गैर-सरकारी संगठन कॉमन कॉज़ और लोकनीति द्वारा एक सर्वेक्षण में पाया गया है कि भारतीय संस्थानों में पुलिस सबसे कम भरोसेमंद है, विशेष रूप से महिलाओं, दलितों, मुसलमानों और गरीबों को पुलिस पर विश्वास बहुत कम है।
नई दिल्ली: एक अध्ययन में पाया गया है कि हिमाचल प्रदेश में पुलिस की ज्यादतियां सबसे कम हैं और पंजाब सीमा पर सबसे ज्यादा हैं।
सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस) की एक शोध पहल, एनजीओ कॉमन कॉज़ और लोकनीति के शोधकर्ताओं ने पूरे भारत में पुलिस के प्रदर्शन और धारणा पर एक रिपोर्ट संकलित करने का बीड़ा उठाया है और साथ ही साथ ये दोनों यह भी तय करते हैं कि यह प्रवृत्ति सभी राज्यों और समुदायों के लिए भिन्न है या नहीं।
यह रिपोर्ट अन्य स्रोतों के बीच नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो और पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो और 22 राज्यों में एक धारणा सर्वेक्षण से प्राप्त आंकड़ों पर आधारित थी। जो परिणाम आये हैं वे दो मानदंडों के साथ एक निष्कर्ष पर आते हैं, पहला, पुलिस पर भरोसा और दूसरा, पुलिस का डर। उत्तरदाताओं की संख्या का जिक्र नहीं किया गया था।
शोधकर्ताओं के मुताबिक उनके सर्वेक्षण में लोगों में पुलिस का डर, हवालात में ज्यादतियों के प्रति दृष्टिकोण और कई धाराओं से पुलिस क्रूरता के बारे में जागरूकता के बारे में प्रश्न शामिल थे।
रिपोर्ट में कहा गया कि “तब प्रतिक्रियाओं की जांच क्षेत्र, जाति, वर्ग, लिंग और धर्म के जनसांख्यिकीय चरों के आधार पर की गयी थी।” रिपोर्ट में आगे कहा गया कि “फिर यह निष्कर्ष निकाला गया कि पंजाब में पुलिस का अत्यधिक भय शायद पिछले चार दशकों में राज्य के इतिहास के कारण हो सकता है।”
1970 के दशक के बाद से राज्य के इतिहास का संदर्भ एक अलग सिख देश के लिए खूनी आंदोलन, जिसे 1990 के दशक के मध्य तक दबा दिया गया था और अपंग बना देने वाली ड्रग की महामारी, जिसने कथित तौर पर पिछले कुछ सालों से राज्य को घेर रखा है, से संबंधित है।
अध्ययन के अनुसार, पुलिस का डर सभी धर्मों में से सिखों में सबसे ज्यादा और ईसाइयों में सबसे कम था। इस बीच, 14 प्रतिशत उच्च श्रेणी के हिंदुओं और 9 प्रतिशत मुसलमानों के मुकाबले सर्वेक्षण के उच्च वर्गीय सिख उत्तरदाताओं में से लगभग 42 प्रतिशत ने पुलिस के डर को स्वीकार किया है।
निष्कर्षों के अनुसार, कुल मिलाकर 44 प्रतिशत उत्तरदाताओं, या प्रत्येक पाँच में से दो से अधिक ने कहा कि वे पुलिस द्वारा पीटे जाने और 38 प्रतिशत गिरफ्तार होने और इसी संख्या में लोग झूठे आरोपों में फंसने से डरते थे।
कम से कम 29 प्रतिशत, महिलाओं की कुल संख्या के एक चौथाई से अधिक, ने कहा कि उन्हें पुलिसकर्मियों द्वारा यौन उत्पीड़न का डर था।
रेगिस्तान में अविश्वास
स्थानीय और वरिष्ठ पुलिस कर्मियों में विश्वास की जानकारी प्राप्त करने में राजस्थान के उत्तरदाताओं ने भारी मात्रा में हिस्सा लिया, जिसमें उन्होंने पुलिस पर गहरा अविश्वास जताया। राजस्थान के बाद दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश आता है।
दक्षिण से एक सकारात्मक तस्वीर उभर कर सामने आई, जहां आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और केरल के अधिकांश उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्हें स्थानीय पुलिस पर विश्वास है। शीर्ष चार में से अलग झारखंड था, जो लोगों के पुलिस पर विश्वास करने में दूसरे स्तर पर था।
हरियाणा में लोगों का वरिष्ठ अधिकारियों पर विश्वास सबसे मजबूत था।
सामुदायिक छवि
रिपोर्ट समुदायों के बीच पुलिस के विश्वास के स्तर में गहरी विषमता (विरोध) का सुझाव देती है, सर्वेक्षण के अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के उत्तरदाताओं में से अधिकांश पुलिस के प्रति गहरा अविश्वास प्रकट करते हैं। उन्होंने कहा कि वह पुलिस के शिकार बनने, ज्यादतियों और यातनाओं से डरते हैं जबकि उच्च जातियों के सदस्य पुलिस से कम डरते हैं।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि, उच्च जातियों के अधिकांश लोगों ने पुलिस में विश्वास रखने की बात कही थी।
शोधकर्ताओं का कहना है कि, “जातीय नजरिया स्वयं भी पुलिस में सामुदायिक विश्वास को आकार देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, अन्य पिछड़े वर्गों और अनुसूचित जातियों के साथ में अनुसूचित जनजातियों को पुलिस में अधिक अविश्वसनीय पाया गया।“ रिपोर्ट का कहना है कि, “इन सामाजिक समूहों के भीतर क्षेत्रीय विविधता काफी स्पष्ट थी।“
Read in English: Two of five Indians are scared of police, Sikhs in Punjab fear them the most