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Tuesday, 21 May, 2024
होमशासनखोखली मर्दानगी के समाज में स्मार्टफोन और पॉर्न: क्यों बलात्कारियों का अड्डा बनता जा रहा है हरियाणा ?

खोखली मर्दानगी के समाज में स्मार्टफोन और पॉर्न: क्यों बलात्कारियों का अड्डा बनता जा रहा है हरियाणा ?

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2016 के बाद से हर दो दिन में एक सामूहिक बलात्कार के साथ हरियाणा महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित जगह बन गया है। हरियाणा को यह टैग क्यों मिला यह पता लगाने के लिए दिप्रिंट ने राज्य की यात्रा की|

रोहतक/मेवात/हिसार: हरियाणा प्रतिव्यक्ति आय के हिसाब से भारत का सबसे अमीर राज्य है | भारत की जनसँख्या का लगभग 2 प्रतिशत हिस्सा होने के बावजूद यह भारत के लिए सबसे ज्यादा, लगभग आधे, पदक जीतता है |

हरियाणा इसमें सबसे अव्वल नम्बर पर है : भारत में सबसे ज्यादा गैंग रेप यहाँ होते हैं | फिर से, बिंदु को रेखांकित करने के लिए, राष्ट्रीय आबादी का मात्र दो प्रतिशत |

2016 में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों से पता चलता है कि हरियाणा ने हर दो दिन में एक गैंग रेप दर्ज किया है| बलात्कार की संख्या 1,187 थी – जो एक दिन में तीन रेप से अधिक है।

दिप्रिंट द्वारा प्राप्त किया गया हरियाणा पुलिस डेटा दर्शाता है कि 31 मई 2018 तक राज्य में गैंग रेप के 70 मामले पहले ही पंजीकृत हो चुके हैं| इनमें से 33 मामलों की जांच हो रही है और 18 मामले सुनवाई में हैं| पिछला साल भी कुछ अलग नहीं था, जब गैंग रेप के 176 मामले पंजीकृत हुए थे|

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यदि यह एक महामारी घोषित करने के लिए पर्याप्त है, तो हरियाणा, जो भाजपा सरकार की महत्वाकांक्षी बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का उद्गम स्थल है, को कुछ समय पहले ही घोषित किया जाना चाहिए था|

असल में, बस एक सरसरी गूगल खोज लगभग हर हफ्ते राज्य के विभिन्न हिस्सों में पंजीकृत गैंग-रेप की कहानियों के परिणाम दिखाती है|

इस पर गौर कीजिए: मई के तीसरे सप्ताह में हरियाणा के पांच निवासियों द्वारा गुरुग्राम के मॉल से एक 30 वर्षीय लड़की का अपहरण किया गया था और राजधानी लेकर आया गया था जहाँ उसका उन लोगों द्वारा सामूहिक बलात्कार किया गया था; मुश्किल से इससे एक हफ्ते पहले एक  23 वर्षीय गर्भवती महिला के साथ मानेसर में एक ऑटो चालक और उसके दो सहयोगियों ने कथित रूप से बलात्कार किया था; मई की शुरुआत में गुरुग्राम के सोहना रोड में एक सुनसान इलाके में एक ऑटो चालक और 4 अन्य पुरुषों द्वारा कथित तौर पर बलात्कार किया गया था; मई में ही, दसवीं कक्षा की एक दलित छात्रा ने आरोप लगाया था कि उसके साथ दो पुरुषों ने बलात्कार किया था; अप्रैल में, मेवात में अपने ही गाँव के आठ लोगों द्वारा कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किए जाने के बाद 12वीं कक्षा की एक छात्रा ने आत्महत्या कर ली थी; फिर, अप्रैल में, यमुनानगर जिले में एक धर्मशाला (तीर्थयात्री आरामगाह) में एक 14 वर्षीय लड़की का उसी के गाँव के चार लोगों द्वारा कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया गया था|

 

इसलिए, हरियाणा अपनी ही महिलाओं के लिए इतना खतरनाक क्यों बन गया है? और एक भिन्न प्रकार के समृद्ध राज्य में पुरुषों द्वारा महिलाओं का यह हिंसक उत्पीड़न क्या बयां करता है?

