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Thursday, 21 November, 2024
होमशासनबढ़ती इच्छाओं के साथ बढ़ती नपुंसकता: क्यों जवान भारतीय बन रहे हैं वियाग्रा का शिकार

बढ़ती इच्छाओं के साथ बढ़ती नपुंसकता: क्यों जवान भारतीय बन रहे हैं वियाग्रा का शिकार

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8 वर्षों में वियाग्रा की बिक्री में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, चिकित्सकों ने चेतावनी दी है कि अधिक से अधिक युवा पुरूष नपुंसकता रोधी दवा का उपयोग कर रहे हैं।

नई दिल्लीः एक टेलीकॉम सब्सक्राइबर में काम करने वाले 31 वर्षीय कम्यूनिकेशन पेशेवर ने बताया कि सालों से यौन अंतरंगता की उसकी भावनाओं को इंटरनेट पर पोर्नोग्राफी (अश्लील साहित्य/सामग्री) द्वारा निर्धारित किया गया था। असल दुनिया से हटके यह आपके रिश्तों को प्रभावित करता है खासकर जब बात आती है यौन उत्तेजना की। उन्होंने कहा, यह चीज उनको वियाग्रा और इसके सामान्य संस्करणों की ओर आकर्षित करती है।

उन्होंने बताया “मैं अपने कॉलेज के दिनों से इंटरनेट पोर्नोग्राफी देख रहा हूँ। शायद मेरी उम्मीदें मेरी क्षमता से कहीं ज्यादा थीं। मैंने असलियत में महिलाओं के साथ उत्तेजित होने में कठिनाई महसूस की है। इन दवाओं ने मुझे असल संबंध बनाने में मदद करी।”

समस्या: 31 साल की उम्र में आदमी अपनी औसत उम्र से कम से कम दो दशक कम है जो वियाग्रा या इसके अन्य रूपों पर निर्भर होते हैं। वियाग्रा या इसके अन्य रूपों का उपयोग पुरूषों में स्तंभन दोष को दूर करने या नपुंसकता के इलाज के लिए किया जाता है।

लेकिन इस व्यक्ति की कहानी देश में बढ़ती प्रवृत्ति का हिस्सा है, जहाँ वियाग्रा या उसके अन्य रूपों को तेजी से जीवनशैली की दवा के रूप में देखा जा रहा है जहाँ अधिक से अधिक युवा इसकी ओर आकर्षित होते हैं, उनका मानना है कि यह महिलाओं के साथ उनकी कामोत्तेजना को बढ़ाएगा।

चिकित्सकों का कहना है कि युवा पुरूष इन दवाओं का उपयोग करते हैं, जिसके लिए चिकित्सक से परामर्श की आवश्यकता होती है, क्योंकि वे कार्यस्थल में तनाव और संभोग के दौरान प्रदर्शन की चिंता से प्रभावित होते हैं।

इन दवाइयों का उपयोग करने वाले कुछ लोग तो केवल अपनी किशोरावस्था से ही निकले होते हैं। 2015 में हरियाणा के सोनीपत में ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में होने वाले सामूहिक बलात्कार के मामले में पीड़िता ने अपनी गवाही में कुछ चौंकाने वाले आरोप लगाए थे। उसने आरोप लगाया था कि उसके साथ बलात्कार करने वाले तीन लोगों ने उससे न केवल सेक्स टॉय (सेक्स खिलौने) और कंडोम बल्कि वियाग्रा भी खरीदने के लिए मजबूर किया था। उस समय उन तीनों की उम्र करीब 20 साल थी।

40 प्रतिशत की वृद्धि

ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट (एआईओसीडी) के अनुसार पिछले आठ सालों में दवा की बिक्री में काफी बढ़ोतरी हुई है। एआईओसीडी 9 लाख रसायनविदों का प्रतिनिधित्व करने वाली एक लॉबी है। एआईओसीडी के अनुसार जून 2010 में इस दवा की 18,000 यूनिटें बेची गई थीं जबकि इस साल जून में इसकी संख्या बढ़कर 26,000 यूनिटों तक हो गई है। 8 सालों में इसमें लगभग 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

