नई दिल्ली: जब पिछले साल भारत में जी20 बैठक के आधिकारिक लोगो के लिए कमल को चुना गया, तो विवाद खड़ा हो गया था और कई लोगों ने कहा था कि यह सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का प्रतीक भी है.
जो सवाल पिछले साल सितंबर में पूछा गया था उसका जवाब हाल ही में दिल्ली की एक सभा में दिया गया.
संस्कृति मंत्रालय के पूर्व सचिव राघवेंद्र सिंह ने कहा, “बेशक, कमल की हमारी सभ्यता में बहुत शक्तिशाली उपस्थिति है. जैसा कि गीता में लिखा है, यह वैराग्य का एक रूपक है, एक पवित्र प्रतीक. यह सर्वव्यापी है.” राघवेंद्र ने पिछले साल जी20 के कारण नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट में ‘India’s Roots and Routes’ प्रदर्शनी का आयोजन किया था. इस शोकेस में भारत के विभिन्न कोनों से लाई गई कलाकृतियों के माध्यम से भारत की समृद्ध विरासत को दर्शाया गया था.
हाल ही में नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (आईआईसी) में प्रदर्शनी पर हुई चर्चा में इतिहासकार और लेखक विलियम डेलरिम्पल ने कला प्रेमियों, नौकरशाहों, संग्रहालय विज्ञानियों और सांस्कृतिक पारखियों सहित दर्शकों का मन मोह लिया. प्रदर्शनी के महत्व पर जोर देते हुए सिंह ने कहा कि थीम को सार्वभौमिक समावेशिता को दर्शाने और जी20 को प्रतिबिंबित करने के लिए चुना गया था.
दुर्लभ संग्रह
प्रदर्शनी में सिंह की 50 मिनट की प्रस्तुति में विषयों की समृद्धि, क्यूरेटोरियल चुनौतियों और भारत की सांस्कृतिक कहानियों पर प्रदर्शनियों के बारे में चर्चा की गई. डेलरिम्पल ने प्रदर्शन की दुर्लभता की पुष्टि की. उन्होंने कहा, “इस शहर में मेरे समय में बेहतरीन कृतियों का इतना असाधारण संग्रह कभी भी एक साथ नहीं दिखाया गया था और इस देश में मौजूद संग्रहों की गुणवत्ता वास्तव में आंखें खोलने वाली है.”
सिंह ने सदियों और महाद्वीपों तक फैली भारत की कालातीत विरासत का ज़िक्र किया. उन्होंने दर्शकों को बताया कि भारत के सांस्कृतिक विकास की विविध टेपेस्ट्री की दुर्लभ झलक दिखाने के लिए पूरे भारत से कलाकृतियों का चयन कितनी सावधानी से किया गया था.
उन्होंने उस प्रदर्शनी के बारे में कहा जो पिछले साल से चल रही है, “यह भारत की सभ्यतागत अभिव्यक्तियों, जड़ों के बारे में है, जो एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है और इस प्रक्रिया में, जो कुछ भी बेहतरीन और दुर्लभ है और और विश्व स्तरीय है.”
प्रदर्शनी में गंधारन मूर्तियां, सिनौली खुदाई से मिले रथ, अमरावती और चोल कांस्य, बौद्ध पुरावशेष, सिक्के, पुरानी पेंटिंग और साथ ही विभिन्न सरकारी संग्रहालयों की पांडुलिपियां प्रदर्शित की गई थीं.
प्रदर्शनी में भारतीय आख्यानों, पुरातत्व, साहित्य, मुद्राशास्त्र, पुरालेख और चित्रों के चित्रण के माध्यम से सांस्कृतिक चमत्कारों का पता लगाया गया है. सिंह ने कहा, “श्रृंगार और ज्ञान प्रणाली जैसे विषय जो अंतरराष्ट्रीय हैं, भारतीय कहानी की सूक्ष्म विरासत को चित्रित करने के लिए लिए गए हैं.”
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क्यूरेटोरियल ओडिसी
संस्कृति मंत्रालय ने जी20 शिखर सम्मेलन से पहले सिंह को बुलाया था और उनसे एक प्रदर्शनी आयोजित करने का अनुरोध किया. मंत्रालय ने बाद में इसे ‘Roots and Routes’ नाम दिया.
सिंह को प्रदर्शनी ऑपरेशनल करने में छह महीने से अधिक का समय लगा. उन्होंने और उनकी टीम ने उत्तर प्रदेश, चंडीगढ़ और चेन्नई सहित कई प्रतिष्ठित संस्थानों का दौरा किया, जो इन पुरावशेषों के संरक्षक के रूप में कार्य करते थे. सिंह ने कहा, “जितना मैंने देखा, उतना ही अधिक मुझे लगा कि मुझे इसे अपने लोगों तक पहुंचाना होगा क्योंकि इस प्रक्रिया में मैं भी सीख रहा था. मैं कोई क्यूरेटर या कला इतिहासकार नहीं हूं. मैंने इसके हर मिनट का आनंद लिया.”
