पूर्व सहयोगी टीडीपी और सीपीआई का कहना है कि सरकार कि ज़िम्मेदारी यह है कि यह सुनिश्चित करे कि संसद का कार्य सुचारु रूप से चलता रहे और वे अपने मुद्दों को उठाना जारी रखेंगे।
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय संसदीय मामलों के मंत्री अनंत कुमार के दृढ़ विश्वास, कि बुधवार से शुरू हो रहे मानसून सत्र में संसद सुचारु रूप से कार्य करेगा, दिखाने के कुछ घंटों बाद विपक्षी दलों ने फिर से दोहराया कि यदि उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर विचार नहीं किया जाएगा तो चीजें “सुचारु” रूप से नहीं चलेंगी।
दिप्रिंट से बात करते हुए तेलुगू देशम पार्टी के राज्यसभा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री वाई.एस. चौधरी ने कहा कि “सुचारु कार्यप्रक्रिया” का दायित्व सरकार के कंधों पर है न कि यह विपक्ष कि ज़िम्मेदारी है।
चौधरी, जिनकी पार्टी ने मार्च में इस मुद्दे पर एनडीए को छोड़ दिया था, ने कहा, “हमारी एक मांग है कि आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा दिया जाये और हमने उन्हें बताया था कि हम इसे उठाएंगे। उन्होंने हमें बताया कि हमें विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं होना चाहिए और संसद को उसका कार्य करने देना चाहिए। लेकिन हमने कहा कि संसदीय कार्य प्रक्रिया के तहत विरोध दर्ज कराने की अनुमति होती है।”
“यदि वे आंध्र प्रदेश के विषय पर ध्यान नहीं देंगे तो हम विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे।”
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय सचिव डी. राजा ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री से चर्चा की थी कि भीड़ द्वारा हत्याओं से लेकर दलित अत्याचारों तक बहुत सारे ऐसे मुद्दे हैं जिन पर सरकार को ध्यान देना चाहिए।
“हमने सरकार को बताया कि वे मुद्दों को उठाने दें और इसके लिए अनुकूल वातावरण बनाएँ। यदि आप विपक्ष को जगह या अनुमति नहीं देते हैं तो लोकतन्त्र का क्या मतलब है? मुद्दों को उठाना हमारा अधिकार है। प्रधानमंत्री ने चिंताओं पर ध्यान दिया है और हमें आश्वासन दिया है।”
बैठक मे मौजूद सूत्रों ने कहा कि कॉंग्रेस बहुत ज्यादा सक्रिय नहीं थी और सिर्फ दूसरी पार्टियों द्वारा कही जाने वाली बातों को दोहरा रही थी। एक अन्य पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “वे अन्य पार्टियों पर निर्भर थे और दूसरों के उठाए गए मुद्दों को उठा रहे थे।”
सरकार का बयान
सभी पार्टियों की एक बैठक में एक सरकारी वक्तव्य ने प्रधानमंत्री मोदी को यह कहते हुए उद्धृत किया कि सरकार सभी राजनीतिक दलों द्वारा उठाए गए मुद्दों को बहुत महत्व देती है। मोदी ने “राष्ट्र की भलाई” के लिए मानसून सत्र में रचनात्मक माहौल बनाने के लिए सभी पक्षों से सामूहिक रूप से प्रयास करने का आग्रह भी किया।
सरकार ने कहा कि, “बैठक के दौरान पार्टियों के नेताओं ने कई मुद्दों को उठाया। बिना किसी हंगामे के संसद की सुचारु कार्यवाही सुनिश्चित करने के लिए सभी पार्टी लाइनों में सर्वसम्मति थी और दोनों सदनों मे रचनात्मक चर्चाओं के माध्यम से गतिरोधों का हल निकाला जाएगा।”
भाजपा के सहयोगियों ने क्या कहा?
बैठक में उपस्थित एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि भाजपा के सहयोगी उन मुद्दों पर बहुत मुखर नहीं थे जो वे उठाना चाहते थे।
नेता ने कहा, “हालांकि सहयोगियों ने अपने-अपने मुद्दों को उठाया, लेकिन वे उन मुद्दों पर बहुत दृढ़ नहीं थे। अपने मूल वोट बैंकों पर ध्यान देने के लिए उन्हें सरकार पर कुछ दबाव डालना होगा।”
लोक जनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान एक अपवाद थे क्योंकि उन्होंने दलितों के खिलाफ अत्याचारों को रोकने के लिए कानून बनाने के साथ-साथ पदोन्नति में आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए संशोधन लागू करने का मुद्दा उठाया था।
भाजपा की तरफ से गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने बैठक मे भाग लिया तथा विजय गोयल और अर्जुन राम मेघवाल जैसे राज्य मंत्री भी इसमें शामिल हुए।
Read in English : PM confident Parliament will function smoothly, opposition says conditions apply