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Saturday, 16 November, 2024
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दिल्ली के अस्पतालों में सैकड़ों बिस्तर खाली, फिर भी क्यों नहीं हो पा रहा सभी मरीजों का इलाज

दिल्ली सरकार द्वारा शुरू किए गए डेल्ही फाइट्स कोरोना एप के अनुसार, राजधानी के सभी सरकारी व निजी अस्पतालों में, कुल 5,721 कोविड-19 बिस्तरों में से, केवल 539 या 9.4 प्रतिशत- एक मार्च को भरे हुए थे.

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नई दिल्ली: पूरी नई दिल्ली में फैले अस्पतालों को अभी भी सैकड़ों बिस्तर, कोविड-19 मरीज़ों के लिए रोक कर रखने पड़ रहे हैं, हालांकि उनमें अधिकांश ख़ाली पड़े हुए हैं, जिसकी वजह से संसाधनों की बर्बादी पर, चिंता ज़ाहिर की जा रही है.

दिल्ली सरकार द्वारा शुरू किए गए डेल्ही फाइट्स कोरोना एप के अनुसार राजधानी के सभी सरकारी व निजी अस्पतालों में कुल 5,721 कोविड-19 बिस्तरों में से, केवल 539 या 9.4 प्रतिशत बिस्तर ही 1 मार्च को भरे हुए थे.

आरएमएल अस्पताल के एक डॉक्टर ने, जो नाम नहीं बताना चाहते थे, कहा, ‘कोविड के लिए बिस्तर अलग अलग विभागों से लिए गए हैं, और अब वो ख़ाली पड़े हैं. हमारे पास इतने सारे मरीज़ हैं, जिन्हें उन बिस्तरों से फायदा पहुंचाया जा सकता है, लेकिन जगह नहीं होने से, हमें उन्हें कहीं और भेजना पड़ता है’.

आरएमएल के 1,504 बिस्तरों में से 182, कोविड मरीज़ों के लिए आरक्षित रखे गए हैं, और उनमें से सिर्फ 12 इस्तेमाल में हैं.

राजीव गांधी सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल, जहां कोविड के लिए 500 बिस्तर आरक्षित हैं, के डायरेक्टर डॉ बीएल शेरवाल ने दिप्रिंट से कहा, ‘हमने सरकार से कहा है कि 100 और बिस्तर, ग़ैर-कोविड मरीज़ों के लिए छोड़ दिए जाएं, चूंकि कोविड मरीज़ों के बहुत कम बिस्तर भरे हुए हैं. बृहस्पतिवार को हमारे पास एक भी मरीज़ नहीं था, जो ख़ुशी का मौक़ा है, लेकिन हमें लगता है कि कुछ और बिस्तर, ग़ैर-कोविड इस्तेमाल के लिए छोड़े जा सकते हैं’.

एक मार्च तक इस अस्पताल में, 500 में से सिर्फ एक बिस्तर भरा हुआ था.

शेरवाल ने कहा, ‘ख़ाली बिस्तरों का मतलब है, कि अगर मामलों में उछाल आता है, तो हम उसके लिए तैयार हैं, लेकिन हमें लगता है कि हम कुछ और बिस्तर, ग़ैर-कोविड इस्तेमाल के लिए आवंटित कर सकते हैं’.

सरकारी अस्पतालों के लिए कोविड-19 बिस्तरों के आवंटन का काम, दिल्ली और केंद्र सरकार दोनों मिलकर, मामलों और स्थिति के अनुसार करती हैं.

कई अस्पताल प्रशासकों ने दिप्रिंट को बताया, कि और अधिक बिस्तर फ्री करने के लिए, अस्पताल सरकार से सीधे अपील कर सकते हैं.


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सरकारी अस्पताल किस तरह संभाल रहे हैं

शहर में मामलों की संख्या में, नवंबर 2020 के बाद से काफी कमी आई है, जब दिल्ली का सामना दूसरी लहर से हुआ था. रविवार को दिल्ली में, 197 मामले दर्ज किए, जबकि सकारात्मकता दर 0.3 प्रतिशत थी.

डॉक्टरों का कहना था कि कोविड-19 बिस्तरों के इस्तेमाल का रुझान भी, लगभग इसी तरह का रहा है. उन्होंने ये भी कहा कि अगर कोई और उछाल आ जाए, तो उसके लिए बफर रखना ज़रूरी है.

लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के डायरेक्टर, डॉ एनएन माथुर ने कहा, ‘पिछले महीने मामले कम रहे हैं, इसलिए हमने बिस्तर क्षमता घटा दी है, क्योंकि उनका इस्तेमाल भी कम हो गया है. हमारे पास अब लगभग 80 बिस्तर हैं, जो ज़्यादातर ऐसे मरीज़ों के लिए हैं, जिनकी रिपोर्ट का इंतज़ार है, और जो भर्ती होना चाहते हैं’.