कंपनियाँ भी इन दवाओं पर भरपूर रकम पैदा कर रही हैं क्योंकि इन दवाओं को बिना किसी जाँच के बेचा जाता है। जून 2010 में सिल्डेनाफिल साइट्रेट के मुख्य घटक वाली इस दवा की बिक्री 180 करोड़ रूपये थी। इस साल यह 98 प्रतिशत की वृद्धि से 357 करोड़ रूपये हो गई है।

जबकि वियाग्रा का पेटेंट अमेरिका की बड़ी कंपनी Pfizer’s के पास है (इसने दुनिया के कुछ हिस्सों में पेटेंट को खो दिया है) भारत मे सालों से इस दवा के प्रतिलिपि संस्करणों में काफी बढ़ोतरी हुई है।

इसके विपरीत चिकित्सक इस बात को कुबूल करते हैं कि वे शायद ही कभी यह दवा लिखते हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष के.के. अग्रवाल का कहना है कि “हम उन्हीं मामलों में इस दवा को लिखते हैं जब कोई और विकल्प उपलब्ध नहीं होता है। 20 मरीजों में से करीब एक को यह दवा दी जाती है।” “और कई मामलों में जिन लोगों को हम यह दवा लिखते है वे भी नहीं चाहते कि हम उनको इस नुस्खे पर लिखकर दें क्योंकि वे नहीं चाहते कि उनके साथी या परिवार वालों को इसके बारे में कुछ पता चले।”

तनाव, चिंता और गोली

फोर्टिस अस्पताल में पुरूषों के हार्मोन संबंधी बीमारियों के विशेषज्ञ रितेश गुप्ता ने बताया कि 20 वर्ष की उम्र के अंत और 30 के प्रारंभिक वर्षों में आने वाले युवाओं का अपने काल्पनिक लक्षणों से मानना होता है कि उनको स्तंभन दोष है। उन्होंने बताया कि, “उनमें से कुछ को वास्तविक हार्मोन संबंधी विकार होते हैं लेकिन उनमें से अधिकतर कम आत्म-सम्मान या अवास्तविक उम्मीदों से पीड़ित होते हैं।

गुप्ता युवाओं को गोली लिखने के बजाय तनाव और चिंता से मुक्त रहने की सलाह देते हैं, उन्होंने बताया कि फिर भी उनमें से कई लोग किसी भी तरह गोली प्राप्त कर ही लेते हैं । गुप्ता कहते हैं कि उनके पास आने वाले 10 में से 7 लोग 40 साल के कम उम्र के ही होते हैं जिनको स्तंभन दोष नहीं होता है लेकिन फिर भी वे गोलियों से स्पष्टीकरण चाहते हैं। उन्होंने बताया कि उनमें से लगभग आधे लोगों को उनके दोस्तों या महिला भागीदारों द्वारा प्रोत्साहित किया जाता है।
रिलेशनशिप चिकित्सक भी 30 साल के करीब उम्र वाले ऐसी व्यक्तियों की संख्या में तेजी से वृद्धि देख रहे हैं जो वियाग्रा या ऐसी ही अन्य दवाओं के बारे में पूछते जो की जादा तर उन लोगो को बताई जाती है जो की इस उम्र से कम से कम एक दशक से जादा होते हैं ।

ऑनलाइन प्लेटफार्म ePsyclinic पर वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक और रिलेशनशिप विशेषज्ञ अनुजा शाह का कहना है कि प्लेटफार्म तक पहुँचने वाले कई 25-40 आयु वर्ग के पुरूष होते हैं जो विवाह से पहले अपनी कामेच्छा बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं या प्रदर्शन क्षमता में कमी का शिकार होते हैं।

शाह ने बताया कि उनके पास हफ्ते में कम से कम तीन से चार लोग ऐसे आते हैं जिनको गोली न खाने के लिए समझाना पड़ता है। शाह ने बताया कि “मेरे 70 प्रतिशत से अधिक ग्राहक आईटी उद्योग से नाता रखते हैं इसके बाद चार्टर्ड एकाउंटेंट है”। शाह से हरियाणा, बेंगलुरू, लखनऊ, झारखंड और छत्तीसगढ़ के लोगों द्वारा इस बारे में सबसे अधिक पूछताछ की जाती है।