देश में कुछ सबसे ख़राब यौन अनुपातों, खाप पंचायतों की जड़ तक समायी हुई प्रणाली और ऑनर किलिंग की असंख्य घटनाओं के साथ हरियाणा कभी भी अपनी लिंग संवेदनशीलता या समानता के लिए जाना नहीं गया है| इसमें, पोर्नोग्राफी की आसान पहुँच, लोकप्रिय संस्कृति, समाज में सहशिक्षा जो अभी भी उभयलिंगीपन को निषिद्ध मानती है, बेरोजगारी, अनेकों अविवाहित पुरुष और शराब के दुरूपयोग को भी जोड़िये|

पितृसत्ता का लोकप्रिय संस्कृति से मिलाप

ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक विमेन एसोसिएशन (एआईडीडब्ल्यूए) की राज्य उपाध्यक्षा जगमती सांगवान कहती हैं कि शिक्षा, कार्य, खेल इत्यादि के लिए घर से निकलने का साहस करने वाली अधिक मात्रा में लड़कियों के साथ, लड़कों के साथ दोस्ती करने और खुद का हक़ जमाने का प्रयास करते हुए ‘इस्तेमाल करो और फेंक दो’ की एक नई प्रवृत्ति उभरती हुई दिखाई पड़ती है|

उन्होंने कहा, “जबकि हरियाणवी समाज बेहद बंद और पित्रसत्तात्मक रहता है, वहीं लोकप्रिय संस्कृति, सोशल मीडिया, स्मार्ट फोन इत्यादि के संपर्क में आना महिलाओं में लड़कों से दोस्ती करने की चाहत पैदा करता है|

उन्होंने कहा, एक निश्चित उम्र में इच्छा होती है लेकिन चूंकि शादियाँ फिर भी बड़े पैमाने पर जाति सगोत्र विवाह, ग्राम विजातीय विवाह द्वारा निर्धारित होती हैं अतः पुरुष इन महिलाओं को मनोरंजक वस्तु के रूप में देखते हैं और उनसे शादी का कोई इरादा नहीं रखते|

जाति सगोत्र विवाह एक ही जाति के भीतर विवाह करने की प्रथा को कहते हैं जबकि ग्राम विजातीय विवाह अपने गाँव के बाहर वर या वधू खोजने की एक प्रथा है|

वकील लाल बहादुर खोवाल, जो कि रेप की कई पीड़िताओं के लिए केस लड़ चुके हैं, कहते हैं कि यह याद करना महत्वपूर्ण है कि यह अनावरण उस समाज में स्थान बना रहा है जहाँ अभी भी सतीत्व और सम्मान के बहुत विकृत विचार हैं|

वह आगे कहते हैं, “यदि टेलीविज़न पर एक अन्तरंग दृश्य आये तो संपन्न परिवारों में भी माता-पिता चैनल बदल देंगे| इसके बाद ही जिज्ञासा का जन्म होता है|”

गांवों और जिलों में स्मार्टफ़ोन पोर्नोग्राफ़ी तक आसान पहुंच प्रदान करते हैं इसलिए इन्हें एक बड़े दोषी के रूप में देखा जाता है|

नुह जिले में एक गाँव, जहाँ नशे में धुत्त आठ लोगों द्वारा कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किये जाने के बाद अप्रैल के महीने में एक 17 वर्षीय लड़की ने आत्महत्या कर ली थी, के एक निवासी हकमुद्दीन कहते हैं कि “इन दिनों लड़के अपने फ़ोन पर जो चाहते हैं देखते हैं, फिर स्कूल जाते हैं और लड़कियों को देखते हैं, देखा जाए तो आजकल यह होता है|”

जैसा कि सांगवान कहती हैं कि चूंकि लड़कियों के साथ सम्बन्ध सिर्फ “मज़े के लिए” बनाये जाते हैं इसलिए वे एक वस्तु होती हैं जिन्हें दोस्तों के बीच साझा किया जा सकता है|

रोहतक पुलिस अधीक्षक जशंदीप सिंह रंधावा कहते हैं, “कि ज्यादातर बलात्कार की घटनाएँ तब होती हैं जब कोई एक दोषी पीड़िता को पहले से जानता है और बाद में वो अपने साथी को इस कुकृत्य में शामिल होने के लिए बुलाता है | ऐसे भी किस्से हैं जहाँ या तो रिश्ते बढ़िया नहीं चल पाए या अवैध सम्बन्ध रहे और या फिर बिना शादी के साथ रहने की बाते सामने आई हैं |

