पलवल: साल 2018 का पहला दिन था. हरियाणा के पलवल में आधी रात का समय था. नरेश धनखड़ अपनी सेना की कवायद को फिर से कर रहे थे. ‘लेफ्ट, राइट, लेफ्ट, राइट, लेफ्ट, राइट’. 6 फीट लंबे, सेना के घातक प्लाटून का यह पूर्व सैनिक चिल्लाता हुआ सड़क पर अजीब तरीके से दौड़ रहा था.
महज 90 मिनट पहले, धनखड़ ने छह लोगों की सिर फोड़कर हत्या कर दी थी. और उसका तांडव अभी तक खत्म नहीं हुआ था. नरसंहार की रात जारी थी, क्योंकि उसने तीन पुलिसकर्मियों को भी घायल कर दिया था, जो उसे पकड़ने के लिए निकले थे. फिर एक नाले में फिसलने और नाले के किनारे पर सिर टकरा जाने के बाद उसका आतंक समाप्त हुआ.
सालों तक पलवल के छोटे से कस्बे ने उसे ‘साइको किलर’ कहा. इस हफ्ते, 72 अदालती सुनवाई और 52 गवाहों के बयान के बाद, पलवल की जिला और सत्र अदालत ने आखिरकार धनखड़ को मौत की सजा सुनाई.
धनखड़ के ससुराल के पास के रहने वाले एक पड़ोसी ने कहा, ‘रात की बात थी. ठंढ़ का समय था और वह चाय मांग रहा था. लेकिन उसके ससुराल वाले उसे अंदर नहीं आने दे रहे थे.’
अदालत में, धनखड़ के वकीलों ने उनके मामले को ‘पागलपन’ या ‘द्विध्रुवी मनोविकृति’ के रूप में बताया, लेकिन न्यायाधीश प्रशांत राणा ने इसे स्वीकार नहीं किया. न्यायाधीश ने फ्रांसीसी नोबेल पुरस्कार विजेता अल्बर्ट कैमस का हवाला देते हुए कहा, ‘कोई भी कारण निर्दोष लोगों की मौत को सही नहीं ठहराता है.’
धनखड़ को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 332 (लोक सेवक को चोट पहुंचाना), 353 (लोक सेवक पर हमला) और 186 (लोक सेवक को बाधित करना) के तहत दोषी ठहराया गया था.
खूनी रात
उस रात घड़ी में तीन बजे रहे थे. इसे लोग शैतान का समय मानते हैं. तसलीम खान ने पलवल अस्पताल की दूसरी मंजिल पर जोर से धमाके की आवाज सुनी और ऊपर की ओर दौड़ी. वहां पहुंची तो उसने अपनी 32 वर्षीय भाभी अंजुम को खून से लथपथ पाया. उसका सिर फटा हुआ था. खान ने डरते हुए अपनी नजरें ऊपर की ओर उठाई तो देखा मुस्कुराते हुए धनखड़ बाथरूम से लोहे की रॉड लेकर निकल रहे हैं.
आरोपी की तलाश के लिए भेजे गए पलवल सिटी थाने के सब-इंस्पेक्टर जयराम सरौत को 500 मीटर के दायरे में कई लाशों के निशान मिले. अन्य पीड़ितों की पहचान मुंशी राम, सीता राम, खेम चंद और सुभाष के रूप में हुई है.
मीडिया ने उस रात की घटनाओं को एक अस्थायी रूप से पागल आदमी के द्वारा किया गया कार्य के रूप में वर्णित किया, जो एक भीषण हत्याकांड था. लेकिन सरौत का कहना है कि धनखड़ ने पुलिस को बताया कि उसने अंजुम को इसलिए मार डाला, क्योंकि वह उसकी पत्नी की तरह दिखती थी. सरौत, जो इस मामले की जांच कर रहे थे और पिछले साल इंस्पेक्टर के पद से सेवानिवृत्त हुए थे, ने दिप्रिंट को बताया, ‘उसने कहा कि उसने किसी को भी मार डाला, जिसके बारे में उसने सोचा कि उसने उसे अस्पताल जाते हुए देखा था.’
धनखड़ के द्वारा मारे गए लोगों में से किसी को भी इस बात का अंदाजा नहीं था कि उसपर हमला हो सकता है. पीड़ितों में सभी पर पीछे से हमला किया गया था. उनके पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में सदमे और अधिक खून निकलना मौत का कारण बताया गया. सरौत याद करते हुए कहते हैं, ‘सभी शव बहुत खराब स्थिति में थे. कुछ की आंखें बाहर निकल गई थीं, जबकि कुछ की नाक पूरी तरह से टूट गई थी.’
वह आगे कहते हैं, ‘कोहरा इतना घना था कि आप अपना हाथ नहीं देख सकते थे. जिसके कारण पीड़ितों ने उसे आते हुए नहीं देखा.’
फैक्ट्री फोरमैन खेमचंद, जिसकी उस दिन हत्या हो गई थी, की पत्नी कमला शर्मा कहती हैं कि वह अभी भी उस रात की घटनाओं के बारे में सोचकर अपना सिर नहीं लपेट पाती हैं. उन्होंने कहा, ‘सुबह के 4 बज रहे थे. मेरे पति अपना टिफिन लेकर काम पर निकल गए थे. घंटों बाद, मैंने उन्हें मुर्दाघर में पाया.’
पलवल निवासी कमला ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि उनका सिर इस तरह से बरबाद हो गया था कि कोई भी देखकर सिहर सकता है. उन्होंने कहा, ‘मुझे अभी भी बुरे सपने आते हैं.’
