अटकलों से लगता है कि ईडी के संयुक्त निदेशक राजेश्वर सिंह और सीबीआई से बेदख़ल निदेशक आलोक वर्मा की नज़दीकी ने सरकार को परेशान कर दिया है.
नई दिल्ली: दोनों सीबीआई अधिकारियों आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के खिलाफ रिश्वतखोरी के आरोपों के चलते उनको बेदख़ल करने के बाद नरेंद्र मोदी सरकार अब दूसरी सबसे शक्तिशाली जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को निशाने पर लेने की तैयारी में है.
ईडी संयुक्त निदेशक राजेश्वर सिंह आय से अधिक संपत्ति के आरोपों का सामना कर रहे हैं. उनका नाम सीबीआई के रिकॉर्ड में बार-बार उभर कर सामने आया है और अटकलों से लगता है कि ईडी के संयुक्त निदेशक राजेश्वर सिंह और सीबीआई से बेदख़ल निदेशक आलोक वर्मा की नज़दीकी ने सरकार को परेशान कर दिया है.
सूत्रों ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार सीबीआई मामले में राजेश्वर सिंह की कथित भूमिका को लेकर बहुत परेशान है. सरकार में से कुछ अधिकारियों ने सिंह पर सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ कहानी गढ़ने में शामिल होने का आरोप लगाया है. राकेश अस्थाना की प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में शीर्ष पदाधिकारियों से निकटता कोई रहस्य नहीं है.
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इस हफ्ते की शुरुआत में वर्मा ने अस्थाना के खिलाफ प्राथमिकी दायर की थी. जिससे सीबीआई के भीतर अंतर्कलह हो गयी और मामला राष्ट्रीय पटल पर आ गया.
उत्तर प्रदेश की प्रांतीय पुलिस सेवा (पीपीएस) के अधिकारी सिंह, जो 2009 में प्रतिनियुक्ति पर ईडी में आये थे. अगले हफ्ते से वह जा रहे हैं. हालांकि, सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि सरकार जांच एजेंसियों को सिंह के खिलाफ जांच तेज़ करने और उनके खिलाफ तेजी से कार्यवाई करने की योजना बना रही है.
एक स्रोत ने कहा, ‘उनका छुट्टी पर जाना सारहीन है. अगर सबूत हैं, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए.’
सरकार के सूत्रों ने कहा कि सिंह के खिलाफ आरोपों की जांच ‘बहुत ही नरम अंदाज़ में चल रही है’ और ‘उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत भी है.’
संयोगवश सिंह भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी के बहुत करीबी हैं. क्योंकि उन्होंने एयरसेल-मैक्सिस मामले में जांच की, जिसमें कथित रूप से पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम शामिल थे.
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स्वामी ने बुधवार को ट्वीटर पर आरोप लगाया कि सिंह को निलंबित किया जा सकता है ‘ताकि वह पी चिदंबरम के खिलाफ आरोपपत्र दायर नहीं कर सकें.’
यह पता चला है कि आयकर मामलों के विशेषज्ञ दिल्ली के एक वकील भी सिंह के खिलाफ जांच में निशाने पर हैं.
सिंह के खिलाफ सक्रिय होने का एक महत्वपूर्ण कारण यह है कि उन्होंने कुछ समय पहले राजस्व सचिव हंसमुख अधिया के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे, जिसमें उन्होंने पदोन्नति में देरी करने का आरोप लगाया था.
आधिया को लिखे एक पत्र में सिंह ने पूछा कि क्या उन्होंने ‘घोटालेबाज़ों और उनके सहयोगियों’ के साथ मिलकर उनके खिलाफ शत्रुता विकसित की है. सिंह ने कहा कि आधिया को पता था कि उन्हें कुछ चुने हुए लोगों के खिलाफ खड़े होने के लिए लगातार कैसे परेशान किया जा रहा था. और उन्होंने वही किया जो कानून को करना चाहिए था जिसके लिए उनको कीमत चुकानी पड़ी.
हंसमुख अधिया स्वामी के निशाने पर लगातार रहे हैं जो कि प्रधानमंत्री के बेहद करीबी माने जाते हैं.
हालांकि मोदी सरकार ईडी प्रमुख करनाल सिंह को सेवा विस्तार देगी, ये अनिश्चित है. जिनका दो साल का कार्यकाल 26 अक्टूबर को समाप्त हो रहा है. सिंह और करनाल के नज़दीकी संबंध हैं. करनाल के कार्यकाल के अंतर्गत ईडी सरकार की एजेंसी की तरह काम कर रही है.
विशेष रूप से ईडी ने विवादास्पद सीबीआई विशेष निदेशक अस्थाना की जांच नहीं करने का फैसला किया है. जो कथित रूप से संदेसरा डायरीज में आरोपी हैं.
दिप्रिंट ने पहले रिपोर्ट किया था कि करनाल को सेवा विस्तार देने की सरकार की योजना ठंडे बस्ते में पड़ गयी. क्योंकि इस कदम को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी.
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