उनकी यह बात तथ्यों पर आधारित पर आधारित है जिसके अनुसार बच्चों और महिलाओं के साथ 94% रेप की घटनाओं में दोषी पीड़िता को पहले से जानता पाया गया है|

सांगवान जी इस बात से सहमत हैं की “ अधिकतर सामूहिक बलात्कार के प्रकरण में आपको एक समान बात दिखेगी कि – लड़की या तो आरोपी को जानती है या उसके साथ शामिल होती है और लड़के के दोस्त उसमें शामिल होते हैं| इस तरह से यह समाज बड़े ही सहज ढंग से महत्त्वाकांक्षी और स्वछंद महिलाओं को उनका स्थान दिखाती है|

बेरोजगारी + शराब: एक खतरनाक मिश्रण

संगवान कहते हैं, इसके अलावा, ज्यादातर मामलों में पुरुष बेरोजगार हैं और भविष्य के लिए कोई योजना नहीं है। पूरे दिन कुछ भी करने को न होना भी एक कारन है जिसकी वजह से वे शराब, नशीली दवाओं के दुरुपयोग की ओर अग्रसर होते हैं और उन लड़कियों पर हमला करते हैं जो उन्हें लगता है कि नौकरी के छेत्र में उनके साथ तेजी से प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।

 

वे हमेशा अनपढ़ नहीं होते हैं … उनमें से बहुत से इंजीनियर हैं जिन्हें राज्य भर में निजी कॉलेजों द्वारा झूठे सपने दिखाए गए थे, लेकिन उन्हें 15,000-18,000 रुपये से ज्यादा पैकेज नहीं मिला। “नियमित रोजगार के बजाय, आपको अस्थायी रोजगार दिया जा रहा है, आपकी शादी की संभावनाएं कम हैं, इसलिए इस तरह आप अपनी कुंठा को दूर करते हैं।

यद्यपि हरियाणा भारत के सुप्रसिद्ध राज्यों में से एक है, लेकिन सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के आंकड़ों के मुताबिक, इसकी बेरोजगारी दर देश में लगभग सबसे ज्यादा 15.3 फीसदी है। उदाहरण के लिए,  मेवाट के प्रकरण में जहां 17 वर्षीय बालिका के साथ बलात्कार किया गया था, ग्रामीणों का कहना है कि युवाओं में बेरोजगारी बहुत आम है, । ऐसा जिला, जो राष्ट्रीय राजधानी से केवल दो घंटे दूर है, नीती आयोग की पिछड़े जिलों की सूची में सबसे नीचे है। पीड़ित के पिता ने कहा, “आरोपियों में से कोई भी शिक्षित या नौकरी पेशा नहीं है।” “वे गांव के दबंग हैं … उनके पास बहुत पैसा है और वे किसी भी व्यक्ति को खरीद सकते हैं … वे पूरे दिन पीते हैं, लेकिन किसी की हिम्मत नहीं की उन्हें कुछ कह सके। पूरे जिले में, युवा पुरुषों के समूह को दुकानों और घरों के बहार चारपाई पर जुआ खेलते या पत्ते खेलते देखा सकता है। एक 45 वर्षीय पुरुष जिसने अपनी दो लड़कियों को गुजरात के मदरसे में पढने के लिए भेज दिया है का कहना है की इस गाँव में 80 प्रतिशत लड़के जुंवे की लत से ग्रसित हैं। उसका यह भी कहना है की उसकी लड़कियां वहां ज्यादा सुरक्षित हैं। शराब – जो कि हर नुक्कड़ और कोने पर बहुत आसानी से उपलब्ध है और जिसका सेवन पुरुषों द्वारा ही किया जाता है – समस्या को और बढाता है। राजस्थान के टोंक जिले के बनस्थली विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र के एक सहायक प्रोफेसर पारो मिश्रा जिन्हीने हरियाणा में व्यापक क्षेत्रीय कार्य किया है कहते हैं, “एक गांव में मेडिकल शॉप भले ही न हों, लेकिन हर गांव में एक ठेका जरूर होगा। “यहां तक ​​कि एक शोधकर्ता के रूप में, मुझे सलाह दी गई थी कि कुछ क्षेत्रों में न जाएं क्योंकि  वहां पुरुष नशे में झूमते मिलेंगे।” पुजिन पुलिस अधिकारियों से द प्रिप्रिंट ने बातचीत की उन्होंने राज्य भर में नशीली दवाओं के दुरुपयोग के बढ़ते खतरे का भी उल्लेख किया। रोहतक एसपी रंधवा कहते हैं, “आप पुरुषों, विशेष रूप से युवाओं या विवाह योग्य उम्र को पार करने और शादी नहीं करने वाले लोगों द्वारा भारी नशीली दवाओं के दुरुपयोग को देखेंगे।” रिपोर्टों के मुताबिक, रोहतक में राज्य ड्रग निर्भरता उपचार केंद्र में इलाज कराने वाले लोगों की संख्या 2016 में 774 से 2016 में 3,707 तक पहुंच गई थी।