मनोवैज्ञानिक ने एक और कारण का भी उल्लेख किया है: महिलाओं से बढ़ती उम्मीदें। उन्होंने कहा, “ये युवा पुरूष वियाग्रा की ओर अपना रूख कर रहे हैं क्योंकि वे आजकल की महिलाओं के द्वारा लगातार शक्तिहीन महसूस कर रहे हैं।” “इन पुरूषों का मानना है कि बेडरूम में उनकी ही बात चलती थी लेकिन अब की महिलाएं अपनी यौन इच्छाओं को व्यक्त करने और उनकी समानता के लिए बोलने के बारे में भी सक्रिय हैं। यह उन्हें बेडरूम में सतर्क बनाता है।”

कम दाम, कम होता कलंक

इसलिए कारकों का एक संयोजन देश में वियाग्रा के उपयोग को संचालित कर रहा है। Pfizer’s का वियाग्रा 527 रूपये प्रति गोली उपलब्ध है जबकि इसके देसी संस्करण – मैनफोर्स, सुहाग्रा, पेनेग्रा, ज़ेनेग्रा अपनी मूल कीमत के केवल दसवें हिस्से, 52 रूपये में ही उपलब्ध हैं।

यह ड्रग जिसको पहले एक कलंक माना जाता था उसे अब खुले तौर पर बोला जाता है, साथ ही मित्रों और भागीदारों द्वारा इसके उपयोग प्रोत्साहित किया जा रहा है।

चार्टर्ज एकाउंटेसी की एक 28 वर्षीय छात्रा ने बताया कि गोवा में छुट्टियों के दौरान उसके अपने पति को गोली खिलवाने का प्रयास किया था। उन्होंने बताया कि “जब वह पहले से ही शराब के नशे में चूर था तो उसने गोली खाने का प्रयास किया। उसने बताया अगर उत्तेजना 100 है तो ड्रग्स के साथ यह 1000 हो जाती है। कोई विशेष कारण नहीं था बस हम चाहते थे तभी हमने ऐसा किया। इसका अनुभव होने के बाद हमने पहली बार और शायद आखिरी बार यह कोशिश की थी।”

इसके अलावा, यह आसानी से उपलब्ध है।

भ्रष्ट नियंत्रण और ऑडिट के साथ, केमिस्ट किसी चिकित्सक की सलाह के बिना ही इस दवा को बेचते हैं। गुड़गाँव आधारित बीपीओ के साथ 26 वर्षीय एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने बताया कि “जब मैंने पहली बार दवा खरीदी तो केमिस्ट ने अधिकतम खुदरा मूल्य से 10 रूपये अधिक माँगे। अगली बार मैंने दैनिक उपयोग वाली वस्तुओं जैसे शेविंग क्रीम और लोशन के साथ इसको खरीदा। उसने किसी चिकित्सक का लिखा हुआ पर्चा नहीं मांगा।”

दुष्प्रभाव

डॉक्टर वियाग्रा की लत के खिलाफ विशेष रूप से उन लोगों को सचेत करते हैं जो मानते हैं कि यह यौन उत्साह बढ़ा सकता है। वे कहते हैं कि दवा आत्मविस्मृति, घबराहट और कंपकंपी का कारण बन सकती है। फोर्टिस से गुप्ता ने चेतावनी दी, “गंभीर मामलों में, इसके परिणामस्वरूप दौरे, हृदय की अनियमित धड़कन या यहाँ तक कि मौत भी हो सकती है।”

यह एक रिश्ते के अंत का भी कारण बन सकता है।

ePsyclinic के शाह एक दम्पति को परामर्श दे रहे थे जिसमें उन्होंने बताया कि शक्तिहीनता विरोधी दवाओं का उपयोग उनकी तलाक का कारण बन रहा था।

उन्होंने बताया, “प्रेम विवाह के बावजूद, दम्पति लगातार तनाव के कारण एक दूसरे की उम्मीदों को पूरा करने में असमर्थ थे। बढ़ते अलगाव को ध्यान में रखते हुए, पत्नी ने पति को दवा का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया। हालांकि इसके दुष्प्रभावों से अनजान पति को आपरेशन थियेटर सर्जरी के जाना पड़ा जिससे उनके संबंधों को आघात पहुँचा।”

Read in English : Young Indian men are in the grip of a new epidemic. It’s called Viagra

 

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