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Thursday, 21 November, 2024
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सबरीमाला प्रदर्शन में अब तक 3,345 गिरफ्तार, 517 से अधिक मामले दर्ज

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सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर को अपने फैसले में 10 से 50 साल तक की उम्र की महिलाओं के सबरीमाला मंदिर में प्रवेश पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया था.

तिरुवनंतपुरम: केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के मामले में 26 अक्टूबर से अब तक कुल 3,345 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं, जबकि राज्य भर में विभिन्न पुलिस थानों में 517 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं. अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी.

पुलिस के मुताबिक, अभी तक केवल 122 प्रदर्शनकारी रिमांड में हैं जबकि अन्य को जमानत पर रिहा कर दिया गया है.

सबरीमाला तंत्री परिवार के सदस्य और कार्यकर्ता राहुल ईश्वर को रविवार सुबह तिरुवनंतपुरम में गिरफ्तार किया गया. उन्हें कोच्चि ले जाया गया है.

पुलिस को शिकायत मिली थी कि राहुल ईश्वर ने पिछले सप्ताह कोच्चि में एक संवाददाता सम्मेलन में इस मुद्दे पर भड़काऊ टिप्पणी की थी जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया.

पिछले 12 घंटों में पथनामथित्ता जिले, जहां भगवान अयप्पा का मंदिर स्थित है, के साथ ही तिरुवनंतपुरम, कोझिकोड, एर्नाकुलम के पुलिस स्टेशनों में 500 से ज्यादा गिरफ्तारियां दर्ज की गईं हैं.

पुलिस के मुताबिक, अभी तक केवल 122 प्रदर्शनकारी रिमांड में हैं जबकि अन्य को जमानत पर रिहा कर दिया गया है.

केरल पुलिस प्रमुख लोकनाथ बेहरा ने निर्देश दिया है कि उन लोगों की गिरफ्तारी नहीं होनी चाहिए जिन्होंने भजन और प्रार्थनाओं के जरिए अपना विरोध जाहिर किया था.

सर्वोच्च न्यायालय ने 28 सितंबर को अपने फैसले में 10 से 50 साल तक की उम्र की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया था.

गिरफ्तारियों का बचाव करते हुए मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राज्य सचिव कोदियेरी बालाकृष्णन ने रविवार को मीडिया को बताया कि कानून के शासन का उल्लंघन होने पर होने वाली यह सामान्य पुलिस कार्रवाई है.

बालाकृष्णन ने सवालिया लहजे में कहा, ‘पिछले कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ शासन के दौरान, हमारे कार्यकर्ताओं के खिलाफ चार लाख से ज्यादा मामले दर्ज किए गए थे. क्या नियमों को तोड़ने पर पुलिस का कार्रवाई करना स्वभाविक नहीं है?’

17 अक्टूबर को मंदिर को पांच दिन की मासिक पूजा के लिए खोला गया था. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने हर तरीके से यह सुनिश्चित किया कि 10 से 50 आयु वर्ग की कोई महिला मंदिर में दाखिल न हो सके.

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