यह पहली बार है कि किसी प्रदर्शनी में मूल पुरावशेषों को प्रदर्शित करने के लिए इतने बड़े पैमाने पर लोग आए हैं. कोलकाता, चेन्नई और चंडीगढ़ में भारतीय संग्रहालय और एशियाटिक सोसाइटी ऑफ कोलकाता सहित भारत के सोलह प्रतिष्ठित संस्थानों ने सिंह और उनकी टीम को अपनी प्राचीन वस्तुएं भेजीं. प्रेम और संगीत के चित्रण से लेकर प्रकृति और आध्यात्मिकता पर चिंतन तक, प्रत्येक कलाकृति भारत के सभ्यतागत लोकाचार का प्रतीक थी.
हालांकि, नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट में सात महीने से अधिक समय तक प्रदर्शित होने के बाद, प्रदर्शनी को जल्द ही हटा लिया जाएगा. सिंह ने जोर दिया, “वहां की प्राचीन वस्तुओं के कारण प्रदर्शनी को हटाना भी एक प्रमुख काम है. वे बहुत कीमती और मूल्यवान हैं.”
डेलरिम्पल ने सिंह की कोशिश की सराहना करते हुए कहा कि नौकरशाही अक्सर लोगों को शिकायत करने का कारण देती है, लेकिन वे कभी-कभी इस तरह के शानदार काम भी करती हैं. उन्होंने कहा, “तो, यह (प्रदर्शनी) मास्टरवर्क्स की एक बिल्कुल शानदार सीरीज़ का एक दुर्लभ उदाहरण है. यह महान उपहारों में से एक है.”
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म्यूज़ियम का सवाल
सिंह की आकर्षक प्रस्तुति के बाद दर्शकों ने भारत में संग्रहालयों के प्रबंधन के साथ-साथ राष्ट्रीय संग्रहालय के विध्वंस को लेकर हाल के विवाद पर कई सवाल पूछे. 2021 में नरेंद्र मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया था कि सेंट्रल विस्टा परियोजनाओं के पूरा होने के बाद, रायसीना हिल स्थित नॉर्थ और साउथ ब्लॉक को राष्ट्रीय संग्रहालय में बदल दिया जाएगा.
जब एक दर्शक सदस्य ने सिंह से परियोजना की स्थिति के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा, “राष्ट्रीय संग्रहालयों के बारे में तो आप जानते ही हैं कि उनमें भारत क्या है और भारत के राष्ट्रीय संग्रहालयों में क्या होना चाहिए, वो असल में नहीं है. इसलिए मुझे लगता है कि नॉर्थ और साउथ ब्लॉक एक संग्रहालय बनाने की योजना बिल्कुल सही है.”
डेलरिम्पल ने जल्द ही हस्तक्षेप किया और सिंह से सवाल किया कि क्या यह सुझाव सच है कि ब्रिटिश संग्रहालय उत्तर और दक्षिण ब्लॉक में नए संग्रहालय बनाने में भारत की सहायता करेगा. सिंह ने जवाब दिया, “मुझे लगता है कि कुछ बातचीत चल रही है.” उन्होंने कहा कि संग्रहालयों को ठीक से व्यवस्थित करने और एक म्यूजियोलॉजी स्कूल बनाने में पांच, छह या सात साल लगेंगे.
फिर, एक जिज्ञासु श्रोता डेलरिम्पल के पास सवाल लेकर आया: भारत के कुछ बेहतरीन खजाने अभी भी इंग्लैंड में क्यों हैं?
“मैं इस बिंदु पर अपना स्कॉटिश झंडा फहराऊंगा.” डेलरिम्पल ने मज़ाक में कहा और हॉल में हंसी गूंज उठी.
लेकिन काम जारी है इसने गति पकड़ ली है. डेलरिम्पल ने विस्तार से बताया, कि संग्रहालयों को भारत में चीज़ें लौटाने के लिए अन्य देशों में संसद के एक अधिनियम को पारित करना होगा. इसके अलावा, उन्होंने कहा, भारत में संग्रहालयों को कलाकृतियों की उचित देखभाल के लिए बजट आवंटन की ज़रूरत है.
उन्होंने कहा, “भारत अब एक समृद्ध देश है. हम हर हफ्ते नए हवाई अड्डे का खर्च उठा सकते हैं. इसलिए हम समान रूप से शानदार संग्रहालय बना सकते हैं, जिसकी यह महान सभ्यता हकदार है.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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