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Sunday, 22 December, 2024
होमहेल्थकार्गो कंटेनर के अंदर मोबाइल अस्पताल- अगली बीमारी के लिए कैसे तैयारी कर रहा है भारत

कार्गो कंटेनर के अंदर मोबाइल अस्पताल- अगली बीमारी के लिए कैसे तैयारी कर रहा है भारत

नए प्रधानमंत्री स्वास्थ्य कोष के माध्यम से स्थापित किए जाने वाले अस्पतालों को दिल्ली और चेन्नई में तैनात किया जाएगा और आपदा या बीमारी के प्रकोप के दौरान भारत के स्वास्थ्य ढांचे को मजबूती देने के लिए संबंधित जगहों पर स्थानांतरित कर दिया जाएगा.

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नई दिल्ली: रेलवे कोचों को कोविड-19 आइसोलेशन सेंटर में बदलने के विचार को आगे बढ़ाते हुए भारत सरकार ने दो मोबाइल अस्पताल शिपिंग कंटेनर के अंदर बनाने का फैसला किया है, जिन्हें किसी भी बीमारी के फैलने या आपदा के समय किसी भी स्थान पर ले जाया जा सकेगा.

इन दोनों अस्पतालों के लिए पूरा पैसा केंद्र की तरफ से प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना के तहत दिया जाएगा और आपात स्थिति न होने पर इन्हें नई दिल्ली और चेन्नई में तैनात रखा जाएगा.

चिकित्सा उपकरण, डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की सुविधा वाले प्रत्येक अस्पताल में कम से कम 30 कंटेनर (आमतौर पर माल परिवहन में उपयोग होने वाले) शामिल होंगे. इनकी तैनाती की जगह का चयन इस आधार पर किया गया है कि जरूरत पड़ने पर इन्हें कहां से सबसे जल्दी देश के किसी भी हिस्से में भेजा जा सकता है. अस्पतालों को हर समय पूरी तरह मुस्तैद रखा जाएगा और जरूरत पड़ने पर शार्ट नोटिस पर कहीं भी भेजा जा सकेगा.

स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘दोनों अस्पतालों के लिए खर्च पूरी तरह से प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर फंड से किया जाएगा और राज्यों को कोई पैसा नहीं देना होगा. इसके लिए खरीद और भर्ती भी भारत सरकार द्वारा की जाएगी और हम उन्हें जल्द से जल्द शुरू करेंगे.’


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भारत के अस्पतालों में बेड की स्थिति

15वें वित्त आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कुल 18,99,228 हॉस्पिटल बेड (जिनमें से 60 प्रतिशत से अधिक निजी क्षेत्र में हैं) होने का अनुमान है— यानी प्रति 1,000 लोगों पर लगभग 1.4 बेड.

भारत में स्वास्थ्य सेवा की स्थिति पर एक पूरे चैप्टर वाली वित्त आयोग की रिपोर्ट बताती है, ‘यह कई अन्य देशों की तुलना में काफी कम है. चीन में 1000 लोगों पर चार बेड उपलब्ध हैं, श्रीलंका, यूके और अमेरिका में बेड घनत्व प्रति एक हजार पर तीन के आसपास है और थाईलैंड और ब्राजील के अस्पतालों में प्रति 1,000 व्यक्तियों पर दो से अधिक बेड हैं.’

इसमें बताया गया है, ‘भारत के अंदर बिहार, ओडिशा, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, मणिपुर, मध्य प्रदेश और असम जैसे राज्यों में अस्पतालों में बेड की उपलब्धता बहुत कम है. गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, हरियाणा और तेलंगाना में सार्वजनिक अस्पताल के बेड का घनत्व अपेक्षाकृत कम है, लेकिन निजी क्षेत्र में बेड की उपलब्धता इस कमी को पूरा कर देती है.

अस्पतालों को स्थिर के बजाये मोबाइल बनाने का निर्णय कोविड-19 महामारी को देखने के बाद किया गया, जिसने यह बता दिया कि बीमारी का प्रकोप कैसे अनियमित हो सकता है. महामारी की शुरुआत के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे और अस्पतालों की कमी को लेकर चिंता जताई जा रही थी लेकिन ये मुंबई, दिल्ली, पुणे और चेन्नई जैसे शहर थे, जहां बेतहाशा मामलों के कारण स्वास्थ्य ढांचा चरमरा गया.

ट्रेन के डिब्बों में आइसोलेशन सेंटर का थोड़ा-बहुत ही इस्तेमाल हुआ, इसका एक बड़ा कारण इनमें एयर कंडीशन की कमी होना रहा है.

स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्र

अपने 2021 के बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अगले छह सालों में स्वास्थ्य प्रणाली मजबूत करने के लिए पीएम आत्मनिर्भर स्वस्थ्य भारत योजना के तहत 64,180 करोड़ रुपये के आवंटन की घोषणा की है.

सीतारमण की तरफ से रखे गए प्रस्तावों के तहत उनमें 17,788 करोड़ रुपये ग्रामीण और 11,024 करोड़ रुपये शहरी स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों (एचडब्ल्यूसी) के लिए हैं.

स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘जब हमने आयुष्मान भारत के तहत स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों की प्रगति की समीक्षा की तो पाया कि 2022 तक 1,53,000 एचडब्ल्यूसी स्थापित करने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए हमें धन की कमी पड़ेगी. जब आकलन किया तो समझ आया कि लगभग 28,000 केंद्रों के लिए धन की कमी आड़े आएगी.’

अधिकारी ने कहा कि इसीलिए इन केंद्रों को आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना के माध्यम से वित्तपोषित करने का फैसला लिया गया.

बजट दस्तावेजों में वित्तीय वर्ष 2021-22 वित्तीय वर्ष के लिए आयुष्मान भारत एचडब्ल्यूसी के लिए प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा निधि (स्वास्थ्य उपकर से मिलने वाली स्वास्थ्य निधि) के तहत 1,650 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है. प्रत्येक एचडब्ल्यूसी के निर्माण पर औसतन लगभग 15 लाख रुपये खर्च आएगा. हालांकि, मोबाइल अस्पतालों के विपरीत, ये 60:40 या 90:10 (विशेष श्रेणी वाले राज्यों के लिए) के अनुपात में राज्यों से वित्तीय सहयोग के साथ बनाए जाएंगे.

विशेष निधि का इस्तेमाल कई अन्य कार्यों के लिए भी किया जाना है, जिसमें सभी जिलों में एकीकृत पब्लिक हेल्थ लैब तैयार करना, 602 जिलों में क्रिटिकल केयर अस्पताल ब्लॉक स्थापित करना, रोग नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय केंद्र, इसकी पांच क्षेत्रीय शाखाओं और 20 महानगरीय स्वास्थ्य निगरानी इकाइयों को मजबूत करना और 32 एयरपोर्ट, 11 बंदरगाहों और 7 लैंड क्रॉसिंग पर सार्वजनिक स्वास्थ्य इकाइयों को मजबूत करना शामिल है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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