scorecardresearch
Friday, 20 December, 2024
होमफीचर‘हमारे दाम अब उनसे ज़्यादा हैं’ — गुलज़ार ने लोकसभा चुनाव के नतीजों पर लिखी एक नई कविता

‘हमारे दाम अब उनसे ज़्यादा हैं’ — गुलज़ार ने लोकसभा चुनाव के नतीजों पर लिखी एक नई कविता

राजनीति और कविता में कोई अंतर नहीं है. वे कहते हैं कि आप पद्य में प्रचार करते हैं, गद्य में शासन करते हैं. गुलज़ार को गठबंधन सरकार में भी कविता नज़र आती है.

Text Size:

नई दिल्ली: बॉलीवुड के मशहूर कवि गुलज़ार ने लोकसभा 2024 के चुनाव नतीजों पर एक अनूठी राय दी है. उन्हें अंतिम गणना में घमंडी घोड़े नज़र आते हैं.

राजनीति और कविता में कोई अंतर नहीं है. वे कहते हैं कि आप पद्य में प्रचार करते हैं, गद्य में शासन करते हैं. गुलज़ार को गठबंधन सरकार में भी कविता नज़र आती है.

आज के भारत के राजनीतिक हालात को बयां करने के लिए उनके पास एक नई कविता है. यह वही शख़्स हैं जिन्होंने मशहूर हिंदी फिल्म आंधी (1975) में आपातकाल के बारे में पटकथा लिखी थी. जब कोविड-19 लॉकडाउन लगाया गया था, तो उन्होंने प्रवासी मज़दूरों के घर वापस लौटने के लंबे सफर के बारे में लिखा था.

कविता की पहली तीन पंक्तियां इस प्रकार हैं: बड़े मगरूर हैं घोड़े सुना है, वो मन मर्ज़ी से चलने लगे हैं, वो सोने की लगाम मांगते हैं.

कवि देश को राजनीतिक स्थिरता देने के लिए हाल ही में क्षेत्रीय पार्टियों द्वारा मांगी जा रही ऊंची कीमत की ओर इशारा कर रहे हैं, उनका स्पष्ट संकेत जेडी(यू) और टीडीपी द्वारा केंद्र में सरकार बनाने के लिए भाजपा का समर्थन करने की ओर है.

गठबंधन की राजनीति पर चुटकुले उस दिन से चल रहे हैं जब भाजपा पूर्ण बहुमत से चूक गई थी और गठबंधन की राजनीति पर टिप्पणी करने के लिए गुलज़ार का तीखा व्यंग्य इसमें सबसे नया है.

गुलज़ार के घोड़े मांग रहे हैं सोने की लगाम

सरकार बनने से पहले ही ऐसी खबरें सामने आई हैं कि जेडी(यू) और टीडीपी ने अहम मंत्रालय मांगे हैं. जेडी(यू) नेता केसी त्यागी ने तो यहां तक ​​कह दिया कि अग्निवीर योजना पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए, जो राष्ट्रीय राजनीति में इन छोटे खिलाड़ियों के बढ़ते प्रभाव को रेखांकित करता है.

अपनी कविता में घोड़ी शब्द के जरिए गुलज़ार उन पार्टियों की ओर इशारा कर रहे हैं जो बीजेपी से सौदेबाजी करने की स्थिति में हैं. इनमें नीतीश कुमार, चंद्रबाबू नायडू, चिराग पासवान और जीतन राम मांझी शामिल हैं.

अगली तीन पंक्तियों में गुलज़ार लिखते हैं कि एक घोड़ी दूल्हे से कह रही है कि शादी के लिए शेर मांगो क्योंकि उसकी कीमत अब उससे (घोड़े) कहीं ज्यादा है. चलो जाओ न मांगो शेर शादी के लिए अब, हमारे दाम अब उनसे ज्यादा हैं.

अभी कुछ समय पहले की बात नहीं है जब नीतीश और नायडू दोनों को उनके मतदाताओं ने हाशिये पर धकेल दिया था. कई टिप्पणीकारों ने बिहार के सीएम का शोक संदेश लिखा था, लेकिन लोकसभा के नतीजों ने उन्हें भारतीय राजनीति की श्रेणी में वापस ला दिया है.

(इस फीचर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: रमाशंकर यादव ‘विद्रोही’: कविताओं से सत्ता को चुनौती देने वाले JNU के कवि


 

share & View comments