नई दिल्ली: जीनोम सिक्वेंसिंग से खुलासा हुआ है कि भारत में हाल ही में पहचान में आए सार्स-सीओवी-2 वायरस की अगली पीढ़ी- B.1.617.2 पूरे देश में काफी तेज़ी से फैल रहा है.
मंगलवार तक, सार्स-सीओवी-2 वायरस की 12,179 जिनोम सीक्वेंसेज़ जीआईएसएआईडी वेबसाइट पर अपलोड की जा चुकी हैं, जो जिनोमिक डेटा का एक वैश्विक संग्रह है.
पिछले कुछ महीनों में, भारत में कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान में B.1.617 का दबदबा रहा.- B.1.617.2 वंश भी – जिसकी पहचान सबसे पहले यूके में हुई थी- कुछ समय तक भारत में संक्रमण फैलाने में सबसे प्रमुख रहा है. लेकिन B.1.617 ने जल्द ही अग्रणी भूमिका इख़्तियार कर ली और सीक्वेंस किए नमूनों में इसका प्रतिशत 29 हो गया.
भारत से अपलोड की गई अतिरिक्त सीकेवेंसेज़ से पता चलता है कि पिछले 60 दिन में भारत में B.1.617.2 का फैलाव ज़्यादा बढ़ रहा है.
क्या है B.1.617.2?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने कोरोनावायरस के B.1.617 वेरिएंट को, ‘चिंताजनक वेरिएंट’ की श्रेणी में रखा है, लेकिन ऐसा लगता है कि इस वंश के कम से कम 3 वैरिएंट हैं- B.1.617.1, B.1.617.2 और B.1.617.3.
B.1.617 वंश को स्पाइक प्रोटीन के अंदर, म्यूटेशंस ई484क्यू, एल452आर और पी681आर द्वारा- डी614जी के साथ- परिभाषित किया गया था.
B.1.617.1 में स्पाइक प्रोटीन के अंदर एक अतिरिक्त क्यू1071एच म्यूटेशन होता है. B.1.617.2 को स्पाइक प्रोटीन्स में और म्यूटेशंस के ज़रिए परिभाषित किया जाता है. जैसे- टी19आर, डीईएल157/158, टी478के और डी950एन.
इस बीच B.1.617.3 में ये अतिरिक्त म्यूटेशंस होते हैं: टी19आर, डीईएल157/158, और डी950एन.
यहां पर ग़ौरतलब है कि इन वायरल वंशों के अंदर और भी म्यूटेशंस होते हैं. लेकिन ऊपर बताए गए म्यूटेशंस ज़्यादा महत्वपूर्ण माने जाते हैं क्योंकि, वो वायरस के स्पाइक प्रोटीन में पैदा होते हैं जिससे वायरस के मेज़बान सेल्स में दाख़िल होने का रास्ता आसान हो जाता है.
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भारत में B.1.617.2
भारत में B.1.617.2 के नमूने का सबसे पहले 12 दिसंबर 2020 को पता चला था. उसके बाद से इस वंश की 350 से अधिक सीक्वेंस पकड़ी जा चुकी हैं और अप्रैल के अंत तक इनकी मौजूदगी 75 प्रतिशत तक हो गई थी.
पिछले हफ्ते, पब्लिक हेल्थ इंग्लैण्ड ने B.1.617.2 को, एक चिंताजनक वेरिएंट बताया था, क्योंकि साक्ष्यों से पता चला था, कि वायरस की पहुंचने की क्षमता बढ़ गई थी.
अभी तक पर्याप्त डेटा उपलब्ध नहीं है जिससे पुष्टि की जा सके कि क्या भारत में हाल ही में पता चला कोई वेरिएंट ज़्यादा गंभीर बीमारी पैदा करता है या फिलहाल लगाई जा रही वैक्सीन्स के असर को कम करता है.
इस बीच, B.1.117 की मौजूदगी अब भारत में 5 प्रतिशत से कम रह गई है. B.1.351 वेरिएंट- जिसका सबसे पहले साउथ अफ्रीका में पता चला था- की मौजूदगी भी अब बहुत कम रह गई है (अप्रैल महीने में 0 से 4 प्रतिशत).
संक्रमण फैलाने में B.1.617.1 सबसे ज़्यादा प्रमुख है. हालांकि, पिछले दो महीनों से B.1.617.2 भी तेज़ी से रफ्तार पकड़ रहा है.
मौजूदा आंकड़ों से पता चलता है, कि पिछले 60 दिनों में सीक्वेंस किए गए 52 प्रतिशत वायरल जीनोम्स का ताल्लुक़, B.1.617.1 वंश से था. जबकि, 20 प्रतिशत B.1.617.2 वंश से थे.
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महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में पिछले दो महीने में सीक्वेंस किए गए पांच प्रतिशत से कम नमूने B.1.117 वंश से ताल्लुक़ रखते हैं. राज्य में B.1.617.3 की मौजूदगी 3 प्रतिशत है.
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पिछले 60 दिनों में भारत में मौजूदगी
पिछले 60 दिनों के संचयी आंकड़ों से पता चलता है, कि भारत में जिन सीक्वेंसेज़ के नमूने लिए गए हैं, उनमें आधे से अधिक B.1.617 ग्रुप से हैं.
कुल नमूनों में से 35 प्रतिशत B.1.617.1 हैं, और 18 प्रतिशत बी.1.617.2 हैं. पिछले 60 दिनों में सीक्वेंस किए गए केवल 1 प्रतिशत नमूने B.1.617.3 हैं.
भारत में वेरिएंट्स के बारे में बहुत सीमित डेटा उपलब्ध है. चूंकि, अभी तक संक्रमित का शिकार हुए 1 प्रतिशत से भी कम लोगों के नमूनों की सीक्वेंसिंग की गई है. जैसे-जैसे ज़्यादा से ज़्यादा नमूनों की सीक्वेंसिंग की जाएगी वैसे वैसे भारत में प्रचलित विभिन्न वेरिएंट्स की समझ भी विकसित होती जाएगी.
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