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Saturday, 20 April, 2024
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फ्रांस की दवा कंपनी ने डेंगू का टीका भारतीय बाजार में उतारने की मांगी अनुमति

वैक्सीन डेंगवैक्सिया 9 से 45 वर्ष की आयु वाले उन लोगों को दी जानी है जो पहले डेंगू वायरस से संक्रमित हो चुके हैं और उन क्षेत्रों में रहते हैं जहां स्थानीय स्तर पर यह संक्रमण फैलता है.

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नई दिल्ली: फ्रांस की दवा कंपनी सनोफी ने डेंगू का टीका भारतीय बाजार में उतारने की अनुमति मांगी है.

डेंगू के पहले टीके डेंगवैक्सिया को विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से दिसंबर 2015 में लाइसेंस दिया गया था.

फ्रांसीसी कंपनी ने 2 जून को नरेंद्र मोदी सरकार के विशेषज्ञ पैनल के समक्ष देश में दूसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल के इम्यूनोजेनेसिटी डाटा और सुरक्षा उपायों के साथ इसकी मार्केटिंग की अनुमति देने संबंधी अपना प्रस्ताव रखा. इसने अन्य देशों में अध्ययनों के दौरान सामने आई प्रभावकारिता के नतीजे भी सामने रखे.

नई दवाओं, टीकों और क्लीनिकल ट्रायल के लिए अनुमोदन की मांग वाले आवेदनों पर ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) को सलाह देने वाली सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (एसईसी) ने 2 जुलाई को प्रस्ताव पर विचार-विमर्श किया और कंपनी को ‘भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के सीरोसर्वे के आधार पर एंडेमिक क्षेत्रों की पहचान करने को कहा.’

केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की वेबसाइट पर हाल ही में अपलोड बैठक के ब्योरे के मुताबिक, एसईसी ने इस तथ्य पर भी ध्यान दिया कि अमेरिका और अन्य देशों में इस वैक्सीन को उन मरीजों को लगाने के लिए मंजूरी दी गई है जो एंडेमिक क्षेत्रों में इस संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं.

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लाइव एटेन्यूएटेड डेंगू वैक्सीन को चार तरह के डेंगू वायरस सीरोटाइप, जिन्हें नंबर 1, 2, 3 और 4 के तौर पर जाना जाता है, के कारण होने वाली डेंगू बीमारी की रोकथाम के लिए अब 50 से अधिक देशों में मंजूरी दी जा चुकी है. एक सीरोटाइप से संक्रमित व्यक्ति बाद में किसी अन्य सीरो टाइप से फिर संक्रमित हो सकता है.


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यह टीका 9 से 45 वर्ष की आयु वाले उन लोगों को दिया जाना है जो पहले डेंगू वायरस से संक्रमित हो चुके हैं और जो उन क्षेत्रों में रहते हैं जहां यह संक्रमण एक एंडेमिक है यानी क्षेत्रीय स्तर पर फैलता रहता है.

पूर्व में संक्रमण का पता लगाने वाली किट का और विवरण देगी सनोफी

टीका केवल उन बच्चों और लोगों को दिया जा सकता है जिन्हें पूर्व में डेंगू होने का मामला लैब में पुष्ट हो चुका हो.

हालांकि, विशेषज्ञ समिति ने इस बात पर जोर दिया कि पूर्व में डेंगू संक्रमण की पुष्टि के लिए टेस्ट की सुविधा अभी देश में उपलब्ध नहीं है.

इसे देखते हुए ही समिति ने पूर्व में डेंगू संक्रमण हो चुके होने का पता लगाने के लिए डायग्नोस्टिक टेस्ट के मैन्युफैक्चरर के दावों पर पूरा ब्योरा देने को कहा ताकि इस पर आगे विचार किया जा सके.

टीके केवल उन्हीं लोगों को लगाए जा सकते हैं जो पूर्व में डेंगू से संक्रमित हो चुके हैं क्योंकि इससे जुड़े एक अन्य विश्लेषण से पता चला है कि ट्रायल प्रतिभागियों के एक उपसमूह, जिसमें शामिल लोगों को पहले संक्रमित न होने के बावजूद टीका लगाया गया था, में डेंगू से संक्रमित होने के बाद टीका लगवाने वाले प्रतिभागियों की तुलना में गंभीर रूप से डेंगू से संक्रमित होने और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत आने का जोखिम ज्यादा था.

2018 में यूरोपीय संघ ने और इसके बाद 2019 में अमेरिका ने वैक्सीन को मंजूरी दी थी.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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