यह अध्यादेश मुस्लिम विमेन (प्रोटेक्शन ऑफ़ राइट्स ऑन मैरेज) विधेयक पर आधारित है जो पिछले साल लोकसभा द्वारा पारित किया गया था, लेकिन राज्यसभा में उसे विपक्ष के कठोर प्रतिरोध का सामना करना पड़ा.
नई दिल्ली: मोदी सरकार ने एक अध्यादेश को मंज़ूरी दे दी है जो तीन तलाक़ को एक (मुस्लिम आबादी के बीच प्रचलित तत्काल तलाक़ देने की एक प्रथा ) दंडनीय अपराध की श्रेणी में डाल देगी.
यह अध्यादेश मुस्लिम विमेन (प्रोटेक्शन ऑफ़ राइट्स ऑन मैरेज) विधेयक पर आधारित है जो पिछले साल लोकसभा द्वारा पारित किया गया था, लेकिन राज्यसभा में विपक्ष के कठोर प्रतिरोध का भागी बना. वहां विधेयक को एक “सिलेक्ट कमिटी” (प्रवर समिति) के समक्ष भेजे जाने की सिफारिश की.
विधेयक के मुताबिक ट्रिपल तलाक़ को तीन साल के कारावास के साथ एक संज्ञेय और गैर जमानती अपराध बनाया जाना था – एक ऐसा क़दम जिसका कई विपक्षी नेताओं ने यह कहकर विरोध किया था कि यह मुस्लिम महिलाओं को फायदा पहुंचाने से ज़्यादा मुस्लिम पुरुषों को नुकसान पहुंचाने का लक्ष्य रखता था.
अगस्त में, सरकार ने विपक्ष की मुख्य मांगों को स्वीकार कर लिया और ड्राफ्ट बिल में संशोधन को मंजूरी दे दी, जिसके अनुसार केवल तीन तलाक पीड़ित या उसके रक्त सम्बन्धी ही शिकायत दर्ज कर सकते थे. इसके अलावा, सरकार ने मजिस्ट्रेट को ऐसे मामलों में ज़मानत देने की अनुमति प्रदान की.
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सुप्रीम कोर्ट का प्रतिबंध
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल ट्रिपल तलाक़ को असंवैधानिक घोषित कर दिया था, लेकिन सरकार ने कहा था कि इसके अलावा एक और क़ानून लाने की आवश्यकता थी जो इस प्रथा को अपराध घोषित करे.
इसके पीछे कारण बताया गया कि क्योंकि सर्वोच्च अदालत के फैसले के बावजूद यह प्रथा बदस्तूर लगातार जारी थी और मुस्लिम महिलाएं कानूनी व्यवस्था का आश्रय नहीं ले सकती थी क्योंकि उनके लिए कोई कानून ही नहीं था.
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, जो ट्रिपल तालक को अपराध बनाने के सरकार के प्रयासों में सबसे आगे हैं, ने कहा कि 2017 में तत्काल ट्रिपल तालाक के 389 मामले थे और बिल पेश किए जाने के बाद 94 ऐसे मामले दर्ज किए गए थे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई अवसरों पर मुस्लिम महिलाओं की “पीड़ा” का आह्वान किया है और उन्हें रूढ़िवादी धार्मिक प्रथाओं के चंगुल से मुक्त करने का वादा किया है. इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से बोलते हुए उन्होंने कहा, “मैं यह सुनिश्चित करने में कोई भी कसर नहीं छोडूंगा कि मुस्लिम महिलाएं तीन तालक के कारण पीड़ित न हों.”
मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में खड़े न होने के लिए सरकार ने कई बार विपक्ष को और विशेष रूप से कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की है.
“आप सिर्फ कांग्रेस की नेता नहीं हैं, आप एक राष्ट्रीय नेता भी हैं. आप अपने परिवार की विरासत के बारे में बात करती रहती हैं … क्या आप महिलाओं के न्याय, सम्मान और आदर के लिए खड़ी होंगी? या आप विधेयक का विरोध करना जारी रखेंगी? ” प्रसाद ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी से कहा था.
हालांकि, सरकारी सूत्रों के मुताबिक, भाजपा सरकार की अपनी महिला और बाल विकास मंत्री ने आंतरिक रूप से बिल का विरोध किया था, और जब सरकार ने उनके विरोध के बावजूद इसके साथ जाने का फैसला किया तो खुद को सार्वजनिक रूप से इससे अलग कर लिया.
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अगली बारी ‘निकाह हलाला’ की
ट्रिपल तलाक के रास्ते से हट जाने की सूरत में सरकार के निकाह हलाला की प्रथा पर अपना ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद है – जो वर्तमान में सब ज्यूडिस है.
इस्लाम में, यदि कोई व्यक्ति अपनी पत्नी को तीन बार तलाक देता है – पूरी प्रक्रिया का पालन करने के बाद, तत्काल तलाक से नहीं – वह उसके लिए हराम (वर्जित) हो जाती है. अगर वे पुनर्विवाह करना चाहते हैं, तो महिला को किसी अन्य व्यक्ति से शादी करने की आवश्यकता है, जिस विवाह के बाद उसे तलाक देना होगा.
सुप्रीम कोर्ट में दिए जानेवाले हलफनामे में, केंद्र द्वारा इस प्रथा का विरोध किये जाने की उम्मीद है और सरकार इस मुक़दमे में भी ट्रिपल तलाक़ वाली दलीलें ही दोहराएगी : पड़ोसी पाकिस्तान और बांग्लादेश समेत इस्लामी देशों के उदहारण जिन्होंने इन प्रथाओं को त्याग दिया है.
Read in English : Modi govt takes the ordinance route to criminalise triple talaq