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Thursday, 19 December, 2024
होमशासनअमरावती और एक साइंस-फिक्शन मूवी के बीच सिर्फ यही फर्क है की इनमें से एक हक़ीक़त में तब्दील होगा

अमरावती और एक साइंस-फिक्शन मूवी के बीच सिर्फ यही फर्क है की इनमें से एक हक़ीक़त में तब्दील होगा

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आंध्र प्रदेश के सपनों की राजधानी के शहर का पहला चरण 2018 के अंत तक पूरा हो जाएगा, ऐसी उम्मीद जताई जा रही है। लेकिन देरी, संदेह और डर संकट के बादल पूरी तरह लदे हुए खड़े हैं।

अमरावती: आंध्र प्रदेश की नई राजधानी अमरावती के ड्रीम प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य शुरू हो गया हैऔर अधिकारियों का कहना है कि मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के सपनों की परियोजना का पहला चरण इस साल के अंत तक पूरा हो जाएगा।
53,000 एकड़ की भूमि में फैले हुएअमरावती को लगभग पूरा शुरू से बनाया जा रहा है।अमरावती को सिंगापुर के मिश्रण और साइंस-फिक्सन मूवी में दिखाए गए शहरों की तर्ज पर तैयार किया जा रहा है, नायडू का कहना है कि उनका लक्ष्य है कि अमरावती को दुनिया में सबसे अधिक “आधुनिक भविष्यात्मक” राजधानी शहर बनाना है।

 

पूरे शहर के लिए मॉडल

मास्टर प्लान में न्यूयॉर्क के सेंट्रल पार्क, 27 टाउनशिप, नैविगेवल वाटरवेस और नाइन थीम्ड “मिनी-सिटी” पर आधारित एक सरकारी परिसर शामिल है। इस प्रोजेक्ट के तहत2050 तक 3.5 मिलियन लोगों को रहने का अनुमान लगाया जा रहा है।

सेंट्रल पार्क से प्रेरित सरकार का काम्प्लेक्स

हालांकि, इस सपने ने अभी केवल आकार लेना ही शुरू किया है। जैसा कि द प्रिंट ने पहले ही बताया था कि अमरावती शहर की योजना डिजाइन की समस्या, पर्यावरण मंजूरी और 33,500 एकड़ भूमि अधिग्रहण की समस्याओं से जूझ रही है।

एक ‘भविष्यवादी’ परियोजना

1 जनवरी 2015 को घोषित, अमरावती को दुनिया भर के शहरों और देशों के शोध और विश्लेषण के बाद फोस्टर + पार्टनर्स के हाई प्रोफाइल आर्किटेक्ट (वास्तुकार) नॉर्मन फोस्टर द्वारा डिजाइन किया गया है जैसे कि विशेष रूप से सिंगापुर।

आंध्रा प्रदेश हाई कोर्ट
विधान सभा

इंजीनियरिंग और डिजाइन पूरा हो गया है, और भौतिक निर्माण शुरू हो गया है। सिंगापुर में स्थित कंपनियों एस्केन्डस-सिंगब्रिज प्राइवेट लिमिटेड और सेम्बकॉर्प डिवेलपमेंट प्राइवेट लिमिटेड को इसके निर्माण के अधिकार दिए गए हैं। पिछले तीन वर्षों और चार महीनों में, परियोजना के लिए आवश्यक भूमि का 95 प्रतिशत अधिग्रहण किया गया है।

यह शहर पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल होगा और सौर ऊर्जा द्वारा संचालित किया जाएगा। यातायात और वाहन प्रदूषण को शहर के डिजाइन में इस्तेमाल किए गए “5-10-15” नियम के माध्यम से कम किया जाएगा – किसी दिए गए घर से, सभी आवश्यक और आपातकालीन सेवाएं जैसे अस्पतालों और स्कूलों को 5 मिनट की पैदल दूरी पर बनाया जाएगा, खुले मैदान और मनोरंजक स्थान 10 मिनट की पैदल दूरी पर होंगे और कार्यलय 15 मिनट की पैदल दूरी पर होंगे।

आंध्र प्रदेश राजधानी क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एपीसीआरडीए) के आयुक्त, डॉ श्रीधर चेरुकुरी, कहते हैं कि परियोजना के पहले चरण का 53 प्रतिशत कार्य पूरा हो गया है। चरण I में सरकारी आवास और बुनियादी ढाँचे जैसे सड़कें और बिजली की आपूर्ति शामिल है तथा इस परियोजना में लगभग 50,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