अस्पताल में कोविड-19 मरीज़ों के लिए 12 बिस्तर आरक्षित हैं, जिनमें से केवल एक भरा हुआ है.

माथुर ने आगे कहा, ‘हमारे लिए, बात बिस्तरों की संख्या की नहीं, बल्कि जगह से आवंटन की है. हमने कोविड मरीज़ों के लिए कोविड की जगह कम कर दी है, जिससे हम ग़ैर-कोविड मरीज़ों का इलाज आराम से कर पा रहे हैं. एक न्यूनतम जगह रखनी पड़ती है, ताकि अगर मामले बढ़ जाएं, तो हम तैयार हों’.

लोक नायक जय प्रकाश नारायण (एलएनजेपी) अस्पताल, जो सिर्फ कोविड मरीज़ों के लिए आरक्षित 2,000 बिस्तरों के साथ, किसी समय सबसे बड़ी कोविड-19 सुविधा थी, उसे 1 जनवरी से फिर से, नियमित सेवाएं शुरू करने की अनुमति दे दी गई, जब दिल्ली सरकार ने एक आदेश जारी करते हुए, बिस्तरों का कुछ हिस्सा ग़ैर-कोविड मरीज़ों के लिए छोड़ दिया.

अब, सिर्फ 300 बिस्तर कोविड मरीज़ों के लिए आरक्षित हैं, जिनमें फिलहाल 20 भरे हुए हैं.

एलएनजेपी अस्पताल के डायरेक्टर डॉ सुरेश कुमार ने कहा, ‘हमें कुछ बिस्तर अलग रखने पड़ते हैं, अगर कभी कोई उछाल आ जाए, जो कभी भी आ सकता है. हमारी अधिकतर ग़ैर-कोविड सेवाएं शुरू हो गई हैं, और अब हम हर किसी की ज़रूरत पूरी कर पा रहे हैं’.

सफदरजंग अस्पताल के एक डॉक्टर, जो अपना नाम नहीं बताना चाहते थे, ने कहा कि अस्पताल फिर से बिस्तरों को, ग़ैर-कोविड इस्तेमाल के लिए आवंटित करने जा रहा है, ताकि रुके हुए दूसरे मरीज़ों की संख्या को कम किया जा सके.

उन्होंने कहा, ‘हमारे यहां नए और पुराने मरीज़ों का बहुत बोझ है. अस्पताल बिस्तरों को फिर से ग़ैर-कोविड इस्तेमाल के लिए आवंटित करने की योजना बना रहा है. इससे निश्चित रूप से सभी विभागों को फायदा पहुंचेगा’.


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निजी अस्पताल भी ख़ाली बिस्तरों के ख़र्च से प्रभावित

निजी अस्पताल भी ख़ाली बिस्तरों को लेकर मुश्किल हालात से गुज़र रहे हैं.

जनवरी 2021 में, दिल्ली सरकार ने आदेश जारी किया था कि 100 बिस्तरों से अधिक वाले अस्पतालों में, 15 प्रतिशत वॉर्ड बिस्तर, और 25 प्रतिशत आईसीयू बेड्स, कोविड मामलों के लिए आरक्षित रखे जाने हैं.

बत्रा अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ एससीएल गुप्ता ने कहा, ‘अभी तक हमने काम चलाया है, लेकिन हमारे बहुत से बिस्तर ख़ाली जा रहे हैं. ग़ैर-कोविड मरीज़ भी नहीं आ रहे हैं, इसलिए हमारे यहां आने वाले मरीज़ काफी कम हो गए हैं. हमारी ओपीडी (बाह्य रोगी विभाग) धीरे धीरे बढ़कर क़रीब 200 मरीज़ों तक पहुंची है’.

सरोज स्पेशिएलिटी अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट, डॉ धीरज मलिक ने कहा कि ख़ाली बिस्तरों का ख़र्च, ख़तरनाक हद तक बढ़ गया है.

मलिक ने कहा, ‘फिलहाल हमारे 50 प्रतिशत से कम बिस्तर भरे हैं, जिनमें कोविड मरीज़ भी शामिल हैं. बिस्तरों के अलावा, स्टाफ हैं, डॉक्टर्स हैं, मेडिकल उपकरण हैं- जिसकी रिकवरी संभव नहीं है’. उन्होंने आगे कहा, ‘हम किसी सेवा को बंद भी नहीं कर सकते. ओटी (ऑपरेशन थिएटर) और ओपीडी खुली रहनी हैं, इसलिए हमारे लिए यह एक मुश्किल समय है’.

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