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Friday, 22 November, 2024
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सीआईए के लिए विहिप और बजरंग दल उग्रवादी संगठन हैं पर अफ़ग़ान तालिबान नहीं

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पाकिस्तान में केवल एक ही इकाई राजनीतिक दबाव समूह के रूप में अपना बोलबाला रखती है और वह है पाकिस्तान उलेमा काउंसिल, जिसके चीफ ने कथित तौर पर 2013 में आत्मघाती हमलों को प्रोत्साहित किया था।

नई दिल्ली: सीआईए वर्ल्ड फैक्टबुक ने विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और बजरंग दल को आतंकवादी धार्मिक संगठनों के रूप में टैग करके सुर्खियां बनाई हैं, लेकिन यह भारत के अशांत पड़ोस में नामी चरमपंथी संगठनों के लिए ऐसा कोई वर्गीकरण नहीं करता है।

‘राजनीतिक दबाव समूह’ नामक शीर्षक के अंतर्गत इन दोनों समूहों को सूचीबद्ध किया गया है लेकिन इस शीर्षक में अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसी द्वारा इसकी नवीनतम फैक्टबुक अपडेट में पाकिस्तान समेत दक्षिण एशिया के अन्य देशों से एक भी समूह के नाम को आतंकवादी या आतंकवादी धार्मिक संगठन के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया है।

यहां तक कि अफगान तालिबान अपने देश में राजनीतिक दबाव समूह के रूप में सूचीबद्ध है।

बहुत लोगों को आश्चर्य होगा कि पाकिस्तान में केवल एक ही इकाई राजनीतिक दबाव समूह के रूप में अपना बोलबाला रखती है और वह है पाकिस्तान उलेमा काउंसिल, जिसके चीफ हाफिज़ ताहिर अशरफ़ी ने कथित तौर पर 2013 में आत्मघाती हमलों को प्रोत्साहित किया था।

एक अफ़ग़ान चैनल ने अशरफी की एक फुटेज रिकॉर्ड की थी, जिसमें बयान था, “मेरा मानना है कि फिलिस्तीन पर इजराइल द्वारा, कश्मीर पर भारत द्वारा और अफ़ग़ानिस्तान पर अमेरिका द्वारा कब्ज़ा कर लिया गया है। इसलिए, यदि निर्दोष मुसलमानों के पास परमाणु बम नहीं हैं तो उनके पास जीवन है और वे अल्लाह के लिए अपने जीवन का त्याग करते हैं … ”

हालांकि, चूंकि अफगान अधिकारियों ने आत्मघाती हमलों को बढ़ावा देने के लिए उनकी गिरफ्तारी की मांग की थी, इसलिए उसने देश की मीडिया पर अपने खिलाफ एजेंडा चलाने का आरोप लगाया।

उस समय, पाकिस्तान सरकार ने भी खुद को बयान से दूर कर लिया था।

 भारत के पड़ोसी देशों में नहीं हैं आतंकवादी समूह

भारत के पड़ोस के आस-पास राजनीतिक दबाव समूहों के रूप में सीआईए वर्ल्ड फैक्टबुक में सूचीबद्ध समूहों की सूची यहाँ दी गयी है:

श्रीलंका

बौद्ध पादरी, सिंहली-बौद्ध अव्यवसायिक समूहों, प्रवासी समूहों को राजनीतिक दबाव समूहों के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। ‘अन्य’ श्रेणी में आतंकवाद के खिलाफ राष्ट्रीय आन्दोलन जैसे कट्टरपंथी राष्ट्रवादी सिंहली समूह को सूचीबद्ध किया गया है।

कट्टरपंथी सिंहली-बौद्ध राष्ट्रवाद के उदय के बीच मुस्लिम विरोधी हिंसाओं की अगुआई करते भिक्षुओं के बहुत सारे उदाहरण हैं लेकिन  सीआईए की सूची में इसका कोई जिक्र नहीं है।

चीन

कोई भी महत्वपूर्ण राजनीतिक विपक्षी समूह मौजूद नहीं है।

बर्मा

दो उप-शीर्षकों के अंतर्गत वर्गीकृत समूह:

थाई सीमा के साथ: फेडरेशन ऑफ़ ट्रेड यूनियन – बर्मा (निर्वासित ट्रेड यूनियनों और वकीलों का संघ) यूनाइटेड नेशनलिस्ट फेडरेशन काउंसिल (नाई हांग सर)