चेरुकुरी का कहना है कि पूरे शहर के निर्माण के लिए 1 लाख करोड़ रुपये खर्च होने की उम्मीद है।

परियोजना के प्रमोटरों का दावा है कि अमरावती दुनिया के “सबसे खुश” शहरों में से एक हो जाएगा। शहर ने,10-13 अप्रैल तक शहरी नवाचार और खुशी पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन, हैप्पी सिटी शिखर सम्मेलन की मेजबानी की। नायडू ने फिनलैंड और भूटान समेत दुनिया भर के प्रतिनिधियों द्वारा भाग लेने वाले तीन दिवसीय शिखर सम्मेलन का उद्घाटन किया, जिसे दुनिया के दो सबसे खुश देशों में से एक माना जाता है।

नायडू ने प्रतिभागियों से आग्रह किया कि “अमरावती को अपना दूसरा घर बनाओ,” उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश सरकार का लक्ष्य सहभागिता शासन को सक्षम करना और सतत जीवन को खुशी से भरने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करना है।

वर्तमान स्थिति

निर्माण स्थलों की यात्रा से पता चलता है कि जब से काम शुरू हुआ है तब से अभी तक बहुत अधिक पूरा नहीं हुआ है, खासकर परियोजना की समयसीमा फरवरी 2019 को देखते हुए।

विधायकों के लिए बन रहे घरों के निर्माण कार्य की फोटो

सरकारी आवास परिसरों का निर्माण कार्य – ‘अपरूपणभित्ति’ (shear wall) तकनीक का उपयोग करके किया जाना है, जोकि ईंटों का उपयोग नहीं करता है –अभी इसकी केवल शुरूआत हुई है, लेकिन एपीसीआरडीए (आंध्र प्रदेश राजधानी क्षेत्र विकास प्राधिकरण) का कहना है कि सभी परिसर इस वर्ष के अंत तक तैयार हो जाएंगे।

एपीसीआरडीए में कार्यरत आवास एवं भवन के मुख्य अभियंता जकारिया मदसू के मुताबिक, 2018 के अंत तक कुल मिलाकर 3,840 अपार्टमेंट बनाए जाएंगे।

एपीसीआरडीए का दावा है कि अमरावती के अन्य सभी हिस्सों पर भी काम शुरू हो गया है, हालांकि अभी यहां निर्मित संरचना के रूप में एकमात्र अस्थायी सचिवालय है, जिस पर आंध्र सरकार 2015 से काम कर रही है। इमारत 139 दिनों के रिकॉर्ड समय में बनाई गई थी।

गैर अतिथि स्टाफ के लिए आशय

पर्यावरण सें संबन्धित चिंताएं

यद्यपि इस परियोजना को टिकाऊ इंजीनियरिंग और डिजाइन के चमत्कार के रूप में प्रचारित किया गया है, लेकिन स्थानीय कार्यकर्ताओं ने इसकी पारिस्थितिक व्यवहार्यता के बारे में अपनी चिंताओं को व्यक्त किया है।

एक स्थानीय किसान एवं कार्यकर्ता अनुमोलू गांधी कहते हैं कि अमरावती की भूमि पर बाढ़ आ सकती है। शहर मौजूदा बाढ़ से प्रभावितस्थानों के आधार पर बनाया जाएगा, भविष्य में आने वाली आपदाओं के लिए प्रबंधकिया जाएगा, उन्हें इस बात का डर है।

अखिल भारतीय स्टाफ के लिए घर

पिछले 20 वर्षों में इस क्षेत्र में दो बार बाढ़ आ चुकी है। 2009 में, कृष्णा नदी की एक सहायक नदी कोंडवीती वागु ने अमरावती के विकसित हो रहे 53,000 एकड़ में से लगभग 29,000 एकड़ क्षेत्र को बाढ़ की चपेट में ले लिया था।
एपीसीआरडीए का कहना है कि उसने “ऊपर उठाने की योजना” शुरू करके इस क्षेत्र को बाढ़ से बचाने के उपाय किए हैं – कोंडवीती वागु को चौड़ा किया जाएगा और अचानक आने वाली बाढ़ से बचने के लिए चार जलाशयों का निर्माण किया जाएगा।

इस परियोजना के आयुक्त चेरुकू ने कहा कि राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने पूरी परियोजना की समीक्षा की है और इसे एक हरी झंडी दिखाई है। उनका कहना है,”शहर पूरी तरह से बाढ़रोधी है।”
इस संवाददाता ने आंध्र प्रदेश सरकार के अतिथि के रूप में अमरवती का दौरा किया।

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