नई दिल्ली: पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के लिए एक महीने से भी कम का समय बचा है लेकिन तीन राज्यों—यूपी, पंजाब और मणिपुर में टीकाकरण की पात्र लगभग आधी वयस्क आबादी को अब तक कोविड-19 वैक्सीन की दोनों खुराकें नहीं मिल पाई है. यह जानकारी सरकार के वेबपोर्टल कोविन पर उपलब्ध डेटा से सामने आई है.
भारतीय निर्वाचन आयोग ने शनिवार को यूपी, पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में विधानसभा चुनाव कार्यक्रम घोषित किया. इसके मुताबिक, मतदान 10 फरवरी से 7 मार्च के बीच होना है और परिणाम 10 मार्च को घोषित किए जाएंगे.
इस बीच, दिप्रिंट ने टीकाकरण के आंकड़ों के विश्लेषण से पाया कि गोवा और उत्तराखंड को छोड़कर बाकी तीनों राज्य पूर्ण टीकाकरण में काफी पीछे हैं.
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डेटा क्या दर्शाता है
हमने अपने विश्लेषण में 2021 की अनुमानित वयस्क आबादी के लिए 2011 के जनसंख्या अनुमानों को आधार बनाया. चूंकि मणिपुर और गोवा के लिए कोई डेटा उपलब्ध नहीं था, इसलिए अनुमानित वयस्क आबादी का आंकड़ा 2011 की जनगणना में 8-80 आयु वर्ग के सभी लोगों की आयु की गणना करके निकाला गया.
कोविन पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, 9 जनवरी तक देश में सबसे कम टीकाकरण दर मणिपुर में थी—जहां केवल 10 लाख लोगों (23.4 लाख की अनुमानित वयस्क आबादी का करीब 42 प्रतिशत)—का ही पूर्ण टीकाकरण हुआ था.
इसी तरह, 2.7 करोड़ अनुमानित वयस्क आबादी वाले पंजाब में मात्र 99 लाख लोगों (44 प्रतिशत) को ही टीके की दोनों खुराकें मिली हैं. 14.74 करोड़ की अनुमानित वयस्क जनसंख्या वाले देश के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में अभी केवल 7.85 करोड़ या 53.3 प्रतिशत लोगों को ही टीके की दोनों खुराक मिल सकी हैं.
भारत में औसतन 63.07 करोड़ लोगों को कोविड वैक्सीन की दोनों खुराकें मिल चुकी हैं, जो देश की कुल आबादी में करीब 67 प्रतिशत है. चुनाव वाले पांच राज्यों में से केवल दो—गोवा (88 फीसदी) और उत्तराखंड (82 फीसदी)—ने ही भारत के राष्ट्रीय औसत से बेहतर प्रदर्शन किया है.
तीन राज्यों की कुल वयस्क आबादी 17 करोड़ होने का अनुमान है, जिसमें से केवल 8.95 करोड़ वयस्कों को ही दूसरी खुराक मिली है. करीब दो करोड़ लोगों को पहली खुराक तक नहीं मिली है.
अगर इन पांच राज्यों को जोड़ दिया जाए तो इनकी अनुमानित वयस्क आबादी 18 करोड़ है, जिसके पूर्ण टीकाकरण के लिए टीके की 36 करोड़ खुराक दी जानी थी. लेकिन अब तक 26 करोड़ खुराक दी जा चुकी हैं और 10 करोड़ खुराक दी जानी अभी बाकी हैं.
पंजाब और मणिपुर में टीके की पहली खुराक पाने वाले लोगों की हिस्सेदारी भी अपेक्षाकृत कम रही है, यह आंकड़ा क्रमशः 1.75 करोड़ (77%) और 13.4 लाख (56%) है.
टीकाकरण दर कम रहने के कारण
उत्तर प्रदेश की स्थिति टीकाकरण में पिछड़े दोनों राज्यों की तुलना में इस मायने में थोड़ी बेहतर जरूर है कि इसकी लगभग 89 फीसदी वयस्क आबादी को टीके की कम से कम एक खुराक मिल चुकी है.
देशभर की बात करें तो लगभग 92 प्रतिशत वयस्कों को कम से कम एक खुराक मिल चुकी हैं, लेकिन पंजाब में यह आंकड़ा 77 प्रतिशत और मणिपुर में 56 प्रतिशत है.
पंजाब के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने पूर्व में दिप्रिंट को बताया था कि लोग टीकों के प्रति उदासीन हो गए हैं, जिसका मतलब है कि उन्हें इस बात की कोई परवाह ही नहीं है कि उन्हें टीका लगाया गया है या नहीं. उन्होंने यह भी कहा था कि आशा कार्यकर्ताओं और नर्सों की हड़ताल ने भी टीकाकरण की गति को बाधित किया है.
मणिपुर में टीकाकरण दर कम रहने के पीछे दो कारण हैं—अफवाहों की वजह से टीका लगवाने को लेकर हिचकिचाहट और लक्षित जनसंख्या को संशोधित किया जाना.
इंफाल फ्री प्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, टीकाकरण अभियान की शुरुआत के दौरान 19,37,628 लोगों को वैक्सीनेशन के पात्र माना गया था. हालांकि, नवीनतम मतदाता सूची के अनुसार, यह संख्या बढ़कर 19.68 लाख हो गई है. इस बीच, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने लक्ष्य को संशोधित कर 23.4 लाख कर दिया, जिससे राज्य की टीकाकरण दर लगभग 10 प्रतिशत घट गई है.
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