चेन्नई: चेन्नई में कलाक्षेत्र फाउंडेशन की छात्र छात्राएं 8 मार्च 2023 को धूप में खड़े होने पर खुद को बीमार महसूस कर रहे थे. लेकिन ये वहां की उमस भरी गर्मी की वजह से नहीं था. बल्कि वे सभी उस सीनियर टीचर को देख रहे थे, जिस पर छात्रों के यौण उत्पीड़न का आरोप लगा था, और महिला दिवस के मौके पर संस्थान की निदेशक उसे सम्मानित कर रहीं थीं. 19 मार्च को उन्हें पता चला कि निदेशक की अध्यक्षता वाली आंतरिक शिकायत समिति ने शिक्षक को क्लीन चिट दे दी है. समिति ने आरोपों को “ज्यादातर जानबूझकर गढ़ा गया” और “कलाक्षेत्र की प्रतिष्ठा को खराब करने के उद्देश्य” के रूप में वर्णित किया.
वह दिन भी था जब एक पूर्व निदेशक द्वारा कथित यौन उत्पीड़न के मामलों की जानकारी ऑनलाइन पोस्ट करने के बाद फाउंडेशन ने छात्रों और कर्मचारियों को दिसंबर 2022 की घटनाओं पर चर्चा करने से रोकने के लिए एक गैग आदेश जारी किया था. फेसबुक पोस्ट को डिलीट कर दिया गया है.
रुक्मिणी देवी कॉलेज फॉर फाइन आर्ट्स, कलाक्षेत्र फाउंडेशन- राष्ट्रीय स्तर का संस्थान है, जिसे सीधे तौर पर संस्कृति मंत्रालय द्वारा फंडिग की जाती है. जो बाहर से तो काफी शांत नजर आ रहा था लेकिन इस परिसर में भय और अविश्वास व्याप्त है. कई छात्रों, पूर्व छात्रों और फैकल्टी सदस्यों ने गैग आदेश मिलने से पहले दिप्रिंट से बात की थी, उनका आरोप है कि एक शक्तिशाली सीनियर फैकल्टी मेंम्बर द्वारा यौन उत्पीड़न वर्षों से अनियंत्रित और बेरोकटोक चल रहा है.
कलाक्षेत्र में लगातार यौन उत्पीड़न की कहानियां, बताती हैं कि यह छात्रों को कैसे चुप करा रही हैं, यह छात्रों की मुश्किल लड़ाई की ओर भी इशारा कर रही हैं, जिसका सामना युवा महिलाओं को करना पड़ता है, जब वे मजबूती के साथ एक दुर्जेय संस्थान के खिलाफ होती हैं. जिसकी एक आंतरिक PoSH समिति होती है और कागज पर प्रस्ताव. इससे ऐसा दिखाई देता है कि कलाक्षेत्र की प्रक्रिया ने छात्रों का विश्वास हासिल नहीं किया है.
दिप्रिंट में छपी रिपोर्ट के बाद राष्ट्रीय महिला आयोग ने इसका त्वरित संज्ञान लेते हुए तमिलनाडु के डीजीपी से कार्रवाई करने की मांग की है. आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने डीजीपी को लिखा है कि संबंधित धाराओं में एफआईआर दर्ज करके आरोपी टीचर और उसे बचाने के लिए डायरेक्टर के खिलाफ कार्रवाई की जाए.
इसके संबंध में एक पूर्व डायरेक्टर ने रुक्मिणी देवी कॉलेज फॉर फाइन आर्ट्स में लगभग एक दशक पहले हुई घटनाओं के बारे में एक फेसबुक पोस्ट के जरिए अपना अनुभव साझा किया था जिसके बाद अन्य स्टूडेंट्स ने भी अपने अनुभव शेयर किए थे. हालांकि, उन्होंने बाद में अपनी पोस्ट को हटा लिया था.
कलाक्षेत्र फाउंडेशन ने यौन उत्पीड़न रोकथाम (पीओएसएच) अधिनियम 2013 के अनुसार कथित तौर पर बिना लिखित शिकायत के तुरंत एक आंतरिक जांच की, लेकिन बाद में शिक्षक को दोषमुक्त कर दिया. इसके साथ ही आरोपों पर चर्चा करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की धमकी भी दी थी.
यह दिखाता है कि पावर किस तरह से कुछ लोगों के पक्ष में झुका हुआ है साथ ही यह आधुनिक समय में भी पुरानी गुरु-शिष्य परंपरा जैसी व्यवस्था होने का संकेत देता है.
