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गुरूवार, 5 जून, 2025
होमफीचररेप, पॉक्सो, किडनैपिंग और चोरी: हिंदू-मुस्लिम कपल्स को कोर्ट में कैसे घसीटा जा रहा है

रेप, पॉक्सो, किडनैपिंग और चोरी: हिंदू-मुस्लिम कपल्स को कोर्ट में कैसे घसीटा जा रहा है

परिवार अब इन संबंधों को रोकने के लिए अक्सर पुलिस और राज्य प्राधिकारियों की मंजूरी से एफआईआर दर्ज कराते हैं.

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नई दिल्ली: मुस्लिम वकील कय्यूम खान को अपनी लॉ डिग्री मिलने के कुछ ही महीनों बाद अपने करियर के सबसे बड़े केस का सामना करना पड़ा. फर्क बस इतना था कि इस बार वह खुद आरोपी थे—एक नाबालिग से यौन शोषण के  POCSO आरोपों का सामना करते हुए. लेकिन उनका असली ‘गुनाह’ था एक हिंदू महिला से शादी करना.

“मैंने कानून की पढ़ाई बदलाव लाने के लिए की थी. मैंने कभी नहीं सोचा था कि एक दिन यही कानून मेरे खिलाफ इस्तेमाल होगा. अब मैंने इस सिस्टम से नफरत करना सीख लिया है, क्योंकि मैंने इसे खुद झेला है,” खान ने कहा, जो जयपुर के बाहरी इलाके में रहते हैं.

11 जून 2019 को, 28 साल की उम्र में, नया-नया वकील बना खान काम पर जा रहे थे, तभी उन्हें उनकी गर्लफ्रेंड की नाबालिग बहन से यौन शोषण के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया.

खान ने बताया,“मेरी गर्लफ्रेंड की बुआ इंद्रा देवी ने पहले मुझसे पूछा कि मैं श्वेता (मेरी गर्लफ्रेंड) का ब्रेनवॉश कैसे कर रहा हूं. फिर अचानक उसकी छोटी बहन सामने आई और चिल्लाने लगी. उसने चिल्लाकर कहा कि मैंने उसे गलत तरीके से छुआ.”

जब खान और उनकी हिंदू जाट पड़ोसी श्वेता चौधरी ने 2019 में शादी करने का फैसला किया, तब तक ‘लव जिहाद’ शब्द स्थानीय बोलचाल में आ चुका था. लेकिन उन्हें इस बात का अंदाज़ा नहीं था कि एक सामान्य कोर्ट मैरिज के लिए आवेदन करना ही उनके खिलाफ कानून को मोड़ सकता है.

हरियाणा, पंजाब और तमिलनाडु जैसे राज्यों में 2000 के दशक में अंतर-जातीय शादियों को लेकर जो ऑनर किलिंग्स होती थीं, वह अब एक नया, असहिष्णु रूप ले चुकी हैं—हिंदू-मुस्लिम शादियां. फर्क यह है कि अब हत्या नहीं, बल्कि कानून का हथियार बन गया है. पूरे भारत में अंतर-धार्मिक, अंतर-जातीय और क्वीयर कपल्स पर बलात्कार, पॉक्सो, अपहरण और यहां तक कि चोरी के आरोप लगाए गए हैं, ताकि उनके रिश्तों को रोका जा सके—अक्सर पुलिस और राज्य प्रशासन की सहमति के साथ.

वकील और शोधकर्ता नीति‍का विश्वनाथ ने कहा, “आपराधिक कानून का इस्तेमाल किशोरों की सहमति पर आधारित यौन संबंधों को अपराध बनाने के लिए किया जाता है.”

