नई दिल्ली: जामिया नगर की तंग गलियों में, जहां एक तरफ दवाओं, कपड़ों, बेकरी और रोज़मर्रा की चीज़ों की दुकानें हैं, वहीं उनके बीचों-बीच अल-फलाह यूनिवर्सिटी का सादा सा हेडक्वार्टर बना है. इसके बाहर कोई बोर्ड या निशान तक नहीं लगा है, लेकिन लाल किला धमाके और यूनिवर्सिटी से जुड़े कई डॉक्टरों की गिरफ्तारी के बाद से यहां भीड़ अचानक से बढ़ गई है.
अब हर कोई यूनिवर्सिटी, उसके ट्रस्ट और उससे जुड़े लोगों के बारे में जानना चाहता है. हालांकि, धमाके के बाद से यूनिवर्सिटी कैंपस बाहरी लोगों के लिए बंद कर दिया गया है, लेकिन जामिया नगर वाला मैन ऑफिस अब भी पहले की तरह काम कर रहा है.
ऑफिस के एंट्री गेट पर तैनात सुरक्षा गार्ड ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “हर घंटे नए लोग आते हैं और ट्रस्ट के बारे में पूछते हैं. पहले सिर्फ स्टूडेंट्स ही आते थे, अब ज्यादातर मीडिया वाले और स्थानीय लोग आते हैं जो यह देखने के लिए उत्सुक हैं कि कौन अंदर जा रहा है और कौन बाहर आ रहा है.”
यह ऑफिस, जो आम तौर पर यूनिवर्सिटी के प्रशासनिक और दस्तावेज़ी कामकाज को संभालता है, अब उन स्टूडेंट्स से ज्यादा मीडिया कर्मियों से घिरा रहता है जो पहले यहां एडमिशन, फीस जमा करने या जानकारी लेने आते थे. यहां कुल 17 कर्मचारी हैं जिनमें क्लर्क, सहायक और सीनियर स्टाफ मेंबर्स शामिल हैं.
हालांकि, हाल के दिनों में इस पर काफी ध्यान गया है, लेकिन ऑफिस आम जनता के लिए खुला है और रोज़मर्रा का काम पहले की तरह ही चल रहा है.
स्टाफ के एक मेंबर ने बताया कि अब तक कोई भी अधिकारी या पुलिस पूछताछ या जांच के लिए यहां नहीं आए हैं. हालांकि, उन्हें यूनिवर्सिटी की ओर से निर्देश दिए गए हैं कि वह इस घटना या धमाके को लेकर किसी से भी बात न करें.
हेडक्वार्टर में तैनात प्रशासनिक अधिकारी मोहम्मद रज़ी ने कहा, “हम यहां सिर्फ स्टूडेंट्स को एडमिशन प्रोसेस और दस्तावेज़ी काम के बारे में बताते हैं. ऑफिस यूनिवर्सिटी के निर्देशों के अनुसार खुला रहता है.”
उन्होंने बताया कि यह ऑफिस 1997 से काम कर रहा है और यूनिवर्सिटी का सिर्फ कानूनी और प्रशासनिक केंद्र है.
अल-फलाह यूनिवर्सिटी, अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट की पहल है, जिसने पहले 1997 में एक इंजीनियरिंग कॉलेज शुरू किया था. इसके बाद 2006 में टीचर-ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट खोला गया. 2014 में इसे आधिकारिक रूप से यूनिवर्सिटी का दर्जा मिला और 2019 में मेडिकल कॉलेज शुरू हुआ.
बुधवार को फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी ने एक प्रेस नोट जारी कर कहा कि उसका धमाके के मामले में गिरफ्तार किए गए तीन कर्मचारियों से कोई संबंध नहीं है. बयान में यह भी कहा गया कि यूनिवर्सिटी कैंपस में किसी तरह का केमिकल न तो रखा गया था और न ही इस्तेमाल किया गया.
घटना को लेकर ट्रस्ट के एक कर्मचारी ने कहा, “आप कभी नहीं जान सकते कि कोई व्यक्ति अपने वर्कप्लेस से बाहर जाकर क्या करता है. जो डॉक्टर इस मामले में शामिल निकले, वो सामान्य कर्मचारी थे — किसी ने नहीं सोचा था कि वे ऐसा कुछ कर सकते हैं.”
उन्होंने कहा, “उनकी व्यक्तिगत हरकतों के लिए ट्रस्ट या यूनिवर्सिटी को दोष देना ठीक नहीं है.”
सामने पान की दुकान चलाने वाले एक दुकानदार ने कहा, “अब लोग मुझसे पान से ज्यादा अल-फलाह यूनिवर्सिटी का रास्ता पूछने आते हैं.”
हेडक्वार्टर का काम पहले की तरह जारी
अल-फलाह यूनिवर्सिटी के मैन ऑफिस के बाहर कुछ लोग इकट्ठा थे. वह बाहर खड़े मीडिया कर्मियों को वीडियो बनाते हुए देख रहे थे और बीच-बीच में ऑफिस में झांकने की कोशिश कर रहे थे. कोई पूछ रहा था कि क्या यहां जांच चल रही है, तो कोई लाल किला कार धमाके को लेकर चर्चा कर रहा था.
ऑफिस में मौजूद एक अन्य कर्मी ने कहा, “कुछ लोगों की वजह से ट्रस्ट को यह मुश्किल समय देखना पड़ रहा है — जबकि वह इतने सालों से लोगों के लिए काम कर रहा है.”
जिज्ञासु भीड़ और मीडिया के बीच, दो स्टूडेंट्स ऑफिस के वेटिंग एरिया में आए. वह एक प्रशासनिक अधिकारी से मिलने के लिए इंतज़ार करने लगे और बीए इकोनॉमिक्स कोर्स की फीस के बारे में जानकारी ली. उन्होंने बताया कि वह एडमिशन के लिए देर से पहुंचे हैं. जानकारी लेने के बाद दोनों चुपचाप वहां से निकल गए.
यूनिवर्सिटी की एक थर्ड इयर की एमबीबीएस स्टूडेंट, जो अपनी बहन के एडमिशन के बारे में पूछने आई थीं, ने कहा, “इस घटना में कुछ ही लोग शामिल हैं, पूरी यूनिवर्सिटी नहीं. तो फिर स्टूडेंट्स यहां एडमिशन लेने से क्यों डरें?”
उन्होंने आगे कहा, “कई यूनिवर्सिटियों में तरह-तरह की घटनाएं होती रहती हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि स्टूडेंट्स वहां पढ़ाई छोड़ दें.”
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