कर्नाटक गायक और कार्यकर्ता टीएम कृष्णा ने बताया, “कोई भी मेंटर-मेंटी संबंध समान नहीं होता है. गुरु-शिष्य परम्परा के मामले में, गुरु की निरंकुश शक्ति पवित्र होती है. इससे कक्षा में जहरीला वातावरण, निराशा और यौन शोषण होता है और छात्र के जीवन पर नियंत्रण रखा जाता है. ”
उन्होंने कहा, “सिर्फ इसलिए कि हममें से कुछ के अपने गुरु के साथ अच्छे और स्वस्थ संबंध है, इसका मतलब यह नहीं है कि व्यवस्था ठीक है.”
पहली बार आरोप ऑनलाइन सामने आने पर कॉलेज ने तेजी से कार्रवाई की. ऐसा प्रतीत होता है कि यौन उत्पीड़न रोकथाम (पीओएसएच) अधिनियम 2013 के अनुसार, आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) ने स्वतः संज्ञान लेते हुए कार्रवाई की और एक जांच शुरू की. लेकिन शिक्षक के तीन महीने से भी कम समय में बरी होने के साथ, वहां की दिनचर्या पहले की तरह से सामान्य रूप से चलती नज़र आ रही है, लेकिन यहां अभी भी अजीब सी चुप्पी छाई हुई है.
कॉलेज की वेबसाइट पर प्रकाशित एक नोटिस में छात्रों को मामले की बात करने पर ‘कानूनी कार्रवाई’ की चेतावनी दी गई है.
इसने उन छात्रों के गुस्से और लाचारी को और बढ़ा दिया है जो अंतर्राष्ट्रीय मंचों की ओर मुड़ गए हैं जिन्हें वे सुरक्षित मानते हैं या कहानियों को साझा करने के लिए ‘सीक्रेट’ ऑनलाइन चर्चाओं का आयोजन कर रहे हैं.
पारदर्शिता की कथित कमी ने पानी को और अधिक मैला कर दिया है. एक के लिए, आंतरिक समिति ने कथित तौर पर कार्रवाई की, भले ही कोई लिखित शिकायत नहीं थी.
मुंबई स्थित कानूनी फर्म PoSH एट वर्क की वकील और संस्थापक सना हकीम ने कहा, “अगर कोई लिखित शिकायत है तो PoSH कानून के तहत कोई भी जांच शुरू की जानी चाहिए. यह सुनिश्चित करने के लिए एक शर्त है कि इस तरह की पूछताछ अदालती जांच की कसौटी पर खरी उतरे. यह महत्वपूर्ण है क्योंकि कानून में अपील का प्रावधान भी है. ” हाकिम ने कहा कि कानून के अनुसार, समिति शिकायत लिखने में पीड़ित महिला की सहायता भी कर सकती है.
यह भी साफ नहीं है कि कलाक्षेत्र की आंतरिक समिति ने अपने निष्कर्षों को प्रकाशित करने से पहले किसी पीड़ित छात्र का इंटरव्यू लिया या नहीं. कुछ छात्रों का आरोप है कि प्रशासन ने अनौपचारिक रूप से उन्हें आरोपी शिक्षक के समर्थन में पत्र लिखने के लिए मजबूर किया.
जिस शिक्षक आरोप लगाए गए हैं उसने दिप्रिंट को व्हाट्सएप मैसेज में बताया, ‘मैं कानूनी तौर पर उन सभी आरोपों के साथ आगे बढ़ रहा हूं जो मेरे खिलाफ लगाए गए हैं.’
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मौन के नियम को तोड़ना
क्रिसमस से एक दिन पहले, कलाक्षेत्र की पूर्व निदेशक लीला सैमसन ने एक शिक्षक के बारे में फेसबुक पर एक पोस्ट लिखा, जो एक दशक से अधिक समय से छात्रों को प्रताड़ित और शारीरिक उत्पीड़न कर रहा था.
सैमसन ने जल्द ही पोस्ट को हटा दिया, लेकिन इस पोस्ट ने असर करना शुरू कर दिया था और इसपर प्रतिक्रियाओं की झड़ी लग गई थी और घटनाओं की एक लंबी लाइन लग गई थी. इस पोस्ट के स्क्रीनशॉट लिए गए और इंस्टाग्राम और अन्य प्लेटफॉर्म पर दोबारा पोस्ट किए गए. छात्रों और पूर्व छात्रों ने अपनी कहानियों को साझा करना शुरू कर दिया. और मरे हुए व्हाट्सऐप ग्रुपों में जान आ गई.
