नई दिल्ली: दिप्रिंट के हाथ लगे आंकड़ों से पता चला है कि महामारी की शुरूआत के बाद से भारत की राष्ट्रीय राजधानी ने अपने यहां मौतों की संख्या 2,500 कम बताई है.
दिल्ली के नगर निगमों से हासिल किए आंकड़ों के अनुसार, जो रोज़ाना की कोविड मौतों का लेखा-जोखा रखते हैं, 20 अप्रैल तक राष्ट्रीय राजधानी में 15,161 मौतें दर्ज की जा चुकी हैं. लेकिन सरकार के स्वास्थ्य बुलेटिन में ये संख्या 12,638 बताई है- इसी अवधि में मौतों में 2,523 (20 प्रतिशत) का अंतर है.
दिल्ली तीन नगर निगमों में बटी हुई है- उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी), पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी), और दक्षिण दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी).
एसडीएमसी के एक वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी ने, जो श्मशान घरों से रोज़ाना की मौतों का हिसाब-किताब रखते हैं, दिप्रिंट से कहा कि मौतों की आधिकारिक तालिका और श्मशान घरों से मिली संख्या में अंतर इतना ज़्यादा है कि उसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता.
लेकिन उन्होंने आगे कहा, ‘एक संभावना ये हो सकती है कि संख्या में इसलिए अंतर हो सकता है कि हमारे आंकड़ों में ऐसे कोविड मरीज़ों की मौतें भी शामिल हो सकती हैं, जो दिल्ली की बजाय आसपास की जगहों से थे.
दिप्रिंट ने दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन, दिल्ली की स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक नूतन मुंडेजा और प्रमुख स्वास्थ्य सचिव विक्रम देव दत्त से कॉल्स और मैसेज के ज़रिए टिप्पणी के लिए संपर्क किया. लेकिन इस खबर के छपने तक उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला था.
दिप्रिंट के हाथ लगे डेटा से पता चला कि दिल्ली के नगर निकायों ने मंगलवार (20 अप्रैल) को 410 मौतें दर्ज की, जबकि सरकार ने 277 मौतें बताईं थीं. इसी तरह मंगलवार (19 अप्रैल) को उन्होंने 357 मौतें दर्ज की जबकि सरकारी संख्या 240 थी.
मौतों की संख्या में ये अंतर ऐसे समय सामने आया है, जब देश भर में उठती दूसरी लहर के बीच, दिल्ली में हर रोज़ होने वाली कोविड मौतों और ताज़ा मामलों में एक बड़ा उछाल देखने को मिल रहा है. मंगलवार को शहर में 277 मौतें और 28,395 मामले दर्ज किए गए (जबकि सकारात्मकता दर लगभग 33 प्रतिशत थी).
मौतों का ये आंकड़ा शहर में मौतों के पिछले रिकॉर्ड से दोगुना है- जो 18 नवंबर 2020 को 131 था. इसके अलावा, पिछले 3 हफ्ते में भी ये कई गुना बढ़ गई है- 30 मार्च को दिल्ली में चार कोविड मौतें दर्ज हुईं थीं.
दिप्रिंट ने पिछले हफ्ते खबर दी थी कि इस लहर के बीच राजधानी के श्मशान घरों/कब्रिस्तानों के अधिकारियों ने बताया है कि अंतिम संस्कार या दफ्न के लिए आने वाले कोविड शवों की संख्या में तेज़ी से इज़ाफा हुआ है. नवंबर में शहर के पिछले कोविड पीक के दौरान दिल्ली में 2,612 मौतें (महीने में) देखी गईं.
कोविड के संदिग्ध और पुष्ट दोनों मामलों के शवों का अंतिम संस्कार या दफ्न, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के कोविड दिशानिर्देशों के मुताबिक, कोविड श्मशान घरों और कब्रिस्तानों में किया जाता है.
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कोविड श्मशान घरों की क्षमता बढ़ाई गई
दिप्रिंट के हाथ लगे आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में 21 श्मशान घर और कब्रिस्तान ऐसे हैं, जो कोविड शवों के लिए समर्पित हैं.
लेकिन दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अपना नाम छिपाने की शर्त पर बताया कि ग्रीन पार्क के एक और श्मशान घर में 12 कोविड शवों (एक समय पर) के लिए जगह आवंटित की गई है.
इसके अलावा, मौजूदा श्मशान घरों की क्षमता में भी इजाफा किया गया है.
मंगलवार देर शाम एनडीएमसी और ईडीएमसी में, कोविड शवों के अंतिम संस्कार की क्षमता को बढ़ा दिया गया. इस आशय के लिए जारी अलग-अलग आदेशों के अनुसार, जिनकी कॉपियां दिप्रिंट के पास हैं, ऐसा इसलिए किया गया कि ताज़ा लहर के दौरान, दिल्ली में कोविड मौतों की संख्या बढ़ गई है.
एनडीएमसी के आदेश में ये भी कहा गया कि ‘आपात स्थिति के मद्देनज़र और जनता के हितों को देखते हुए सक्षम प्राधिकारी ने मंजूरी दे दी है कि निगम बोध घाट की सीएनजी भट्टियों को 24 घंटे चलाए जाने की अनुमति दी जा सकती है’.
निगम बोध शहर के सबसे बड़े कोविड श्मशानघरों में से एक है, जहां एलएनजेपी समेत दिल्ली के कुछ सबसे बड़े कोविड अस्पतालों से शव आते हैं.
ऊपर हवाला दिए गए अधिकारी ने बताया कि कोविड शवों के लिए एसडीएमसी के तहत आने वाले तीन श्मशान घरों की क्षमता को भी बढ़ाया गया है.
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पिछले साल बताए गए सरकारी आंकड़े भी बेमेल थे
ऐसा पहली बार नहीं है कि अधिकारिक सरकारी आंकड़ों और राष्ट्रीय राजधानी के श्मशान घरों के आंकड़ों के बीच विसंगतियां पाई गईं हैं. मई 2020 से ही दिल्ली में कोविड मौतों की संख्या जांच के घेरे में रही है.
जुलाई में सरकारी और श्मशान घरों के बीच मौतों की संख्या में 500 से अधिक का अंतर बताया गया था. दो महीने बाद अक्टूबर में ये अंतर बढ़कर करीब 900 हो गया.
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