खुशबू, माही और निम्मी उत्तर प्रदेश के एक गांव में शादियों में डांसर्स हैं. हमेशा रात में होने वाले इस धमाकेदार प्रोग्राम के लिए 20,000 रुपये देकर गांव के पुरुष कई दिनों से उनकी बाट जोह रहे हैं. हालांकि, डांसर्स को वीआईपी ट्रीटमेंट नहीं मिलता है. उन्हें वेन्यू तक ले जाने के लिए पिकअप ट्रक के पीछे बकरियों की तरह ठूंस दिया जाता है. तंबाकू चबाते हुए, रेलिंग के सहारे वे गोंडा की ऊबड़-खाबड़ सड़कों पर धक्के खाते हुए पहुंचती हैं और हर बार ट्रक के किसी गड्ढे में फंसने पर गालियां देती हैं.
35-वर्षीय करिश्मा ड्राइवर पर चिल्लाती हैं, “कम पी और गड्ढों पर आराम से चला! मुझे मरना नहीं है. मैं अभी सपना चौधरी नहीं बनी.” लेकिन बेपरवाह ड्राइवर शराब पीते हुए और लापरवाही से गाड़ी चलाता है और अश्लील भोजपुरी गाने सुनता है.
वे अपने मुंह से तंबाकू थूकती हैं और सभी उन पर हंसने लगते हैं, वे हरियाणा की डांसर से बिग बॉस की कंटेस्टेंट बनीं चौधरी का ज़िक्र कर रही हैं जो उत्तर प्रदेश और बिहार के लगभग हर “ऑर्केस्ट्रा डांसर्स” की आइकन हैं.
जैसे ही ट्रक दूर-दराज के गांव में स्थित वेन्यू पर पहुंचता हैं, तीनों पुराने, मद्दम रोशनी वाले चेंजिंग रूम की ओर भागती हैं. जंग लगी बाल्टी में पानी भरकर अपना चेहरा धोती हैं, जल्दी से चटक लाल लिपस्टिक लगाती हैं, चमचमाते लहंगे पहनती हैं, फाउंडेशन लगाती हैं और एक ही झटके में अपने बाल खोल देती हैं.
बाहर, गांव के पुरुष उन्हें देखने के लिए उत्सुकता से खड़े हैं. बच्चे खिड़कियों की दरारों से झांक रहे हैं और युवा लड़के दरवाजे पर पूछ रहे हैं “और केतना देर लिपिस्टिक पाउडर लगैबू”. टेंट में लटकते बल्ब की मद्दम पीली रोशनी में, तीनों किसी सितारे से कम नहीं हैं.
“चमचमाते नारंगी लहंगे में सजी 23-वर्षीय डांसर माही ने कहा, “उनके लिए मैं आज रात आलिया भट्ट से कम नहीं हूं”.
शादियों से लेकर जन्मदिन और यहां तक कि अंतिम संस्कार में भी इन गांवों के पुरुषों की एक ही इच्छा होती है: ऑर्केस्ट्रा डांसर्स को मंच पर नाचते और थिरकते हुए अश्लील परफॉर्मेंस करते देखना.
डांसर का नाम जितना बड़ा होगा, गांव का मान-सम्मान उतना ज्यादा होगा. इस बीच, पत्नियां, बेटियां और माताएं घर के अंदर ही रहती हैं, जबकि पुरुष आनंद में खिलखिलाते हैं, अपने फोन पर वीडियो रिकॉर्ड करते हैं, अश्लील हरकतों के बार-बार दोहराए जाने की मांग करते हैं और कभी-कभी डांसर्स को गलत इरादों से छूने की भी कोशिश करते हैं. कलाकारों को प्रॉप्स के तौर पर बंदूकें दी जाती हैं और यौन संबंध बनाने के लिए अनुरोध किया जाता है — हालांकि, यह उनकी मर्ज़ी के खिलाफ है — लेकिन कभी-कभी.
पिछले कुछ साल में केवल पुरुषों के मनोरंजन के लिए बनी इन जगहों ने धीरे-धीरे पारंपरिक पारिवारिक समारोहों को पीछे छोड़ दिया है. स्मार्टफोन, यूट्यूब और इंस्टाग्राम के साथ भोजपुरी संगीत की बढ़ती पहुंच ने इस सांस्कृतिक बदलाव को बढ़ावा दिया है. अपने फोन पर पोर्नोग्राफी देखने के आदी पुरुष अब इन परफॉर्मेंस में महिलाओं से सामने बातचीत करना चाहते हैं.
इस सामाजिक रूप से स्वीकृत कुप्रथा ने पारंपरिक पारिवारिक गतिविधियां समाप्त कर दी हैं, जिससे पुरुषों को पुलिस, राजनेताओं और साथियों के मौन समर्थन से इन आयोजनों पर हावी होने और उन्हें आयोजित करने का अवसर मिल गया है.
