scorecardresearch
Friday, 20 December, 2024
होमफीचरयमुना प्रोजेक्ट की असिता ईस्ट साइट अब डंपिंग यार्ड नहीं रही — यहां अब तालाब और हरियाली है

यमुना प्रोजेक्ट की असिता ईस्ट साइट अब डंपिंग यार्ड नहीं रही — यहां अब तालाब और हरियाली है

आज, यमुना नदी के पूर्वी तट पर असिता ईस्ट साइट प्रेमी जोड़ों, परिवारों, दोस्तों, फोटोग्राफरों और पक्षियों के लिए दूरबीन के साथ एक मीटिंग प्वॉईंट बन गई है. यह 63 से ज़्यादा ‘निवासी’ और प्रवासी पक्षी प्रजातियों का घर है, जिनमें ब्राउन हेडेड बारबेट, रेड मुनिया, पर्पल हेरॉन और पाइड किंगफिशर शामिल हैं.

Text Size:

नई दिल्ली: नेचुरिस्ट समर्थ खन्ना उस समय दंग रह गए जब उन्होंने यमुना में बाढ़ के मैदानों पर लक्ष्मी नगर के पास असिता ईस्ट के ऊपर एक बाज़ को उड़ते देखा. उन्होंने कहा, “मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं ऐसा कभी देख पाऊंगा.” यह 2023 की बात है जब वे जी20 डेलिगेट्स के लिए ‘नेचर वॉक’ का आयोजन कर रहे थे.

आज, यमुना नदी के पूर्वी तट पर असिता ईस्ट साइट प्रेमी जोड़ों, परिवारों, दोस्तों, फोटोग्राफरों और पक्षियों के लिए दूरबीन के साथ एक मीटिंग प्वॉईंट बन गई है. यह 63 से ज़्यादा ‘निवासी’ और प्रवासी पक्षी प्रजातियों का घर है, जिनमें ब्राउन हेडेड बारबेट, रेड मुनिया, पर्पल हेरॉन और पाइड किंगफिशर शामिल हैं.

असिता ईस्ट डीडीए की महत्वाकांक्षी यमुना में बाढ़ के दौरान मैदानी रास्तों की बहाली और कायाकल्प अभियान का हिस्सा है और इसे सितंबर 2022 में जनता के लिए खोल दिया गया था.

दशकों से यह साइट अतिक्रमण और अवैध कृषि गतिविधियों का घर था और ऐसा तब तक चलता रहा जब तक दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) अपनी नींद से नहीं जागा.

इसने कचरा और मलबा साफ किया, अतिक्रमण हटाया और तटबंधों के साथ-साथ हरे-भरे पैदल चलने के रास्ते भी बनाए, साथ ही नदी के किनारे घास के बगीचे और वैटलैंड्स भी बनाए. इसने ज़मीन को दोबारा स्थिर करने के लिए बाढ़ के मैदान की पारिस्थितिकी के मूल निवासी लगभग 5,500 पेड़ लगाए – जैसे नीम और पीपल.

Asita East is one of the major Yamuna restoration and development projects. It was inaugurated by LG VK Saxena in 2022 | Photo: Krishan Murari, ThePrint
असिता ईस्ट यमुना के सौंदर्यीकरण और विकास की प्रमुख परियोजनाओं में से एक है. इसका उद्घाटन उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने 2022 में किया था | फोटो: कृष्ण मुरारी/दिप्रिंट

डीडीए की अतिरिक्त आयुक्त (लैंडस्केप) कल्पना खुराना ने कहा, “हमने अतिक्रमण हटाकर एक हरा-भरा पब्लिक प्लेस बनाया है. यह सब पारिस्थितिकी के लिहाज से सही तरीके से किया गया है. उदाहरण के लिए हमने इस क्षेत्र के अनुकूल घास लगाई है. हमने पिछले दो सालों में यमुना के बाढ़ के मैदानों में बहुत कुछ किया है.”

अब तो कॉमन टील, पिंटेल और गडवाल जैसे प्रवासी पक्षी भी यहां लौट आए हैं.

डीडीए द्वारा असिता ईस्ट में आयोजित नेचर वॉक का नेतृत्व करने वाले खन्ना ने कहा, “यहां इन पक्षियों की विविधता सभी को हैरान कर देती है. यह दिल्ली के बीचों-बीच स्थित है, जो लोगों और प्रकृति के बीच के जुड़ाव को दिखाता है.”

यहां तालाब, हरियाली, स्थानीय पेड़ों की जानकारी वाला क्षेत्र और सबसे ज़रूरी सेल्फी प्वाईंट है.

डीडीए के लिए साइट की सफलता बाढ़ प्रभावित मैदानों की स्थिति को बहाल करने का एक छोटा कदम है. विकास प्राधिकरण नदी की नकारात्मक छवि को बदलना चाहता है, लेकिन इसके लिए उसे कड़ी मेहनत करनी होगी.

