राज्य सभा सचिवालय ने चैनल की कंप्लेंट कमिटी का किया पुनर्निर्माण, आरोपी से जूनियर अफसर को किया नियुक्त
नई दिल्ली: राज्य सभा टीवी (आरएसटीवी) के एक शीर्ष एंकर ने आरोप लगाया है कि उनके द्वारा राज्यसभा सचिवालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज किये एक महीना बीत चुका है लेकिन अबतक कोई कार्रवाई नहीं की गयी है.
इसके उलट, राज्यसभा सचिवालय ने चैनल की आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी, जोकि शिकायतकर्ता की ही देखरेख में चल रहा था) का पूरी तरह से पुनर्निर्माण कर दिया है और पैनल के प्रमुख के पद पर संयुक्त सचिव स्तर के एक अधिकारी को नियुक्त किया है .
यह संयुक्त सचिव स्तर का अधिकारी यौन उत्पीड़न के आरोपी अधिकारी से वरीयता क्रम में नीचे है.
आरोपी अधिकारी एए राव राज्यसभा सचिवालय में अतिरिक्त सचिव हैं और भारत के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा अध्यक्ष एम वेंकैया नायडू के करीबी माने जाते हैं.
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एंकर ने आरोप लगाया है कि राव ने बार-बार उन्हें मेसेज भेजे, उनके काम में हस्तक्षेप किया, और उनके बारे में आपत्तिजनक और “यौन भावनाओं से युक्त” टिप्पणी की. उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि शिकायत दर्ज कराने के बाद राव उनका जीवन “कठिन” बना रहे हैं.
आरएसटीवी के एक स्रोत ने दावा किया कि पूरे आईसीसी का पुनर्गठन करने का सचिवालय का निर्णय नियमों के खिलाफ था. “समिति की अवधि को मनमाने ढंग से कम नहीं किया जा सकता है. अगर समिति सदस्यों में से किसी एक के बारे में शिकायत पर विचार कर रही थी, तो वह सदस्य बैठकों से बाहर रह सकती था”, सूत्र ने दिप्रिंट को बताया.
एक अन्य स्रोत ने आरोप लगाया कि राव इस मामले को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे थे क्योंकि नियमानुसार , इस मामले को सचिवालय की शिकायत समिति द्वारा देखा जाना चाहिए था. “राव सचिवालय में हैं, इसलिए उनके खिलाफ़ मामला सचिवालय की आईसीसी में जाना चाहिए. लेकिन वह नहीं चाहते कि केस सचिवालय जाए. वह इस मामले को आरएसटीवी की एक कमज़ोर और उनके हिसाब से चुनी गयी समिति के सम्मुख प्रस्तुत करना चाहते हैं,” इस स्रोत ने आरोप लगाया.
दिप्रिंट द्वारा टिप्पणी के लिए संपर्क किये जाने पर राव ने कहा कि उन्हें शिकायत की औपचारिक प्रति प्राप्त नहीं हुई है, और जब वह समिति के समक्ष जाएंगे तो “प्रभावी ढंग से और बराबर ज़ोर” से अपनी बात रखेंगे.
हालांकि, उनके करीबी अधिकारियों ने कहा कि आईसीसी का पुनर्गठन आरएसटीवी के सीईओ का विशेषाधिकार था और राव की इसमें कोई भूमिका नहीं थी.
आरएसटीवी के एडिटर-इन-चीफ राहुल महाजन ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया. राज्यसभा सचिवालय के सचिव पीपीके रामचर्युलु ने आश्वासन दिया कि यौन उत्पीड़न की शिकायत पर कार्रवाई की जाएगी.
कथित रूप से क्या हुआ
एंकर ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि उपराष्ट्रपति नायडू का करीबी होने के कारण राव के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है. राव एक भारतीय सूचना सेवा अधिकारी हैं और वर्षों से नायडू की ओर से मीडिया संभाल रहे हैं.
एंकर ने अपनी शिकायत अपने वरिष्ठों को चिह्नित की है और उपराष्ट्रपति को एक पत्र भी लिखा है.
अपने वरिष्ठ सहयोगियों को ईमेल में, एंकर ने आरोप लगाया कि राव बुलेटिन के बीच टेक्स्ट संदेशों के माध्यम से उनके काम में हस्तक्षेप कर रहे थे. वे ऐसा ऐंकर द्वारा एक शो के दौरान पूछे गए प्रश्नों के बारे में पूछने के बहाने कर रहे थे.
उसने कहा कि उनके जवाब नहीं देने पर राव ने और संदेश भेजे. आखिरकार, जब वह शूट के बाद व्यक्तिगत रूप से उनसे मिले, तो उन्होंने कथित रूप से उनसे मज़ाक करते हुए टिप्पणी की कि अब वह बूढ़े आदमी (राव) के संदेशों का जवाब नहीं देती क्योंकि एडिटर-इन-चीफ महाजन के रूप में उन्हें कार्यालय में एक नया प्यार मिला है.
उन्होंने कहा कि यह एक जूनियर के सामने की गयी एक “यौन विचारों वाली ” टिप्पणी थी, जिसे उन्होंने आपत्तिजनक पाया.
विच-हंट और मानसिक यातना
एंकर ने हाल ही में आरएसटीवी के वरिष्ठ प्रबंधन को यह बताते हुए दो और ईमेल लिखे कि उन्होंने राव के खिलाफ एक महीने पहले शिकायत दर्ज कराई थी और उपराष्ट्रपति नायडू को एक पत्र भी लिखा था, लेकिन राव के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें राव के आदेश पर परेशान किया जा रहा था, और उनके यात्रा बिलों और परिवहन से सम्बंधित कुछ पुराने मुद्दों को लेकर उन्हें परेशान किया जा रहा था. उन्होंने कहा कि मुद्दे को काफी पहले ‘सेट्ल’ किया जा चुका था और अब जो हो रहा था वह एक विच-हंट और मानसिक यातना से कम नहीं था.
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एंकर को एक महीने पहले काफी डांट पड़ी थी और उन्हें “ऑफ एयर” जाने के लिए कहा गया था क्योंकि उन्होंने स्टूडियो में एक अतिथि से अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा 1942 में दी गयी उस अंडरटेकिंग के बारे में पूछ लिया था जिसमें उन्होंने ब्रिटिश विरोधी गतिविधियों में शामिल न होने की शपथ ली थी. यह अस्पष्ट है कि क्या यह उनके “विक्टिमाइज़ेशन” के अन्य आरोपों से संबंधित है.
उपराष्ट्रपति को पत्र
उपराष्ट्रपति को अलग से लिखे एक पत्र में, एंकर ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण था कि भारत के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा अध्यक्ष के उच्च कार्यालय महिला उत्पीड़न के इस मामले में विधि और नियम द्वारा स्थापित अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में नाकाम रहे थे.
एंकर ने कहा, “मेरे लिए एक ऐसे वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ औपचारिक शिकायत दर्ज कराना और उनका विरोध करने का साहस इकट्ठा करना कभी आसान नहीं था जो खुले तौर पर आपसे अपनी निकटता का प्रदर्शन करता है.”
“मुझे न्याय चाहिए और मैं यह बताना चाहती हूँ कि कि यदि मुझे न्याय नहीं मिला तो मैं नेशनल कमीशन फॉर वीमेन या/और अदालत से शिकायत करूंगी.
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