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Saturday, 21 December, 2024
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राजस्थान में सिविल सेवा परीक्षा में कट आॅफ को लेकर गुस्से में ओबीसी समुदाय

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राजस्थान में सिविल सेवा में प्रवेश के लिए ओबीसी समुदाय को सामान्य वर्ग की तुलना में अधिक अंक चाहिए. ओबीसी उम्मीदवार इसे आरक्षण नीति का ‘स्पष्ट’ उल्लंघन बता रहे हैं.

नई दिल्ली: राजस्थान में सिविल सेवाओं में प्रवेश करने की इच्छा रखने वाले ओबीसी उम्मीदवारों के बीच अशांति पैदा हो रही है. क्योंकि राजस्थान प्रशासनिक सेवा (आरएएस) में प्रवेश करने के लिए नया कट ऑफ 99.33 प्रतिशत पर निर्धारित किया गया है. सामान्य वर्ग की कट ऑफ 76.06 मार्क्स तो ओबीसी का कट-ऑफ 99.33 मार्क्स रहा है.

कुछ लोगों ने राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) द्वारा संचालित की गई प्रारंभिक परीक्षा में ओबीसी समुदाय के बेहतर प्रदर्शन के सबूत के तौर पर सराहना की है. ओबीसी उम्मीदवार इसे आरक्षण नीति का एक गंभीर उल्लंघन बता रहे हैं.

उन्होंने आरोप लगाया कि आरपीएससी उनके लिए आरक्षित 26 प्रतिशत कोटा के तहत चयनित ओबीसी की संख्या को सीमित करने की कोशिश कर रहा है. सभी अनारक्षित सीटों को सामान्य श्रेणी के लिए आरक्षित माना जा रहा है. वे आरपीएससी के फैसले के खिलाफ राजस्थान उच्च न्यायालय जायेंगे.

कानून क्या कहता है?

कानून का निर्धारित सिद्धांत है कि सामान्य श्रेणी में कट-ऑफ से अधिक स्कोर करने वाले उम्मीदवार आरक्षित कोटा के तहत नहीं आते हैं. 2010 में कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग द्वारा जारी कार्यालय ज्ञापन में कहा गया: ‘एससी, एसटी और ओबीसी उम्मीदवार सीधे भर्ती के मामले में और एससी और एसटी उम्मीदवारों के पदोन्नति के मामले में, उनको योग्यता के आधार पर नियुक्त किया जायेगा, आरक्षण के तहत नही. आरक्षित कोटा के खिलाफ दिखाया जायेगा. उन्हें अनारक्षित कोटा के खिलाफ समायोजित किया जाएगा.’

पूर्व आईएएस अधिकारी अमर सिंह ने पुष्टि की कि यह वास्तव में एक मामला था. सिंह ने कहा, ‘सामान्य रूप से यह है कि पद सबके लिए है, न कि सिर्फ ब्राह्मणों और ठाकुरों के लिए.’

दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र के प्रोफेसर विवेक कुमार ने कहा कि आरपीएससी का कट-ऑफ निरर्थक है.

उन्होंने कहा, ‘जब तक आरपीएससी कुछ नए संशोधन के साथ नहीं आता हैं, यह कानून के खिलाफ है …. यह आरक्षण नीति को निष्फल कर रहा है.’

आरपीएससी की तर्कसंगतता

राजस्थान में ओबीसी वर्ग की जनसंख्या 50 प्रतिशत से अधिक है, ओबीसी उम्मीदवारों का कहना है कि उनके लिए 26 प्रतिशत तक सीटें आरक्षित हैं, जो प्रतिस्पर्धा और कट-ऑफ को बढ़ा देता है.

2016 की परीक्षा में चयनित आरएएस अधिकारी रामलाल चौधरी ने कहा, ‘ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि आरपीएससी ओबीसी उम्मीदवारों को 26 प्रतिशत आरक्षण तक सीमित करने की कोशिश कर रही है, भले ही वे सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों के मुकाबले बेहतर अंक प्राप्त कर रहे हों.’ आरक्षण का क्या मतलब है अगर आरक्षित श्रेणी के लिए कट ऑफ अधिक हो.

हालांकि आरपीएससी सदस्य टी.सी. बरवाल ने स्पष्ट किया: ‘आरपीएससी नियमों के तहत, हमें श्रेणीवर रूप से परिणामों को जारी करना अनिवार्य है, और क्योंकि ओबीसी श्रेणी के अधिक उम्मीदवार हैं, इसलिए उनका कट ऑफ अधिक है. यदि ओबीसी उम्मीदवार सामान्य उम्मीदवारों से बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं, तो उनका कट ऑफ स्वाभाविक रूप से अधिक होगा.’

उच्चतम न्यायालय में मामला

आरपीएससी के तर्क से असहमत ओबीसी उम्मीदवारों ने राजस्थान उच्चतम न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाया. उन्होंने 13,000 से 15,000 उम्मीदवारों के लिए राहत मांगने की याचिका दायर की है.

हालांकि पहली बार ऐसा नहीं हुआ है. 2013 और 2016 में भी ओबीसी का कट-ऑफ सामान्य श्रेणी से अधिक था. जिसने ओबीसी उम्मीदवारों को अदालत में जाने के लिए मजबूर किया था.

ओबीसी श्रेणी से संबंध रखने वाले आरएएस अधिकारी चौधरी ने कहा, ‘हालांकि हर बार हमें अदालत द्वारा अंतरिम राहत प्रदान की गई है. लेकिन एक निर्णायक फैसला अभी तक नहीं लिया गया है.’

उन्होंने बताया, ‘पिछली बार, अदालत ने कहा था कि सभी ओबीसी उम्मीदवार, जो ओबीसी और सामान्य वर्ग के कट-ऑफ के बीच स्कोर कर रहे थे उनको लिया जायेगा. लेकिन इस बार भी फिर वैसा ही हुआ है.’

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