इस साल की शुरुआत में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पाया कि नदी का दिल्ली वाला हिस्सा अकेले ही इसके प्रदूषण के 76 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार है. संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र को अतिक्रमण से बचाने और उसकी पहचान करने के लिए यमुना के बाढ़ के मैदान का भौतिक सीमांकन अभी भी अधूरा है. इसी तरह रिवरफ्रंट विकास कार्य, गाद निकालना और नालों की सफाई का काम भी अधूरा है.

डीडीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “यमुना हमारी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है. बाढ़ के मैदान का पुनरुद्धार इसलिए शुरू किया गया था ताकि लोग एक बार फिर नदी से जुड़ सकें.”


यह भी पढ़ें: मथुरा संस्कृति, महाभारत काल — 50 साल बाद ASI ने क्यों शुरू की गोवर्धन पर्वत की खुदाई


‘ऐसी खूबसूरती कभी नहीं देखी’

मई की शुरुआत में एक मंगलवार की शाम को 20 साल के आसपास दोस्तों का एक ग्रुप असिता ईस्ट तालाब के पास बैठकर हरे-भरे इलाके को निहार रहा था. बैडमिंटन खेल रहे एक अन्य ग्रुप ने ढलते सूरज को देखने के लिए अपना खेल रोक दिया.

एक अन्य टूरिस्ट समर राज ने खिलते हुए फूलों की तस्वीरें लेने के लिए रुकते हुए कहा, “मैं अक्सर अपनी वेब डिजाइनिंग कोचिंग के बाद यहां आता हूं. मैंने दिल्ली में इतनी प्राकृतिक सुंदरता पहले कभी नहीं देखी. यह जगह शांति और सुकून देती है. मैं बार-बार यहां आता हूं.”

यह योगा, मुलाकात, पक्षियों को निहारने, प्रकृति का आनंद लेने और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का एक पसंदीदा स्थान बन गया है और पिछले कुछ महीनों में असिता ईस्ट इंस्टाग्राम पर भी वायरल हो रहा है. हैशटैग ‘असिता ईस्ट’ अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है. कुछ लोग यहां रील्स बनाते हैं, कुछ लोग फूलों और सूर्यास्त की तस्वीरें अपलोड करते हैं और कुछ लोग सुंदर लैंडस्केप की पेंटिंग बनाते हैं जिन्हें वे बाद में इंटरनेट पर अपलोड करते हैं.

साइट का ‘मेरी यमुना सेल्फी पॉइंट’ एक और लोकप्रिय आकर्षण है. इंस्टाग्राम यूज़र खुशबू ठाकुर ने पोस्ट किया, “New place with new energy.”

असिता ईस्ट अब निवासियों के लिए गर्व की बात है. साइट पर मौजूद 12 गार्डों में से एक अमलेश इलाके में गश्त करते हुए इस बदलाव को अनोखा बताते हैं. उन्होंने कहा, “पहले यह जगह कचरे, मलबे और अतिक्रमण से भरी हुई थी.”

हालांकि, असिता ईस्ट परियोजना 197 हेक्टेयर में फैली हुई है, लेकिन डीडीए केवल 90 हेक्टेयर ही पुनर्जीवित कर पाई है. डीडीए के एक अधिकारी के अनुसार, बाकी 107 हेक्टेयर (जो उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के अधिकार क्षेत्र में आता है) पर काम अभी भी चल रहा है. विकास प्राधिकरण ‘अच्छे काम’ के लिए खुद की पीठ थपथपा रहा है. असिता ईस्ट में एक बोर्ड पर लिखा है, “थोड़े ही समय में नदी-लोगों के बीच का संबंध फिर से बहाल हो गया है…”

पिछले साल जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान इसे प्रदर्शित किया गया था, जब 11 देशों के राजनयिकों को जैव विविधता पार्क के दौरे पर ले जाया गया था. दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने राजनयिकों को संबोधित करते हुए कहा था, “यह नाजुक नदी पारिस्थितिकी तंत्र कचरे, अवैध निवासियों और आवारा जानवरों का डंप यार्ड था. दिल्ली विकास प्राधिकरण के लगातार प्रयासों के परिणामस्वरूप एक आत्मनिर्भर पारिस्थितिकी तंत्र को बचाया गया है जिसमें समृद्ध प्राकृतिक विविधता है.”


यह भी पढ़ें: ‘आजीविका या इतिहास’; ऐतिहासिक नदी सरस्वती की खोज क्यों की जा रही है, क्या होगा हासिल


पर्यावरणविदों ने की अधिक कार्रवाई की मांग

कई दशकों से यमुना के बाढ़ के मैदानों का इस्तेमाल डंपिंग साइट के रूप में किया जाता रहा है. 2019 में डीडीए ने प्रस्ताव दिया था कि उन्हें लैंडफिल में बदल दिया जाए.

