सरकार का उद्देश्य तीन महीने में पोर्टल लॉन्च करके आपत्तिजनक सामग्री को चिन्हित करके हटाना है।
नई दिल्ली: मोदी सरकार एक पोर्टल लॉन्च करने के लिए पूरी तरह तैयार है और उम्मीद है कि यह चाइल्ड पोर्नोग्राफी, रेप वीडियो और छवियों एवं वास्तविक समय में उनके परिसंचरण को रोकने के लिए एक इकलौते ऑनलाइन हथियार के रूप में काम करेगा।
इस तरह के साइबर क्राइम से निपटने का निर्णय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित एक गुप्त बैठक में लिया गया था, इसकी अध्यक्षता इस विभाग की मंत्री मेनका गाँधी ने की थी।
नाम न बताने की शर्त पर एक डब्ल्यूसीडी अधिकारी ने बताया कि उम्मीद है कि पोर्टल, जिसे गृह मंत्रालय द्वारा लांच किया जायेगा, अगले तीन महीने में तैयार हो जायेगा और कार्य करने लगेगा।
प्रारंभ में यह एक शिकायत आधारित पोर्टल होगा जिसमें ब्लॉक करने की प्रक्रिया की शुरुआत आपत्तिजनक सामग्री के बारे में शिकायत प्राप्त होने के बाद ही शुरू की जाएगी। धीरे-धीरे इसमें रिपोर्ट करने का फीचर जोड़ा जायेगा, जहाँ एक व्यक्ति पोर्टल की लिंक को रिपोर्ट करके आपत्तिजनक सामग्री को चिन्हित करने में सक्षम होगा।
केंद्र को उम्मीद है कि अंततः पोर्टल को इस तरह विकसित किया जायेगा कि यह अपने आप आपत्तिजनक सामग्री का पता लगा लेगा और ब्लॉक करने की एक आटोमेटिक प्रक्रिया शुरू करेगा।
अधिकारी ने कहा कि “इस विचार से यह सुनिश्चित करना है कि हर एक उत्पीड़ित व्यक्ति को कानूनी प्रक्रिया से गुजरने की जरूरत न पड़े।” अधिकारी ने आगे कहा कि यह भी सुनिश्चित करना है कि शिकायतकर्ताओं को एक लम्बी प्रक्रिया से न गुजरना पड़े।
कानून में बदलाव नहीं
अधिकारी ने कहा कि मंत्रालय पोर्नोग्राफी को नियंत्रित करने वाले मौजूदा कानूनों को बदलने की कोशिश में नहीं है बल्कि यह सिर्फ रेप, गैंग रेप, रिवेंज पोर्न (बदला लेने के लिए फिल्माया गया) और चाइल्ड पोर्नोग्राफी जैसी अवैध सामग्री को टारगेट करना चाहता है।
अधिकारी ने कहा कि इस समस्या से लड़ने के लिए सरकार को अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन बनाने की आवश्यकता होगी क्योंकि इस तरह की सामग्री का एक बड़ा हिस्सा अंतर्राष्ट्रीय स्रोतों से आता है।
विभिन्न गठजोड़ों में से कनाडा के अरैक्निड, जो बाल यौन दुर्व्यवहार वीडियोज़ की ऑनलाइन उपलब्धता को कम करने के लिए एक स्वचालित क्रॉलर है, के साथ गठबंधन पेचीदा और आमूल परिवर्तनवादी होगा क्योंकि यह क्रॉलरों को आक्रामक रूप से आपत्तिजनक सामग्री की खोज करने की अनुमति देगा। अधिकारी ने कहा कि यंत्र को इस प्रकार कार्य करना है कि क्रॉलरों के लिए बहुत सारे भारतीय नेटवर्क न खोले जाएँ इसलिए गोपनीयता की सुरक्षा हेतु उनका हिसाब-किताब लगाया जायेगा।
फिर व्हाट्सएप जैसे मैसेजिंग ऐप के माध्यम से ऐसी सामग्री के प्रचार की समस्या है। जबकि मेनका गांधी व्हाट्सएप सामग्री के डि-एन्क्रिप्शन के लिए दबाव डालने के लिए इच्छुक नहीं हैं, क्योंकि यह एक गोपनीयता की समस्या भी हो सकती है, वहीं फेसबुक, जो मैसेजिंग सेवा का मालिक है, के माध्यम से शेयर होने वाली सामग्री के लिए एक तंत्र को समझने के लिए इसके साथ परामर्श किया जा रहा है।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा वित्त पोषण
पोर्टल को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित किया जायेगा। गाँधी की अध्यक्षता में हितधारकों की चर्चा में, गृह मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, सीबीआई और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग जैसे विभिन्न सरकारी विभागों के अलावा ट्विटर और फेसबुक सहित कई सोशल मीडिया एजेंसियों के प्रतिनिधि भी मौजूद थे।
पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मुद्दे पर जोर दिया था और निर्देश दिया था कि गैंग रेप वीडियोज़ के परिसंचरण को रोकने के लिए गृह मंत्रालय और आईटी मंत्रालय तथा गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, याहू जैसी कंपनियों द्वारा एक पैनल का गठन किया जाए।
Read in English: India plans to start a website to fight revenge and child porn