जयपुर/कानपुर: पहलगाम में हुआ आतंकवादी हमले ने पूरे भारत में विरोध प्रदर्शनों को हवा दे दी है. गुरुवार शाम को जयपुर और कानपुर में लोग सड़कों पर उतरे और हमले के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की और “पाकिस्तान मुर्दाबाद” के नारे लगाए. मेरठ, हिसार, श्रीनगर, अनंतनाग, वासेपुर, ऊना समेत कई शहरों में कैंडल मार्च निकाला गया.
जयपुर के बीचों-बीच स्थित युद्ध स्मारक अमर जवान ज्योति की सीढ़ियों पर पहलगाम में हुए आतंकवादी हमलों के पीड़ितों के लिए जोरदार कैंडल मार्च निकाला गया. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की महिला मोर्चा ने लगातार नारे लगाते हुए और बैनर लेकर विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया.
जयपुर नगर निगम (नगर निगम) का हिस्सा रहे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सदस्य धर्मदास मोटवानी ने दिप्रिंट से कहा, “हमें पाकिस्तान को नीस्त-ओ-नाबूद करना होगा. अगर प्रधानमंत्री मोदी आगे आएंगे तभी समस्या हल होगी. नहीं तो भविष्य में जो हिंदू इस देश में रहना चाहेंगे उन्हें कलमा पढ़ना पड़ेगा.”
हमले के पीड़ितों में से एक, 33 वर्षीय नीरज उधवानी जयपुर में पैदा हुए थे, लेकिन दुबई, संयुक्त अरब अमीरात में रहते थे. पोस्टरों में से एक पर उनकी तस्वीर थी. उधवानी की मां ज्योति जयपुर के मालवीय नगर निर्वाचन क्षेत्र के एक हिस्से मॉडल टाउन में रहती थीं. गुरुवार को उनके पार्थिव शरीर को उनकी मां के घर से झालाना श्मशान घाट ले जाया गया.
अंतिम संस्कार से पहले, डॉ. सौम्या गुर्जर (जयपुर नगर निगम की मेयर) और कालीचरण सराफ (राज्य विधान सभा के सदस्य) ने पार्थिव शरीर पर माल्यार्पण किया.
मोटवानी ने कहा, “यह विरोध कालीचरण सराफ के निर्वाचन क्षेत्र द्वारा आयोजित किया गया था.”
उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को दोषी ठहराते हुए कहा, “पिछले 70 सालों में कांग्रेस ने हमें क्या दिया है? बस इतना कि अगर आप कलमा पढ़ेंगे तो आप यहां रह सकते हैं.”
भीड़ ने एक स्वर में ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’, ‘धर्म बचेगा, देश बचेगा’ और ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाए, लोग बारी-बारी से नारे लगा रहे थे. पीड़ितों के समर्थन में एक बड़ा सा बोर्ड उठाया गया, जिसमें भगवान से उनकी आत्मा को शांति देने की प्रार्थना की गई.
भारी यातायात और हॉर्न के बावजूद लोगों की आवाज़ धीमी नहीं हुई. एक समय पर, लाठी और टायर पकड़े दो बच्चे अपना खेल छोड़कर विरोध प्रदर्शन में शामिल हो गए. उन्होंने ‘आतंकवादी मुर्दाबाद’ के नारे लगाए.
जब लोगों की आवाज़ में गुस्सा दिखाई देने लगा, तो प्रदर्शनकारियों ने आतंकवादियों को कड़ी सज़ा देने की मांग की. ‘हत्यारों को गोली मारो, फांसी दो’ के नारे पूरे इलाके में गूंजने लगे. प्रदर्शनकारियों में ज्यादातर बुजुर्ग महिलाएं और पुरुष थे, लेकिन जल्द ही उस इलाके से गुज़रने वाले युवा कॉलेज के छात्रों ने भी विरोध में साथ दिया.