भीतर – केआईओ-केएनपीपी, यूडब्ल्यूएसए और शान गुट जैसे अन्य

केआईओ: ह्यूमन राइट्स वॉच के अनुसार, एक संजातीय इकाई कचिन इंडिपेंडेंस आर्गेनाइजेशन (केआईओ) के पास एक सशस्त्र आतंकवादी समूह है, कचिन इंडिपेंडेंस आर्मी (केआईए), जिसे बाल सैनिकों को इस्तेमाल करने सहित गंभीर अधिकारों के दुरूपयोग में शामिल होने के लिए जाना जाता रहा है। यह बर्मन-बहुसंख्यक राष्ट्र में सताए हुए समूहों के बीच कचिन संजातीय अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व करती है।

कथित तौर पे वे अपना बहुत सारा वित्तपोषण अवैध माध्यमों के जरिये प्राप्त करते हैं, जैसे ड्रग तस्करी, चीन के माध्यम से बहुमूल्य गहनों और लकड़ी का व्यापार इत्यादि, और इनके पास लगभग 10000 से 12000 सैनिक सेवा में सक्रिय हैं। केआईए भारत के पूर्वोत्तर में विद्रोहियों के लिए हथियार पहुंच को सुविधाजनक बनाने में भी कथित तौर पर शामिल है।

केएनपीपी: करेनी नेशनल प्रोग्रेसिव पार्टी (केएनपीपी) कयाह राज्य में एक राजनीतिक दल है। इसकी सशस्त्र शाखा कर्नेनी आर्मी 1957 से एक अलग राज्य के लिए सरकारी बलों से लड़ती रही है। म्यांमार न्यूज एजेंसी ने मार्च में रिपोर्ट की थी कि केएनपीपी सशस्त्र संजातीय समूहों के साथ सरकार के राष्ट्रव्यापी युद्धविराम समझौते (एनसीए) में शामिल होने और शांति प्रक्रिया में भाग लेने के लिए वार्ता में है।

यूडब्ल्यूएसए: इसने 2013 में म्यांमार सरकार के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। यूनाइटेड वा स्टेट आर्मी यूनाइटेड वा स्टेट पार्टी की एक सैन्य शाखा है, जो वा स्टेट (आधिकारिक तौर पर वा स्व-प्रशासित प्रभाग के रूप में जाना जाता है) की वास्तविक सत्तारूढ़ पार्टी है। यह वा सैनिकों की एक संजातीय अल्पसंख्यक सेना है, और इसे उत्तरपूर्वी भारतीय सशस्त्र समूहों के लिए “म्यांमार में सबसे प्रभावी अवैध हथियार व्यापारी” के रूप में वर्णित किया गया है।

शान गुट: विद्रोही

भूटान

ड्रुक नेशनल कांग्रेस, यूनाइटेड फ्रंट फॉर डेमोक्रेसी (समूह निर्वासन में), यूनाइटेड फ्रंट फॉर डेमोक्रेसी अगेंस्ट डिक्टेटरशिप।

बांग्लादेश

ऐन ओ सलीश केंड्रो, बांग्लादेश सेंटर फॉर वर्कर सॉलिडेरिटी, बांग्लादेश रूरल एडवांसमेंट कमेटी, फेडरेशन ऑफ बांग्लादेश चैम्बर्स ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, और मिनिस्ट्री ऑफ़ वीमेन्स एंड चिल्ड्रेन्स अफेयर्स।

नेपाल

नेशनल फेडरेशन ऑफ़ इंडिजेनस नेशनलिटीज़, थारू कल्याणकारी सभा (थारुओं के अधिकारों की वकालत करने वाला समूह)

और अमेरिका में सब शांतिपूर्ण है

सीआईए द्वारा अमेरिकी क्षेत्र पर पहचाने गए राजनीतिक दबाव समूह कुछ इस प्रकार हैं – “पर्यावरणविद, व्यापार समूह, श्रमिक संघ, चर्च, जातीय समूह, राजनीतिक कार्य समितियां, स्वास्थ्य समूह, शिक्षा समूह, नागरिक समूह, युवा समूह, परिवहन समूह, कृषि समूह, दिग्गज समूह, महिला समूह और  रिफ़ार्म लॉबी।

यहां तक कि यमन और सीरिया में भी सीआईए को कोई भी आतंकवादी संगठन नहीं मिल सका।

यमन में, फैक्टबुक हौथिस (अब्देलमलिक बदरुद्दीन अल-हौथी), एक शिया संप्रदाय का जिक्र करती है जो यमन में चल रहे गृहयुद्ध के निशाने पर है और अमेरिकी सहयोगियों के हमले के साथ साथ अपने ही मुस्लिम भाइयों के हमलों को झेल रहा है। इसके अलावा इस सूची में अरब प्रायद्वीप में अल-कायदा है; यमन में इस्लामिक स्टेट ऑफ़ इराक एंड शाम (आईएसआईएस-वाई)।

Read in English : For CIA, VHP & Bajrang Dal are militant outfits, but not Afghan Taliban

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