 हरियाणा के पुरुषों के लिए कोई दुल्हन नहीं

मिश्रा का कहना है कि राज्य के विषम लिंग अनुपात, जिसने “लापता दुल्हन”, या अधिक आयु वर्ग के अविवाहित पुरुषों की अपनी अनोखी समस्या को जन्म दिया है, महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा की बढ़ती घटनाओ में एक प्रमुख कारक है।

सन् 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, हरियाणा का जन्म के समय बाल लिंग अनुपात प्रति 1000 लड़कों पर 834 लड़कियों का था और कुल लिंग अनुपात 879 था – राज्य में दुल्हन की भारी कमी का कारण।

वह कहती हैं, “हरियाणा में, विवाह बाजार काफी असंतुलित रहा है … विशेष रूप से निचले वर्ग में, अधिशेष पुरुष हैं। यदि कोई आदमी बेरोजगार और भूमिहीन है, तो उसे दुल्हन प्राप्त करना मुश्किल हो रहा है।”

मिश्रा कहती हैं, उनकी यौन ऊर्जा को संतुष्ट करने के अन्य साधनों का उपयोग करने के साथ, वे युवा महिलाओं से बलात्कार और सामूहिक बलात्कार करते हैं, क्योंकि आखिरकार यह एक ऐसा समाज है जहाँ परिस्थितियां पुरुषों को यह सोचने पर मजबूर कर देती हैं कि महिलाएं उनकी हर एक चीज की देनदार हैं।

” क्षेत्र में मेरे काम करने के दौरान, कई बार इस तरह के पुरुषों को ग्रामीणों द्वारा छुट्टा सांड (जंगली बैल) के रूप में संदर्भित किया जाता था, जो जिस किसी भी महिला को देखते उसके साथ छेड़छाड़ करने लगते।”

राज्य सरकार ने कम से कम कागज पर अपने राज्य को लड़कियों के लिए सुरक्षित बनाने के कई प्रयास किए हैं। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की शुरुआत हरियाणा से ही हुई थी; इसने 2015 में उत्तर प्रदेश के रोमियो स्क्वॉड्स की तर्ज पर अपना संस्करण, ‘ऑपरेशन दुर्गा’ भी शुरू किया था और हर जिले में महिला पुलिस स्टेशन खोले।

जाति-खाप संबंध

वकील खोवाल ने कहा, हालांकि, एक ऐसे राज्य में जहाँ राजनेताओं और खाप पंचायतों के बीच मजबूत संबंध है, कोई वास्तविक परिवर्तन मुश्किल है।

वे कहते हैं, “मैंने ऐसे भी मामले देखे हैं जहाँ खाप पंचायतों के दबाव की वजह से लड़कियाँ मुकर जाती हैं और इसकी वजह से पुलिस आरोपी के खिलाफ मुकदमे वापस ले लेती है।”

उदाहरण के लिए, एक 27 वर्षीय दलित महिला, जिसका पिछले साल दिसंबर में एक चलते हुए ऑटो में तीन पुरुषों ने सामूहिक बलात्कार किया था, किसी भी आरोपी को नहीं जानती थी। फिर भी, उसके साथ बलात्कार करते हुए, एक आरोपी – एक ऊँची जाति के लड़के ने कथित रूप से अपने सहयोगियों से कहा, “वाल्मीकियों की लड़की है, आज हाथ आई है, छोडेंग नही।”

खोवाल कहते हैं, “उनके पास  मुआयना करने की अपनी व्यवस्था है … वे पता लगा लेते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि उनके पास खाप का आशीर्वाद है।”

इससे भी बदतर, एक ऐसे राज्य जिसे अत्यावश्यकता के साथ महिलाओं के खिलाफ अपराधों से निपटना चाहिए, वहाँ पुलिस लिंग अपराधों को सही तरीक़े से नहीं जाँचती।