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एक खूनी रात
धनखड़ एक पूर्व सेना अधिकारी हैं और सेना की स्पेशल प्लाटून का हिस्सा थे. 2003 में, उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली और उप-विभागीय अधिकारी के रूप में हरियाणा के कृषि विभाग में शामिल हो गए.
वह और उसकी पत्नी सीमा अपनी वैवाहिक जीवन से खुश नहीं रहते थे और दोनों में अक्सर लड़ाईयां होती थी. साल 2015 में दोनों कथित तौर पर अलग हो गए थे और अलग-अलग रह रहे थे. धनखड़ जहां ओमैक्स सिटी में रहते थे, वहीं सीमा आदर्श नगर में अपने माता-पिता के साथ रह रही थीं.
1 जनवरी की शाम को धनखड़ फल, आइसक्रीम और उपहार लेकर अपने ससुराल गया था, लेकिन ससुराल वालों ने उसे अंदर नहीं आने दिया. सरौत ने कहा, ‘ससुराल वालों ने उसे बताया कि उसकी पत्नी पलवल अस्पताल में भर्ती है.’
इसके बाद धनखड़ कथित तौर पर ओमैक्स सिटी में अपने घर वापस चला गया, जहां एक सुरक्षा गार्ड ने उसे आधी रात के आसपास ‘हाथ में डंडे जैसी चीज’ के साथ पैदल सोसायटी से बाहर की ओर जाते हुए देखा.
वह वहां से अस्पताल गया और अस्पताल के आईसीयू के बाहर उसने अंजुम को बेंच पर सोते हुए देखा. अंजुम की भाभी मिकसीना अस्पताल में भर्ती थी. उसने अंजुम को अपनी पत्नी समझ लिया और उसपर हमला कर दिया. सरौत ने कहा कि हत्या का दृद्य सीसीटीवी में कैद हो गई.
कोर्ट में धनखड़ के बचाव पक्ष ने कहा कि धनखड़ 2001 से मनोविकृति से पीड़ित थे. उनके वकील ने सेना के दस्तावेजों का हवाला दिया, जिसमें धनखड़ को आक्रामक, चिड़चिड़े और नींद की कमी से पीड़ित बताया गया था. बचाव पक्ष ने यह भी कहा कि फरीदाबाद के सहायक जेल अधीक्षक द्वारा 28 जनवरी 2023 को सौंपी गई एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि धनखड़ ‘द्विध्रुवी विकार’ से पीड़ित थे.
लेकिन न्यायाधीश ने ‘द्विध्रुवी विकार’ को पागलपन के आधार के रूप में खारिज कर दिया. कोर्ट में न्यायाधीश ने कहा, ‘इससे भारत में 77 लाख लोगों को पागलपन और बड़ी संख्या में अवसाद जैसे विकार के कारण मारने का लाइसेंस मिल जाएगा.’
न्यायाधीश ने आगे कहा, ‘वास्तव में ये सामान्य विकार हैं और इन्हें पागलपन नहीं कहा जा सकता है. उनके द्वारा किए गए अपराधों के समय यह साबित नहीं होता है कि वह मानसिक रूप से अस्वस्थ थे.’
अभियोजन पक्ष के वकील, सहायक जिला अटार्नी दिनेश अंबावट्टा का कहना है कि बचाव पक्ष के अस्थाई पागलपन के मामले को कमजोर तरीके से लड़ा गया था. उन्होंने कहा, ‘धनखड़ अदालत में आए और बहुत संयम के साथ बैठे. उन्होंने हम सबको जय हिंद भी कहा.’
हिल गया था पलवल
2 जनवरी 2018 को, पलवल के निवासियों की नींद एक वीडियो से खुली, जिसके कारण शहर में खुद ही कर्फ्यू जैसा माहौल बन गया था.
पुलिस ने एक निजी अस्पताल में लोगों को मारते हुए हुए एक व्यक्ति का वीडियो शेयर किया था जिसके हाथों में लोहे की रॉड थी और उसके कपड़े खून से सने हुए थे.
उस दिन सभी महत्वपूर्ण बैठकें रद्द कर दी गईं. नए साल की खुशी का अंत मंगलवार को खूनी खेल के साथ हुआ था. मोहल्लेवासियों ने मॉर्निंग वॉक पर जाना बंद कर दिया था.
मीडिया ने वीडियो में मौजूद शख्स को ‘साइको किलर’ करार दिया था. कहानी जल्द ही एक ‘शहरी किंवदंती’ बन गई. उसने उस रात 15 कुत्तों को भी मार डाला था. पलवल के निवासी ने कहा कि जो कुछ भी उसके रास्ते में आया उसने सबपर हमला किया. उन्होंने कहा, ‘वह हमेशा अपनी पत्नी पर शक करता था. उसे लगता था कि उसकी पत्नी का किसी दूसरे व्यक्ति के साथ संबंध है, और इसी गुस्से के कारण उसने इतने लोगों की हत्या की.’
पांच साल बाद, आदर्श नगर में उसके ससुराल वाले अपनी खिड़कियां और गेट बंद करके रहते हैं. उसके ससुराल के पास रहने वाले एक पड़ोसी ने कहा, ‘हम इनके प्रति सहानुभूति रखते हैं. ये अच्छे लोग हैं. इनके साथ जो हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण था.’
लेकिन खेमचंद की पत्नी जैसे बेखौफ पीड़ितों के परिवार अभी भी रात में जागते हैं और अपने एकमात्र सवाल का जवाब ढूंढते हैं. और वह सवाल है, ‘हम ही क्यों?’
(संपादन: ऋषभ राज)
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