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Thursday, 2 May, 2024
होमहेल्थAIIMS ने बंद की कोविड-संक्रमित स्वास्थ्य कर्मियों की कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग, निजी अस्पतालों ने भी अपनाया रास्ता

AIIMS ने बंद की कोविड-संक्रमित स्वास्थ्य कर्मियों की कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग, निजी अस्पतालों ने भी अपनाया रास्ता

AIIMS के नए आदेश से डॉक्टरों में भारी नाराज़गी है, और उनका कहना है कि इससे, दूसरे मरीज़ों को कोविड का ख़तरा बढ़ेगा. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन इस बारे में सरकार को लिखने जा रही है.

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नई दिल्ली: नई दिल्ली के आखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने, एक आदेश जारी करके ऐसे डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य सेवा कर्मियों के, जोखिम आंकलन और कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग को बंद कर दिया है, जो कोविड संक्रमित मरीज़ों के संपर्क में आए थे. आदेश के अनुसार सिर्फ उन्हीं स्वास्थ्य सेवा कर्मियों (एचसीडब्लू) को आइसोलेट करना होगा, जिनके टेस्ट पॉज़िटिव आते हैं.

डॉक्टर्स और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) में, इस आदेश से काफी नाराज़गी है, जो उनके अनुसार दूसरे मरीज़ों के लिए, ख़ासकर जिनकी इम्यूनिटी कमज़ोर हो चुकी है, कोविड-19 का अनावश्यक ख़तरा पैदा कर सकता है.

उनका ये भी कहना है कि कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग को बंद करना, एक संकेत है कि शहर अब कम्यूनिटी ट्रांसमिशन का सामना कर रहा है. इसी महीने एक समीक्षा बैठक में, दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने केंद्र सरकार से मांग की थी, कि दिल्ली में कम्यूनिटी ट्रांसमिशन घोषित किया जाए.

एसोसिएशन अध्यक्ष डॉ जेए जयलाल ने कहा, कि आईएमए इस मामले को, सरकार के साथ उठाने की योजना बना रही है.

22 अप्रैल 2021 के एम्स के आदेश में, जिसकी एक कॉपी दिप्रिंट के हाथ लगी है, कहा गया है: ‘कोविड-19 की मौजूदा स्थिति, जिसकी वजह से कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग के लिए संसाधन कम पड़ गए हैं, और स्टाफ की कमी की वजह से, संक्रमित एचडब्लूसी के जोखिम आंकलन, और बिना लक्षण वाले संपर्क के क्वारंटीन को बंद कर दिया जाना चाहिए. केवल लक्षण वाले एचसीडब्लू की जांच होनी चाहिए, और सिर्फ पॉज़िटिव निकलने वालों को अलग करके, क्लीनिकल स्थिति के हिसाब से संभाला जाना चाहिए’.

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आदेश में ये भी कहा गया है, कि किसी भी स्वास्थ्य सेवा कर्मी का टेस्ट पॉज़िटिव आने की सूरत में, वो 10 दिन की छुट्टी ले सकता है. आदेश में कहा गया है: ‘जो एचसीडब्लू पॉज़िटिव निकलते हैं, वो लक्षण ज़ाहिर होने के दस दिन के बाद, काम पर आ सकते हैं, बशर्ते कि एंटीबायोटिक्स लिए बिना, वो पिछले 24 घंटे बुख़ार में न रहे हों, और लक्षणों (जैसे खांसी, सांस फूलना) में सुधार हो गया हो. जिन्हें लक्षण नहीं हैं वो पहले पॉज़िटिव टेस्ट के दस दिन के बाद, काम पर वापस आ सकते हैं’.


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सरकार को लिखेंगे डॉक्टर्स

इस आदेश से एम्स तथा दूसरे कई निजी अस्पतालों के डॉक्टरों में नाराज़गी फैल गई है, जिन्होंने एम्स की ‘सिफारिशों’ का हवाला देते हुए, इसी तरह के आंतरिक आदेश कर दिए हैं.

डॉ जयालाल ने दिप्रिंट को बताया, ‘एम्स का 22 अप्रैल का नोटिफिकेशन, बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. एम्स के बहुत से डॉक्टरों ने हमसे संपर्क किया है. डॉक्टर्स तथा स्वास्थ्य सेवा कर्मी भी, उसी स्तर की देखभाल तथा स्वास्थ्य सुविधाओं के हक़दार हैं, जिसे सरकार ने अनिवार्य किया हुआ है. संसाधनों की कमी की वजह से, उन्हें इन सुविधाओं से वंचित रखना अमानवीय है’.

