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Saturday, 4 October, 2025
होमफीचरकैसे जनवरी में शुरू हुआ Wintrack का चेन्नई कस्टम्स से विवाद जिसने किया 'भारत में कारोबार बंद'

कैसे जनवरी में शुरू हुआ Wintrack का चेन्नई कस्टम्स से विवाद जिसने किया ‘भारत में कारोबार बंद’

एक वरिष्ठ अधिकारी ने Wintrack के फाउंडर प्रवीण गणेशान के कर्मचारियों से कहा कि केवल उनका विभाग ही नहीं, बल्कि पूरा चेन्नई कस्टम विभाग गणेशान के खिलाफ है.

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नई दिल्ली: प्रवीण गणेशन, Wintrack Inc. (विंट्रैक इंक.) के फाउंडर, तब वायरल हुए जब उन्होंने X पर पोस्ट किया कि उनकी कंपनी भारत में आयात और निर्यात संचालन बंद कर रही है. अधिकांश पोस्ट जहां भारत में व्यवसाय करने की कठिनाइयों की सामान्य बात करती हैं, वहीं गणेशन ने सीधे कारण बताया: चेन्नई कस्टम्स.

“अगर आप बार-बार उच्च अधिकारियों के दरवाजे खटखटाते हैं, तो वे भी कान बंद कर लेते हैं – क्योंकि रिश्वत का हिस्सा उन्हें भी जाता है,” गणेशन ने दिप्रिंट को बताया. “निवेशकों और उद्यमियों से ज्यादा, कस्टम्स अधिकारी सबसे ज्यादा कमाते हैं. उनकी रिश्वत बहुत बड़ी होती है.”

यह गणेशन का चेन्नई कस्टम्स के साथ पहला विवाद नहीं है. जनवरी 2025 से उनकी परेशानी शुरू हुई थी, जब उन्होंने अपने सामान का आयात केवल चेन्नई के बंदरगाहों के जरिए शुरू किया. इससे पहले, वे मुंबई, बेंगलुरु और नई दिल्ली के बंदरगाहों से आयात करते थे – लेकिन चेन्नई में उन्हें ऐसा अत्याचार नहीं झेलना पड़ा.

“यह गणतंत्र दिवस के आसपास था, जब हमने चीन से 4,000 हैंडकफ का आयात किया,” उन्होंने बताया. उनके ब्रांड ने सेक्सुअल वेलनेस प्रोडक्ट्स बेचे और वैलेंटाइन डे के लिए इस आइटम का ऑर्डर दिया था. “जब हमने बिल चेन्नई कस्टम्स को सौंपा, तो इसे फेसलेस असेसमेंट में भेज दिया गया.”

फेसलेस असेसमेंट का उद्देश्य कस्टम्स अधिकारियों को सीधे आयातकों के पास जाने से रोकना था, ताकि रिश्वत की संभावना कम हो. लेकिन गणेशन के अनुसार, अधिकारियों के एजेंट अलग-अलग बंदरगाहों पर मध्यस्थ के रूप में काम करते हैं. ये एजेंट अंततः गोदाम से सामान आयातक को रिलीज़ करते हैं.

गणेशन ने आरोप लगाया कि सामान की कीमत का तीन गुना रिश्वत मांगी गई. एजेंट ने कहा कि अधिकारी एक रुपये भी कम करने को तैयार नहीं हैं. “मुझे एयर फ्रेट और अन्य खर्च उठाने पड़े. रिश्वत देना मेरे लिए सही नहीं था. मैंने एजेंट के साथ कॉल रिकॉर्ड की और इसे X पर डाला, जो वायरल हो गया,” उन्होंने कहा.

चेन्नई कस्टम्स ने नुकसान नियंत्रण की कोशिश की. उन्होंने उनसे प्रोडक्ट का HSN कोड बदलने को कहा, जिसका उपयोग अलग-अलग आइटम को वर्गीकृत करने के लिए किया जाता है. आयात शुल्क का अंतर भुगतान करने के बाद (HSN कोड बदलने के कारण), सामान अंततः रिलीज़ हुआ.

गणेशन ने अपनी X पोस्ट हटा दी, यह सोचकर कि मुद्दा हल हो गया. लेकिन चेन्नई कस्टम्स ने कथित तौर पर अगले कुछ महीनों तक उसके सामान को रोककर रखा और रिश्वत की मांग की.

सीमा शुल्क का दुश्मन

फरवरी, मार्च, अप्रैल और मई के दौरान, गणेशन ने लगातार सामान का आयात किया – ज्यादातर चीन से बॉडी मसाजर. मई में उन्हें तीन लगातार शिपमेंट मिले, जिन्हें कथित चेन्नई कस्टम्स ने रोका.

“उस समय मैं बीमार था और अस्पताल में भर्ती था,” उन्होंने कहा, और जोड़ा कि उन्हें बीमार होने के बावजूद अधिकारियों से बातचीत करनी पड़ी. “अधिकारी मेरे व्यापार की मात्रा का अनुमान लगाकर पैसा मांग रहे थे और कहा कि हम लंबी अवधि का समझौता करेंगे.”

गणेशन ने दावा किया कि उन्हें अपने सामान को रिलीज़ कराने के लिए चेन्नई कस्टम्स के दो अलग-अलग विभागों को पैसा देना पड़ा. तीसरे विभाग ने – जिसे उनसे कोई पैसा नहीं मिला – भी अपना हिस्सा मांगा. गणेशन के अनुसार, केवल सोशल मीडिया पर पोस्ट करने की धमकी देने के बाद ही सामान रिलीज़ हुआ.

