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Saturday, 21 December, 2024
होमशासनइस गाँव में ऐसा कौन सा रहस्य है जिसे हिन्दू और मुसलमान दोनों ही सीने में दबाये बैठे हैं

इस गाँव में ऐसा कौन सा रहस्य है जिसे हिन्दू और मुसलमान दोनों ही सीने में दबाये बैठे हैं

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जाट बहुल आबादी वाले गाँव टिटौली के निवासियों ने उन ख़बरों का खंडन किया है जिनमें दावा किया गया था कि गाँव के मुस्लिम निवासियों को अपने धार्मिक पहचान  चिन्हों को छोड़ने पर मजबूर किया जा रहा था.

टिटौली,रोहतक: हरियाणा के टिटौली का गांव ने एक रहस्य छुपा रखा है और केवल 550 लोगों को इसकी जानकारी है.

गुरुवार को आई रिपोर्ट के बाद यह खुलासा हुआ कि इस जाट बहुल गाँव में एक बैठक आयोजित की गयी थी जिसमें मुस्लिम समुदाय के सभी सदस्यों को अपने धार्मिक पहचान चिन्हों से छुटकारा पाने का आदेश दिया गया था. हालाँकि लगभग सभी ग्रामीण – हिंदू और मुस्लिम – एक सुर से इस खबर का खंडन कर रहे हैं.

इन तथ्यों में कोई संशय नहीं है : मंगलवार को टिटौली में सरकारी स्कूल के मैदान में पंचायत आयोजित की गयी थी. इस पंचायत में सभी जातियों, धर्मों और समुदायों से लगभग 550 लोगों ने भाग लिया था. बैठक में पिछले महीने हुई 22 वर्षीय मुस्लिम लड़के यमीन की गिरफ्तारी पर चर्चा हुई थी जिसपर एक बछड़े की हत्या का आरोप था.

हालांकि, रिपोर्टों से पता चलता है कि गांव के मुस्लिम निवासियों को टोपी पहनने, लम्बी दाढ़ी रखने या किसी भी सार्वजनिक स्थान में नमाज़ न अदा करने को कहा गया था. मुस्लिमों को हिंदू नाम रखने के लिए भी कहा गया था.

यह भी फैसला किया गया था कि गांव के मध्य में स्थित ज़मीन का बड़ा टुकड़ा, जिसे मूल रूप से कब्रिस्तान के तौर पर रखा गया था, को स्थानीय पंचायत द्वारा अधिगृहित किया जाएगा और कब्रिस्तान के लिए गाँव के बाहरी इलाके में जगह आवंटित की जायेगी.


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स्थानीय अधिकारियों के दबाव के चलते टिटौली के निवासी अब दावा कर रहे हैं कि इन ख़बरों में कोई सत्यता नहीं है और पंचायत केवल शांति बनाने के लिए बुलाई गयी थी.

कोई हिन्दू-मुसलमान विवाद नहीं है

गुरुवार को, टिटौली गाँव में में कम से कम 20 हिंदू बुज़ुर्गों ने पंडित गंगा शास्त्री को अपनी ओर से दिप्रिंट से बात करने के लिए चुना.

शास्त्री ने दिप्रिंट को बताया,”इस गांव में हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच कोई विवाद नहीं है. दरअसल यह पंचायत उन्होंने (मुस्लिमों ने) ही बुलाई थी. वे एक महीने पहले हुई बछड़े की हत्या के लिए माफ़ी मांगकर शान्ति बहाल करना चाहते थे.
बुज़ुर्गों ने उनके बयान का समर्थन किया और दिप्रिंट से हाथ जोड़कर यह गुज़ारिश की कि वे “अनावश्यक सवाल पूछकर माहौल न खराब करें.”

यह पूछे जाने पर कि क्या यमीन का परिवार अब भी वहीँ रहता है, गांव के एक बुज़ुर्ग ने पहले तो मना किया पर फिर बाद में हाँ में जवाब दिया. गांव के मुस्लिम नेता राजबीर के बारे में पूछे जाने पर भी इसी तरह की भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई.
उनमें से कम से कम पांच ने कहा, “यहां कोई राजबीर नहीं है” लेकिन उसके ठीक बाद आवाज़ें आयीं: “उनको बस बता दो कि राजबीर कहाँ है, इसमें कोई दिक्कत नहीं है.”

शास्त्री दिप्रिंट की कार तक आये, दरवाज़ा खोला, अंदर आये और कहा “आप इस खबर को सनसनीखेज़ बनाने के लिए अपने हिसाब से तोड़-मरोड़ कर पेश करने जा रही हैं. फिलहाल यहाँ कोई विवाद नहीं है लेकिन आपके रहने से ज़रूर हो जाएगा. आपका यहाँ से चले जाना ही सबसे अच्छा होगा”.

हिन्दू नाम वाला मुसलमान

राजबीर एक असली इंसान हैं, छलावा नहीं.

टिटौली की गलियों में और अंदर जाने पर आपको एक बेहाल तालाब मिलेगा जहाँ राजबीर ने दुकान खोल रखी है. उन्होंने भी यही कहा कि पंचायत मुस्लिम समुदाय द्वारा हिन्दुओं से भाईचारा बढ़ाने के उद्देश्य से बुलाई गयी थी.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया – “मेरे पिता का नाम रतन था, मेरे भतीजों के नाम महावीर और सागर हैं. इस इलाके में मुसलामानों के हिन्दू नाम रखने का रिवाज़ काफी समय से चला आ रहा है , शायद विभाजन से भी पहले से.”

