कैथल: यह 2016 की मराठी फिल्म सैराट के क्लाइमेक्स सीन जैसा ही था. दुल्हन का छोटा भाई 18 जून को नवविवाहित जोड़े से मिलने आया था. वे हरियाणा में उसके गांव के घर में चाय पी रहे थे. अचानक उसने पिस्तौल निकाली और उसे (लड़की को) गोली मार दी. वे अपने कमरे की ओर भागी, लेकिन दरवाजे पर ही गिर गई. कैथल के क्योरड़ गांव की मूल निवासी 20-वर्षीया कोमल रानी गुज्जर थीं और उन्होंने चार महीने पहले ही दलित लड़के अनिल से शादी की थी. उनकी हत्या उनके 17-वर्षीय भाई ने की.
हत्या के कुछ मिनट बाद भाई ने इंस्टाग्राम पर लाइव वीडियो शुरू किया और पिस्तौल लहराते हुए बखान किया, “भाइयों, मेरी बात सुनो. मैंने यह कर दिया है. मैंने उस लड़की को मार दिया है जो हमारे घर से भाग रही थी. जो कोई भी गुज्जर की बेटी को ले जाएगा, उसका यही हश्र होगा.”
तीन घंटे की दूरी पर नारनौल में महेंद्रगढ़ के धोलेरा गांव की परवीना, 9 जून को पड़ोसी गांव बिगोपुर के विकास के साथ भाग गईं. उन्होंने पड़ोसी गांव से शादी न करने के सामाजिक नियम को तोड़ा. अब विकास के गांव को उसके गांव ने बहिष्कृत कर दिया है. बस स्टैंड और हाईवे तक जाने वाले उनके रास्ते बंद कर दिए गए हैं, बैंक तक उनकी पहुंच बंद है और धोलेरा में उनकी दुकानें जबरन बंद कर दी गई हैं. गांव वालों ने मांग की है कि पंचायत के जरिए उनकी शादी को रद्द किया जाए, उनका तर्क है कि इससे गांवों के बीच भाईचारा खत्म हो गया है.
सिरसा में जगदीश सिंह ने अपनी 27-वर्षीया बेटी सरवजीत कौर की इसलिए गला घोंटकर हत्या कर दी क्योंकि वे अपने प्रेमी करण सिंह से फोन पर बात कर रही थी. जगदीश ने शुरू में दावा किया कि उनकी बेटी की मौत “दिल का दौरा” पड़ने से हुई, लेकिन 19 जून को गिरफ्तारी के बाद पिता और बेटे ने आखिरकार सरवजीत की हत्या की बात कबूल कर ली. उन्होंने कहा कि लड़का गरीब था और वे उसे पसंद नहीं करते थे.
हरियाणा के ग्रामीण इलाकों में अपनी मर्ज़ी से किसी भी काम को वालीं महिला को समाज द्वारा स्वीकृत सबसे कठोर सज़ा के लायक माना जाता है. एक महीने के भीतर तीन घटनाएं हरियाणा के परिवारों द्वारा अपनी बेटियों और बहनों पर लगातार हो रहे हमलों की भयावह तस्वीर पेश करती हैं. इसके मूल में परिवार, कुल और गांव का ‘सम्मान’ है. इन गांवों में महिला की मर्ज़ी से काम करना आज भी सबसे खौफनाक विचार है. जो कोई भी सामाजिक नियमों का उल्लंघन करता है, उसके रिश्तेदारों द्वारा उसका बहिष्कार किया जाता है और हिंसाएं की जाती हैं और पंचायत और गांव वाले अक्सर परिवारों का समर्थन करते हैं. ऐसी कई हत्याएं रहस्य में लिपटी रहती हैं और यह मामले कभी पुलिस स्टेशन तक नहीं पहुंचते क्योंकि पंचायत के नेतृत्व वाली चुप्पी के कारण उन्हें दबा दिया जाता है.
हरियाणा में पितृसत्तात्मक मानसिकता गहराई से समाई हुई है — जाति और परंपरा से बंधा एक कृषि प्रधान समाज. सतही आधुनिकता के बावजूद, परिवार और गांव की इज्ज़त (सम्मान) अभी भी महिलाओं पर टिकी हुई है.
—कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी में महिला अध्ययन अनुसंधान केंद्र की निदेशक ऋचा तंवर
केंद्र सरकार के नारे ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ की और इसकी योजनाओं ने राज्य के पारंपरिक समाजों में महिलाओं के प्रति नज़रिए को नहीं बदला है. फरवरी 2024 में हरियाणा के पूर्व गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि 2019 से 2023 के बीच राज्य में 24 तथाकथित ‘ऑनर’ किलिंग के मामले दर्ज किए गए हैं. तीन दशकों के विरोध, सक्रियता, सामाजिक परामर्श, पुलिस कार्रवाई और मुख्यधारा के सिनेमा के प्रतिबिंबों ने ग्रामीण परिवारों द्वारा ‘सम्मान’ को मापने के गहरे स्त्री-द्वेषी तरीके को हिला नहीं पाया है. सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षाविद तर्क देते हैं कि आधिकारिक डेटा वास्तविकता को बहुत कम आंकते हैं और ऐसी मौतों को दर्ज करने के लिए उचित कानून की मांग करते हैं.
कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी में महिला अध्ययन अनुसंधान केंद्र की निदेशक ऋचा तंवर ने कहा, “हरियाणा में पितृसत्तात्मक मानसिकता गहराई से समाई हुई है — एक कृषि प्रधान समाज जो जाति और परंपरा से बंधा हुआ है. सतही आधुनिकता के बावजूद, परिवार और गांव की इज्ज़त (सम्मान) अभी भी महिलाओं पर टिकी हुई है. बिना उचित कानून के ‘ऑनर किलिंग’ के मामलों को सही तरीके से दर्ज नहीं किया जा सकेगा.”
बिस्तर के किनारे बैठे 24-वर्षीय अनिल राजपूत हरे और गुलाबी तकिए को कसकर पकड़ते हुए रो रहे हैं. उन्होंने बिस्तर को छोड़ने से इनकार कर दिया — यह वो जगह थी जहां उनकी पत्नी कोमल हत्या से कुछ क्षण पहले लेटी थीं.
अनिल ने सिसकते हुए कहा, “मुझे उसे किसी दूसरे शहर में ले जाना चाहिए था, लेकिन वो हमेशा कहती थी कि उसके माता-पिता उससे प्यार करते हैं और हमारे रिश्ते को स्वीकार कर लेंगे.”
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पारिवारिक साजिश
कैथल जिले की नानक कॉलोनी की संकरी गलियों में कोमल देवी की मौत पर शोक मनाने के लिए ग्रामीण इकट्ठा हुए. अपनी बहन की हत्या करने के बाद 17-वर्षीय किशोर ने बहन की सास और ननद पर गोली चलाई, जिसके बाद अनिल पहली मंजिल से नीचे की ओर भागा, उसके हाथ में ईंटें थीं और वह उस पर हमला करने वाला था. फिर नाबालिग ने ई-रिक्शा लिया, इंस्टाग्राम पर लाइव वीडियो स्ट्रीम किया, कैथल पुलिस स्टेशन गया और आत्मसमर्पण कर दिया.
इस योजना में लड़की के पिता, माता और मामा शामिल थे. प्लानिंग थी कि नाबालिग कोमल पर हमला करे क्योंकि उसे किशोर कानून के तहत कम सजा मिलेगी
—बिजेंद्र सिंह, जांच अधिकारी, कैथल पुलिस
अब, अनिल के घर पर, उत्सुक पड़ोसी उस कमरे में प्रवेश करने के लिए कतार में खड़े हैं जहां हत्या हुई थी. अनिल की दादी, देवी बाई, हत्या की डिटेल्स बता रही हैं.
उन्होंने कहा, “बिस्तर की चादर खून से लथपथ थी. हमने उसे फेंक दिया और मैंने पूरा बरामदा धो दिया. यह आज भी मुझे सिहरन पैदा कर देता है.”
अनिल और कोमल चार महीने पहले भाग गए थे और अपनी शादी को पंजीकृत कराने के लिए सिरसा जिला कोर्ट गए थे. तब से जोड़े को धमकियां मिल रही थीं. वे सुरक्षा के लिए पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट भी गए और 22 दिनों तक सुरक्षा गृह में रहे.
अनिल ने सिर झुकाते हुए कहा, “लेकिन आप इतने लंबे समय तक सुरक्षित गृह में कैसे रह सकते हैं? हम प्यार करना चाहते थे और आज़ादी से जीना चाहते थे.”
