scorecardresearch
Monday, 4 November, 2024
होमहेल्थसीरम इंस्टीट्यूट से मिला दूसरा कोविड टीका, 225 रुपए प्रति डोज़: किशोरों के लिए मंज़ूर नए टीके कोवोवैक्स के बारे में पूरी जानकारी

सीरम इंस्टीट्यूट से मिला दूसरा कोविड टीका, 225 रुपए प्रति डोज़: किशोरों के लिए मंज़ूर नए टीके कोवोवैक्स के बारे में पूरी जानकारी

US कंपनी नोवावैक्स द्वारा विकसित और भारत में सीरम संस्थान द्वारा निर्मित कोवोवैक्स एक प्रोटीन-आधारित वैक्सीन है, जो सार्स-कोव-2 स्ट्रेन से तैयार किया गया है.

Text Size:

नई दिल्ली: कोवोवैक्स को भारत के कोविड टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल किए जाने के साथ ही, 12 साल से अधिक के बच्चों को चुनने के लिए वैक्सीन का एक और विकल्प मिल गया है. इस आयु वर्ग के लिए दूसरे उपलब्ध कोविड वैक्सीन्स हैं- कोवैक्सीन और कोर्बिवैक्स.

अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स द्वारा विकसित और भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) द्वारा निर्मित कोवोवैक्स, एक प्रोटीन-आधारित वैक्सीन है जिसे मूल सार्स-कोव-2 स्ट्रेन से तैयार किया गया है. मसल्स के रास्ते से दो डोज़ दिए जाने के बाद, ये वायरस के खिलाफ पूरा प्रभाव हासिल कर लेता है. कोविशील्ड के बाद एसआईआई के यहां से ये दूसरी वैक्सीन है, जिसे राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल किया गया है.

लेकिन स्पूतनिक की तरह, जिसकी सरकार ने कभी ख़रीद नहीं की हालांकि वो निजी टीकाकरण केंद्रों पर मिलती रही है, कोवोवैक्स भी निजी केंद्रों पर उपलब्ध रहेगी. हर डोज़ की क़ीमत 225 रुपए होगी तथा जीएसटी और सेवा शुल्क अलग होंगे, जिससे ये फिलहाल देश में उपलब्ध सबसे महंगी वैक्सीन हो जाएगी. हालांकि, पहले थोड़े समय के लिए कोवैक्सीन निजी केंद्रों पर 1,200 रुपए प्रति डोज़ बिकी थी.

स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, राज्यों के पास फिलहाल वैक्सीन के पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध हैं- मंगलवार को प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) के अपडेट के अनुसार 19,01,68,140 ख़ुराकें- और फिलहाल सरकार की ख़रीद सूची में और अधिक वैक्सीन्स शामिल करने की ज़रूरत नहीं है.

पिछले साल पुणे-स्थित वैक्सीन निर्माता की ओर से जारी एक बयान के अनुसार कोवावैक्स, एसआईआई का नोवावैक्स की केविड वैक्सीन एनवीएक्स-कोव-2373 का ही अपना रूप है. इसे बनाने में कोरोनावायरस स्पाइक प्रोटीन से एंटीजन निकालने के लिए, नोवावैक्स की रीकॉम्बिनेंट नैनोपार्टिकल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया, और इम्यून रेस्पॉन्स को बढ़ाने और न्यूट्रलाइज़िंग एंटीबॉडीज़ के स्तर को ऊंचा करने के लिए, इसे वैक्सीन के पेटेंट किए हुए सैपोनिन-आधारित मैट्रिक्स एडजुवांट के साथ तैयार किया जाता है.

भारत के औषधि महानियंत्रक ने मार्च में वैक्सीन को किशोर आयु वर्ग के इस्तेमाल के लिए मंज़ूरी दे दी थी. कोवावैक्स की दूसरी ख़ुराक पहली ख़ुराक के तीन सप्ताह के बाद दी जाती है.