रिसर्च, खबरों और अदालत के रिकॉर्ड्स से एक साफ पैटर्न सामने आता है: जब कपल जाति या धर्म की सीमाएं पार कर प्यार करते हैं या भाग जाते हैं, तो उनके ही परिवार उनके खिलाफ आपराधिक शिकायतें दर्ज कराते हैं. सहमति से साथ रहने वाले जोड़े अपहरणकर्ता और बलात्कारी बना दिए जाते हैं. महिलाओं की रक्षा के लिए बनाए गए कानूनों का ही दुरुपयोग करके उन्हें निशाना बनाया जा रहा है.

“जब पुलिस शिकायत पर कार्रवाई करती है और जोड़े को ढूंढ निकालती है, तो पुरुष को हिरासत में ले लिया जाता है और महिला के परिवार को उससे मिलने की अनुमति मिल जाती है, चाहे वह महिला राज़ी हो या नहीं. इससे परिवार को महिला को डराने-धमकाने और उस पर दबाव डालने का मौका मिलता है, ताकि वह पुलिस में बयान देने से पहले ही उस पुरुष के खिलाफ बोल दे,” विष्णवनाथ ने लखनऊ में बलात्कार मुकदमों पर 2015 के अपनी रिसर्च में लिखा था. उन्होंने पाया कि लखनऊ की एक फास्ट ट्रैक अदालत में देखे गए 95 मुकदमों में से 52 यानी 54.7 प्रतिशत मामले भागकर शादी करने से जुड़े थे.

एक दशक बाद भी हालात में कोई सुधार नहीं आया है.

उन्होंने कहा, “पॉक्सो कानून 2012 में लागू होने के बाद सहमति की उम्र 16 से बढ़ाकर 18 कर दी गई, जिससे यह समस्या और बढ़ गई है.”

आज, एक दर्जन से ज़्यादा राज्यों ने ऐसे धर्मांतरण विरोधी कानून बनाए हैं, जो निजी रिश्तों में भीड़ और सरकार के हस्तक्षेप को बढ़ावा देते हैं. लेकिन पुराने आपराधिक कानूनों का भी अब तक लगातार इस्तेमाल हो रहा है—उन भारतीयों के खिलाफ जो सामाजिक सीमाएं पार कर प्रेम करते हैं और अपनी मर्ज़ी से फैसले लेते हैं.

मार्च 2025 में प्रकाशित एक रिपोर्ट में जेएनयू के डॉक्टरेट रिसर्च स्वप्निल सिंह ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के लगभग 50 फैसलों का विश्लेषण किया और पाया कि अंतर-धार्मिक और अंतर-जातीय कपल्स के मामलों में ज़्यादातर बार अपहरण और अगवा करने की धाराएं लगाई जाती हैं.

सिंह ने कहा, “जब मैंने अपना शोध शुरू किया, तो मेरा ध्यान धर्मांतरण विरोधी कानूनों के असर पर था, लेकिन मुझे पता चला कि राज्य के पास पहले से ही ऐसे रिश्तों में दखल देने और उन्हें रोकने के तरीके मौजूद थे.”

“इन मामलों में अगवा या अपहरण साबित करने के लिए अक्सर ‘बहलाने-फुसलाने’ जैसी भाषा का इस्तेमाल किया जाता है, मानो इन महिलाओं को उनकी मर्ज़ी के खिलाफ, बहला-फुसलाकर भगा ले जाया गया हो.”

पड़ोसियों से लेकर प्रेमियों और संदिग्धों तक

खान ने कभी भी श्वेता चौधरी को बहलाने-फुसलाने या किसी गलत इरादे से पास आने की कोशिश नहीं की थी. जयपुर के औद्योगिक इलाके विश्वकर्मा में वे दोनों पड़ोसी के रूप में बड़े हुए थे और कई सालों से दोस्त थे. 2016 में वे रिलेशनशिप में आए. श्वेता को टीवी की डिबेट्स में मुसलमानों की छवि को लेकर जिज्ञासा थी—खासकर उनके धार्मिक रीति-रिवाज़, तीन तलाक और जिहाद जैसी बातों को लेकर. यह बात बताते हुए खान मुस्कुरा उठते हैं.

