नई दिल्ली : ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने भारत बायोटेक की कोविड-19 वैक्सीन कोवैक्सिन को तीसरे चरण के इम्यूनोजेनिसिटी डाटा के आधार पर सशर्त मंजूरी दी है. शीर्ष सूत्रों के मुताबिक यह डाटा 24000 वालंटियर को दी गई पहली खुराक और 10000 वालंटियर को दूसरी खुराक से संबंधित है. इसमें दोनों शॉट्स 28 दिनों के अंतराल पर दिए गए. हालांकि, डीसीजीआई को कथित तौर पर जो डाटा भेजा गया है, वह सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध नहीं है.
कोवैक्सिन के तीसरे चरण का परीक्षण 9 नवंबर 2020 को भारत के क्लिनिकल ट्रायल रजिस्ट्री में पंजीकृत कराया गया था और डबल ब्लाइंड प्लेसीबो कंट्रोल मल्टीसेन्ट्रे स्टडी 25,800 वालंटियर पर की जानी थी. इसके लिए वास्तविक भर्ती 16 नवंबर को शुरू हुई. डीसीजीआई की विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) की सिफारिश कंपनी द्वारा यह स्वीकार किए जाने के हफ्तों के बाद आई है कि उसके पास तीसरे चरण के परीक्षण के लिए हजारों वालंटियर्स की कमी है.
सूत्रों ने कहा, ‘कंपनी ने 10000 लोगों के वैक्सीन की पहली खुराक पाने और 10,000 लोगों को दूसरी खुराक दिए जाने के बाद इम्युनोजेनिसिटी डाटा भेजा है. एसईसी ने आंकड़ों की समीक्षा की और सशर्त मंजूरी देने का फैसला किया.’
भारत बायोटेक की कोवैक्सिन वैक्सीन कम लागत पर टीके तैयार करने वाली इस कंपनी और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के साझा प्रयासों का हिस्सा है. वैक्सीन को विकसित करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला वायरस, जो मूल रूप से एक निष्क्रिय वायरस है और शरीर के भीतर प्रवेश कराने पर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को सक्रिय करता है, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे से लाया गया है.
कोवैक्सिन भारत की पहली स्वदेशी कोविड-19 वैक्सीन है जिसे जल्द ही ड्रग कंट्रोलर की मंजूरी मिलने की उम्मीद है. यह उस समय एक अनचाहे विवाद में आ गई थी जब परीक्षण शुरू होने से काफी पहले ही 2 जुलाई को आईसीएमआर महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव की तरफ से कोवैक्सिन परीक्षण पर काम कर रहे प्रमुख शोधकर्ताओं को भेजे एक पत्र में कहा गया था कि टीका 15 अगस्त तक लॉन्च किया जाना है.
कंपनी की तरफ से शनिवार को जारी बयान के मुताबिक, ‘भारत बायोटेक ने 23,000 वालंटियर को भर्ती किए जाने में सफल रहने की घोषणा की है और भारत के विभिन्न स्थानों में कोवाक्सिन के तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल के लिए 26,000 वालंटियर का लक्ष्य हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ रही है.
देशभर में 26000 वालंटियर पर परीक्षण के लक्ष्य के साथ मध्य नवंबर में शुरू हुआ कोवाक्सिन का तीसरे चरण का ह्यूमन क्लीनिकल ट्रायल भारत में कोविड-19 वैक्सीन की तीसरे चरण की प्रभावकारिता का एकमात्र और पहला अध्ययन है. यह भारत में किसी भी वैक्सीन पर तीसरे चरण की प्रभावकारिता का सबसे बड़ा अध्ययन भी है. पहले और दूसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल में कोवैक्सिन का मूल्यांकन करीब 1000 सब्जेक्ट पर पूरी सुरक्षा और इम्यूनोजेनिसिटी नतीजों के साथ किया गया और इसकी विज्ञान पत्रिकाओं के पीर रिव्यू में भी स्वीकार्यता रही है.’
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42 दिन से 12 महीनों के बीच पहला मूल्यांकन
ट्रायल रजिस्ट्रेशन संबंधी दस्तावेज के मुताबिक, तीसरे चरण के परीक्षण का उद्देश्य ‘सिमप्टमैटिक कोविड -19 (वायोरोलॉजिकली आरटी-पीसीआर में पॉजिटिव होना) की रोकथाम के लिए बीबीवी152बी की प्रभावकारिता का मूल्यांकन करना है, जिसमें ऐसे प्रतिभागी शामिल हों जो सिमप्टमैटिक एंडप्वाइंट और गंभीर रूप से सिमप्टमैटिक कोविड-19 केस को परिभाषित करते हों. बीबीवी152बी कोवाक्सिन का ही ट्रायल के संबंध में इस्तेमाल होने वाला नाम है.
प्रोटोकॉल यह भी कहता है कि इस प्राथमिक परिणाम का आकलन 42 दिनों से 12 महीने के बीच कई समय अंतराल पर होना चाहिए. 16 नवंबर से 28 दिसंबर के बीच 42 दिन की समयावधि पूरी हुई है.
हालांकि, 22 दिसंबर तक कंपनी केवल 13,000 वालंटियर की भर्ती करने में ही सफल रही थी.
इससे पहले, भार्गव से जब भारत बायोटेक द्वारा तीसरे चरण का कोई भी डाटा पब्लिक डोमेन में डाले बिना आपात इस्तेमाल की अनुमति के लिए आवेदन किए जाने के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था, ‘अस्थायी लाइसेंस या अनुकंपा या आपातकालीन उपयोग… के लिए नियामक को संभवतः जोखिम और फायदे के अनुपात को देखना होगा. स्पष्ट तौर पर लाभ का स्तर जोखिम से ज्यादा होना चाहिए और आपातकालीन स्थिति में लाभ अधिक होने पर इस पर विचार किया जा सकता है.’
टीके के दूसरे चरण के ट्रायल से पता चला कि टीका सुरक्षित है जिसमें गंभीर प्रतिकूल प्रतिक्रिया की कोई घटना नहीं आई. हालांकि, पहले चरण के ट्रायल के दौरान गंभीर प्रतिकूल असर की एक घटना की सूचना मिली थी. प्रोटोकॉल के अनुसार, डीसीजीआई को इस बारे में सूचित किया गया था, और परीक्षण को आगे जारी रखने की अनुमति मिली थी. पहले चरण का डाटा भी पब्लिक डोमेन में है.
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