सूरत : 32 वर्षीय मैथिल ठक्कर अपने कोविड-पॉज़िटिव ससुर के लिए एक ऑक्सीजन सिलिंडर हासिल के लिए हाथ-पैर मार रहे थे, जब किसी ने उन्हें सहायता के लिए रहमान एजुकेशन एंड चैरिटेबल ट्रस्ट से संपर्क करने के लिए कहा.
राहत महसूस कर रहे ठक्कर ने कहा, ‘मैंने पहले कभी इस ट्रस्ट के बारे में नहीं सुना था लेकिन किसी ने मुझे उनका नंबर दे दिया’. उन्होंने आगे कहा: ‘और वो काम आ गया. मैं फौरन ही एक ऑक्सीजन सिंलिंडर हासिल करने में कामयाब हो गया’.
ठक्कर अकेले व्यक्ति नहीं हैं जिनकी इस ट्रस्ट ने कोविड महामारी के दौरान सहायता की है.
32 वर्षीय अरमान बकशू पटेल को भी अपनी गंभीर रूप से बीमार कोविड मां के लिए ट्रस्ट से सहायता मिली. शनिवार को पटेल ने कहा, ‘मेरी मां पिछले 15 दिन से कोविड से पीड़ित थीं. तीन दिन पहले उनकी हालत बिगड़ गई और उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट की ज़रूरत पड़ गई’. पटेल ने आगे कहा कि सिर्फ ट्रस्ट की वजह से वो एक सिलिंडर हासिल करने में कामयाब हो गए. ‘अब एक सिलिंडर क़रीब तीन-चार घंटे चलता है, जिसके बाद हम उसे ट्रस्ट से भरवा लेते हैं’.
सिर्फ ऑक्सीजन सिलिंडर्स ही नहीं, रहमान ट्रस्ट सूरत और नज़दीकी कोसांबा तथा आसपास के इलाक़ों में कोविड इलाज के लिए रेमडिसिविर इंजेक्शन्स जैसी ज़रूरी दवाएं जुटाने में भी मदद कर रहा है. देश में कोविड की दूसरी लहर उठने के बाद से, ट्रस्ट ने प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने के लिए अपने प्रयास बढ़ा दिए और अनुमान लगाया कि अप्रैल महीने में, उसने कोसांबा के आसपास के गांवों में लोगों को 300 ऑक्सीजन सिलिंडर्स मुहैया कराए हैं.
ट्रस्ट कार्यकर्त्ता वायरस से जान गंवाने वाले लोगों के अंतिम संस्कार में भी सहायता कर रहे हैं.
ट्रस्ट से जुड़े लोगों जिनमें ऑटो रिक्शा चालक भी शामिल हैं, ने कहा कि वो महामारी के दौरान कोविड पीड़ितों की सहायता करने की, लोगों की आस्था तथा इंसानियत की भावना से बहुत प्रेरित हुए हैं. फंडिंग की कोई समस्या नहीं है, चूंकि ट्रस्ट का कहना है कि उनके पास उदार सरपरस्त हैं, जो इस काम के लिए दान देते हैं. ट्रस्ट से जुड़े लोगों का कहना है कि रमज़ान महीने में ये बात ख़ासतौर पर सही है.
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आस्था और इंसानियत की भावना
रहमान एजुकेशन एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना, पांच साल पहले एक धर्म गुरू मुफ्ती मोहम्मद सरोदी ने, सूरत से 52 किलोमीटर दूर कोसांबा में की थी. इसका उद्देश्य सभी समुदायों के लोगों को, मुफ्त शिक्षा, भोजन, और स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाना था.
लेकिन, कोविड-19 महामारी फैलने के साथ ही ट्रस्ट ने बीमारी से पीड़ित लोगों की सहायता में ख़ुद को डुबा लिया है.
एक 41 वर्षीय मौलवी मोहम्मद इलियास ने, जो ट्रस्ट द्वारा स्थापित एक अनाथालय चलाते हैं, दिप्रिंट से कहा, ‘हमारा मज़हब हमें इंसानियत की मदद करने की हिदायत करता है और इस काम के लिए रमज़ान के मुबारक महीने से अच्छा वक़्त और क्या हो सकता है’.