खान ने कहा, “उस वक्त कोई ‘लव-शव’ नहीं था, लेकिन धीरे-धीरे हम एक-दूसरे को समझने लगे. मुझे उसके साथ वक्त बिताना अच्छा लगता था. और एक समय बाद हमें समझ आ गया कि शादी ही आगे का रास्ता है.”

लेकिन जब 2019 में श्वेता के परिवार को उनके रिश्ते का पता चला, तो वे बुरी तरह नाराज़ हो गए. वे श्वेता की शादी उनके ही जाट समाज के किसी लड़के से करवाना चाहते थे. मामला इतना बिगड़ा कि 7 जून को श्वेता घर छोड़कर ‘शक्ति स्तंभ’ में शरण ले ली, जो राजस्थान यूनिवर्सिटी द्वारा संचालित संकट में पड़ी महिलाओं के लिए आश्रय गृह है.

चार दिन बाद, 11 जून को, खान को श्वेता के परिवारवालों ने घेर लिया। इसके बाद जो हुआ, वह एक घटना श्रृंखला में बदल गया—खान पर यौन उत्पीड़न का केस दर्ज हुआ. पुलिस ने एफआईआर में आरोप लगाया कि उन्होंने श्वेता की 17 साल की बहन के साथ छेड़छाड़ की. खान को 40 दिन जेल में रहना पड़ा. जब उन्हें ज़मानत मिली, तब उन्हें पता चला कि श्वेता अब भी शक्ति स्तंभ में है.

श्वेता ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, अपनी पीली कुर्ती के कोने से खेलते हुए, “मुझे तो पता ही नहीं था कि कय्यूम जी जेल में हैं. जब से मैं घर से निकली, मीडिया और विश्व हिंदू परिषद के लोग बार-बार मेरे पीछे पड़ गए. कुछ वीएचपी के लोग आए और बोले कि वह मुझे बुर्का पहनाएंगे, मांस खिलाएंगे. मैंने कहा कि मेरे अपने परिवार के लोग भी मांस खाते हैं.”

Hindu-Muslim couples fighting criminal cases
कयूम खान और श्वेता चौधरी ने पारिवारिक धमकियों और आपराधिक मामले के बावजूद 2019 में शादी कर ली. वह अब अपने दूसरे बच्चे के साथ गर्भवती है, और खान अभी भी POCSO के आरोपों से लड़ रहे हैं | विशेष व्यवस्था

आखिरकार नवंबर 2019 में दोनों ने शादी कर ली, भले ही श्वेता के परिवार ने उन्हें धमकियां दीं. छह साल बाद, श्वेता अपने दूसरे बच्चे की मां बनने वाली हैं और खान अब भी मुकदमे और पॉक्सो के आरोपों का सामना कर रहे हैं.

जयपुर के मुस्लिम-बहुल इलाके में अपने एक कमरे के घर में, खान और श्वेता ग्रेड 3 और 4 की सरकारी नौकरियों के फॉर्म देख रहे हैं. अब तक उन्हें कोई काम नहीं मिला. घर चलाने के लिए वे एक छोटा डाक्यूमेंटेशन और ज़ेरॉक्स सेंटर चलाते हैं, क्योंकि खान को आपराधिक आरोपों के चलते वकालत में क्लाइंट नहीं मिलते.

खान इससे पहले भी देख चुके थे कि एक अंतरधार्मिक शादी से कैसे हंगामा खड़ा हो सकता है. छह साल पहले उनके छोटे भाई ने अपनी कॉलेज की हिंदू गर्लफ्रेंड से शादी की थी. जब लड़की के परिवार को पता चला, तो उन्होंने उसे पीटा और कथित तौर पर बजरंग दल से जुड़े लोगों को खान के घर भेजने की कोशिश की. लेकिन लड़की शक्ति स्तंभ में भागकर पहुंच गई. उन्होंने पुलिस की मदद ली और मई 2019 में स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी कर ली.

