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Friday, 26 April, 2024
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रायपुर में बढ़ती कोविड मौतों के बीच कम पड़ गए शव वाहन, शवों को ट्रकों में भेजा जा रहा है श्मशान

छत्तीसगढ़ में कोविड मामलों और मौतों का आंकड़ा, हर रोज़ नई ऊंचाइयां छू रहा है, और रायपुर वायरस का अधिकेंद्र बन गया है. मंगलवार को ये देश में तीसरा सबसे प्रभावित सूबा बन गया.

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नई दिल्ली: बुधवार सुबह 11 बजे के क़रीब, सामान ढोने वाला एक बड़ा ट्रक, रायपुर के डॉ भीमराव आम्बेडकर मेमोरियल (बीआरएएम) अस्पताल के बाहर आकर रुका, जो छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा कोविड-19  अस्पताल है. लेकिन वो ट्रक अस्पताल से कोई सामान ले जाने नहीं आया था.

उसके अंदर आते ही, पीपीई सूट पहले हुए अस्पताल कर्मी उसके पास गए, और उसका पिछला दरवाज़ा खोल दिया- उन्हें उसमें शव चढ़ाने थे. उन्होंने 10 मरीज़ों के शव ट्रक में लादे, जिनकी कोविड से मौत हुई थी, और शोक में डूबे परिवार देखते रहे.

‘मैं नहीं चाहता था कि मेरे पिता का शव, इस तरह ले जाया जाए. लेकिन अस्पताल अधिकारियों ने कहा कि शव वाहनों की कमी है, इसलिए मुझे राज़ी होना पड़ा,’ ये कहना था आर्यन का, जो अपने पिता का शव ट्रक में खींचे जाते देख रहा था.

शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाते कर्मचारी/सूरज सिंह बिष्ट/ दिप्रिंट
शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाते कर्मचारी/सूरज सिंह बिष्ट/ दिप्रिंट

छत्तीसगढ़ में कोविड मामलों और मौतों का आंकड़ा, हर रोज़ नई ऊंचाइयां छू रहा है, और सूबे की राजधानी वायरस का अधिकेंद्र बन गई है.

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्लू) के आंकड़ों के अनुसार, 13 अप्रैल तक छत्तीसगढ़ में 4,71,994 मामले दर्ज किए जा चुके हैं- 5,187 मौतें हुई हैं, और 3,57,668 मरीज़ ठीक हो चुके हैं. 26,270 एक्टिव मामलों के साथ, इनमें सबसे अधिक योगदान रायपुर का रहा है.

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मंगलवार को छत्तीसगढ़ में तीसरे सबसे अधिक नए मामले-15,121- दर्ज किए गए, जिससे पहले सिर्फ महाराष्ट्र और उत्तरप्रदेश थे. ये उन पांच राज्यों में भी है, जो भारत के कुल एक्टिव मामलों में, 68 प्रतिशत का योगदान दे रहे हैं. मंगलवार को राज्य में महाराष्ट्र के बाद, मौतों की संख्या भी सबसे अधिक रही.

दिप्रिंट ने रायपुर की मुख्य चिकित्सा अधिकारी मीरा बघेल, और प्रमुख सचिव रेणु पिल्लई से भी, फोन पर संपर्क साधने की कोशिश की, लेकिन इस रिपोर्ट के छपने तक, उनका कोई जवाब नहीं मिला था.

अधिकारी क्यों मंगा रहे हैं सामान वाले ट्रक

बुद्धवार को बीआरएएम अस्पताल के बाहर, ट्रक पहुंचने से आधा घंटा पहले ही, मुर्दाघर के बाहर पहले से ही एक लंबी लाइन लग गई थी.

बीआरएएम अस्पताल के मुर्दाघर सुपरवाइज़र योगेश कुमार ने कहा, ‘इस ट्रक में 10 शवों को एक साथ नया रायपुर ले जाया जाएगा, क्योंकि इतने शव वाहन उपलब्ध नहीं हैं, कि शवों को अलग अलग चक्करों में ले जाया जा सके. कल (मंगलवार) भी ये ट्रक सात शवों को नया रायपुर लेकर गया था’. नया रायपुर एक शहर है, जो रायपुर शहर से 20 किलोमीटर दूर है.

सोमवार को इस मुर्दाघर के बाहर शवों का ढेर लग गया था. इसका वीडियो वायरल हो गया, और अधिकारियों को मजबूरन मुर्दाघर को ख़ाली करने का काम शुरू करना पड़ा. लेकिन मुर्दाघर के कर्मचारियों ने बताया, कि ट्रक्स बुलाए जाने के बाद भी, बहुत सारे शव अंदर पड़े हुए हैं.

