नई दिल्ली: लाल किला मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर एक से एक व्यक्ति बाहर निकलता है, सीढ़ियां उतरता है और चांदनी चौक लेन में घुस जाता है. वे बाएं, दाएं देखता है, फिर पौधों के लिए बने एक पैच पर थूकता है — कंक्रीट से बनी मिट्टी का एक चौकोर टुकड़ा. इस मार्केट लेन को शहरी नवीनीकरण का मॉडल माना जाता था, लेकिन बेंचों पर दाग लगे हैं, कूड़े के डिब्बे ओवरफ्लो हैं और फुटपाथ विक्रेताओं से भरे हुए हैं.
तीन साल पहले, दिल्ली सरकार ने अपने पुनर्विकास प्रोजेक्ट के बाद चांदनी चौक के बिल्कुल नए लुक का अनावरण किया — लाल बलुआ पत्थर का फर्श, चौड़े पैदल रास्ते, पर्यटकों को लुभाने के लिए चमचमाता लुक और नए नो-ट्रैफिक रूल्स, लेकिन अब, पुरानी गंदगी फिर से वापस आ गई है, बस नए प्रॉप्स के साथ.
बड़े लाल कंक्रीट के गमले — जिनमें हरे-भरे पौधे भरे जाने हैं — उनका इस्तेमाल कूअब ड़ेदान की तरह किया जा रहा है. थके हुए खरीदारों के लिए बनी कंक्रीट की बेंचों पर पान और गुटखे के दाग लगे हुए हैं. ‘नो मोटर व्हीकल (एनएमवी) सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक’ लिखे साइनबोर्ड के नीचे बाइकें कतार में खड़ी हैं. लाल जैन मंदिर से फतेहपुरी मस्जिद तक 1.4 किलोमीटर के पुनर्विकास का एकमात्र संकेत हर कुछ कदम पर लगे साइनबोर्ड हैं.
दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) सफाई के लिए जिम्मेदार है, लेकिन एक अधिकारी ने दावा किया कि उन्होंने तीन महीने पहले ही लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) से कार्यभार संभाला है, साथ ही कहा कि भारी भीड़ के कारण काम मुश्किल हो जाता है. हालांकि, पीडब्ल्यूडी के एक अधिकारी ने जोर देकर कहा कि उनकी भूमिका फुटपाथ और मंडप बनाने तक ही सीमित थी और उनके पास कभी भी रखरखाव का कॉन्ट्रैक्ट नहीं था.
लेकिन कुछ लोग तर्क देते हैं कि समस्या और भी गहरी है — पुनर्विकास का तरीका ही दोषपूर्ण था.
दिल्ली स्थित एनाग्राम आर्किटेक्ट्स के संस्थापक भागीदार और आर्किटेक्ट और शहरी नवीनीकरण विशेषज्ञ माधव रमन ने कहा, “चांदनी चौक के पुनर्विकास को मुख्य रूप से पर्यटन के नज़रिए से देखा गया था, जिसमें बाहर से आने वाले पर्यटकों को आकर्षित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया था. हालांकि, अधिकारी नए नियमों और विनियमों को लागू करते समय निवासी हितधारकों की ज़रूरतों को पर्याप्त रूप से सुविधाजनक बनाने या उनके साथ व्यवहार्य विकल्पों पर बातचीत करने में विफल रहे, जिससे अनुपालन में कमी आई.”
चांदनी चौक का कायाकल्प शाहजहानाबाद पुनर्विकास योजना का हिस्सा था. डिजिटल तस्वीरों और प्रोजेक्ट प्लानिंग में एक विस्तृत पैदल मार्ग, सड़क के किनारे बैठने की जगह और नए वॉशरूम दिखाई देते हैं. हालांकि, ये सभी सुविधाएं अब मौजूद हैं, लेकिन उनमें से कई या तो जीर्ण-शीर्ण हैं या उपयोग करने योग्य स्थिति में नहीं हैं.
नीले और हरे रंग के डस्टबिन ओवरफ्लो हैं और उनके चारों ओर भद्दी गंदगी है. ‘पैदल यात्री’ क्षेत्र में स्ट्रीट वेंडर, ई-रिक्शा और यहां तक कि प्रतिबंधित बाइक भी हैं.
40-वर्षीय सुमन शर्मा ने कहा, “इस क्षेत्र को भीड़भाड़ वाली जगह पर हमें चलने में मदद करने के लिए जगह देने के लिए बनाया गया था, लेकिन पुनर्विकास के बाद भी हमारे पास वह नहीं है. प्रतिबंधों के बावजूद स्ट्रीट वेंडर और ई-रिक्शा ने कब्ज़ा कर लिया है.” वे बैठने के लिए साफ जगह की तलाश में भटक रही हैं.
