नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने कहा है कि जरूरत पड़ने पर अस्पताल कोरोना वायरस मरीजों के लिए आरक्षित एक तिहाई बिस्तरों का इस्तेमाल ‘वेक्टर’ जनित बीमारियों से पीड़ित लोगों के इलाज के लिए कर सकते हैं.
सरकार ने यह फैसला राजधानी में डेंगू के मामलों में बढ़ोतरी को देखते हुए लिया है.
सोमवार को जारी नगर निकाय की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में इस साल डेंगू के 1,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं, उनमें 280 मामले पिछले हफ्ते सामने आए हैं.
यह भी पढ़ें: डोर-टू-डोर कैंपेन में सरकार 48 जिलों को टार्गेट करेगी जहां पहली खुराक की कवरेज 50% से कम है
इस महीने के शुरुआती 23 दिनों में ही डेंगू के 665 मामले दर्ज किए गए. दिल्ली में 18 अक्टूबर को डेंगू बीमारी से पहली मौत दर्ज की गई थी.
शुक्रवार को एक आदेश में कहा गया है कि ‘डेंगू, मलेरिया, चिकुनगुनिया के मामलों में बढ़ोतरी के मद्देनजर इन रोगियों के लिए बिस्तरों की मांग में बढ़त देखी गई है. इसके अलावा कोविड मरीज़ों के लिए आरक्षित कई बिस्तर कोविड मामलों की संख्या में गिरावट के कारण खाली पड़े हैं.’
स्वास्थ्य विभाग ने दिल्ली के सरकारी अस्पतालों के मेडिकल डायरेक्टर्स और मेडिकल सूपरिटेंडेंट को निर्देश दिया कि अगर जरूरत हो तो डेंगू, मलेरिया और चिकुनगुनिया के मरीज़ों के इलाज के लिए कोविड रोगियों के लिए आरक्षित एक तिहाई बेड्स का उपयोग करें, जिनमें आईसीयू बिस्तर भी शामिल हैं.
बता दें कि दिल्ली के अस्पतालों में कोविड-19 मरीज़ों के लिए आरक्षित 10,594 बिस्तरों में से सिर्फ 164 पर ही रोगी हैं.
यह भी पढ़ें: पिछले 24 घंटे में 14 हजार से ज्यादा कोविड-19 के नए मामले आए, उपचाराधीन मरीजों की संख्या भी बढ़ी