कुमार ने आगे कहा, ‘शवों को धीरे धीरे भेजना पड़ता है, क्योंकि श्मशान घाटों पर भी बहुत दबाव है. मुर्दाघर में शवों की संख्या कम नहीं हो रही है, क्योंकि मौतों की संख्या नहीं घट रही है’.

रायपुर के अतिरिक्त निगम आयुक्त पुलक भट्टाचार्य ने कहा, ‘मंगलवार से हम दो ट्रक भेज रहे हैं, एक बीआरएएम जाता है और दूसरा एम्स (रायपुर), क्योंकि ये राज्य के दो सबसे बड़े अस्पताल हैं. हमारे पास कुल आठ शव वाहन हैं, और कुछ निजी वाहन हैं. लेकिन अगर हम एक परिवार को एक शव वाहन दे दें, तो इन वाहनों को बहुत चक्कर लगाने पड़ेंगे. इसीलिए हमने तय किया कि हम एम्स और बीआरएएम से, कुछ शव इन ट्रकों में नया रायपुर भेजेंगे’.

सिर्फ ट्रक ही नहीं, शव वाहन भी कई-कई शव लेकर जा रहे हैं. कुमार ने कहा, ‘हर शव वाहन में 2-3 शव लादकर, निगम अधिकारियों के बताए हुए, अलग अलग श्मशान स्थलों पर ले जाया जाता है. लेकिन शव वाहनों की संख्या पर्याप्त नहीं है, जिसकी वजह से हर वाहन में, कई शव लोड किए जाते हैं’.

परिवारों के लिए आघात

लेकिन परिवारों के लिए, मौत के बाद उनके प्रियजनों के अनादर को हज़्म करना, आसान नहीं है.

‘वो लोग शवों को मुर्दाघर से ट्रक, और ट्रक से श्मशान तक, जानवरों की तरह खींचकर ले जा रहे हैं. इंसानी जीवन का कोई सम्मान नहीं है,’ ये कहना था उमेश कुमार विश्वकर्मा का. उनके पिता के शव को ट्रक से उठाकर, नया रायपुर में सीधे चिता पर रख दिया गया.

एक कोविड मरीज का परिवार अपने परिवार के सदस्य का शवदाह होते हुए देख रहे हैं/ सूरज सिंह बिष्ट/दिप्रिंट
एक कोविड मरीज का परिवार अपने परिवार के सदस्य का शवदाह होते हुए देख रहे हैं/ सूरज सिंह बिष्ट/दिप्रिंट

लेकिन, नया रायपुर के श्मशान गृह के अधिकारियों का कहना था, कि उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया था, कि शवों को एक दूसरे के ऊपर न रखा जाए.

रायपुर श्मशान घर के सुपरवाइज़र कोमल सिंह राजपूत ने कहा, ‘मैंने निगम अधिकारियों से साफ कह दिया था, कि मेरे लोग एक के ऊपर एक रखे शवों को नहीं उठाएंगे. ये इंसानों के शव हैं, सब्ज़ियों के बोरे नहीं हैं. उसके बाद इन लोगों ने शवों को, इस ट्रक में अलग अलग रखना शुरू किया, और उनका ढेर लगाना बंद किया’.

नगरनिगम का कर्मचारी शव के दाह संस्कार किए जाने से पहले प्रणाम करता हुआ/ फोटो सूरज सिंह बिष्ट/दिप्रिंट
नगरनिगम का कर्मचारी शव के दाह संस्कार किए जाने से पहले प्रणाम करता हुआ/ फोटो सूरज सिंह बिष्ट/दिप्रिंट

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राज्य में चरमराता स्वास्थ्य ढांचा

छत्तीसगढ़ सरकार के आंकड़ों के अनुसार, पिछले एक महीने में मौतों की संख्या में, 2,000 प्रतिशत वृद्धि हुई है.

12 मार्च को, सिर्फ चार मौतें हुईं थीं, और 447 मामले सामने आए थे- जिनमें 121 रायपुर में थे. 12 अप्रैल को ये संख्या उछलकर 107 मौतों, तथा 13,576 मामलों तक पहुंच गई- जिनमें 3,442 अकेले रायपुर में थे.

दिप्रिंट से बात करने वाले, मरीज़ों के परिजनों का कहना था, कि मौतों की संख्या बढ़ने का कारण ये है, कि स्वास्थय ढांचा तेज़ी से बढ़ते हुए मामलों को संभाल नहीं पा रहा है. बिस्तरों की क़िल्लत और समय रहते अस्पताल में इलाज हासिल न हो पाने में, यही सच्चाई झलकती है.