परंपरा में बदलाव
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान के फेलो अजय कुमार यादव बताते हैं कि शादियों में महिलाओं के नाचने की परंपरा जनवासा से शुरू हुई है — बारातियों के लिए एक अस्थायी घर. दुल्हन का परिवार पारंपरिक नर्तकियों की परफॉर्मेंस के साथ बारात का स्वागत करता था. शुरुआत में पुरुष महिलाओं की पोशाक पहनकर ‘लौंडा नाच’ नामक एक प्रथा में ये नृत्य करते थे, जो बिहार और उत्तर प्रदेश में एक लोकप्रिय परंपरा है.
यादव बताते हैं, “1980 के दशक तक, महिलाओं ने इस क्षेत्र में कदम रखना शुरू किया और 2000 के दशक तक, भोजपुरी सिनेमा के उदय के साथ, उनकी भागीदारी यहां स्थापित हो गई. हालांकि, पारंपरिक प्रदर्शनों की जगह अब अश्लील नृत्यों ने ले ली है, जिसमें पश्चिम बंगाल, नेपाल, झारखंड और ओडिशा की महिलाएं इन ऑर्केस्ट्रा कंपनियों में शामिल हो रही हैं.”
बिहार और उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में अंधेरे के बाद के उत्सवों की असली नायिकाएं करिश्मा, मधु और कम उम्र की बुलबुल जैसी कलाकार हैं.
बेटी के डॉक्टर बनने का ख्वाब
पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के एक छोटे से गांव में एक शादी समारोह में, करिश्मा के छाती को आगे की ओर धकेलने और अपने कूल्हों को हिलाने पर सभी पुरुष दर्शक खुशी से झूम उठते हैं और सीटी बजाते हैं, जिस पर एक लोकप्रिय भोजपुरी गीत बजता है: “रेड लिपिस्टिक लगाके जब तुम सजती हो, मां कसम बवाल लगती हो.”
कुछ पुरुष अपने फोन पर ज़ूम करके वीडियो बनाते हैं, जबकि कुछ चिल्लाते हैं “छमिया” और कुछ उन्हें पकड़ने के लिए मंच पर कूद पड़ते हैं. डीजे तुरंत उन्हें रोकता है, माइक पर घोषणा होती है: “महिलाओं के परेसान न करा, नाही ता ऑर्केस्ट्रा बंद करे के पड़ी.”
करिश्मा और मंच पर मौजूद दो डांसर्स बिना किसी परेशानी के अपना डांस करती रहती हैं. पुरुष कुछ समय के लिए पीछे हटते हैं, लेकिन थोड़ी देर बाद एक और ग्रुप स्टेज के करीब आने लगता है. कुछ लोग मंच पर 50 रुपये के नोट फेंकते हैं.
करिश्मा के पति, पिंकू, भीड़ में लोगों को धक्का मारते हुए आगे बढ़ रहे हैं. उनकी आंखें मंच पर बिखरे नोटों पर है. वे मंच से उन्हें उठाने के लिए भागते हैं और वहीं एक कोने में जाकर बैठ जाते हैं. शुरू में तीन घंटे के लिए निर्धारित प्रोग्राम को पांच घंटे तक बढ़ाया जाता है क्योंकि भीड़ लगातार दोबारा डांस की मांग कर रही थी.
पिंकू ने एक और नोट जेब में रखते हुए कहा, “वो तीन घंटे के पैसे देते हैं, लेकिन फिर और करवाने की डिमांड करते हैं. अगर हम उनकी बात नहीं मानते हैं, तो वो पूरे पैसे नहीं देते हैं.” सुबह 4 बजे तक, उन्होंने 2,000 रुपये की बुकिंग फीस के अलावा 3,000 रुपये बतौर टिप कमा लिए थे.
दंपति अपने तंग, किराए के कमरे में लौटता है — जो कभी एक दुकान हुआ करती थी, अब यहां शटर और दरवाज़ों के लिए एक पर्दा भी है.
पैरों में दर्द और थकान के कारण करिश्मा फर्श पर लेट जाती हैं. वे 12 साल की उम्र से जांस कर रही हैं, जिस साल उन्होंने पिंकू से शादी की, जो उस समय 22 साल के थे.
पिंकू के बाहर निकलने के बाद अपने ब्लाउज से नोटों की गड्डी निकालते हुए वे बताती हैं, “करना उसका आइडिया था”. इससे पहले कि वह पैसे छीन पाता, उन्होंने चुपचाप पैसे छिपा दिए.
अपनी बाहों पर मॉइस्चराइजर लगाते हुए कहती हैं, “वो दिन भर शराब पीता है, काम नहीं करता और रात में मेरे साथ परफॉरमेंस के लिए आता है. वो मेरे पैसे से जीता है — और हमारे दो बच्चे भी.”
दंपति के बच्चे, जो लखनऊ में रिश्तेदारों के साथ रहते हैं, अपनी मां के पेशे के बारे में कुछ नहीं जानते. करिश्मा की कमाई, लगभग 20,000 रुपये प्रति माह, शायद ही कभी पूरी तरह से उन तक पहुंच पाती हो. फिर भी, वे छिपते-छिपाते एक छोटी राशि बचाने की कोशिश करती हैं.
उन्होंने बताया, “यह मेरी बेटी के लिए है. मैं चाहती हूं कि वो डॉक्टर बने.”