खान ने कहा, “फर्क यह है कि उसके परिवार वाले सैनी थे और उन्होंने धीरे-धीरे बात मान ली. मेरे भाई को धमकियां मिलीं लेकिन उस पर झूठा मुकदमा नहीं हुआ. मुझे भी पीटा गया, लेकिन वो मामला कोर्ट तक नहीं गया.”

सहमति से लेकर आपराधिक आरोपों तक

देहरादून से पांच सौ किलोमीटर दूर, 24 साल का ऑटोमोबाइल मैकेनिक शबान भी इसी तरह के ही डरावने हालात से गुजर रहा है. उसे बाल यौन शोषण का अपराधी बताया गया है और वह अपनी हिंदू पार्टनर के साथ अब भी निगरानी रखने वालों के डर में जी रहा है.

उत्तराखंड में हिमालय हैं, चार धाम हैं और अब समान नागरिक संहिता (यूसीसी) भी है. यहां लिव-इन में रह रहे कपल को प्रशासन के पास रजिस्ट्रेशन करवाना होता है, निजी जानकारी देनी होती है और उनके माता-पिता या धर्म/समुदाय प्रमुखों की अनुमति लेनी होती है.

स्क्रॉल के एक विश्लेषण के अनुसार, राज्य में 2016 से 2023 के बीच पॉक्सो मामलों में लगभग चार गुना बढ़ोतरी हुई है. देहरादून जिले में 2015 से 2023 के बीच के आंकड़ों के विश्लेषण में पाया गया कि हर साल कम से कम चार में से एक पॉक्सो आरोपी मुस्लिम होता है.

Hindu-Muslim couple story
देहरादून में शबान और उसके हिंदू साथी. दोनों के एडल्ट होने के बावजूद उसे POCSO के तहत जेल में डाल दिया गया | विशेष व्यवस्था

विष्णनाथ के अनुसार, कई बार पुलिस खुद भी इसमें सक्रिय भूमिका निभाती है और परिवार वालों को बताती है कि उन्हें क्या करना चाहिए.

“लखनऊ में रेप ट्रायल्स पर मेरा रिसर्च इन्हीं तरह के मामलों से जुड़ा था. इनमें पारिवारिक और कानूनी ताकतों की मिलीभगत होती है, जो इन घटनाओं को ‘शादी का झांसा’ करार देते हैं,” उन्होंने कहा.

परिवार जब यह दावा करता है कि लड़की की उम्र सहमति की उम्र से कम है, तो पुरुष पार्टनर के खिलाफ आपराधिक कानूनों को लागू कर दिया जाता है. शुरुआत आम तौर पर ‘लड़की के लापता’ या ‘अपहरण’ की शिकायत से होती है, जो बाद में अपहरण और बलात्कार के आरोपों में बदल दी जाती है.

“इन कपल्स को खोजकर लाया जाता है और लड़की की मेडिकल जांच करवाई जाती है. मेडिकल-लीगल सर्टिफिकेट में अगर यह दर्ज हो कि लड़की का हाइमन फटा हुआ है, तो इसे यौन संबंध और इस तरह बाल यौन शोषण का सबूत मान लिया जाता है.”

मई 2023 में शबान और उसकी हिंदू गर्लफ्रेंड, जो कि उसकी पड़ोसी थी, ने शादी करने का फैसला किया. वह 21 साल का था और लड़की 18 साल की—दोनों कानूनन एडल्ट थे—लेकिन उनका रिश्ता एक साल से अधिक समय से चल रहा था, जिसमें कुछ वक्त ऐसा भी था जब वह लड़की अभी नाबालिग थी. दोनों ने स्पेशल मैरिज एक्ट (एसएमए) के तहत शादी करने का फैसला किया और विकास नगर के रजिस्ट्रार ऑफिस में दस्तावेज जमा किए. मुसीबत तुरंत शुरू हो गई.

