बात 2011 की है. ऑस्ट्रेलिया के 24 वर्षीय ऑफ स्पिनर ने अपने अंतरराष्ट्रीय टेस्ट डेब्यू की पहली गेंद से ही सबको चौंका दिया. जैसे ही गेंद उनकी उंगलियों से छूटी, स्ट्राइक पर बाएं हाथ का बल्लेबाज कुछ परेशान दिखाई देता है. खेले जाने और छोड़े जाने के बीच गेंद उससे दूर होकर ऑफ स्टंप के बाहर की ओर चली जाती है. बाहर निकलती गेंद बल्ले का किनारा लेते हुए सीधे स्लिप में खड़े फील्डर के हाथों में जाकर गिरती है. नाथन लियोन, एक दुबला-पतला, बिना बालों वाला लंबा आदमी, हवा में अपनी मुट्ठी ऊपर उठाता है और इस बीच उसके साथी श्रीलंका के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में से एक कुमार संगकारा को पहली गेंद पर आउट करने पर उसे बधाई देने के लिए उसके पास आ जाते हैं. मैच खत्म होने तक नाथन छह विकेट ले चुके होते हैं.
बारह साल बाद, अपना 400वां टेस्ट विकेट लेने के एक साल से अधिक समय के बाद, उन्होंने एक गुड लेंथ की गेंद फेंकी, जिस पर रवींद्र जडेजा ने शॉट लगाया जिसे शॉर्ट एक्स्ट्रा कवर पर खड़े फील्डर ने लपक लिया.
इन दोनों के आउट होने में एक बात समान है और एक तरह से क्रिकेट के क्षेत्र में ऑफ ब्रेक गेंदबाजों के दबदबे को भी दर्शाता है- दोनों ही विकेट उपमहाद्वीप में लिए गए.
लियोन, जो अब 35 वर्ष के हो चुके हैं, लेकिन कहीं अधिक अनुभव के साथ उन्होंने इतिहास की किताबों में अपना नाम दर्ज करा लिया है. बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 2023 के तीसरे टेस्ट में जडेजा का विकेट, जो एशियाई सरजमीं पर उनका 128वां विकेट भी था, उन्होंने महान स्पिनर शेन वार्न को पीछे छोड़ दिया. लियोन, अब 137 विकेट के साथ, वार्न के 127 विकेट से 10 विकेट आगे हैं जो कि महाद्वीप के बाहर के खिलाड़ी द्वारा एशिया में सबसे अधिक विकेट लेने का रिकॉर्ड है.
बाएं हाथ के धीमे गेंदबाज और पूर्व भारतीय क्रिकेटर मनिंदर सिंह ने कहा, “लियोन ऑस्ट्रेलिया में कठिन परिस्थितियों में खेले हैं और इसलिए, मानसिक रूप से बहुत मजबूत हैं. वरना टेस्ट क्रिकेट में कोई स्पिनर 400 से ज्यादा विकेट नहीं ले सकता. और, उस अनुभव के साथ, वह समझते हैं कि भारतीय पिचों पर लेंथ और स्पीड कैसे काम करती है.”
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पिचों का खेल
भारत में स्पिन की अनुकूल पिचों के विपरीत, ऑस्ट्रेलिया में उंगली से गेंद घुमाने वाले गेंदबाजों की तुलना में कलाई से गेंद घुमाने वाले स्पिनरों के लिए परिस्थितियां ज्यादा अनुकूल होती हैं क्योंकि पिचें उछाल देती हैं लेकिन उतना टर्न नहीं मिल पाता. उंगली से गेंद घुमाने वाले स्पिनर होने के नाते लियोन ने अपनी पहचान बनाने के लिए विपरीत परिस्थितियों में कड़ी मेहनत की है. वह, वॉर्न के साथ, भारत में ट्रिपल फिगर में विकेट लेने वाले एकमात्र विदेशी गेंदबाज हैं. वह भारत के खिलाफ सर्वाधिक बार (9) पांच विकेट लेने वाले भी एकमात्र गेंदबाज हैं.
ऐसा लगता है कि अगर आपने ऑस्ट्रेलियाई पिचों पर जीत हासिल कर ली, तो भारतीय पिचें, इसकी तुलना में काफी आसान है.
मनिंदर ने कहा, “भारतीय पिचों पर लियोन को वार्न से ज्यादा मदद मिली है. वार्न को कभी भी टर्निंग ट्रैक नहीं मिलते थे जिसमें मैच 2-2.5 दिनों में खत्म हो जाते थे. वार्न ने भारत में बेहतर पिचों पर गेंदबाजी की, इसलिए शायद, उनकी सफलता की दर लियोन की तरह अच्छी नहीं थी.” मनिंदर ने अलग-अलग युगों के दो क्रिकेटरों के बीच तुलना को “अनुचित” “बताया. हालांकि, उन्होंने कहा कि लियोन, शायद उन पिचों पर भी सफल रहे होंगे, जिन पिचों पर वार्न ने खेला था, क्योंकि वह खेल के “बहुत अच्छे थिंकर” हैं.