बैंक खाते के बिना, वो अपने चमकीले कपड़ों के नीचे एक ट्रंक में पैसे छिपाती हैं और उसे एक ताले में बंद देती हैं जिसकी चाबी केवल उनके पास है.
करिश्मा जानती हैं कि मंच पर उनका वक्त काफी कम है. वो लोगों को बताती हैं कि वे महज़ 25 साल की हैं, जबकि वह 35 की होने वाली हैं. जब दो संभावित ग्राहक उन्हें शो के लिए बुक करने आते हैं, तो वे जल्दी से अपने तेहरे पर फाउंडेशन लगाती हैं.
उन्होंने बताया, “मुझे कम उम्र की दिखना है.” पुरुष एक खाट पर बैठते हैं, उन्हें शक की निगाहों से देखती हैं. पिंकू से मोल-तोल करने से पहले, वे जोर देते हैं कि वे वहां डांस करें. करिश्मा अपनी कमर हिलाती हैं, अपने बालों में उंगलियां फेरती आंख मारती हैं — सौदा पक्का करने के लिए इतना काफी है.
पुरुष जाते-जाते उन्हें चिढ़ाते हैं, गालों पर “चूटी काटते” हैं और उन्हें परफॉर्म करते समय थोड़े खुले कपड़े पहनने के लिए कहते हैं.
अपने बमुश्किल मिले खाली वक्त में करिश्मा सपना चौधरी की रील्स देखती हैं और अपनी परफॉर्मेंस के बारे में सोचती हैं. वो चौधरी की तरह वजन बढ़ने से डरती हैं और डायट फॉलो करती हैं.
उन्होंने कहा, “मैं सपना चौधरी की तरह फेमस नहीं हूं. मैं 40 या 45 की उम्र तक ही डांस कर पाऊंगी. उसके बाद, मेरी जवानी ढल जाएगी.”
लेकिन करिश्मा का एक और टारगेट है: मालकिन बनना और अपनी खुद की डांस ट्रूप बनाना. उन्होंने बाकी महिलाओं को देखा है — शराबियों की पत्नियां, पतियों द्वारा छोड़ी गई मांएं — खतरनाक सीढ़ी पर चढ़कर शीर्ष पर पहुंचती हैं.
“मुझे बस थोड़ा और टिके रहना है.”
बाकी बिजनेस के जैसा काम
लगभग 15 साल तक डांसर के रूप में काम करने के बाद, 45-वर्षीय सवेरा अब गोंडा से लगभग 200 किलोमीटर दूर देवरिया के सोहनाग बाज़ार में अपनी खुद की डांस मंडली, सवेरा म्यूजिकल ऑर्केस्ट्रा की मालकिन हैं. उनकी मंडली में छह से आठ कलाकार हैं, जो इस शादी सीज़न में फुल बुक हैं — नवंबर से फरवरी तक.
सवेरा एक चालाक सौदेबाज़ हैं. वो बुकिंग के लिए उनके पास आए तीन पुरुषों से कहती हैं, “मैं तीन डांसरों के लिए 25,000 रुपये से कम कुछ भी नहीं लूंगी. मेरे पास देवरिया में सबसे अच्छी और सबसे खूबसूरत डांसर हैं.”
जब पुरुष महिलाओं को निजी रूप से देखने की मांग करते हैं, तो वो साफ इनकार कर देती हैं. “आप यहां वेश्यावृत्ति के लिए नहीं बल्कि डांसरों को बुक करने आए हैं. मैं आपको अपने फोन पर उनका डांस दिखा सकती हूं.”
वो जो 25,000 रुपये लेती हैं, उसका केवल एक हिस्सा सवेरा के पास रहता है. डीजे की कीमत 6,000 रुपये है, डांसर्स को 2,000 रुपये मिलते हैं और वैन किराए और ड्राइवर के लिए उन्हें 2,000 रुपये और देने पड़ते हैं.
ऑर्केस्ट्रा मंडली का बिजनेस उत्तर प्रदेश और बिहार की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का अभिन्न अंग बन गया है. यह मौसमी इंडस्ट्री शादी सीज़न में खूब फलता-फूलता है, जिससे कई तरह के रोज़गार पैदा होते हैं. डांसर्स के अलावा, ड्राइवर, बाउंसर, लाइट ऑपरेटर, डीजे और दर्ज़ी भी हैं. कई लोगों के लिए कमाई का सीज़न है.
कागज़ों पर सवेरा का मुनाफा प्रति बुकिंग 8,000 रुपये तक हो सकता है, लेकिन असलियत इससे अलग है. वे बताती हैं, “ग्राहक कभी भी पूरा पैसा नहीं देते. वो हमेशा कुछ हज़ार रुपये कम करने की कोशिश करते हैं, यह दावा करते हुए कि परफॉर्मेंस अच्छा नहीं था या लड़कियां उतनी सुंदर नहीं थीं.”
सवेरा की यात्रा 30 साल पहले शुरू हुई जब वह पश्चिम बंगाल के अपने गांव से उत्तर प्रदेश चली गईं. शुरुआत में उन्होंने किसी घर में घरेलू सहायिका बनकर काम किया, जिससे उन्हें महीने में सिर्फ 3,000-4,000 रुपये मिलते थे. उन्होंने बताया, “मुझे उस ज़िंदगी को छोड़ने का कोई अफसोस नहीं है”. उनके पति ने उन्हें बहुत पहले ही छोड़ दिया था, लेकिन वो बिना किसी कड़वाहट के बोलती हैं.