थके-हारे शबान ने कहा, “स्थानीय बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के लोगों को हमारे ही वकील ने खबर दे दी—जिसे हम अपना मददगार समझ रहे थे! उन्होंने हमें शादी करने से रोक दिया, और फिर यह कहकर मेरी गिरफ्तारी करवा दी कि मैं नाबालिग लड़की को जबरन शादी के लिए उकसा रहा हूं. मैंने चार महीने से ज़्यादा जेल में बिताए, ज़मानत अक्टूबर में मिली.”

पुलिस जांच और मेडिकल रिपोर्ट में पॉक्सो के तहत किसी भी हमले का कोई सबूत नहीं मिला. लड़की ने भी मजिस्ट्रेट के सामने दिए बयान में शबान का साथ दिया. उनका रिश्ता आपसी सहमति से था.

अक्टूबर 2023 में ज़मानत मिलने के बाद, दोनों फिर से एक हुए लेकिन शुरुआत में शादी नहीं की.

“हमें पता था कि वक्त तेजी से निकल रहा है, क्योंकि राज्य में लिव-इन रिलेशनशिप को रजिस्टर कराने वाले नए कानून आ चुके थे. हर तरफ से कानूनों के ज़रिए हमें घेरा जा रहा था,” शबान ने कहा. आखिरकार उन्होंने नैनीताल हाईकोर्ट की बेंच से गुहार लगाई और मई 2024 में उनकी शादी रजिस्टर्ड हो गई.

ऐसी कहानियां अब भारत में एक उदासी भरे दोहराव के साथ सामने आ रही हैं. पिछले महीने ही, 29 साल के अकबर खान को गाजियाबाद में गिरफ्तार किया गया जब उसकी पत्नी सोनिका चौहान के पिता ने उसके खिलाफ अपहरण की शिकायत की. इस कपल ने 2022 में स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी की थी और इंदिरापुरम में साथ रह रहे थे. लेकिन जब सोनिका के परिवार को हाल ही में उनकी शादी का पता चला, तो वे पुलिस के पास पहुंचे. दोनों एडल्ट होने के बावजूद पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता के तहत केस दर्ज किया और अकबर को जेल भेज दिया गया. सोनिका को उसके परिवार के पास वापस भेज दिया गया.

एक दशक पहले के आंकड़ें भी इसी तरह के एक पैटर्न की ओर इशारा करते हैं जो अब और ज़्यादा इजाफा हो गया है. 2014 में द हिंदू ने दिल्ली की जिला अदालतों से जुड़े 600 से ज्यादा फैसलों का विश्लेषण किया, जो रेप और यौन उत्पीड़न से जुड़े थे. यह जांच निर्भया केस के एक साल बाद हुई थी, जब भारत में रेप कल्चर को लेकर गहन चर्चा हो रही थी.

इन मामलों के विश्लेषण में पाया गया कि पांच में से एक ट्रायल इसलिए खत्म हो गया क्योंकि शिकायतकर्ता अदालत में पेश नहीं हुए या उन्होंने बयान बदल दिया. और सबसे महत्वपूर्ण बात, उन 460 मामलों में जो पूरे ट्रायल तक पहुंचे और यौन शोषण से जुड़े थे, उनमें 174—यानि एक-तिहाई से ज़्यादा—ऐसे थे जो भागे हुए कपल्स से जुड़े थे जो प्यार में थे या भागकर शादी करना चाहते थे. यह बात खासकर अंतर्जातीय और अंतर्धार्मिक कपल्स के लिए सच थी.

इसी तरह की बातें वकील और शोधकर्ता नीतीका विष्णनाथ की लखनऊ में रेप ट्रायल्स पर की गई स्टडी में भी दोहराई गईं.