पोस्ट के स्क्रीनशॉट को इंस्टाग्राम पर सार्वजनिक पेजों पर देखा जा सकता है में सैमसन ने लिखा, “कला की शीर्ष पर मौजूद एक सार्वजनिक संस्था में अब युवा लड़कियों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है, इस पर आंखें मूंद रखी हैं. वे कमजोर हैं. इस संस्थान का पुरुष स्टाफ उन्हें धमकाने और छेड़छाड़ करने के लिए जाना जाता है, जो अभी वयस्क नहीं हैं.”
कमेंट सेक्शन में निराशा भरे कमेंट्स की बाढ़ आ गई थी, जिसके स्क्रीनशॉट दिप्रिंट के पास हैं. मौजूदा और पहले रह चुके दोनों छात्रों ने संस्थान में प्रचलित एक कथित गलत संस्कृति के बारे में झंडे उठा लिए.
एक छात्र ने कमेंट सेक्शन में लिखा, “लक्ष्मण का किरदार निभाने वाला व्यक्ति विकृत है. वह खुलेआम लड़कियों को घूरता है और उनके साथ बदसलूकी करता है. उन्होंने गर्व से कहा है कि कलाक्षेत्र में कोई कॉटेज नहीं है जहां उन्होंने किसी के साथ ‘बनाया’ न हो…”
चेन्नई में चिंतित पूर्व छात्रों ने कलाक्षेत्र के छात्रों के गुपचुप तरीके से एक लाइव स्ट्रीम लिंक शेयर की और किस तरह से इसे हल किया जाए इसपर एक चर्चा भी की.
कई पीड़ित छात्रों ने अमेरिका स्थित केयर स्पेसेस की ओर रुख किया, जो खुद को “प्रथम भारतीय प्रदर्शन कला सुरक्षित-स्थान” के रूप में वर्णित करता है.
25 दिसंबर को, इसने एक ऑनलाइन पीयर सपोर्ट फोरम और कलाक्षेत्र के छात्रों के लिए एक गुमनाम ईमेल किया, जो यौन दुराचार की अपनी कहानियों को साझा करना चाहते थे, जिसका सामना उन्होंने कैंपस में किया होगा.
तब से आवाजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है. कथित दुर्व्यवहार की कहानियों को सौ से अधिक छात्रों ने साझा किया. इस आक्रोश के बाद, केयर स्पेसेस, जो नैतिक स्थानों के लिए ईमानदार कलाकारों की रैली के लिए खड़ा है, ने कलाक्षेत्र से पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग करते हुए जनवरी में एक पेटीशन की शुरुआत की.
याचिका पर पूर्व छात्रों और मौजूदा छात्रों सहित 641 कलाकारों ने हस्ताक्षर किए हैं. हस्ताक्षरकर्ताओं में से, सौ से अधिक ने खुद को कलाक्षेत्र के वर्तमान कर्मचारियों, छात्रों और अधिकारी बताया है. अपने इंस्टाग्राम पेज पर, संगठन ने उन कहानियों को भी पोस्ट किया है जिन्हें छात्रों ने कथित तौर पर गुमनाम रूप से उन्हें भेजा है.
कुछ छात्रों ने आरोप लगाया कि बिना सहमति के उन्हें वीडियो में रिकॉर्ड किया गया था; दूसरों ने बताया कि कैसे उन्होंने शारीरिक नुकसान पहुंचाया.
आरोप पर कागजी कार्रवाई
इतने आरोपों के बाद भी रुक्मिणी देवी कॉलेज फॉर फाइन आर्ट्स, कलाक्षेत्र फाउंडेशन के लिए मामला बंद हो चुका है.
19 मार्च, रविवार को अपनी वेबसाइट पर पोस्ट किए गए एक आधिकारिक नोटिस में इसने लिखा, “कलाक्षेत्र फाउंडेशन को बदनाम करने के उद्देश्य से ज्यादातर सोशल मीडिया के माध्यम से अफवाहें और आरोप फैलाने के लिए एक ठोस और संगठित प्रयास किया जा रहा है.” इसमें आगे कहा गया है कि “गपशप करना, अफवाहें फैलाना और बुरा बोलना सीखने के माहौल में अविश्वसनीय रूप से जहरीला बना रहा है.”
इस नोटिस से छात्रों को निराशा में ला दिया है. केयर स्पेस ने घोषणा की कि यह “उग्रता से परे” था, और टीएम कृष्णा ने इसे “गहरा निराशाजनक बयान है यह ठीक वैसी है जैसी राजनेता बोलते हैं.