ऑक्सीजन सिलिंडर्स को लोगों को भेजने से पहले, ट्रस्ट उन्हें सीधे इंस्टॉल करने के लिए तैयार करता है. दिप्रिंट से बात करते समय, इलियास ऐसा ही एक सिलिंडर तैयार कर रहे थे, ‘हम सिलिंडर्स को चालू हालत में लाते हैं और एक मास्क भेजते हैं, जो मरीज़ के इस्तेमाल के लिए तैयार होता है, ताकि लोगों को जूझना न पड़े कि उसे कैसे चलाते हैं. चूंकि सहायता मांगने वालों की संख्या बढ़ गई है, इसलिए अप्रैल के दूसरे हफ्ते में हमने 25-30 सिलिंडर्स के अपने स्टॉक में, 30 सिलिंडर्स और जोड़ लिए’.
ट्रस्ट के लोग ज़रूरतमंद मरीज़ों के लिए, रेमडिसिविर इंजेक्शंस जुटाने की भी कोशिश कर रहे हैं. इलियास ने आगे कहा, ‘हमारा ट्रस्ट एक अस्पताल भी चलाता है (जिसमें ग़रीबों का सस्ता इलाज किया जाता है), जहां 40 बिस्तर कोविड मरीज़ों के लिए मुहैया कराए गए हैं’.
मौलवी ने कहा कि फंडिंग कभी कोई मसला नहीं है. उन्होंने समझाया, ‘चूंकि हम एक धर्मार्थ ट्रस्ट हैं इसलिए फंडिंग की कभी कोई समस्या नहीं होती. लेकिन, चूंकि ये रमज़ान का महीना है, इसलिए ज़्यादा से ज़्यादा लोग ज़कात का पैसा दान कर रहे हैं (इस्लामी क़ानून के तहत कुछ संपत्तियों के लिए दिया जाने वाला सालाना भुगतान, जो परोपकारी और धार्मिक उद्देश्यों में इस्तेमाल होता है), ताकि हम ज़रूरतमंद लोगों की मदद कर सकें’.
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‘महामारी पहला मौक़ा नहीं है, जब हमने मदद की’
ट्रस्ट के संस्थापक सरोदी ने कहा, ‘हमने हमेशा ज़रूरतमंद लोगों की मदद के लिए क़दम आगे बढ़ाया है. 2020 में, जब सूरत में बाढ़ आई तो हमने लोगों के बीच 1 करोड़ 60 लाख रुपए का राशन वितरित किया. हमारा मक़सद अमीर-ग़रीब सब की बराबर मदद करना है’.
कोविड महामारी के दौरान ट्रस्ट की गतिविधियों में, बीमार के हाथों जान गंवाने वाले लोगों के अंतिम संस्कार का बंदोबस्त करना भी शामिल है.
सरोदी ने समझाया, ‘लोग इन्फेक्शन से ख़ौफज़दा हैं और कई बार परिवार मारे गए सदस्यों के शवों को भी छोड़ दे रहे हैं. ऐसे हालात में हमारे लड़के शवों को उठाते हैं, उन्हें श्मशान घर ले जाते हैं और दाह-संस्कार का प्रबन्ध करने वाले को सौंप देते हैं, ताकि उनकी अंत्येष्टि की जा सके’.
उन्होंने कहा कि कोविड मामलों के बढ़ने के बाद आसपास से हर कोई ऑक्सीजन तथा दवाओं के लिए ट्रस्ट से संपर्क साध रहा है. ‘रेमडिसिविर की सप्लाई बहुत कम है, जिसकी वजह से उसकी कालाबाज़ारी हो रही है. ग़रीब लोगों के लिए दवाएं हासिल करना मुश्किल हो रहा है. हम उन्हें लोगों के मुफ्त उपलब्ध कराने की भरसक कोशिश कर रहे हैं. जब भी ज़रूरत पड़ी है, हमने सूरत के कलेक्टर धवल पटेल से सहायता मांगी है और वो दवाएं ख़रीदने में हमारी मदद करने को तैयार हो गए हैं’.
कोविड पीड़ितों की सहायता करने के ट्रस्ट के प्रयास, उन लोगों में भी दिखाई दे रहे हैं, जो सिलिंडरों की ढुलाई कर रहे हैं.
ऐसे ही एक ड्राइवर मोहम्मद साजिद ने, जो ट्रस्ट के लिए अंक्लेश्वर और सूरत के बीच, एक टैम्पो से ऑक्सीजन सिलिंडरों की ढुलाई करता है, दिप्रिंट को बताया, ‘मेरे चक्कर अब ज़्यादा हो गए हैं, चूंकि बहुत लोग संक्रमित हो रहे हैं. मुझे ख़ुशी है कि मैं एक ऐसी संस्था का हिस्सा हूं, जो लोगों की मदद कर रही है’.
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