उन्होंने कहा, “आज, मैं एक बिजनेस वुमेन हूं. अपने समुदाय की अन्य महिलाओं को काम दिला सकती हूं.” उनकी ज़्यादातर कलाकार भी पश्चिम बंगाल से हैं, लेकिन उन्होंने भोजपुरी सीखकर और नए गानों से अपडेट रहकर अपने नए माहौल को पूरी तरह से अपना लिया है.
वो पास में खड़ी मैरून रंग की ड्रेस में एक लंबी महिला की ओर इशारा करती हैं. सवेरा बताती हैं, “यह फातिमा खातून है. पिछले साल जब उनका पति उन्हें छोड़कर दूसरी महिला के पास चला गया, तो वो हमारे साथ जुड़ गईं, उनके और उनकी बेटी के पास कुछ भी नहीं बचा था. वो भीख मांगने की कगार पर थीं.”
मंडली की बदौलत, खातून अब बंगाल में अपनी बेटी को पालने के लिए पैसे कमा पाती हैं. सवेरा मुस्कुराते हुए खातून से अपना फोन दिखाने का आग्रह करती हैं, “देखो, इसने iPhone 15 भी खरीदा और पूरा पैसा एक बार में चुका दिया — कोई EMI का चक्कर नहीं.”
लेकिन सवेरा अपनी बेटी के लिए एक अलग ज़िंदगी का ख्वाब देखती हैं, जो अब 23 साल की है. अपना स्मार्टफ़ोन निकालते हुए, वह फोटो देखती है. वो कहती हैं, “इसे देखो”. “क्या कोई कह सकता है कि यह किसी डांसर की बेटी है? वो एक अमीर औरत जैसी दिखती है.”
उनकी बेटी, जो एक दर्ज़ी की दुकान चलाती है, ने स्वतंत्रता और आरामदायक ज़िंदगी जी है. सवेरा कहती हैं, “यही मेरी असली सफलता है”.
दुर्व्यवहार, हमला, उदासीनता
अगर वो खर्चा उठा पातीं तो सवेरा अपने दो कमरों वाले कार्यालय के एक कमरे में रहने वालीं महिलाओं की सुरक्षा के लिए दो बाउंसर रखतीं. देवरिया से मात्र 38 किलोमीटर दूर आठ लोगों द्वारा दो डांसर्स के अपहरण और बलात्कार के प्रकरण ने उन्हें और पूरे उत्तर प्रदेश में ऑर्केस्ट्रा डांसर्स के समुदाय को हिला कर रख दिया.
कुशीनगर में एक ऑर्केस्ट्रा मंडली की मालकिन राखी को याद है कि उन्हें रात 11 बजे एक कॉल आया जिसमें दो डांसर्स की डिमांड की गई. उन्होंने यह कहते हुए साफ मना कर दिया कि वो अपने कलाकारों को इतनी देर तक बाहर नहीं भेजती हैं.
8 सितंबर की रात को, तीन सफेद फॉर्च्यूनर एक मामूली घर के बाहर आकर रुकीं. चार लोग बाहर कूदे, हवा में गोलियां चलाईं, अंदर घुसे, बेडरूम का दरवाजा लात मारकर तोड़ा और बंदूक की नोक पर दो युवा डांसर्स का अपहरण कर लिया.
महिलाओं को जबरन कारों में बिठाया गया, एक निजी पार्टी में ले जाया गया और नाचने के लिए मजबूर किया गया. एफआईआर के अनुसार, मेहमानों ने उनके साथ छेड़छाड़ की और बाद में उन्हें अगवा करने वाले लोगों ने उनका सामूहिक बलात्कार किया.
एफआईआर में दर्ज दर्दनाक डिटेल्स में पुरुषों की टिप्पणियों का वर्णन किया गया है, जिसमें उन्होंने अपने इरादों के बारे में शेखी बघारी: “लड़कियां माल हैं, रात शानदार होगी. हम इन्हें रात भर बंदूक की नोक पर नचाएंगे.”
पीड़िताओं को उनके किराए के घर से 10 किलोमीटर दूर एक घर से घंटों बाद बचाया गया. घटना ने पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में ऑर्केस्ट्रा डांसर्स के बीच खौफ का माहौल पैदा कर दिया है, जिससे कुछ महिलाएं सुरक्षा के लिए चाकू या मिर्च स्प्रे लेकर चलने लगी हैं.
सवेरा सुरक्षा के लिए डीजे और पुलिस हेल्पलाइन पर निर्भर हैं, लेकिन उनका आरोप है कि मदद शायद ही कभी समय पर पहुंचती है.
एक डांसर ने कहा, “जो पुलिस कांस्टेबल आते हैं, वो कहते हैं कि वो मदद नहीं कर सकते क्योंकि मेरी लड़कियां लोकल नहीं हैं. बाकी डांसर्स और मंडली के मालिक भी यही कहते हैं और पुलिस की उदासीनता की शिकायत करते हैं.”