डीडीए के एक अधिकारी के अनुसार, असिता ईस्ट यमुना बाढ़ प्रभावित मैदानों के साथ 10 बहाली परियोजनाओं का हिस्सा है, जिसमें कालिंदी अविरल, असिता ईस्ट, असिता वेस्ट, मयूर नेचर पार्क, यमुना वनस्थली और हिंडन सरोवर शामिल हैं.

डीडीए अधिकारियों ने पर्यावरणविदों से सलाह-मशविरा करके यमुना के किनारों पर उगने वाले पेड़ और घास की किस्में लगाने के लिए कहा, लेकिन कई लोग कंक्रीट के निर्माण और मूर्तियों के निर्माण की आलोचना कर रहे हैं. लाल पत्थर से बनी बुद्ध की एक विशाल मूर्ति इस जगह पर खड़ी है.

Buddha statue at Asita East | Krishan Murari, ThePrint
असिता ईस्ट में बुद्ध की मूर्ति | कृष्ण मुरारी/दिप्रिंट

लखनऊ के बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में पर्यावरण विज्ञान के प्रोफेसर और पर्यावरणविद् वेंकटेश दत्ता ने कहा, “बाढ़ के मैदानों को बहाल किया जाना चाहिए. नदियों के लिए यह बहुत ज़रूरी है, लेकिन सबसे पहले, स्थायी निर्माण को हटाएं, इसे अवैध घोषित किया जाना चाहिए.”

दत्ता के अनुसार, बाढ़ क्षेत्र की मैपिंग की जानी चाहिए – एक ऐसा काम जो अब तक पूरा नहीं हुआ है. उन्होंने कहा, “निर्माण के लिए एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) लगातार आते रहे. नदी को बचाने के लिए कठोर फैसले लेने होंगे.”

यमुना पर इस साल की संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बाढ़ के मैदान नदी के पारिस्थितिकी तंत्र का एक अभिन्न अंग हैं, जिसमें आर्द्रभूमि, बाढ़ के मैदान के जंगल और घास के मैदान शामिल हैं. रिपोर्ट में कहा गया है, “यमुना नदी का दिल्ली वाला हिस्सा बाढ़ के पानी के बहाव और शहरी और औद्योगिक क्षेत्रों से आने वाले गंदे पानी के कारण जमा गंदगी के कारण अत्यधिक प्रभावित माना जाता है.”

लेकिन पर्यावरणविदों का कहना है कि और अधिक काम करने की ज़रूरत है और वो भी तेज़ी से.

दिल्ली विश्वविद्यालय के पर्यावरण प्रबंधन केंद्र के पर्यावरणविद् और एमेरिटस प्रोफेसर सीआर बाबू ने कहा, “शहरी पारिस्थितिकी तंत्र अत्यधिक कमजोर है और पर्यावरण की गुणवत्ता लगातार खराब होती जा रही है. इसलिए शहरी प्राकृतिक विरासत को संरक्षित करना बहुत महत्वपूर्ण है. यह पर्यावरणीय स्थिरता के लिए भी ज़रूरी है.”

Sunset at Asita East park | Krishan Murari, ThePrint
असिता ईस्ट पार्क में सूर्यास्त | कृष्ण मुरारी/दिप्रिंट

और अधिकारी तय समय से पीछे चल रहे हैं. 2015 में एक ऐतिहासिक फैसले में, राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने 31 मार्च 2017 तक नदी के डूब क्षेत्र को बहाल करने के लिए ‘मैली से निर्मल यमुना पुनरुद्धार योजना 2017’ बनाई थी.

खुराना ने कहा, “हमने जो बाढ़ देखी है, उसके बावजूद असिता (ईस्ट) बच गया है. यह दर्शाता है कि हम सही रास्ते पर हैं.”

पार्क में युवा प्रेमी युगल और बुजुर्ग जोड़े सूर्यास्त देखने के लिए इकट्ठा होते हैं. एक युवक अपनी प्रेमिका के साथ काले होते आसमान को बैकग्राउंड में रखकर जल्दी से एक सेल्फी लेता है.

रवि कुमार ने कहा, “मैंने इंस्टाग्राम पर इस जगह की कई रील देखी हैं. मैं अपनी गर्लफ्रेंड के साथ कई पार्कों में गया हूं, लेकिन यह पार्क भीड़भाड़ से अलग है. शहर में जोड़ों के लिए जगहें कम होती जा रही हैं. वे असिता ईस्ट का आनंद लेने के लिए सर्दियों का इंतजार कर रहे हैं.”

(इस फीचर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: 2022-23 में 19 वेटलैंड्स घोषित हुए रामसर साइट, मोदी सरकार ने इनके रखरखाव पर संसद में क्या कहा


 

share & View comments