अनिल और कोमल की प्रेम कहानी एक साधारण कहानी थी. वे कैथल के आंबेडकर कॉलेज में मिले, जहां वे कॉमर्स स्ट्रीम में ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहे थे और उसी दौरान दोनों प्यार में पड़ गए. वे क्लास बंक किया करते, साथ में खाने के लिए कैंटीन में बैठते और घर पर चुपके से फोन पर बात करते थे. हालांकि, पिछले साल जब कोमल के परिवार ने उस पर शादी के लिए दबाव डाला, तो उन्हें पता था कि उन्हें कुछ कदम उठाने होंगे.
अनिल ने कहा, शादी के बाद कोमल के परिवार की धमकियां आम बात हो गई थीं, लेकिन आखिरकार सब कुछ ठीक हो गया. मई में कोमल के नाबालिग भाई ने उससे मुलाकात की और कहा कि उसे उनकी शादी मंजूर है.
अनिल ने कहा, “उसने कोमल के माता-पिता से हमारी शादी को स्वीकार करवाने का वादा भी किया.”
लेकिन कैथल सिटी पुलिस स्टेशन के जांच अधिकारी बिजेंद्र सिंह ने बताया कि यह एक चाल थी. नाबालिग को हमले से पहले कोमल का भरोसा जीतना था. इसमें पूरा परिवार शामिल था. 18 जून को नाबालिग चौथी बार घर आया और पहली बार ससुराल वालों और पति ने कोमल को उनके भाई के साथ अकेला छोड़ा. तभी गोलियों की आवाज़ आई.
सिंह ने कहा, “इस योजना में लड़की के पिता, मां और मामा शामिल थे. प्लानिंग थी कि नाबालिग कोमल पर हमला करे क्योंकि उसे किशोर कानून के तहत कम सज़ा मिलेगी.”
नाबालिग भाई को किशोर हिरासत में भेज दिया गया है, जबकि कोमल की मां अनीता को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने बताया कि मृतक के पिता और मामा फरार हैं. सिंह ने कहा कि नाबालिग ने फेसबुक फ्रेंड से पिस्तौल खरीदी थी और इस मामले की भी जांच की जा रही है.
चादर खून से लथपथ थी. मैंने उसे फेंक दिया और पूरा बरामदा धो दिया. यह आज भी मुझे सिहरन पैदा करता है
—देवी बाई, अनिल की दादी
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‘हम फंस गए’
महेंद्रगढ़ जिले के धोलेरा गांव में एक दुकान के बाहर शेल्टर के नीचे कुछ पुरुष एकत्र हुए हैं. उन्होंने स्थानीय हिंदी अखबार में कोमल की हत्या के बारे में पढ़ा था और अपने गांव में एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा कर रहे थे: शादी को कैसे रद्द किया जाए और अपना सम्मान कैसे बहाल किया जाए.
हुक्का पीते हुए 71-वर्षीय अभय सिंह ने कहा कि कोमल के साथ जो हुआ, वो “बीमारी” को फैलने से रोकने का एकमात्र तरीका था.
सिंह ने कहा, “महिलाएं मासूम होती हैं; वे पुरुषों और उनके प्यार के झांसे में आसानी से आ जाती हैं. नाबालिग लड़का अपनी बहन के विश्वासघात को बर्दाश्त नहीं कर सका और उसके पास उसे मारने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था. देखिए, हमारे गांव की बेटी उसी रास्ते पर चल रही है.” सभी ने सहमति में सिर हिलाया.
सिंह परवीना की ओर इशारा कर रहे थे, जिसने पड़ोसी गांव बिगोपुर के विकास से शादी की थी. धोलेरा के ग्रामीणों ने विकास के गांव को समाज से बहिष्कृत कर दिया है.
सड़क के उस हिस्से की ओर इशारा करते हुए सिंह ने कहा, “जब तक वो इस शादी को रद्द नहीं कर देते, तब तक उस गांव का कोई भी व्यक्ति इस सड़क को पार नहीं कर सकता. जब वे हमारे भाई हैं, तो हम उन्हें जीजा कैसे कह सकते हैं.”