2022 की एक ताज़ा स्टडी, जो एनजीओ एनफोल्ड हेल्थ ट्रस्ट ने यूनिसेफ के साथ मिलकर करवाई थी, में पाया गया कि 2016 से 2020 के बीच असम, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल की ई-कोर्ट्स पर उपलब्ध 7,064 पॉक्सो फैसलों में से कम से कम 1,715 असल में ‘रोमांटिक’ मामले थे और अधिकतर शिकायतकर्ता माता-पिता थे.

Romantic love and POCSO cases graphic
श्रुति नैथानी | दिप्रिंट

जयपुर की सिविल राइट्स एक्टिविस्ट और पीयूसीएल की अध्यक्ष कविता श्रीवास्तव ने कहा, “जैसे ही कोई ‘गुमशुदगी’, अपहरण, या यौन उत्पीड़न और रेप की शिकायत दर्ज होती है, लड़की को पुलिस या मजिस्ट्रेट के सामने बयान देना होता है. इसका मतलब है कि उसे पुलिस के सामने पेश किया जाएगा, जो अक्सर उसे उसके माता-पिता के पास लौटने के लिए मजबूर करते हैं.”

जब बेटियां चोर बन जाती हैं

पूजा (23) और फारूक (27) के लिए राजस्थान के हनुमानगढ़ से दिल्ली के मयूर विहार तक भाग कर आना सिर्फ भागकर शादी करने का खतरा नहीं था, बल्कि एक और आरोप भी उनके साथ जुड़ गया—चोरी का. पूजा के परिवार ने उन पर 11 लाख रुपये और तीन किलो सोने-चांदी के गहने चुराने का आरोप लगाया.

“इस घर को देखिए, इसमें क्या ऐसा दिखता है कि हमारे पास इतने पैसे या गहने थे?” पूजा ने पानी पीते हुए कहा और दिल्ली-नोएडा बॉर्डर के पास भीड़भाड़ वाली कॉलोनी में अपने एक कमरे के फ्लैट की ओर इशारा किया.

बैचलर ऑफ साइंस की छात्रा पूजा की मुलाकात फारूक से एक लोकल बस में हुई थी, जब वह कॉलेज जा रही थी. फारूक ने पूजा की एक सहेली को बताया कि वह उसे पसंद करता है और इसके बाद दोनों ने नंबर एक्सचेंज किए.

पूजा ने कहा, “मैंने पहले उससे कहा, तुम्हें मेरा नंबर क्यों चाहिए? तुम्हारे पास तो पहले ही बहुत सारी लड़कियों के नंबर होंगे, ना? लेकिन फिर मुझे लगा कि वह सच में दिलचस्पी रखता है, और हम बात करने लगे.”

2021 तक, जब वह कॉलेज के आखिरी साल में थी, उसके माता-पिता को उनके रिश्ते के बारे में पता चल गया और उन्होंने तुरंत उसकी शादी उसी जाति के एक लड़के से तय कर दी.

“तभी मुझे समझ आ गया कि अब मुझे वहां से निकलना होगा. फारूक पर भी अपने परिवार की तरफ से दबाव था. तो मैं मार्कशीट लेने के बहाने महिला सुरक्षा सलाह केंद्र पहुंची, और वहां से हम दिल्ली भाग गए,” पूजा ने कहा.

दोनों अपने सारे सामान और दस्तावेज दो बैग में भरकर और सिर्फ 2,000 रुपये लेकर दिल्ली पहुंचे—तभी उन्हें पता चला कि पूजा के माता-पिता ने उन पर चोरी का मामला दर्ज करवा दिया है.

Hindu-Muslim couples in India
फारूक और पूजा ने आखिरकार जुलाई 2021 में स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी कर ली. उनके कागजी काम को मंजूरी मिलने में चार महीने से ज़्यादा का समय लगा | विशेष व्यवस्था

यह कोई नई बात नहीं है. “अगर लड़की घर से भाग जाती है, तो वे ऐसे भागे हुए कपल पर परिवार का सामान चुराने का आरोप लगा देते हैं,” जयपुर स्थित सिविल राइट्स कार्यकर्ता कविता श्रीवास्तव ने कहा, जो फिलहाल भोपाल के एक अंतर्धार्मिक जोड़े के केस पर काम कर रही हैं. वहां भी लड़की के परिवार ने जोड़े पर चोरी का आरोप लगाया.