उन्होंने कहा, “उनका (पुलिस) का कहना है कि हम अपने पेशे के कारण ‘इसके लिए कह रहे हैं’.”
इन महिलाओं के अनुसार, पुलिस मदद के लिए अक्सर मना कर देती है. आपातकालीन हेल्पलाइन पर कॉल करने पर ऐसी टिप्पणियां मिलती हैं, “हम बाहरी महिलाओं से बात नहीं करते”
हालांकि, पूर्वी यूपी जिले के पुलिस अधीक्षक ने इन दावों का खंडन किया है. कुशीनगर मामले का उदाहरण देते हुए अधिकारी ने कहा, “यह यूपी या बाहर से होने की बात नहीं है. हमने जब भी ज़रूरत पड़ी महिलाओं की मदद की है, क्योंकि वो इस देश की ही नागरिक हैं. पुलिस ने दो घंटे के भीतर नाबालिग लड़कियों को सफलतापूर्वक बचाया और सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. आरोप पत्र भी दाखिल कर दिया गया है.”
एक मध्यम स्तर के पुलिस अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि वो ज्यादा कुछ नहीं कर सकते हैं.
उन्होंने कहा, “महिलाएं खुद नाच रही हैं और पुरुषों को उन्हें छूने दे रही हैं. इस संस्कृति को खत्म करना होगा, वरना ऐसी घटनाएं रोज़ाना होती रहेंगी. राजनेताओं को वोट बैंक की राजनीति से दूर रहना चाहिए और सामाजिक संवेदनाओं को (सुधारने) पर काम करना चाहिए.”
इस घटना ने कई डांसर्स को अपनी सुरक्षा के लिए सवाल उठाने पर मजबूर कर दिया है. कुशीनगर की एक कलाकार सोनाली 2022 में हुई एक घटना को याद करती हैं, जब बलिया में एक पार्टी में एक व्यक्ति मंच पर चढ़ गया और बंदूक की नोक पर उन्हें नाचने के लिए मजबूर किया.
उन्होंने कहा, “मुझे लगा कि वो खिलौने वाली पिस्तौल है, लेकिन जब मुझे पिस्तौल दी गई तो मैं उसे पकड़ नहीं पाई — वो इतनी भारी थी कि मेरे हाथ से गिर गई और मैं वहां से भाग गई.”
अपनी जान के डर से सोनाली बलिया छोड़कर कुशीनगर चली गई क्योंकि उन्हें लगा कि यह उनके लिए सुरक्षित है, लेकिन सितंबर में हुए अपहरण और सामूहिक बलात्कार ने एक बार फिर उनकी सुरक्षा की भावना को तोड़ दिया है.
डर और आज़ादी
करिश्मा जैसी दिग्गज गायिकाओं से लेकर सवेरा जैसी मालकिनों तक, ऑर्केस्ट्रा की ज़्यादातर महिलाएं स्टेज से प्यार और नफरत दोनों ही करती हैं. उन्हें मिलने वाली तारीफें अक्सर हिंसा की भावना से ओतप्रोत होती है. पुरुष डांसर्स के चेहरे पर फोन रखकर अश्लील क्लिप दिखाते हैं, छेड़छाड़ न करने की चेतावनी मिलने पर आक्रामक हो जाते हैं और सेक्स की अनकही उम्मीद पाल लेते हैं.
एक डांसर याद करती हैं कि कैसे एक आदमी ने नाच के दौरान उन्हें घूरते हुए हस्तमैथुन करना शुरू कर दिया था. जब उन्होंने विरोध किया, तो शादी के मेहमान उनके खिलाफ हो गए.
उन्होंने रुंधते गले से कहा, “उन्होंने मुझसे कहा, ‘इतनी बातें करना बंद करो. बस चुपचाप नाचो. हम जो चाहें करेंगे’.” उनके साथी उन्हें गले लगाते हैं. उनमें से एक बुदबुदाती हैं, “हमें एक-दूसरे के लिए वहां रहना है.”
लेकिन चाहे कुछ भी हो, शो मस्ट गो ऑन.
पश्चिम बंगाल की 24-वर्षीय डांसर रूपा को वो रात याद है जब वो परफॉर्मेंस के बीच में ही रो पड़ी थीं. एक आदमी जबरदस्ती स्टेज पर चढ़ा और उनसे अपने फोन पर पोर्न क्लिप देखने को कहने लगा. गुस्से में आकर उन्होंने उसे थप्पड़ मारा और स्टेज से भगा दिया. समर्थन देने के बजाय ऑर्केस्ट्रा मालिक ने उन्हें “शो बर्बाद करने” के लिए चिल्लाया.
उन्हें चेतावनी मिली, “अगर, तुमको काम करना है, तो यह सब झेलना पड़ेगा. नहीं, तो बंगाल चली जाओ. मार्केट में इज्ज़त खराब मत करो”.
रूपा ने वहीं रहने, अपमान सहने और खुद का नाम बनाने का फैसला किया.