उन्होंने आगे कहा, ‘जब सरकार विशेष रूप से कहती है, कि सामान्य क्वारंटीन अवधि 14 दिन है, तो फिर वो 10 दिन में काम पर कैसे लौट सकते हैं? बिना लक्षण वाले डॉक्टरों को, जो किसी कोविड-19 मरीज़ के संपर्क में आ चुके हैं, अपना काम करने देना एक ज़बरदस्त ग़लती है. इससे दूसरे मरीज़ों के स्वास्थ्य को, एक बड़ा ख़तरा पैदा हो जाएगा’.

CDC गाइडलाइन्स के मुताबिक़

आदेश पर आईएमए की प्रतिक्रिया के बारे में पूछे जाने पर, एम्स के चिकित्सा अधीक्षक डॉ डीके शर्मा ने कहा, ‘उन्हें अपने विचार ज़ाहिर करने का अधिकार है, लेकिन इस क़दम को अस्पताल की संक्रमण नियंत्रण समिति ने मंज़ूरी दी है, जिसमें माइक्रोबायोलॉजिस्ट्स और क्लीनिशियंस जैसे, सभी विधाओं के विशेषज्ञ मौजूद हैं. उन्होंने सब चीज़ों पर ग़ौर करने के बाद, सोच समझकर फैसला लिया है’.

जो भी हो, पॉज़िटिव पाए गए डॉक्टर के लिए, 10 दिन के कट-ऑफ पीरियड का एम्स का आदेश, इसी साल अपडेट की गईं, अमेरिका के सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) की गाइडलाइन्स के मुताबिक़ है.

13 फरवरी की अंतरिम गाइडलाइन्स में कहा गया है: ‘उपलब्ध डेटा से पता चलता है, कि मामूली या मध्यम कोविड-19 वाले वयस्क, लक्षण पैदा होने के 10 दिन के बाद संक्रमित नहीं रहते. अधिकांश वयस्क, जिनकी हालत गंभीर या नाज़ुक है, या जिनकी इम्यूनिटी बहुत कमज़ोर हो गई है, वो लक्षण उभरने के बाद, संभावित रूप से 20 दिन से ज़्यादा संक्रमित नहीं रहते; लेकिन, ऐसी बहुत सी रिपोर्ट्स सामने आई हैं, जिनमें इम्यूनिटी बहुत ज़्यादा कमज़ोर से, 20 दिन के बाद भी लोगों में, दोहराने में सक्षम वायरस ख़त्म हो जाते हैं.

लेकिन, डॉक्टरों का कहना है कि संपर्क में आए स्वास्थ्य सेवा कर्मियों के, वायरस को आगे फैलाने के बारे में चिंता बनी हुई है, चूंकि ज़्यादा से ज़्यादा अस्पताल, एम्स के आदेश की नक़ल कर रहे हैं.

दिप्रिंट के हाथ कम से कम एक ऐसा आदेश लगा है, जो एक जानी-मानी अस्पताल चेन ने जारी किया है, जिसमें ऐसे स्वास्थ्य कर्मी के व्यवहार के बारे में गाइडलाइन्स जारी की गईं हैं, जो कोविड के संपर्क में आने के बाद, काम पर वापस आया हो. इन निर्देशों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन, और सहकर्मियों से दूर, अलग बैठकर खाने और पीने की ज़रूरत शामिल हैं. ऐसे वर्कर्स से अपेक्षा की जाती है, कि अपने मास्क को हर समय पहने रहें, और अपने लक्षणों पर ख़ुद नज़र रखें.

डॉ जयलाल ने कहा, ‘बहुत जगहों पर ये अब एक मानक बनता जा रहा है, क्योंकि एम्स ने एक मिसाल क़ायम कर दी है. यही वजह है कि हम सरकार को लिखने की योजना बना रहे हैं.

लेकिन, एक निजी अस्पताल के एक डॉक्टर ने, नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘ये सब कम्यूनिटी ट्रांसमिशन के स्पष्ट संकेत हैं. यही वजह है कि एम्स ने कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग बंद करने का फैसला किया है, और हम भी ऐसा ही कर रहे हैं. लेकिन, मरीज़ों को जानबूझ कर इस अतिरिक्त जोखिम में डालना, एक पहले से सोचा हुआ जोखिम है, ख़ासकर ऐसे समय, जब शहर बिस्तर से लेकर ऑक्सीजन और दवाएं, हर चीज़ की कमी से जूझ रहा है’.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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