पूजा ने आरोप लगाया कि उसके चाचा, जो एक रिटायर्ड सर्कल इंस्पेक्टर हैं, ने अपने संबंधों का इस्तेमाल करके उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई.

उसने कहा, “मेरा बैंक अकाउंट भी फ्रीज कर दिया गया था. हमें जोधपुर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करनी पड़ी ताकि यह एफआईआर रद्द की जा सके.”

गिरफ्तारी का डर सिर पर मंडरा रहा था और इस कारण उन्हें नौकरी और किराए पर घर ढूंढने में काफी परेशानी हुई.

“हम पर चोर होने का आरोप लगने के बाद हमें किराए पर घर भी नहीं मिल रहा था, जैसे कि हिंदू-मुस्लिम जोड़ा होने के कारण पहले ही दिक्कत कम थी,” फारूक ने तल्खी से कहा.

गूगल पर की गई बेताबी भरी तलाश बेनतीजा रही. लव कमांडोज़ जैसे समूह अब सक्रिय नहीं थे. आखिरकार उन्हें ‘धनक’ नाम की एक संस्था मिली, जिसे अंतर्धार्मिक जोड़ा आसिफ इकबाल और रानू कुलश्रेष्ठ चला रहे थे. इस संस्था ने उन्हें कानूनी मदद दी और अस्थायी सुरक्षित ठिकाना भी दिलाया.

जुलाई 2021 में, दोनों ने आखिरकार स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी कर ली, हालांकि इसके लिए उन्हें मयूर विहार के उप-डिविजनल मजिस्ट्रेट से दस्तावेजों की मंजूरी मिलने में चार महीने लग गए. आज पूजा नर्सिंग की नौकरियों के लिए आवेदन कर रही है और फारूक एक बैंक में लोन रिकवरी एजेंट की नौकरी कर रहा है, जहां वह हर महीने 20,000 रुपये कमाता है. इसका बड़ा हिस्सा किराए में चला जाता है.

अब चोरी की एफआईआर रद्द हो चुकी है, लेकिन डर अब भी बना हुआ है. पूजा का परिवार अब भी उनके रिश्ते को स्वीकार नहीं करता.

राजस्थान के झुंझुनूं में एक और प्रेमी जोड़े को ऐसा ही कड़वा अनुभव हुआ. 2016 में किशोर उम्र के इस कपल ने त्रिपुरा के एक दूरदराज गांव में शरण ली थी, लेकिन तीन साल बाद जाकर सीबीआई ने उस लड़के को अपहरण के आरोप से बरी किया. जांच में यह भी सामने आया कि लड़की के माता-पिता ने झूठा आरोप लगाया था कि उनकी बेटी 70,000 रुपये चुरा कर भागी है.

अपनी किताब पब्लिक सिक्रेट्स ऑफ द लॉ: रेप ट्रायल्स इन इंडिया में स्कॉलर प्रतीक्षा बक्सी ने भी दिखाया है कि भारत में रेप, पॉक्सो, अपहरण जैसे आपराधिक कानूनों का इस्तेमाल कई बार उन युवतियों को ‘बचाने’ के नाम पर किया जाता है, जो अपनी मर्जी से भागकर शादी कर लेती हैं. उन्होंने गुजरात में किए गए अपनी स्टडी में यह भी पाया कि अक्सर ऐसे मामलों में भागी हुई लड़कियों पर चोरी का आरोप भी लगाया जाता है.

‘उसके परिवार ने उसे मार डाला’

खान और चौधरी, पूजा और फारूक, और शबान और उनकी साथी—तीनों ही टूटे हुए हैं, लेकिन बिखरे नहीं हैं। वे खुद को सौभाग्यशाली मानते हैं—कम से कम जिंदा तो हैं.

