पहली बार अफ़ग़ानिस्तान पर हो रही बैठक में भारत और तालिबान साथ-साथ दिखेंगे. बैठक आज रूस की राजधानी मॉस्को में होगी. भारत की उपस्थिति गैर-आधिकारिक स्तर पर होगी.
नई दिल्ली: कंधार में आईसी-814 के अपहरण के 19 साल बाद जब तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने तालिबान की मदद ली थी, भारत पहली बार सार्वजनिक रूप से तालिबान के साथ बैठक में दिखेगा.
मॉस्को फॉरमेट के तहत अफ़ग़ानिस्तान में शांति बहाल करने की मंशा से बैठक शुक्रवार को होगी. रूस के विदेश मंत्रालय का कहना है कि इसमें तालिबान के प्रतिनिधि भाग लेगें. भारत के विदेश मंत्रालय का कहना है कि आधिकारिक रूप से भारत इसमें हिस्सा नहीं ले रहा है पर भारत वहां गैर-आधिकारिक रूप से मौजूद होगा.
भारत की लंबे समय से चली आ रही नीति के इतर पहली बार भारत के दो दूत बैठक में हिस्सा लेंगे जिसमें तालिबान भी शामिल है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि ‘हमें पता है कि रूसी संघ 9 नवंबर को अफ़ग़ानिस्तान में शांति के लिए मॉस्को में एक बैठक की मेज़बानी कर रहा है. भारत गैर-आधिकारिक स्तर पर इस वार्ता का हिस्सा होगा और इसका प्रतिनिधित्व अमर सिन्हा और सेवानिवृत्त राजनयिक टीसीए राघवन द्वारा किया जाएगा.’
बता दें कि अमर सिन्हा अफगानिस्तान में भारत के राजदूत रह चुके हैं, जबकि राघवन पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त रह चुके हैं. दोनो भारत सरकार के फंडिंग वाले संगठनों में कार्यरत है और इस क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं. सिन्हा इस समय रिसर्च एंड इनफॉरमेशन सिस्टम फॉर डेवेलपिंग सोसाइटी में फैलो है और राघवन इंडियन काउंसिल फॉर वर्ल्ड अफेयर्स में महानिदेशक हैं.
समाचार एजेंसी तास का कहना है कि ‘दोहा स्थित तालिबान के राजनीतिक आफिस का एक प्रतिनिधिमंडल इस स्तर की अंतरराष्ट्रीय बैठक में पहली बार भाग लेगा.’ रूस के विदेश मंत्रालय का कहना है कि बैठक के लिए अफ़ग़ानिस्तान, भारत, चीन, पाकिस्तान, अमेरिका और कुछ अन्य देशों को न्यौता दिया गया है. इससे पहले बैठक सितम्बर में होनी थी पर अमरीका और अफ़ग़ानिस्तान आखिरी समय में आ कर इस सम्मेलन से बाहर निकल गए थे. अमरीका और रूस के बीच अफ़गानिस्तान में शांति प्रक्रिया के नेतृत्व को लेकर रस्साकशी बनी रहती है.
फिलहाल अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी ने अपने देश की उच्च शांति परिषद के प्रतिनिधिमंडल को बैठक के लिए भेजने का फैसला किया है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि भारत-अफ़ग़ानिस्तान में शांति और सुलह के सभी प्रयासों का समर्थन करता है जो एकता और बहुलता को बनाए रखेगा और जिससे देश की सुरक्षा, स्थिरता और समृद्धि कायम रहे. भारत की हमेशा से यह सोच रही है कि ऐसे किसी भी प्रयास का नेतृत्व अफ़ग़ानिस्तान के नेतृत्व में हो, अफ़ग़ानिस्तान उसका दारोमदार उठाए और उस पर नियंत्रण रखें और जिसमें अफ़ग़ानिस्तान सरकार का हाथ हो.
भारत भी अफ़ग़ानिस्तान में शांति चाहता है पर कंधार की याद उसे तालिबान पर भरोसा न करने के लिए मजबूर भी करता है. हालांकि अनौपचारिक स्तर पर पर्दे के पीछे तालिबान से संपर्क कायम है.