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पर्यटन केंद्र, प्रवासियों का घर
चांदनी चौक हमेशा से लोगों और व्यापार का केंद्र रहा है. हर चीज़ के लिए दुकानदारों की भीड़ इसकी गलियों में उमड़ती है — दुल्हन के लहंगे, चांदी के गहने, परीक्षा की तैयारी की किताबें, इत्र, यहां एक कोने पर परांठे वाली गली और हर कोने पर चाट के स्टॉल हैं, लेकिन यह हमेशा से एक ऐसी जगह रही है जहां आपको मज़ा करने के लिए रुकना नहीं पड़ता, बल्कि हिम्मत दिखानी पड़ती है.
पुनर्विकास से यह बदलाव आना चाहिए था. अपने मंदिरों, गुरुद्वारों, मस्जिद और अंतहीन दुकानों के साथ, शाहजहानाबाद का व्यावसायिक केंद्र चांदनी चौक एक सच्चा पर्यटक आकर्षण बनने वाला था.
जब दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सितंबर 2021 में पुनर्निर्मित बाज़ार का उद्घाटन किया — एक प्रोजेक्ट जो तीन साल में बन रहा था — तो उन्होंने इसके परिवर्तन की प्रशंसा की. योजना में पैदल चलने वालों के लिए अनुकूल सड़कें, सुबह 9 बजे से सुबह 9 बजे तक मोटर वाहन मुक्त और शाम के बाद एक जीवंत भोजन केंद्र बनाने का वादा किया गया था.
उन्होंने कहा, “यह पहले से ही एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल बन गया है. स्ट्रीट फूड जॉइंट को रात 12 बजे तक खोलने की अनुमति दी जाएगी ताकि लोग रात में यहां आकर इसका आनंद ले सकें.”
लेकिन चांदनी चौक में हर कोई इस योजना में फिट नहीं बैठता — खासकर इलाके की बड़ी प्रवासी आबादी. इस महीने दिप्रिंट द्वारा कई बार दौरा किए जाने पर, लोगों को खुली जगहों —बीच में फुटपाथों, खड़ी ठेले और साइकिल-रिक्शा में सोते हुए देखा गया. कुछ लोग नहा रहे थे, या बाहर कपड़े धोते और सुखाते भी देखे गए थे.
एक एमसीडी अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर शिकायत की, “सड़कों पर सोने वाले लोग इलाके में गंदगी फैलाते हैं और फिर अगले दिन दूसरी जगह चले जाते हैं, जिससे हर जगह सफाई बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो जाता है.”
लेकिन यह एकमात्र समस्या नहीं है. जैसा कि अक्सर होता है, नए नियम ज़मीन पर अपना असर दिखाने में विफल रहे हैं.
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नियम दरकिनार
भव्य बदलाव के बावजूद, चांदनी चौक में घूमना अभी भी चकमा देने और छलांग लगाने का खेल है. यातायात गायब नहीं हुआ है और बैग, सॉफ्ट टॉय, जूते, घरेलू उत्पाद और खाद्य पदार्थ बेचने वाले स्ट्रीट वेंडरों ने नए चौड़े फुटपाथों पर कब्ज़ा कर लिया है.
आधिकारिक तौर पर, विकास लेन में केवल 400 रिक्शा की अनुमति है और माल लोड करने की अनुमति रात 9 बजे तक है. फिर भी, इन नियमों को बड़े पैमाने पर सुझाव की तरह लिया जाता है. मोटरबाइक हर समय बिना मोटर-चालित यातायात नियम का उल्लंघन करने पर 20,000 रुपये के जुर्माने की अनदेखी करते हुए तेज़ी से गुज़रते हैं. सामान अभी भी हाथगाड़ियों और रिक्शा पर भरकर आ रहा है.
यातायात पुलिस प्रतिदिन गश्त करती है और उल्लंघन करने वालों की फुटेज पर नज़र रखती है, लेकिन यह एक हारने वाली लड़ाई है.
दिल्ली के एक ट्रैफिक इंस्पेक्टर ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, “हर दिन इस इलाके में ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन के लिए 250 से 300 से ज़्यादा चालान काटे जाते हैं. ज़्यादातर नियम तोड़ने वाले लोग सड़क के दूसरी तरफ से या अंदरूनी गलियों से आते हैं, जिससे हमारी टीम के लिए हर व्यक्ति को ज़ोन में घुसने से रोकना मुश्किल हो जाता है.”