नौ साल बाद, वे “देवरिया की माधुरी दीक्षित” हैं, जो एक डांस के लिए 5,000 रुपये लेती हैं. पुरुष उन्हें नाचते हुए देखने के लिए दूर-दूर के गांवों से आते हैं, जबकि उनके साथी डांसर उनकी हरकतों की नकल करते हैं.
लल्लू नाम के जिस ऑर्केस्ट्रा के लिए वो काम करती हैं, बताते हैं, “रूपा की इतनी डिमांड है जब वो उपलब्ध नहीं होती है, तो ग्राहक हमसे झगड़ा करने लगते हैं.”
स्टेज पर, रूपा अनियंत्रित प्रशंसकों को संभालना जानती हैं. जब पुरुष उनकी ओर झपटते हैं, तो वो मुस्कुराते हुए, उन्हें दूर धकेलती हैं, या अपना सिर घुमा लेती हैं. कंधे उचकाते हुए कहती हैं, “मैं बस नाचती रहती हूं.”
रूपा के लिए यह उन्हें आज़ादी देता है जिसकी उन्होंने पश्चिम बंगाल में कभी कल्पना भी नहीं की थी, जहां वह अपनी सास की गालियों के बीच रोटियां बेलती.
वो कहती हैं, “यह मेरी पहचान है, जिसे मैंने सालों की कड़ी मेहनत से बनाया है.”
जब वो पहली बार देवरिया आईं, तो रूपा को भोजपुरी गानों पर लिप-सिंक करने में दिक्कत होती थी और हिंदी उन्हें समझ कम आती थी. उन्होंने साथी बंगाली डांसर्स से मदद ली, हर दिन एक घंटा भाषा सीखने और भोजपुरी गाने और हिंदी धारावाहिक देखने में बिताया.
वो बताती है, “अगर आप हिंदी या भोजपुरी नहीं बोल सकते, तो यहां जीना दूभर है.”
चार साल पहले, उन्होंने एक ऑर्केस्ट्रा मालिक के बेटे से शादी की, जो एक टैक्सी ड्राइवर है. अब वो उन पर डांस छोड़ने के लिए जोर देता है और अपने परिवार के साथ उनके गांव में बसने की ज़िद्द करता है, लेकिन रूपा को यह मंजूर नहीं.
वो गुस्से में कहती है, “मैं ऑर्केस्ट्रा छोड़ने से पहले उसे छोड़ दूंगी. मैं गांव में क्या करूंगी? रोटियां बनाऊंगी और रसोई में रहूंगी?”
उनका सबसे बड़ा डर उस आज़ादी को खोना है जिसके लिए उन्होंने इतनी मेहनत की है. अपने चेहरे पर मुल्तानी मिट्टी का लेप लगाते हुए वो कहती हैं, “इधर मैं आज़ाद हूं और जो मुझे पसंद है वो कर सकती हूं”.
रूपा बड़े सपने देखती हैं. वो बॉलीवुड में अपने डांस के लिए फेमस कनाडाई डांसर का ज़िक्र करती हैं, “मैं उत्तर प्रदेश की नोरा फातेही बनना चाहती हूं.”
आपसी प्रतिद्वंद्विता
जब रूपा ऑर्केस्ट्रा में शामिल हुईं, तो उन्हें प्रतिद्वंद्वी मंडलियों द्वारा अपने पाले में शामिल करने के जोखिम से बचने के लिए कड़े प्रतिस्पर्धी समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया, जिसके एक खंड में लिखा था: “अगर वह बिना किसी कारण के डांस के लिए उपलब्ध नहीं हैं और किसी अन्य ऑर्केस्ट्रा पार्टी में जाती हैं, तो उन्हें मालिक को 80,000 रुपये देने होंगे.”
मालिक अपने स्टार कलाकारों को वफादार बनाए रखने के लिए बहुत कुछ करते हैं. फेमस डांसर्स को कभी-कभी बाहर जाने से रोकने के लिए कमरों में बंद कर दिया जाता है और परफॉर्मेंस के दौरान, मालिक का एक विश्वासपात्र डांसर्स पर बारीकी से नज़र रखता है ताकि वो प्रतिस्पर्धी मंडलियों के सदस्यों के साथ बातचीत न करें.
मंच पर मुकाबला बहुत तगड़ा होता है. डांसर्स ग्राहकों द्वारा फेंके गए पैसों को हथियाने के लिए एक-दूसरे को धक्का देते हैं — और यह सब करते हुए वो एक भी कदम पीछे नहीं हटते. प्रतिद्वंद्विता यहीं खत्म नहीं होती; समूहों के बीच विभाजन होता है: ट्रांसजेंडर डांसर्स बनाम महिलाएं, बंगाल, नेपाल, ओडिशा और झारखंड के “बाहरी” — बनाम उत्तर प्रदेश और बिहार की लोकल डांसर्स और युवतियां बनाम नाबालिग.
हरदोई की 36-वर्षीय डांसर सोनी दूसरे राज्यों की महिलाओं के साथ परफॉर्म नहीं करती हैं. वो कहती हैं, “मैं एक पारंपरिक डांसर हूं. मेरा पूरा परिवार डांस करता रहा है और मैं अश्लीलता की हद तक नहीं गिर सकती.”
