नई दिल्ली: विशेषज्ञों का कहना है कि सोशल मीडिया पर किये जा रहे उस दावे के समर्थन में कोई वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं पाया गया है जिसमें कहा जा रहा है कि कोविड रोधी टीके की बूस्टर खुराक से एचआईवी संक्रमण हो सकता है.
माना जा रहा है कि फ्रांस के विषाणु विज्ञान विशेषज्ञ लुक मोन्टैग्नीयर ने पहली बार इसकी आशंका जताई थी. मोन्टैग्नीयर को ह्यूमन इम्यूनो डेफिशिएंसी वायरस (एचआईवी) की खोज के लिए वर्ष 2008 में चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था. इस महीने उनका निधन हो गया. तब से ट्विटर पर बहुत से लोग एक उद्धृत कथन साझा कर रहे हैं जिसे मोन्टैग्नीयर का बयान बताया जा रहा है.
इस कथन में कहा गया है, ‘आपमें से जिन्होंने टीके की तीसरी खुराक ली है, जाइये और अपनी एड्स की जांच करवाइये. नतीजे आपको चौंका सकते हैं. इसके बाद आप अपनी सरकार पर मुकदमा कीजिये.’
कई विशेषज्ञों ने पीटीआई-भाषा को बताया कि इसका कोई साक्ष्य नहीं है कि यह बयान मोन्टैग्नीयर ने दिया अथवा कोविड रोधी टीके की बूस्टर खुराक से व्यक्ति को एचआईवी से संक्रमित होने का खतरा पैदा हुआ.
कोलकाता के सीएसआईआर-भारतीय रासायनिक जीवविज्ञान संस्थान में वरिष्ठ वैज्ञानिक उपासना रॉय ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि बूस्टर खुराक से एचआईवी संक्रमण हो सकता है. हमें गलत जानकारी और साक्ष्य के बिना विश्वास नहीं करना चाहिए.’
पुणे स्थित भारतीय विज्ञान शिक्षा संस्थान में प्रतिरक्षा तंत्र विशेषज्ञ विनीता बल ने कहा कि कोविड रोधी टीकों से किसी भी तरह एचआईवी संक्रमण होने का खतरा नहीं है. बल ने कहा कि ऐसा कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं है जिससे यह संकेत मिलता हो कि मोन्टैग्नीयर ने उक्त दावा किया.
दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में स्थित शिव नाडर विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर और विषाणु विज्ञान विशेषज्ञ नागा सुरेश वीरपु के अनुसार, अभी तक ऐसा कोई वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं मिला है जिससे कोविड टीकाकरण के बाद एचआईवी संक्रमण की आशंका में वृद्धि होने का पता चले.
भाषा यश मनीषा
मनीषा
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