अगले कुछ महीनों में, गणेशन ने अपने सामान को हासिल करने के लिए अलग-अलग रास्ते अपनाए, जिसमें पत्नी की कंपनी के नाम पर ऑर्डर करना भी शामिल था. जून में, उनके एक ग्राहक का सामान चेन्नई कस्टम्स ने रोका क्योंकि वे गणेशन से जुड़े थे.

“जो अधिकारी तीसरे विभाग से रिश्वत नहीं मिला – जहां सामान रिलीज़ से पहले एयरपोर्ट पर रखा जाता है – उन्होंने मेरे एक अन्य ग्राहक का शिपमेंट रोक दिया और कहा कि उन्हें रिश्वत देनी होगी,” गणेशन ने बताया, कि एक व्यवसायी के रूप में उन्हें कितना झेलना पड़ा.

उन्होंने X पर शिकायत की, जनवरी के बाद यह दूसरी बार था जब उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया. लेकिन इस बार, उन्होंने समस्या हल होने के बाद ट्वीट नहीं हटाए. और उनके अनुसार, चेन्नई कस्टम्स ने उनके खिलाफ निशान लगा दिया.

उन्होंने कहा, “वे सही अवसर का इंतजार कर रहे थे, जब मैं कोई गलती करूँ ताकि वे मेरे कार्गो को रोक सकें.”

अनुपालन में खामियां

अगस्त और सितंबर में, गणेशन के शिपमेंट फिर से चेन्नई कस्टम्स द्वारा रोके गए. उन्होंने ज्वॉइंट कमिश्नर और प्रिंसिपल कमिश्नर से शिकायत की, दोनों ने उन्हें सभी कंप्लायंस नियमों का पालन करने को कहा.

“कंप्लायंस सिर्फ ज्यादा रिश्वत लेने का जरिया हैं,” उन्होंने कहा, और जोड़ा कि जब भी सामान गोदाम में रहता है, कंपनियों को अतिरिक्त शुल्क देना पड़ता है. “फरवरी से अगस्त तक हम वही प्रोडक्ट आयात कर रहे थे, जिसे वही अधिकारी क्लीयर कर चुके थे. लेकिन अब हमसे नए कंप्लायंस मांगे जा रहे हैं.”

कंपनी के बॉडी मसाजर USB केबल के साथ आते हैं. गणेशन को सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से बैटरी और ई-वेयर के लिए सर्टिफिकेट लाने और अलग से डिक्लेयर करने को कहा गया. अगस्त तक इनकी जरूरत नहीं थी.

“हमने उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट की, तो अधिकारी ने मेरे स्टाफ को कहा कि मैं X पर कुछ भी लिख सकता हूं, लेकिन उसे कोई फर्क नहीं पड़ता,” गणेशन ने कहा. “उसने स्टाफ से कहा कि वह कोई शिपमेंट क्लीयर नहीं करेगा और सिर्फ उसका विभाग ही नहीं, पूरा चेन्नई कस्टम्स मेरे खिलाफ है.”

गणेशन ने ज्वॉइंट कमिश्नर से कहा कि अगर उनका सामान रिलीज नहीं हुआ, तो वह चेन्नई कस्टम्स हाउस के सामने आत्महत्या कर देंगे. “उनका असली मकसद है कि मैं हार मानकर चला जाऊं,” उन्होंने कहा.

उनके X पर ट्वीट के बाद, अन्य व्यापारी भी सामने आए और कस्टम्स विभाग से अपनी परेशानियों को साझा किया.

“मैं 25 साल से कस्टम क्लियरेंस में हूं और मैं आश्वस्त करता हूं कि विंट्रैक ने जो कहा, वह हिमखंड का सिरा भी नहीं है,” एक यूजर ने X पर लिखा. एक अन्य यूजर ने कई बार BIS सर्टिफिकेट के लिए फोन के रूप में रिश्वत देने की जानकारी दी.

फिर चेन्नई कस्टम्स ने डैमेज कंट्रोल किया. उन्होंने एक विस्तृत ट्वीट जारी किया, जिसमें ‘झूठे आरोपों’ और विंट्रैक द्वारा उठाए गए विभिन्न बिंदुओं का जवाब दिया.

“आयातक के सोशल मीडिया पोस्ट एक सोची-समझी रणनीति दिखाते हैं: वैध जांच के दौरान भ्रष्टाचार के आरोप, और बाद में तथ्य सामने आने पर थ्रेड हटाना,” उन्होंने लिखा. “यह चयनित कथा अधिकारियों पर दबाव बनाने की जानबूझकर कोशिश है ताकि बिना प्रक्रिया के कार्गो रिलीज किया जा सके.”

लेकिन पोस्ट आते रहे, जिसमें चेन्नई कस्टम्स अधिकारियों द्वारा उत्पीड़न और उनके ‘सड़ गये सिस्टम’ का जिक्र था. भ्रष्टाचार के खिलाफ विरोध बढ़ने पर, वित्त मंत्रालय ने कहा कि ‘सटीक, पारदर्शी और तथ्य आधारित जांच’ की जाएगी.

“मेरा व्यवसाय अन्य देशों में भी है. अगर मुझे भारत के व्यवसाय से एक पैसा भी नहीं मिला, तो मुझे चीन, थाईलैंड से पैसा मिलेगा,” गणेशन ने कहा और जोड़े कि सरकार को चुनौती देने का उनका फैसला यही है. “और उम्मीद है कि इस मुद्दे को उजागर करके कुछ बदलाव होगा और अन्य उद्यमियों को मदद मिलेगी.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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