सोनी बंगाल, नेपाल और झारखंड की महिलाओं पर खुले कपड़े पहनकर और उकसाने वाला डांस करके डांस कल्चर को बर्बाद करने का आरोप लगाती हैं.
“बाहरी” लोगों के नौकरी छीन लेने के इस डर ने उन्हें काम पर रखने वाली ऑर्केस्ट्रा कंपनियों के बहिष्कार के बढ़ते आंदोलन को बढ़ावा दिया है. इस बीच, ट्रांसजेंडर डांसर्स तेज़ी से लोकप्रिय हो रहे हैं, जिससे प्रतिस्पर्धा में जटिलता की एक और परत जुड़ गई है.
सोनी ने हाल ही में दिल्ली में लिंग परिवर्तन सर्जरी करवाई है. उन्होंने कहा, “हमें पुरुषों के हमारे साथ ज़्यादा खुलेआम पेश आने या छेड़छाड़ करने से कोई आपत्ति नहीं है. महिला डांसर ऐसा नहीं कर सकतीं. इसलिए, ज़ाहिर है, हमारी डिमांड ज्यादा है.”
सवेरा, अपने दफ्ते से सड़क के दूसरी ओर ट्रांसजेंडर्स द्वारा संचालित ऑर्केस्ट्रा ग्रुप को देखती हुई, निराशा जताती हैं, “इन ट्रांसजेंडर्स ने हमारे पेशे पर कब्ज़ा कर लिया है. मैं पूरे दिन अपने बिस्तर पर बैठी रहती हूं और ग्राहकों को उनके पास जाते हुए देखती हूं. यहां तक कि जब मैं उन्हें पुकारती हूं, तो वो मुझे अनदेखा कर देते हैं.”
राजनीति विज्ञान के विद्वान अजय कुमार यादव के अनुसार, यह चलन नया नहीं है. यादव ने बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में डांस कल्चर पर अपने शोध का हवाला देते हुए कहा, “19वीं सदी में, राजा और ज़मींदार तवायफों से नृत्य करवाते थे. आम लोग, जो तवायफ़ों का खर्च नहीं उठा सकते थे, वो महिलाओं की पोशाक पहने पुरुषों को काम पर रखते थे. चाई ओझा और रामचंद्र मांझी जैसे कई लोकप्रिय लौंडा नर्तक थे.”
फिर भी, सबसे ज़्यादा मांग युवा लड़कियों की है.
12 साल की उम्र से शुरुआत
बिहार के सीवान जिले के एक छोटे से गांव में 35-वर्षीय मधु अपनी 13 साल की बेटी को अधिकारियों से ‘बचाने’ की बेताबी से कोशिश कर रही हैं. लाखों फॉलोअर्स वाली युवा इंस्टाग्राम सनसनी बुलबुल को पुलिस ने आधी रात को उस ऑर्केस्ट्रा कंपनी से बचाया, जिसके लिए वो काम करतीं थीं.
बुलबुल तेज़ी से फेमस हुईं. अपनी खास हाई पोनीटेल, बोल्ड रेड लिपस्टिक और बेबाक अंदाज़ से उन्होंने भारत में अपने फैन्स की एक छोटी सेना जुटा ली. युवा लड़के और पुरुष उनके साथ सेल्फी लेने के लिए उनके परफॉर्मेंस में उमड़ पड़ते थे. उनकी लोकप्रियता ने मीडिया का ध्यान आकर्षित किया, जिसमें उन्होंने इंटरव्यू दिए और ऑर्केस्ट्रा की दुनिया की काली सच्चाईयों के बारे में बात की.
एक वायरल वीडियो में उन्होंने खुलासा किया, “पुरुष मुझे एक कोने में ले जाने के लिए 500 रुपये देते थे”. एक अन्य इंटरव्यू में, जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने इतनी कम उम्र में इस काम में कदम क्यों रखा, उन्होंने बेबाकी से जवाब दिया: “मजबूरी बा!”
बुलबुल को हर शो के लिए 1,500 रुपये मिलते थे, लेकिन जल्द ही उनकी कमाई 5,000 रुपये तक पहुंच गई और वो सीवान में सबसे ज़्यादा पैसे पाने वाली डांसर बन गईं, लेकिन उनकी बढ़ती प्रसिद्धि ने कुछ लोगों का ध्यान भी आकर्षित किया — एक एनजीओ ने उन्हें बचाने में मदद के लिए लोकल पुलिस से संपर्क किया.
जब अधिकारी उनके किराए के घर पर पहुंचे, तो बुलबुल एक बिस्तर के नीचे छिपी मिलीं. एक महिला कांस्टेबल ने उन्हें बाहर निकाला और तब से नाबालिग सीवान के एक आश्रय गृह में रह रही है, जहां केवल उनकी मां को उनसे मिलने की अनुमति है.
ऑर्केस्ट्रा के मालिक स्वीकार करते हैं कि ग्राहक अक्सर 30 साल से अधिक उम्र की महिलाओं के लिए इनकार कर देते हैं और खासकर कम उम्र की डांसर की मांग करते हैं.