यह भी पढ़ें : भारत में जनवरी के बाद जीनोम सिक्वेंसिंग में भेजे गए 45% नमूनों में ओमीक्रॉन था: कोविड लैब नेटवर्क INSACOG


चिंताजनक वेरिएंट्स के खिलाफ 92.6% असर

मार्च में वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की मंज़ूरी का ऐलान करते हुए, नोवावैक्स और एसआईआई ने कहा था कि ‘कोवावैक्स की सुरक्षा तथा प्रतिरक्षाजनकता का आंकलन करने के लिए, 12 से 18 वर्ष के 460 भारतीय किशोरों में, दूसरे-तीसरे दौर की ऑब्ज़र्वर-ब्लाइंडेड, बेतरतीब, नियंत्रित स्टडी की गई’.

‘स्टडी में पता चला कि कोवावैक्स को एक आश्वस्त सुरक्षा प्रोफाइल के साथ अच्छे से सहन किया गया. इसके अलावा, आंकड़ों से पता चला कि 12 से 18 आयु वर्ग के किशोरों में कोवावैक्स इम्यूनोजेनिक भी है. भारत में दी गई मंज़ूरी में अमेरिका में 12 से 18 आयु वर्ग के किशोरों में चल रहे एनवीएक्स-कोव 2373 के प्रिवेंट-19 पिवोटल फेज़ 3 पीडियाट्रिक एक्सपेंशन ट्रायल का भी ज़िक्र किया गया है…’

नोवावैक्स के बयान के अनुसार, उस ट्रायल में पता चला कि वैक्सीन 12 से 17 आयु वर्ग के किशोरों में अच्छे से सहन की गई थी, और ये सुरक्षित तथा इम्यूनोजेनिक थी. वैक्सीन में डेल्टा वेरिएंट के प्रति 82 प्रतिशत नैदानिक प्रभाव पाया गया.

वयस्कों में एनवीएक्स-कोव2373 के ट्रायल के नतीजे- जिनमें चिंताजनक वेरिएंट्स के खिलाफ 92.6 प्रतिशत असर देखा गया- फरवरी में न्यू इंग्लैण्ड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित हुए थे.

कोवावैक्स पैकेज इंसर्ट के अनुसार, दर्द (36.4 प्रतिशत प्राप्तकर्त्ताओं में), और नरमी (11.3 प्रतिशत में) सबसे अधिक दिखने वाली स्थानीय विपरीत घटनाएं थीं. बुख़ार (22.5 प्रतिशत प्राप्तकर्त्ताओं में), सरदर्द (18.8 प्रतिशत), थकान (14.2 प्रतिशत), और अस्वस्थता (9.2 प्रतिशत) सबसे अधिक सामने वाली विपरीत घटनाएं थीं.

कोवावैक्स के उन लोगों में विपरीत संकेत नज़र आते हैं, जो किसी सक्रिय पदार्थ या वैक्सीन के किसी भी तत्व के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होते हैं.

वैक्सीन पर एसआईआई की फैक्टशीट में आगे लिखा है, ‘फिलहाल, ऐसे लोगों का बहुत सीमित डेटा उपलब्ध है जिनका इम्यून सिस्टम कमज़ोर है, या जो ऐसा पुराना इलाज करा रहे हैं जिसमें इम्यून रेस्पॉन्स को दबाया या रोक दिया जाता है. जिन लोगों के इम्यून सिस्टम दूसरी बीमारियों या दवाओं की वजह से कमज़ोर हो गए हैं, उनमें गंभीर कोविड-19 का ख़तरा बढ़ सकता है. उन्हें कोवावैक्स दी जा सकती है’.

लेकिन उसने कहा कि ‘जिन लोगों का इम्यून सिस्टम कमज़ोर है उन्हें इसका भी ध्यान रखना चाहिए, कि कोवावैक्स के खिलाफ उनके अंदर इम्यून रेस्पॉन्स के कम रहने की संभावना हो सकती है, और साथ ही कोविड-19 से खुद को बचाने के लिए उन्हें सभी मौजूदा दिशा-निर्देशों का पालन करने की ज़रूरत है’.

भारत के औषधि महानियंत्रक द्वारा वयस्कों में वैक्सीन के इस्तेमाल की मंज़ूरी दिए जाने से कुछ दिन पहले ही, कोवोवैक्स को पिछले दिसंबर में विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से आपात-इस्तेमाल के लिए सूचीबद्ध कर लिया गया था.

इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें


यह भी पढ़ें : मोदी सरकार की कोविड वैक्सीनेशन नीति ‘दुरुस्त’ लेकिन किसी को वैक्सीन के लिए मजबूर नहीं कर सकते: SC


 

share & View comments