चूंकि लियोन ने 2011 में रेड-बॉल क्रिकेट खेलना शुरू किया था. ऑस्ट्रेलिया स्पिनरों के लिए सबसे कठिन देशों में से एक रहा है और तुलनात्मक रूप से भारत फिर भी आसान है. लेकिन ऑस्ट्रेलियाई ऑफ स्पिनर ने प्रतिकूल परिस्थितियों में भी सफल होने का एक तरीका निकाला. घरेलू मैदानों पर 32.87 का उनका औसत अप्रभावी लग सकता है लेकिन जब यह देखा जाए कि ऑस्ट्रेलिया में स्पिनरों ने कैसा प्रदर्शन किया है, तो अन्य स्पिन गेंदबाजों की तुलना में वह 1.89 गुना बेहतर दिखते हैं.
भारतीय कप्तान रोहित शर्मा लियोन को “सर्वश्रेष्ठ विदेशी गेंदबाज” मानते हैं, जिसका उन्होंने भारतीय परिस्थितियों में लाइन और लेंथ में निरंतरता के कारण सामना किया है.
इंदौर टेस्ट में लियोन ने शर्मा को आउट किया था. शर्मा ने कहा था, “वह (ल्योन) आपको बहुत अधिक वक्त नहीं देता. जब कोई उस सटीकता के साथ गेंदबाजी करता है, तो आपको कुछ अलग करने की कोशिश करनी होती है और रन बनाने के तरीके खोजने होते हैं.” शर्मा ने आराम से लियोन की डिलीवरी को अनुमान लगाते हुए लेग साइड की ओर खेला, लेकिन गेंदबाज ने अपनी लेंथ में थोड़ा बदलाव कर दिया. जिस वजह से शर्मा एलबीडब्ल्यू आउट हो गए. इसे भाग्य कहिए या रणनीति. यह विकेट लियोन की चालाकी और कौशल पर उनकी कितनी शानदार पकड़ है, इस बात की गवाही है.
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गेंद घुमाने की कला
ऑस्ट्रेलियाई ऑफ स्पिनर धीरे-धीरे भारत में एक मजबूत स्पिन मशीन के रूप में उभरा है, जो बल्लेबाजों को परेशान करता है. पहले बाहर किए जाने और फिर 2013 में भारत दौरे पर शामिल किए जाने के बाद, उन्होंने टर्निंग पिचों पर गेंदबाजी करने के लिए काफी मेहनत की. यहां तक कि उनके 23 बार लिए गए पांच विकेट में से ग्यारह एशिया में आए हैं, जिनमें से चार भारत के खिलाफ थे.
पूर्व भारतीय स्पिनर हरभजन सिंह कहते हैं, “लियोन साइड स्पिन का उपयोग नहीं करता है बल्कि उछाल और लेंथ पर अधिक निर्भर है. यह समझना महत्वपूर्ण है कि अतिरिक्त उछाल और क्रीज का इस्तेमाल कैसे करें, खासतौर से लेंथ का. दूसरों की तुलना में उन्हें इसकी बेहतर समझ है.”
मनिंदर सिंह ने गौर किया कि एक मशीन की तरह, वह पिच के अनुसार अपनी डिफॉल्ट सेटिंग्स- अपनी गति और लेंथ को बदलते हैं, जैसा कि हाल ही में खत्म हुई बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के दौरान देखा गया. अनिल कुंबले को पीछे छोड़कर लियोन टूर्नामेंट के इतिहास में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले खिलाड़ी बन गए.
हरभजन के अनुसार लियोन की अपनी तरह की गेंदबाजी शैली एक सीधी सीम के साथ गेंदबाजी करना है और उनके बेसिक्स “इतने मजबूत” हैं कि भले ही ऑस्ट्रेलियाई स्पिनर अपनी गति को 4-5 किमी प्रति घंटे बढ़ा दें, उनकी सीम स्थिति सीधी रहती है जो उन्हें अधिक स्पिन और उछाल प्राप्त करने में मदद करती है जो कि बल्लेबाजों के लिए घातक साबित होती है.
हालांकि, उनकी गेंदबाजी के बदौलत ऑस्ट्रेलिया कभी भी भारत के खिलाफ मैच नहीं जीता. उनकी टीम की एकमात्र जीत तब हुई थी जब वह टीम का हिस्सा थे और तब स्टीव ओ’कीफ ने 2017 में पुणे में 70 रन देकर 12 विकेट लिए थे.
482 टेस्ट विकेट के साथ, लियोन जल्द ही 500 के आंकड़े को छूने की तरफ बढ़ रहे हैं. हालांकि वह स्वीकार करते हैं कि 23वीं बार लिया गया पांच विकेट उनके 119-टेस्ट मैच के करियर के “सबसे बड़े” हाइलाइट्स में से एक है. साथ ही वह इसके बजाय टीम के खिलाड़ी होने पर ध्यान केंद्रित करेंगे, जो उनके पिता द्वारा उन्हें सिखाया गया था.
(संपादन: कृष्ण मुरारी)
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