24-वर्षीय परवीना और 26-वर्षीय विकास की मुलाकात बस स्टैंड पर हुई, जो अब लड़के के गांव वालों के लिए बंद है. विकास नारनौल में अपने कोचिंग संस्थान जाने के लिए बस लेता था और लड़की उसी बस से शहर में अपने सरकारी कॉलेज जाती थी. वह एक ही जाति के हैं और उनकी आर्थिक पृष्ठभूमि भी लगभग एक जैसी है, लेकिन उनका अपराध यह है कि उन्होंने दोनों गांवों के भाईचारे को तोड़ दिया है.
हरियाणा के ग्रामीण इलाकों में भाईचारे की एक मजबूत अवधारणा है. लोग अपनी बेटियों या बेटों की शादी पड़ोसी गांवों के किसी व्यक्ति से नहीं करते हैं, क्योंकि इन गांवों को उनके अपने परिवार का ही विस्तार माना जाता है. उन गांवों में पैदा होने के कारण पुरुषों और महिलाओं को भाई-बहन की तरह माना जाता है. बुजुर्गों ने कहा कि यह भाईचारा ही उनकी महिलाओं की रक्षा करता रहा है.
उनके लिए यह विवाह उस पवित्र सामाजिक अनुबंध का उल्लंघन था.
31-वर्षीय देवी लाल यादव ने कहा, “हम सोचते थे कि हमारे गांव (धोलेरा) में लड़कियां सुरक्षित हैं क्योंकि बिगोपुर के सभी पुरुष उनके भाई हैं, लेकिन गांव हमारी बेटियों को ले जाने की कोशिश कर रहा है और हम ऐसा नहीं होने देंगे.”
परवीना और विकास ने 13 जून को अपनी जान को खतरा होने की आशंका जताते हुए सुरक्षा मांगी थी और पंचायतों ने उन्हें अलग रहने के लिए कहा था और फिलहाल वे एक सुरक्षित घर में रह रहे हैं. धोलेरा गांव में परवीना को वापस लाने के लिए नियमित रूप से चर्चा और पंचायत बैठकें हो रही हैं.
परवीना के पिता संजय सिंह ने लोगों से मिलना-जुलना और सामाजिक समारोहों में शामिल होना बंद कर दिया है. सिंह ने कहा कि उनकी बेटी के इस करतूत ने उन्हें अपमानित किया है और अब उनमें लोगों का सामना करने की हिम्मत नहीं है. सिंह ने याद किया कि उनकी बेटी 9 जून को भाग गई थी.
वो सड़क के दूसरी तरफ खेती का कुछ सामान लेने गई थी, तभी यह घटना हुई. तब से सिंह ने अपनी बेटी से दो बार बात की है, लेकिन उसने वापस लौटने से इनकार कर दिया है.
गांव से भागने के बाद प्रेमी जोड़े ने उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में एक मंदिर में शादी कर ली.
हम सोचते थे कि हमारे गांव (धोलेरा) की लड़कियां सुरक्षित हैं क्योंकि बिगोपुर के सभी पुरुष उनके भाई हैं, लेकिन गांव हमारी बेटियों को ले जाने का प्रयास कर रहा है
—देवी लाल यादव, धोलेरा निवासी
बिगोपुर में ग्रामीण फंस गए हैं. मुख्य सड़क धोलेरा से होकर गुज़रती है, बस स्टैंड धोलेरा में स्थित है और यहां उनकी दुकानें जबरन बंद कर दी गई हैं.
सूरत सिंह, जिनकी धोलेरा में किराने की दुकान बंद कर दी गई थी, ने कहा, “हमने पिछले हफ्ते एक पैसा भी नहीं कमाया है. हम फंस गए हैं. हम कुछ नहीं कर सकते क्योंकि इससे पहले से ही संवेदनशील माहौल और खराब हो जाएगा. लड़के ने गलत किया है और हम इसकी कीमत चुका रहे हैं.”
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प्रेम विवाह के खिलाफ कार्रवाई
सरवजीत की हत्या मोबाइल फोन पर हुई बातचीत के कारण हुई. वे अपने फोन को दुपट्टे से ढक कर करण से बात कर रही थी, तभी उसके पिता जगदीश ने उसे पकड़ लिया. तीखी बहस के बाद किसान जगदीश ने उसी दुपट्टे से उसका गला घोंटकर हत्या कर दी. सरवजीत और करण दोनों ही कंबोज जाति के थे, लेकिन करण आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से था और उसके पास ज़मीन कम थी.