राजबीर बताते हैं कि टिटौली में मुस्लिम समुदाय के बीच नमाज़ अदा करने की परंपरा कभी नहीं रही “क्योंकि अधिकांश ग्रामवासी अनपढ़ हैं. हमने कभी लम्बी दाढ़ी भी नहीं रखी है इसलिए यह फरमान जिसकी आप बात कर रही हैं, वह सही नहीं हो सकता.”

गाँव के मुस्लिम बुज़ुर्ग , राजबीर | नंदिता सिंह , दिप्रिंट

 

उन्होंने पूछा -“हमने तो अपने समुदाय की तरफ से स्थानीय गोशाला को 11,000 रुपये दान में भी दिए थे. अगर हमारे बीच डर होता तो हम ऐसा क्यों करते? ”

राजबीर ने यह भी कहा कि मुस्लिम समुदाय कब्रिस्तान को स्थानांतरित करने की ज़रूरत को समझता है क्योंकि पहले वह इलाका गाँव के बाहर पड़ता था लेकिन समय के साथ गाँव बढ़ता गया और कब्रिस्तान के चारों और फ़ैल गया.

‘यह सब सच है’

हालांकि, गांव की दो महिलाओं ने एक अलग ही कहानी सुनाई और वे पुरुषों की अनुपस्थिति में ही बात करने को तैयार हुईं.

एक 25 वर्षीय महिला ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, “हमारे ऊपर बहुत दबाव है, लेकिन कोई भी बात नहीं करेगा क्योंकि हर कोई डरता है. हमने एक साल पहले एक छोटे से इलाके में नमाज़ पढ़नी शुरू की थी , लेकिन पिछले महीने बछड़े की हत्या के बाद वह सब बंद हो गया ”

महिला ने कहा कि जब वह पंचायत के दिन 3 बजे खेत से वापस आई तो उसने सभी मुस्लिम घरों में ताले बंद पाए और किसी की कुछ समझ नहीं आया.

उन्होंने आगे कहा, “यह सब सच है, उन्होंने हमें नमाज़ पढ़ने और पुरुषों को दाढ़ी रखने से रोक दिया है. एक आदमी जो टोपी पहनता था वह भी डर के मारे गांव से बाहर चला गया है. ”

टिटौली गाँव | नंदिता सिंह , दिप्रिंट

महिला ने कहा कि बछड़े की हत्या इसलिए की गई थी क्योंकि बछड़े ने स्कूल जा रही यमीन की भतीजी पर हमला किया था. “लेकिन चूंकि यह घटना बकरीद के दिन हुई थी, इसलिए उन्होंने हमपर बछड़े को मारकर खाने का आरोप लगाया.”
यमीन को 23 अगस्त को बछड़े की मौत के जुर्म में गिरफ्तार किया गया था और वर्तमान में वह जेल में है. इन आरोपों की वजह से बेकाबू भीड़ ने उसके परिवार पर भी हमला किया था

गांव की ही एक और 22 वर्षीय महिला ने कहा कि मुस्लिम समुदाय को धीरे-धीरे खुद की पहचान मिटाने पर मजबूर किया जा रहा था. “अगर आप हिन्दुओं को उनकी परम्पराएं छोड़ने को कहेंगे तो क्या वे मानेंगे? तो फिर हम क्यों मानें? “,उक्त महिला ने नाम न लेने की शर्त पर बताया.

दोनों ही महिलाओं ने उनकी पहचान सामने आने की सूरत में खुद को निशाना बनाये जाने का भय व्यक्त किया.

पुलिसिया संस्करण

टिटौली पुलिस पोस्ट सहायक सब-इंस्पेक्टर नफरे सिंह ने कहा कि वह पंचायत में उपस्थित नहीं थे और उन्हें उसकी जानकारी अगले दिन ही मिली.

सिंह ने बैठक को लेकर अनभिज्ञता जताते हुए कहा, “हिन्दुओं और मुस्लिमों के बीच कोई तनाव नहीं है.”
हालांकि राजबीर का दावा है कि वे बैठक में उपस्थित थे. उन्होंने कहा, “टिटौली के प्रभारी नफरे के अलावा वहां कोई पुलिस का आदमी नहीं था.”


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रोहतक के पुलिस अधीक्षक जशनदीप सिंह रंधावा ने दिप्रिंट को बताया कि प्रेस गलत तथ्य प्रस्तुत कर रही है. “मुस्लिम समुदाय ने पंचायत, समुदाय में शांति और भाईचारा बहाल करने के लिए बुलाई थी और दाढ़ी या टोपी के बारे में ऐसा कोई फरमान नहीं जारी किया गया है.”

रंधावा के मुताबिक यह गलत सूचना “2-3 असामाजिक तत्वों” द्वारा फैलाई गयी थी जो प्रेस से बात कर विवाद को हवा देना चाहते थे.”

Read in English: All the Hindus and Muslims in this Haryana village are in on a terrible secret .

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