बुलबुल के बचाव में शामिल मिशन मुक्ति फाउंडेशन के निदेशक वीरेंद्र सिंह ने कहा, “बेहद मुश्किल हालात में फंसे परिवारों को पैसे और शोहरत का वादा करके निशाना बनाया जाता है. एक बार यहां आने के बाद, लड़कियों को शो खत्म होने के बाद भागने से रोकने के लिए कमरे में बंद कर दिया जाता है.”
“हमने ऐसे कई मामले संभाले हैं जहां छोटी लड़कियों के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया या उन्होंने सीधे हमें फोन करके बचाव की गुहार लगाई.”
मधु के लिए, बुलबुल सिर्फ उनकी बेटी नहीं है; वो परिवार की एकमात्र कमाने वाली हैं. मधु, जो खुद एक भूतपूर्व डांसर हैं, ने अपने पति द्वारा उन्हें छोड़ दिए जाने के बाद अपनी बेटी को ऑर्केस्ट्रा की दुनिया से मिलवाया. उन्होंने बुलबुल को वो सब सिखाया जो वो जानती थीं — डांस कैसे करना है, शिकारी पुरुषों से कैसे बचना है, और अश्लील टिप्पणियों को अनदेखा कैसे करना है.
मधु ने अपनी गोद में एक छोटे बच्चे को सहलाते हुए कहा, “यह कोई विकल्प नहीं था, बल्कि गरीबी की वजह से लिया गया फैसला था.” अब, वह अपनी बेटी की रिहाई के लिए बेताब हैं. वे कहती हैं, “मैं वादा करती हूं कि मैं उसे फिर कभी डांस नहीं करने दूंगी. हम पश्चिम बंगाल वापस चले जाएंगे.”
बुलबुल के शो अक्सर उनके पेशे की कठोर वास्तविकताओं को दर्शाते हैं. एक वायरल वीडियो में वह चमकीले नारंगी रंग का ब्लाउज और स्कर्ट पहने हुए हैं. वो भोजपुरी गाने पर डांस करते हुए गाने के बोलों के साथ-साथ इशारे कर रही हैं.
भागने के लिए बेताब
बलिया में एक शादी में 12 साल की छोटी लड़कियां पिकअप ट्रक के पीछे नाच रही हैं. 25-वर्षीय शिवानी दूर से देख रही हैं और उनके पिता और बड़े भाई के जश्न में शामिल होने पर उनका गुस्सा बढ़ता जा रहा है.
वो कहती हैं, “हमारे बीच बहुत झगड़ा हुआ क्योंकि मैं नहीं चाहती थी कि मेरे पिता और भाई इसमें शामिल हों, लेकिन उन्होंने मेरी बात सुनने से इनकार कर दिया.”
शिवानी, जो पहले बारात का हिस्सा थीं, ने खुद को अपनी मां और अन्य महिलाओं के साथ तीन कमरों में से एक में पाया, जबकि पुरुष बाहर जश्न मना रहे थे. यह पहली बार था जब शिवानी ने अपने पिता और भाई के साथ चलने का फैसला किया, ताकि देख सके कि आखिर इतना हंगामा क्यों हो रहा है.
वो तीखी आवाज़ में कहती हैं, “पिकअप वैन के पीछे नाच रही ये छोटी लड़कियां शो नहीं कर रही; उनका शोषण किया जा रहा है.”
इस बीच, 600 किलोमीटर दूर कुशीनगर में सोनाली ऑर्केस्ट्रा की दुनिया से भागने के लिए बेताब है. दो मंजिला घर में उनका कमरा, जहां दो और डांसर्स रहती हैं, प्यार और उम्मीद के जाल से भरा हुआ है. दीवारों पर हाल ही में नीला रंग किया गया है, एक शेल्फ पर एक टेडी बियर है और उनके बिस्तर पर गुलाब की पंखुड़ियां बिखरी हैं. हालांकि, ऑर्केस्ट्रा घरों में कुंवारे लोगों को जाने की अनुमति नहीं है, लेकिन सोनाली का आकाश, जो एक डीजे और ऑर्केस्ट्रा मालिक का बेटा है, के साथ रिश्ता कोई रहस्य नहीं है. अन्य महिला डांसरों को उनके साथ रहने में कोई दिक्कत नहीं है.
आकाश ने सोनाली से वादा किया है कि वो तीन महीने में शादी कर लेंगे. उसने पहले से ही एक चमकदार लाल लहंगा, मैचिंग ज्वेलरी और चमकीले जूते खरीदने की योजना बना ली है, लेकिन सोनाली के लिए, इस शादी में कुछ और भी है.
वो धीरे से कहती हैं, “आकाश ने मुझसे वादा किया था कि वो मुझे ऑर्केस्ट्रा की इस दुनिया से बाहर ले जाएगा. हम उसके गांव के घर में एक आम ज़िंदगी बसर करेंगे और वो परिवार के लिए कमाएगा.” आकाश ने सोनाली का हाथ थामते हुए गंभीरता से सिर हिलाया. “बस कुछ ही महीनों की बात है जब वो नाचना बंद कर देगी.”
तभी, एक और ग्राहक आता है और सोनाली जल्दी से अपने बिस्तर से उठकर खुद को तैयार करती हैं.
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