अगले दिन 3 जून को सरवजीत का सिरसा के नाजाडेला कलां गांव में आनन-फानन में अंतिम संस्कार कर दिया गया. कहानी फैलाई गई — आधी रात के बाद दिल का दौरा पड़ने से उसकी मौत हो गई — लेकिन सच्चाई सभी जानते थे. जगदीश के पास एक कहानी तैयार थी — 2 जून को तूफान के दौरान, परिवार जाग रहा था और खुले में पड़े सामान को उठा रहा था, तभी सरवजीत चारपाई से गिर गई और उसकी मौत हो गई.
अगर सामाजिक कार्यकर्ता करतार सिंह ने सरवजीत की संदिग्ध मौत को लेकर पुलिस में आवेदन नहीं दिया होता तो वे बच निकलते. पुलिस की एक टीम गठित की गई और जांच के दौरान पिता और भाई ने हत्या करने की बात कबूल की.
पोलैंड की व्रोकला यूनिवर्सिटी में पीएचडी स्कॉलर अंकित, जिन्होंने हरियाणा में लिंग और विवाह पर फील्ड रिसर्च किया है, ने कहा कि उन्होंने कई ग्रामीणों और सरपंचों से मुलाकात की, जो चाहते थे कि सरकार ‘प्रेम विवाह’ के बढ़ते मामलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे.
अंकित ने कहा, “महेंद्रगढ़ जिले में ग्रामीणों ने मुझे बताया कि युवा पुरुष और महिलाएं पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन नहीं कर रहे हैं, जातियों से अलग शादी कर रहे हैं और गांवों से भाग रहे हैं. वे चाहते हैं कि सरकार उन्हें बचाए.”
यह भावना सिरसा, कैथल और महेंद्रगढ़ में फैली हुई है, यहां तक कि नारनौल पुलिस लाइन तक, जहां परवीना और विकास सुरक्षा की मांग कर रहे हैं. यहां तक कि पुलिसकर्मी भी जोड़े के रिश्ते को अस्वीकार करते हैं.
एक इंस्पेक्टर ने दावा किया कि उसने अपनी बेटी की इतनी अच्छी परवरिश की है कि उसने चुपचाप उसकी पसंद के लड़के से शादी कर ली.
उन्होंने कहा, “हमारे समाज में हम प्रेम विवाह को मंजूरी नहीं देते हैं. पुलिस कर्मियों के रूप में हमारा कर्तव्य सुरक्षित घर में जोड़े की रक्षा करना है, लेकिन एक हरियाणवी के रूप में, मैं जानता हूं कि इस तरह की शादियां हमारे समाज पर एक धब्बा हैं.”
एक अन्य पुलिस अधिकारी ने कहा कि कोमल की हत्या की खबर जोड़े तक पहुंच गई है और अब, वे अपनी सुरक्षा को और बढ़ाने की मांग कर रहे हैं.
दिप्रिंट ने परवीना और विकास से मिलने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया.
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भाई का गुस्सा
कोमल के पैतृक गांव क्योरड़ में ग्रामीण राहत की सांस ले रहे हैं. 60-वर्षीया सुनीता देवी ने कहा कि परिवार ने अपनी बेटी की हत्या करके सही काम किया.
देवी ने मिट्टी का घड़ा लेकर अपने घर की ओर जाते हुए कहा, “आप एक बेटी पर इतना निवेश करते हैं, उसे पढ़ाते हैं, उसके लिए कपड़े खरीदते हैं, उसकी चिंता करते हैं और फिर वो एक आदमी के साथ भाग जाती है और अपने माता-पिता को शर्मिंदा करती है? ऐसी बेटी के साथ क्या करना चाहिए?”
कोमल के पिता के भाई सुरेश पाल अपने घर में चारपाई पर लेटे हुए हैं. पाल को 21 जून को पुलिस ने जांच के लिए हिरासत में लिया था और आठ घंटे बाद रिहा कर दिया. उन्होंने याद किया कि कैसे कोमल के भाग जाने और शादी करने के बाद उसका छोटा भाई असामान्य व्यवहार करने लगा था.