बीआरएएम अस्पताल के बाहर खड़े कमल पटेल ने कहा, ‘मैंने दो निजी अस्पतालों में कोशिश की, लेकिन दोनों ने कहा कि वो भरे हुए हैं. आख़िरकार जब तक मैं अपनी भाभी को यहां लेकर पहुंचा, स्ट्रेचर पर रखने से पहले ही, उनकी मौत हो गई’.

एम्स पर एक मरीज़ के परिवार के एक सदस्य ने, जो अपना नाम नहीं बताना चाहते थे, कहा, ‘मैंने दो दिन तक पांच अस्पतालों में कोशिश की, अपनी मां के लिए बिस्तर लेने की. अंत में, हमें यहां आकर बेड का इंतज़ार करना पड़ा. यहां भी, हमने पूरे दिन इंतज़ार किया, मंगलवार को शाम 8 बजे के बाद ही, मेरी मां को एक बेड मिल पाया. उन्हें यहां खुले में, दूसरे मरीज़ों व उनके परिवारों के बीच, मां को ऑक्सीजन देनी पड़ी’.

अस्पताल में नोटिस लगा है कि बेड मौजूद नहीं है/फोटो: सूरज सिंह बिष्ट/दिप्रिंट
अस्पताल में नोटिस लगा है कि बेड मौजूद नहीं है/फोटो: सूरज सिंह बिष्ट/दिप्रिंट

दिप्रिंट ने जिन सरकारी अधिकारियों से बात की, उनका कहना था कि मौतें बढ़ने का कारण ये है, कि मरीज़ देरी से आ रहे हैं.

बीआरएएम अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक विनीत जैन ने कहा, ‘मरीज़ बहुत नाज़ुक स्थिति में यहां आ रहे हैं. जब तक वो अस्पताल पहुंचते हैं, उनके ऑक्सीजन स्तर 60-70 प्रतिशत होते हैं. कभी कभी तो मरीज़ मृत अवस्था में लाए जाते हैं’.

अधिकारियों ने ये भी कहा कि लोग अभी भी, वायरस को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं, जोकि मामलों और मौतों की संख्या के उछाल में नज़र आ रहा है. भट्टाचार्य ने कहा, ‘लोग टेस्ट नहीं करा रहे हैं. लोग अभी भी समझ रहे हैं, कि ये कोई खांसी या ज़ुकाम जैसा मामूली वायरस है. जब ये गंभीर हो जाता है तभी वो अस्पताल जाते हैं. सभी निजी अस्पताल भरे हुए हैं. एम्स और आंम्बेडकर में दूसरे ज़िलों से भी गंभीर मामले आते हैं. यही वजह है कि ये अस्पताल अपनी क्षमता से ऊपर काम कर रहे हैं’.

छत्तीसगढ़ की कोविड स्थिति रायपुर के अस्पतालों, मुर्दाघरों, और श्मशान घरों में देखी जा सकती है, और अधिकारियों का कहना था, कि मौतों से पता चलता है कि वायरस धीरे धीरे, कैसे समाज में अंदर तक फैल गया है. जैन ने कहा, ‘कोविड प्रोटोकोल्स का पालन नहीं किया जा रहा था. धीरे धीरे ये पूरे समाज में फैल गया है, और अब ये मौत के आंकड़ों में दिख रहा है’.

उन्होंने आगे कहा, ‘हम अचानक ऑक्सीजन बेड्स, या आईसीयू बेड्स, या वेंटिलेटर्स नहीं बढ़ा सकते. पिछले साल की अपेक्षा हमारी क्षमता बढ़ गई है, लेकिन वो बीमारी की गंभीरता के हिसाब से नहीं बढ़ी. आप अपनी क्षमता को बढ़ा सकते हैं, लेकिन अगर बीमारी ज़्यादा गंभीर हो जाए…तो बहुत मुश्किल हो जाता है’.

डॉक्टरों का कहना था कि सरकार ने भी ढिलाई बरती, और मार्च में रायपुर में रोड सेफ्टी वीक जैसे आयोजनों की अनुमति दे दी. इस आयोजन में सचिन तेंदुलकर, ब्रायन लारा और युवराज सिंह जैसे, बहुत से जाने माने क्रिकेट दिग्गजों को, शिरकत करते देखा गया.

बाल्को अस्पताल के एक डॉक्टर ने, जो नाम छिपाना चाहते थे, कहा, ‘कहां है वो सब ट्रैफिक जो उन्हें चाहिए था, ताकि रायपुर में भरे दर्शकों के सामने मैच करा सकें? अब हम उस मैच का असर देख रहे हैं’.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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