नई दिल्ली: कोविड-19 महामारी की वजह से अब तक 162 डॉक्टरों, 107 नर्सों और 44 आशा कर्मियों की जान जा चुकी है.
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्य सभा को मंगलवार को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि यह आंकड़े 22 जनवरी तक राज्यों से मिली सूचनाओं पर आधारित हैं.
चौबे से पूछा गया कि क्या मंत्रालय ने कोविड-19 की वजह से जान गंवाने वाले स्वास्थ्य कर्मियों के बारे में भारतीय चिकित्सा संघ द्वारा दिए गए आंकड़ों पर संज्ञान लिया है और क्या इनके सत्यापन के लिए कोई प्रयास किए गए हैं. इस पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज (पीएमजीकेपी: बीमा योजना) के तहत बीमा राहत राशि के वितरण की प्रक्रिया विकेन्द्रीकृत कर दी गई है.
उन्होंने कहा, ‘इसके अनुसार, कोविड-19 से प्रभावित और जान गंवाने वाले व्यक्ति के सत्यापन की जिम्मेदारी राज्य सरकार या केंद्र सरकार के संबद्ध प्राधिकारियों की है.’
मंत्री ने बताया कि दावे के लिए आवश्यक प्रमाणन वह स्वास्थ्य संस्थान या संस्थान या कार्यालय करता है जहां पीड़ित काम करता था. इसके बाद संबद्ध प्राधिकारी उसे आगे बढ़ाते हैं और दावे को बीमा कंपनी के समक्ष पेश करते हैं.
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