पाल ने कहा, “वह कम बोलने लगा. वो शायद ही कभी घर आता. बस एक ही बात कहता: ‘या तो मैं उसे मार दूंगा या खुद को मार लूंगा’ उसका गुस्सा इतना था.” उन्हें परिवार की साजिश के बारे में पता नहीं था और उन्हें अपनी भतीजी की मौत पर अफसोस है.
पाल ने कहा कि गांव वाले परिवार को शांति से रहने नहीं देते. उनकी छोटी बहन की शादी होने वाली थी, लेकिन कोमल की शादी के बारे में सुनकर दूल्हे के परिवार ने पीछे हट गए. नाबालिग के दोस्त उसे चिढ़ाने लगे और गांव में गपशप के कारण परिवार ने खुद को अपने घर तक ही सीमित कर लिया.
हमारे समाज में प्रेम विवाह को मंजूरी नहीं दी जाती. पुलिस कर्मियों के रूप में, हमारा कर्तव्य जोड़े को सुरक्षित घर में सुरक्षित रखना है, लेकिन एक हरियाणवी के रूप में, मैं जानता हूं कि ऐसी शादियां हमारे समाज पर एक धब्बा हैं
—नारनौल इंस्पेक्टर
पाल, जो खुद एक अनुसूचित जाति की महिला से विवाहित हैं, ने कहा कि उन्हें अपनी जाति में शादी करने के लिए कोई महिला नहीं मिल रही थी. इसलिए, राज्य के बाहर से शादी करने के बजाय, उन्होंने “निचली जाति” की महिला से शादी करना चुना.
अजन्मी लड़कियों की हत्या के दशकों से ऐसी स्थिति पैदा हो गई है कि हरियाणा के पुरुषों को अपनी जाति के समूह में शादी के लिए महिलाएं नहीं मिल पा रही हैं. इसने दूसरे राज्यों से दुल्हनें खरीदने की एक दशक पुरानी प्रथा को जन्म दिया है. कई कुंवारे लोगों ने खुद को ‘रांडा समाज’ के रूप में संगठित किया है और राज्य सरकार से शादी के लिए महिलाएं खोजने में मदद करने की गुहार लगाई है. खरीदी गई दुल्हनें जिनके साथ उचित व्यवहार नहीं किया जाता है, वे भी सुरक्षा और अधिकार की मांग कर रही हैं.
थोड़े समय की खुशी
नानक कॉलोनी में वापस, अनिल अपनी पत्नी की यादों में खोया हुआ है. वे बीच-बीच में उसके बारे में बड़बड़ाता है, रोता है और फिर चुप हो जाता है.
अनिल ने जोर से रोते हुए कहा, “उसे चॉकलेट बहुत पसंद थी. उसकी मौत से एक दिन पहले, मैंने उसे डेयरी मिल्क और 5-स्टार चॉकलेट दी थी क्योंकि उसे पीरियड्स हो रहे थे. मैंने उसके पैरों की मालिश भी की क्योंकि वे दर्द कर रहे थे.”
उसकी मौत से एक रात पहले, अनिल, उसका भाई, बहन और कोमल सुबह 3 बजे तक बातें करते रहे.
अनिल ने कहा, “उसे भूतों से डर लगता था, इसलिए मेरा भाई उसे कहानियां सुना रहा था. वे झिझकती और मुझे गले लगाती, और हम सब हंसते.”
उन्होंने कहा कि उसकी हंसी अभी भी उनके कानों में गूंजती है.
अनिल ने याद किया कि जब वे सोने की तैयारी कर रहे थे, तो कोमल ने उससे कहा कि वे उनके साथ सबसे खुश है और पहले कभी इतनी खुशी महसूस नहीं हुई थी.
उन्होंने रोते हुए कहा, “यह खुशी थोड़े समय के लिए ही थी.”
एक दिन बाद, 18 जून को, जब कोमल को कमरे के प्रवेश द्वार पर गोली मार दी गई, तो अनिल उसके पास गया और उसे अपनी बाहों में भर लिया, जबकि उसके शरीर से खून बह रहा था.
अनिल ने कहा, “वो मेरी ओर देखकर मुस्कुराई और फिर उसकी सांसें थम गईं. उसने मेरी बाहों में दम तोड़ दिया.” जब उसने अपने मोबाइल फोन पर उन दोनों की तस्वीर को चूमा, तो उसके बाएं गाल पर एक आंसू की बूंद बह रही थी.
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