अपने तीन दोस्तों के साथ शामिल हुए एक छात्र ने कहा, “लोग डरे हुए हैं”. उन्होंने कहा, “सरकार को अपने लोगों की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाने होंगे. मेरी सरकार से अपील है कि वह लोगों को डर दूर करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करें.”
उन्होंने आगे कहा कि वे केंद्र सरकार के उन कदमों के लिए आभारी हैं, जो उन्होंने पहले ही उठाए हैं, जैसे सिंधु जल संधि को स्थगित करना. कालीचरण सराफ के विरोध स्थल पर पहुंचने पर उनकी बातचीत बीच में ही रुक गई, जिससे भीड़ उनके चारों ओर इकट्ठा हो गई.
सराफ ने भीड़ को आने के लिए धन्यवाद दिया, वादा किया कि वे पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए लड़ेंगे और फिर पंद्रह मिनट बाद साइट छोड़ने से पहले फोटो खिंचवाने के लिए रुके.
जब विरोध प्रदर्शन कम हुआ, तो कई महिलाएं पीछे रह गईं, मोमबत्तियां जलाईं और उन्हें इलाके में रख दिया. एक महिला ने मोमबत्ती पकड़ी और अपनी आंखों में आंसू लिए, विरोध प्रदर्शन को कवर कर रहे कुछ मीडियाकर्मियों से बात की.
आंसू पोंछते हुए उन्होंने कहा, “मैं सरकार से आतंकवादियों और उनके घर पाकिस्तान को सज़ा देने की अपील करती हूं. शायद सर्जिकल स्ट्राइक या एयर स्ट्राइक हो ताकि उसके बाद ऐसा कुछ दोबारा न हो.”
यह भी पढ़ें: पहलगाम पीड़ित नीरज उधवानी के अंतिम संस्कार में लोगों ने कहा — ‘वह खुशमिज़ाज था, बहुत जल्दी चला गया’
ट्रेड यूनियन, क्वीर फाउंडेशन ने किया प्रदर्शन
कानपुर में, दो दर्जन से अधिक क्वीर लोगों का ग्रुप मोमबत्तियां लेकर पीड़ितों के साथ एकजुटता का एक शक्तिशाली प्रदर्शन आयोजित करने के लिए एक साथ आया.
कानपुर क्वीर वेलफेयर फाउंडेशन (KQWF) ने मानसिक स्वास्थ्य संगठन विशुद्धि आरोग्य के सहयोग से कानपुर के सबसे व्यस्त रमादेवी चौराहे के पास मार्च निकाला.

पोस्टर में से एक पर लिखा था, “कानपुर के वीरों को शत शत नमन. आतंक के आगे झुके नहीं ये महान”. एक और पोस्टर में लिखा था, निर्दोषों की आहों से कांप उठा आसमान, आतंकवाद के खिलाफ है अब हर हिंदुस्तानी.
पहलगाम में मारे गए लोगों में से एक शुभम द्विवेदी कानपुर के रहने वाले हैं. गुरुवार से ही नागरिक समाज और ट्रेड यूनियनों ने शहर में कई कैंडल मार्च निकाले हैं. गुरुवार को ट्रेड यूनियनों ने अपने विरोध के तौर पर दोपहर तक अपनी दुकानें बंद रखने का फैसला किया.
कानपुर क्वीर वेलफेयर फाउंडेशन (KQWF) के संस्थापक अनुज पांडे ने कहा, “पहलगाम में हुए हमले के खिलाफ यह हमारा शांतिपूर्ण विरोध है और हम उन 26 लोगों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त कर रहे हैं, जिन्होंने अपनी जान गंवाई है.”
उन्होंने कहा कि सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि लोगों को उनका धर्म पूछकर मारा गया है.
पांडे ने मोदी सरकार से घाटी में सुरक्षा बढ़ाने की भी मांग की.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: पहलगाम हमले में मारे गए कानपुर के शुभम द्विवेदी के अंतिम संस्कार में लगे ‘खून का बदला खून’ के नारे