हाशमी का कहना है कि उन्होंने 10 भारतीय राज्यों के सम्मेलनों में भाग लिया है लेकिन सिर्फ हाल ही में उनकी अनदेखी शुरू हुई है। वे दृढ़ हैं की भविष्य में आमंत्रण मिलने पर ज़रूर आएंगी
नई दिल्ली: पाकिस्तान के प्रसिद्ध कवी फैज़ अहमद फैज़ की बेटी मोनीज़ा फैज़ को कुछ दिन पहले ही 15वें एशियाई मीडिया समिट दिल्ली में को भाग लेने की अनुमति न मिलने की वजह से एक बार फिर से निराशा हासिल हुई है| लोकप्रिय टीवी और मीडिया शख़्सियत का कहना है कि पिछले साल अक्टूबर में भी उनको कोलकाता में एक सम्मलेन में निमंत्रण मिलने के बावजूद, अनुमति न मिलने कि वजह से परेशानी का सामना करना पड़ा था |
“मेरे पास दिल्ली और अमृतसर के लिए वैध वीज़ा था। वीज़ा में कोलकाता को शामिल करने के लिए मैंने कई बार पहले से आवेदन किया था लेकिन मुझे उसकी भी अनुमति नहीं मिली”, उन्होंने टेलीफोन द्वारा दिप्रिंट को बताया।
72 वर्षीय हाशमी ने कहा कि सिर्फ वह ही नहीं थीं जिन्होंने इस बार इसका सामना किया था। “मानवाधिकार वकील स्व. आसमा जहाँगीर की बेटी मुनीज़ जहाँगीर को भी सम्मलेन में भाग लेने के लिए वीज़ा नहीं दिया गया”, हाशमी ने कहा।
इस बार जो हुआ उस पर कोई स्पष्टता नहीं है
हाशमी उन चार वक्ताओं में से एक थीं, जो एशिया पेसिफिक इंस्टिट्यूट फॉर ब्रॉडकास्टिंग डेवलपमेंट द्वारा आयोजित दो दिवसीय मीडिया शिखर सम्मेलन के पहले दिन 10 मई को ‘शुड आल गुड स्टोरीज़ बी कॉमर्शियली सक्सेसफुल?’ नामक शीर्षक वाले सत्र में भाग लेने वाली थीं। सूचना और प्रसारण मंत्रालय इस शिखर सम्मेलन की सह-मेजबानी कर रहा था।
हालांकि न्यूज़ 18 के अनुसार जब हाशमी कार्यक्रम स्थल पर पहुचीं तो उन्हें एआईबीडी के प्रतिनिधियों ने बताया कि उन्हें सम्मेलन में न तो बोलने की अनुमति दी जाएगी और न ही इसमें शामिल होने की।
हाशमी ने कहा, “मैं कारण पूछती रही , लेकिन मुझे कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया।”
इस कार्यक्रम में 200 से अधिक विदेशी प्रतिनिधियों ने भाग लिया। 54 वक्ताओं ने मीडिया और प्रसारण पर विभिन्न पैनल चर्चाओं को संबोधित किया। भारत पहली बार इस शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा था।
इस कार्यक्रम में भारत की सार्वजनिक सेवा प्रसारक, प्रसार भारती की ओर से कोई भी प्रतिनिधित्व नहीं था।
सम्मेलन के लिए कोई वीज़ा नहीं
यद्यपि विदेशी मामलों के मंत्रालय ने इस नवीनतम घटना पर आधिकारिक बयान नहीं जारी किया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि हाशमी को सम्मेलन में भाग लेने की इजाजत नहीं थी क्योंकि उनके पास सम्मेलन का वीज़ा नहीं था, बल्कि एक पर्यटक वीजा था।
सूत्रों का कहना है कि आयोजकों को पहले विदेश मंत्रालय में आवेदन करने और फिर इसे गृह मंत्रालय में ले जाने की ज़रुरत होती है, जो सम्मलेन और अकादमिक वीज़ा के मामले में अंतिम प्राधिकारी है। उन्होंने आगे कहा कि सम्मलेन वीज़ा प्रक्रिया एक विस्तृत मसला है और इसे जारी किये जाने में चार महीने तक का समय लग जाता है।
यह ज्ञात है कि यह पाकिस्तान और कुछ अन्य देशों के नागरिकों के लिए गृह मंत्रालय ही निर्गमन प्राधिकारी है और इसकी मंजूरी अनिवार्य है जबकि अन्य देशों के लिए संबंधित भारतीय दूतावास किसी भी प्रकार का वीजा जारी कर सकते हैं।
हाशमी का यह भी कहना था कि कुछ महीने पहले जब उन्हें एआईबीडी द्वारा आमंत्रित किया गया तब उन्हें एआईबीडी या सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा कांफ्रेंस वीज़ा के बारे में ना ही सूचित किया गया और ना ही इनमें से किसी ने भी कोई मदद की । उन्होंने कहा कि वह कम से कम 10 भारतीय राज्यों के सम्मेलनों में भाग ले चुकी हैं लेकिन केवल पिछले कुछ दिनों से ही उन्हें इस तरह की प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने पूछा, “वे विदेशी प्रतिनिधि के साथ ऐसा व्यवहार कैसे कर सकते हैं?”
शनिवार को हाशमी के बेटे ने ट्वीट किया: “यह आपका शाइनिंग इंडिया है? मेरी 72 वर्षीय माँ और फैज़ की बेटी को आधिकारिक तौर पर आमंत्रित किये जाने के बाद भी सम्मलेन में भाग लेने की अनुमति नहीं दी गयी। शर्म की बात है। ट्वीट में प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ साथ विदेश मामलों की मंत्री सुषमा स्वराज को भी चिन्हित किया गया था।
भारत सरकार के प्रवक्ता सीतांशू कर ने कहा कि वे इस घटना से अवगत नहीं थे। टिप्पणी के लिए दिप्रिंट ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय के प्रवक्ता तक पहुँचने की कोशिश करी लेकिन रिपोर्ट प्रकाशित किये जाने तक उनसे कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी थी।
हालाँकि हाशमी ने दृढ़ता के साथ कहा कि यह घटना उन्हें भारत में सम्मेलनों में भाग लेने से रोक नहीं पायेगी। हाशमी ने आगे यह भी कहा कि “मैं देशों के बीच शांति के लिए हूँ और भविष्य में भारत में सम्मेलनों में भाग लेने में मुझे प्रसन्नता होगी।”
Read in English: Faiz’s daughter Moneeza is undeterred by conference visa denial, will return if invited