पुलिस का रवैया

हरियाणा के शीर्ष पुलिस, डीजीपी बीएस संधू, जो राज्य के कई अधिकारियों की तरह “सामाजिक मूल्यों के क्षरण” को सामूहिक बलात्कार में हो रही वृद्धि के लिए दोषी ठहराते हैं, इन मामलों की सत्यता के बारे में कुछ संदेह व्यक्त करते हैं।

उन्होंने कहा कि “बलात्कार के तीस प्रतिशत मामले झूठे होते हैं, रद्दीकरण दर (लिंग अपराधों की) भी बहुत अधिक है … यहां ऐसे भी गिरोह हैं जो (बलात्कार के मामलों में) धमकी देकर पैसा ऐंठने का काम कर रहे हैं।”

2018 में, 31 मई तक, 70 मामले पंजीकृत हुए थे जिनमें से 19 पहले से ही रद्द कर दिए गए हैं। 2016 और 2017 में, 120 से ज्यादा मामले रद्द कर दिए गए थे।

सजा दरों के साथ इसकी तुलना करें। 2016 में पंजीकृत मामलों में, केवल नौ में दोष सिद्धि हुआ, जबकि 48 निर्दोष थे। 2017 के लिए, केवल दो दोष सिद्धि और 16 निर्दोष रहे है।

कानून और व्यवस्था एडीजीपी हरियाणा ए.एस. चावला, जो महिलाओं के खिलाफ अपराध की रोकथाम के लिए सेल के प्रभारी भी हैं, कहते हैं कि बलात्कार और सामूहिक बलात्कार के मामले में सजा दर में सुधार की जरूरत है।

चावला ने दिप्रिंट को बताया, “जांच दल को स्पष्ट रूप से निर्देश दिया गया है कि उन्हें ऐसे मामलों में वैज्ञानिक सबूत इकट्ठा करने पर ध्यान देना चाहिए ताकि अगर पीड़ित अपनी शिकायत/बयान से मुकर जाए, तब भी आरोपी की सजा सुनिश्चित की जा सके।”

फोरेंसिक प्रयोगशालाओं को भी निर्देश जारी किए गए हैं कि बलात्कार के मामलों में एकत्रित साक्ष्य पर रिपोर्ट प्राथमिकता के साथ और जल्दी तैयार की जानी चाहिए।

उन्होंने आगे कहा “सामूहिक बलात्कार के मामलों में जांच एफआईआर दर्ज कराने के एक महीने के भीतर पूरी होनी चाहिए।” फिर भी, 2017 में पंजीकृत 11 मामलों की जांच अभी भी चल रही है।

चावला कहते हैं कि “2018 के आंकड़ों से पता चलता है कि 31 मई तक राज्य के चार जिलों में सामूहिक बलात्कार का कोई मामला दर्ज नहीं हुआ था। इनमें पंचकुला, यमुनानगर, चरखी दादरी और पलवल शामिल हैं। आम तौर पर गुड़गांव में मेवाट के बाद सामूहिक बलात्कार के मामलों की सबसे ज्यादा संख्या दर्ज का गई है। हालांकि, मेवाट में, हमने एक ट्रेंड उभरता हुआ देखा है कि झूठी शिकायतों की संख्या भी काफी है।”

पुलिस आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में गुड़गांव और मेवाट में सामूहिक बलात्कार के 35 और 47 मामले दर्ज किए गए हैं।

आगे का रास्ता मुश्किल

हालांकि राज्य में जल्द ही लिंग अपराधों को संबोधित करने के लिए स्टेट एक्शन प्लान शुरू करने की उम्मीद है, एक ऐसे समाज जो यौन स्वामित्व के पुरातन विचारों को नहीं छोड़ पा रहा है और लिंग समानता के तरफ़ यह समाज अनजान बना रहेगा।

खोवाल ने कहा, “माता-पिता सेक्स, बलात्कार, सहमति इत्यादि के बारे में जरूरी वार्तालाप नहीं करना चाहते हैं। यह उन सभी के लिए एक अनजाना विषय है … इसी लिए लड़कों के पास इस सब के बारे में अपरिपक्व ज्ञान है।”

चंडीगढ़ में चिटलीन सेठी के इनपुट के साथ।

Read in English : When patriarchy meets smartphone pornography: Why tiny Haryana is India’s rape capital

 

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