राजस्थान के दौसा जिले के रोशन महावर के लिए ऐसा कोई दिन नहीं जाता जब वह अपनी प्रेमिका पिंकी सैनी को याद न करते हों. 2021 में, जब वह 23 साल के थे और पिंकी 19 की, उन्होंने भागकर शादी करने का फैसला किया. यह एक किशोर उम्र का प्यार था जो सैनी के इंटर कॉलेज (हाई स्कूल) के दिनों में शुरू हुआ था और जब वे जबरास गांव की एक छोटी सी दुकान पर मिलते थे, तो और गहरा हो गया.

लेकिन दोनों की जातियां अलग थीं: पिंकी सैनी (ओबीसी) जाति से थीं और महावर दलित. जब यह बात फैली, तो असहमति ने खुली दुश्मनी का रूप ले लिया. वही पुराना सिलसिला दोहराया गया. सैनी के पिता, शंकर लाल ने फरवरी 2021 में उनकी शादी तय कर दी. पिंकी महावर के साथ भाग गईं. उनके परिवार ने आरोप लगाया कि उन्हें अगवा कर लिया गया और पुलिस ने तुरंत एफआईआर दर्ज कर ली.

जब पिंकी और रोशन डेटिंग कर रहे थे, तो वह अपनी पहचान छिपाने के लिए बुर्का पहनती थी. 2021 में उसके पिता ने उसकी हत्या कर दी थी | फोटो विशेष व्यवस्था

महावर ने कहा, “उन्होंने दावा किया कि मैंने उसे धमकाया और उसके सिर पर बंदूक रखी.”

लेकिन इस जोड़े से एक गलती हो गई. बाकी लोगों की तरह जिन्होंने अपने परिवारों से दूर रहकर नई ज़िंदगी बनाई, सैनी और महावर शादी के बाद दौसा लौट आए. उन्होंने पहले ही राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर बेंच से अपने परिवार से सुरक्षा की मांग की थी. अदालत ने पुलिस को उन्हें सुरक्षा देने का निर्देश दिया, लेकिन पुलिस ने देर की और जब वे दौसा लौटे, तब साथ नहीं गई.

कुछ ही दिनों बाद, सैनी को महावर के घर से अगवा कर लिया गया। उनका शव जल्द ही मिला.

“उसे अगवा करवाने और मरवाने की साजिश उसके पिता ने ही रची थी। लेकिन उस केस में कोई कार्रवाई नहीं हो रही,” महावर ने दिप्रिंट से फोन पर बात करते हुए कहा. पिंकी के पिता शंकर लाल ने गला घोंटकर हत्या करने की बात कबूल की थी.

“पुलिस ने समय पर कदम नहीं उठाया. उसके परिवार ने उसे मार डाला। चार साल से ज्यादा हो गए हैं और आज तक उसके अपहरणकर्ताओं की सही पहचान नहीं हो सकी है. उनके वकील भी उन्हीं की जाति के हैं. मैंने उम्मीद ही छोड़ दी है,” महावर ने कहा.

वहीं जयपुर में, श्वेता चौधरी के चेहरे पर पसीना और चिंता दोनों साफ झलकते हैं, क्योंकि वह अपने पति पर चल रहे पॉक्सो केस की प्रगति पर नजर रख रही हैं. मामला अब अंतिम बहस के लिए सूचीबद्ध है और यह जोड़ा उम्मीद करता है कि उनके बच्चे के जन्म से पहले यह मामला खत्म हो जाए.

उन्होंने कहा, “हमारी पहली बेटी के जन्म पर हमारे किसी भी परिवार का कोई सदस्य नहीं आया. लेकिन मेरे परिवार वाले हर कोर्ट की तारीख पर मेरे पति के खिलाफ मामले में जरूर पहुंचे.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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