ‘मुमकिन है कि ऐसा यूके स्ट्रेन जैसे नए वेरिएंट्स के सामने आने की वजह से हुआ हो, जो ज़्यादा संक्रामक हैं. लेकिन ये बात भी यकीनन सही है कि इस बार, बिना लक्षण वाले मामले कहीं अधिक हैं. उसका एक कारण आयु वर्ग भी हो सकता है. दिल्ली में हमने विश्लेषण किया है कि वायरस इस बार 50 प्रतिशत ज़्यादा संक्रामक है’.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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