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Sunday, 22 December, 2024
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सैलरी नहीं मिलने से दिल्ली के 2 बड़े अस्पताल ठप, हिंदू राव के कोविड वॉरियर्स की हड़ताल जारी, कस्तूरबा गांधी के डॉक्टर जाएंगे कल से

पिछले चार महीने से हिंदुराव और कस्तूरबा गांधी अस्पतालों के डॉक्टरों को सैलरी नहीं मिली है. सैलरी की मांग को लेकर दोनों अस्पतालों के डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं. अपने साथियों के समर्थन में दूसरे अस्पतालों के डॉक्टर उपवास पर हैं या फिर काली पट्टी बांध कर काम कर रहे हैं.

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नई दिल्ली: पिछले चार महीनों से सैलरी नहीं मिलने के कारण देश की राजधानी दिल्ली स्थित हिंदू राव अस्तपाल के डॉक्टर तीन दिनों से हड़ताल पर चले गए हैं. जबकि कस्तूरबा गांधी के अस्पताल के डॉक्टर बुधवार से 20 तारीख तक हड़ताल पर जाने की घोषणा कर दी है. डॉक्टरों का कहना है कि एक तरफ़ जहां पूरी दुनिया में कोविड वॉरियर्स को सम्मानित जा रहा है वहीं दूसरी तरफ़ भारत में उन्हें अपमान का सामना करना पड़ रहा है.

डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने पर प्रोग्रेसिव मेडिकोज़ एंड साइंटिस्ट फ़ोरम के अध्यक्ष हरजीत सिंह भाटी ने ट्वीट किया, ‘आज हड़ताल का तीसरा दिन है. हिंदू राव अस्पताल के एंट्री गेट पर डॉक्टर ताली और थाली बजा रहे हैं लेकिन उनकी कोई नहीं सुन रहा है. उन्हें पिछले चार महीने से सैलरी नहीं मिली और वो कर्ज़ लेकर अपना जीवन चला रहे हैं.’

भाटी ने आगे लिखा कि एक तरफ़ जहां पूरी दुनिया में कोविड वॉरियर्स को सम्मानित जा रहा है वहीं दूसरी तरफ़ भारत में उन्हें अपमान का सामना करना पड़ रहा है. हिंदू राव की तरह ही दिल्ली की नॉर्थ एमसीडी स्थित कस्तूरबा अस्पताल के रेज़ीडेंट डॉक्टरों ने भी एक लेटर जारी करके 14 अक्टूबर से 20 अक्टूबर तक हड़ताल करने का फ़ैसला किया है.

इसके पहले इसी अस्पताल का नर्सिंग स्टाफ़ महीनों से सैलरी नहीं मिलने के बाद की बदहाली की वजह से हड़ताल पर चल गया था. इनकी हड़ताल भी अभी तक जारी है.


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दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने शनिवार को एक ट्वीट करके जानकारी दी कि हिंदू राव की हड़ताल की वजह से वहां के सभी कोविड मरीज़ों को दिल्ली सरकार की कोविड सुविधाओं में ट्रांसफर किया जाएगा.

उन्होंने ये भी कहा कि कोविड काल में बड़ा बलिदान देने वाले डॉक्टरों की सैलरी भारतीय जनता पार्टी शासित एमसीडी जल्द से जल्द दे. डॉक्टरों की हड़ताल को देखते हुए मंगलवार को हिंदू राव अस्तपला को गैर कोविड अस्पताल में तब्दील कर दिया गया है.

नॉर्थ एमसीडी में लंबे समय से डॉक्टरों की सैलरी समस्या बनी हुई है. नॉर्थ एमसीडी के मेयर जय प्रकाश ने दिप्रिंट से कहा कि वो अपनी तरफ़ से पूरा प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘हमनें हिंदू राव के रेज़िंडेट डॉक्टर एसोसिएशन (आरडीए) से बात की है. कस्तूरबा के कर्मचारियों से भी बात हुई है. हमने उन्हें हफ़्ते 10 दिन का समय देने को कहा है. उम्मीद है कि वो मान जाएंगें. हम पूरी कोशिश करेंगे कि एक हफ़्ते के भीतर इनकी सैलरी दे दी जाए.’

उन्होंने ये भी कहा कि अभी हाल ही में नॉर्थ एमसीडी ने पेंशनरों का पैसा रिलीज़ किया. जैसे-जैसे पैसे आ रहे हैं एमसीडी वाले अपने कर्मचारियों को देते जा रहे हैं. जय प्रकाश ने कहा कि नॉर्थ एमसीडी में 45,000 कर्मचारी हैं और कोविड की वजह से सबके साथ सैलरी की समस्या बनी हुई है.

 काली पट्टी बांध और उपवास कर, समर्थन में उतरे  

उनके मुताबिक सफ़ाई कर्मचारी भी इस समस्या ये जूझ रहे हैं और दवाब की राजनीति में अगर वो सड़क पर आए तो समस्या होगी. ऐसे में उन्होंने दवाब की राजनीति को सही नहीं बताया. उन्होंने कहा कि ये सारे एमसीडी के कर्मचारी हैं और एमसीडी पूरा प्रयास कर रही है इनकी सैलरी जल्द से जल्द मिल जाए.

हालांकि, मेयर के ऐसे वादों के बीच हिंदू राव और नॉर्थ एमसीडी के स्वास्थ्य कर्मियों की हड़ताल को लेकर डॉक्टर समुदाय में काफ़ी रोष है. दिल्ली स्थित एम्स के पूर्व आरडीए प्रेसिडेंट विजय गुर्जर ने एक ट्वीट में लिखा है, ‘मेरा मन बहुत दुखी है कि देश की राजधानी में इतने बुरे हालात हैं वह भी #COVID19 के समय आपको यह नौटंकी लग सकती है लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों को सद्बुद्धि देने के लिए मैं कल उपवास के साथ ड्यूटी इन्हें समर्पित करूंगा आप भी साथ दें प्लीज़.

फेडेरेशन ऑफ़ रेज़िडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के ट्विटर हैंडल पर कई ऐसे ट्वीट्स मौजूद हैं जिनमें दिल्ली के अस्पतालों के डॉक्टरों ने काली पट्टी बांधकर सैलरी की समस्या से जूझ रहे हिंदू राव समेत अन्य अस्पतालों के स्वास्थ्य कर्मियों का समर्थन किया.

मेयर द्वारा मांगे गए एक हफ़्ते के समय के जवाब में हिंदू राव आरडीए के प्रेसिडेंट अभिमन्यु सरदाना ने दिप्रिंट से कहा, ‘उन्होंने जो समय मांगा है उसमें भी वो एक ही महीने की सैलरी देंगे जबकि हमारी चार महीने की सैलरी बाकी है. ऐसे में आप ही बताइए कि हम हड़ताल क्यों ख़त्म करें. जब तक हमारे पैसे नहीं मिल जाते हमारी हड़ताल जारी रहेगी.’

वहीं, कस्तूरबा अस्पताल के आरडीए प्रेसिडेंट सुनील कुमार ने दिप्रिंट से कहा, ‘हम जब भी विरोध करते हैं तो हमें तीन-चार महीने की बाकी सैलरी की जगह एक महीने की सैलरी का झुनझुना पकड़ा दिया जाता है. इस बार हम तब तक नहीं मानेंगे जब तक हमारी पूरी सैलरी नहीं आ जाती और समय से सैलरी मिलने का वादा नहीं किया जाता है.’


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