पैदल चलने वालों की भी कई परेशानियां हैं, जैसे कि पैदल चलने की जगह कम होती जा रही है और सड़कों पर कूड़ा-कचरा फैला हुआ है.
दुकानदार महेश ने कहा, “सरकार ने बैठने की व्यवस्था तो कर दी है, लेकिन हम कूड़े और थूक के निशानों के कारण न तो बैठ सकते हैं और न ही उनके पास जा सकते हैं. ट्रैफिक के कारण सड़क पार करना भी बहुत मुश्किल है. सब कुछ पहले की तरह ही भीड़भाड़ वाला लगता है.”
यह इलाका एक प्रमुख स्ट्रीट वेंडिंग ज़ोन है, जहां हज़ारों विक्रेता रहते हैं. परियोजना के दस्तावेज़ में अनुमान लगाया गया है कि जामा मस्जिद परिसर, पेरिफेरल रोड और सुभाष मार्ग पर व्यस्त दिनों में लगभग 6,000 से 15,000 विक्रेता होते हैं, जबकि चांदनी चौक में ही लगभग 250 विक्रेता होते हैं — जो ताज़ी उपज से लेकर कपड़ों तक सब कुछ बेचते हैं.
फिर सड़कों पर कूड़ा-कचरा भी है.
मशहूर मिठाई की दुकान ओल्ड फेमस जलेबी वाला के बाहर लोगों की कतारें लगी हैं, जो रबड़ी के साथ जलेबी का लुत्फ उठाते हुए अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे हैं और फिर अपने प्लास्टिक के कटोरे ज़मीन पर फेंक रहे हैं. कई अन्य दुकानों के बाहर भी इसी तरह के नज़ारे देखने को मिलते हैं. कूड़ेदान तो मौजूद हैं, लेकिन इतने भरे हुए हैं कि उनमें से कचरा सड़कों पर फैल जाता है.
जबकि कुछ दुकानदार इस स्थिति के लिए कचरा संग्रहण में देरी को दोषी ठहराते हैं, एमसीडी के अधिकारी इस बात पर ज़ोर देते हैं कि वे इस पर पूरी तरह से नियंत्रण रखते हैं.
एक एमसीडी अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “हमारी टीम साइट पर स्वच्छता बनाए रखने के लिए लगातार काम कर रही है, लेकिन जुर्माना लगाए जाने के बावजूद लोग नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं. नियमित रूप से सफाई और झाड़ू लगाई जा रही है, लेकिन हर दिन बड़ी संख्या में लोगों के आने की वजह से सफाई बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो गया है.”
शहरी विकास के लिए काम करने वाले माधव रमन का कहना है कि पुनर्विकास इसलिए रुका हुआ है क्योंकि अधिकारियों ने उन लोगों की ज़रूरतों को नज़रअंदाज़ कर दिया है जो वास्तव में इस क्षेत्र में रहते और काम करते हैं.
उन्होंने कहा, “चांदनी चौक पुनर्विकास की विफलता नियमों के पालन के बारे में अधिकारियों और स्थानीय निवासियों के बीच एक महत्वपूर्ण संचार अंतराल को उजागर करती है. यह देखना निराशाजनक है कि चांदनी चौक पुनर्विकास योजना में उल्लिखित आकांक्षाओं से समझौता किया गया है.”
रमन के अनुसार, लोग नियम तोड़ते हैं क्योंकि उनके पास बेहतर विकल्प नहीं हैं. उन्होंने माल की लोडिंग और अनलोडिंग पर रात 9 बजे के प्रतिबंध का उदाहरण दिया, जिससे व्यवसायियों को तत्काल ज़रूरत पड़ने पर परेशानी होती है.
इसी तरह, पुनर्विकसित क्षेत्र में रिक्शा पर सीमा लगाने से हज़ारों स्थानीय ड्राइवरों की आजीविका खतरे में पड़ जाती है.
उन्होंने कहा, “परियोजना के निष्पादन के दौरान, सरकार और संबंधित अधिकारियों के लिए पहले क्षेत्र के निवासियों और व्यवसायों के लिए विकल्पों पर विचार करना महत्वपूर्ण था. शाहजहानाबाद एक जीवित विरासत है, और इसे संरक्षित करने के लिए सरकार, अधिकारियों और समुदाय के लिए सहयोग करना ज़रूरी है.”
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