कृष्णा ने मेल के माध्यम से दिप्रिंट को बताया, “ यह उन सभी पर आरोप लगाता है जिन्होंने इन मुद्दों को उठाया है क्योंकि निहित स्वार्थ वाले लोग संस्था की छवि को खराब करना चाहते हैं. मेरा दृढ़ विश्वास है कि जो लोग बोल रहे हैं वे संस्थान और छात्रों के प्रति अपने प्रेम के कारण ऐसा कर रहे हैं. ”
उन्होंने कहा कि आरोप सत्ता के पदों पर बैठे व्यक्तियों से बड़े होते हैं. “बयान आगे कानूनी कार्रवाई के साथ लोगों को धमकी भी देता है. संस्था यह नहीं मानती है कि यह सिर्फ आईसीसी के बारे में नहीं है, यह संस्था के भीतर की संस्कृति के बारे में भी है.
कलाक्षेत्र फाउंडेशन पीओएसएच अधिनियम के सभी दिशानिर्देशों का पालन कर रहा था, बाहरी सदस्यों द्वारा वार्षिक ब्रीफिंग आयोजित कर रहा था, छात्रों को नोटिस बोर्ड पर आंतरिक समिति के सदस्यों के बारे में सूचित कर रहा था और समय-समय पर अपने सदस्यों को बदल भी रहा था.
कॉलेज की वेबसाइट पर आंतरिक शिकायत समिति के सदस्यों के संपर्क नंबर और नाम हैं, लेकिन इसे पिछले महीने ही अपडेट किया गया था. समिति का लिंक केवल 4 फरवरी 2023 के बाद वेबसाइट पर दिखाई दिया, जैसा कि नीचे स्क्रीनशॉट में देखा जा सकता है.
केयर स्पेसेस की सह-संस्थापक जननी रमेश ने कहा, “कृपया वेबैक मशीन की जांच करें, आईसी सदस्यों के बारे में जानकारी केवल कम्यूनिटी की मांग के बाद ही जोड़ी गई थीं.”
लेकिन छात्रों, शिक्षकों और पूर्व छात्रों का कहना है कि शिकायत दर्ज करने में लोगों की मदद करने में कॉलेज PoSH अधिनियम के सबसे महत्वपूर्ण पहलू का पालन करने में विफल रहा है .
कई लोग कॉलेज के रुख को जुझारू और कठोर मानते हैं.
कलाक्षेत्र के पूर्व छात्र और चेन्नई में स्थित एक भरतनाट्यम नर्तक जी नरेंद्र, ने आरोप लगाया कि, “छात्रों और शिक्षकों को उत्पीड़न के बारे में शिकायत करने से सक्रिय रूप से हतोत्साहित किया गया है, और ऐसा करने की हिम्मत करने पर ‘परिणाम’ की चेतावनी दी गई है. मैंने प्रशासन के एक कर्मचारी का एक पत्र देखा है, इन शिकायतों को भेजने के लिए दुर्व्यवहार से संबंधित धाराओं का हवाला देते हुए बर्खास्तगी की धमकी दी गई है. ”
कुछ छात्रों पर भी कथित तौर पर आरोपी का समर्थन करने का दबाव है.
नाम न बताने की शर्त पर एक रिपर्टरी सदस्य ने कहा, “वरिष्ठ छात्रों पर उन पत्रों पर हस्ताक्षर करने का दबाव होता है जो घोषणा करते हैं कि हम उनकी [आरोपी शिक्षक की] उपस्थिति में सुरक्षित महसूस करते हैं.”
अन्य लोगों ने कहा कि कॉलेज ने PoSH ब्रीफिंग का आयोजन किया, लेकिन सवाल पूछना बहुत मुश्किल बना दिया.
एक वरिष्ठ छात्र ने कहा, “क्यू एंड ए के दौरान, हमारे सवालों को टाल दिया गया. निर्देशक [रेवती रामचंद्रन] को कोई पूछताछ पसंद नहीं आई. ” सत्र में, उन्होंने सीधे तौर पर किसी स्टाफ सदस्य का नाम लिए बिना सहमति पर प्रश्न पूछे.
छात्र ने कहा, “निर्देशक का रवैया बहुत आहत करने वाला था. हमने उम्मीद की थी कि एक महिला हमारी दुर्दशा को समझेगी, लेकिन वह गुस्सा हो गईं और उन्होंने कहा कि वह संस्थान के लिए क्या क्या करती हैं लेकिन हम उनके प्रति आभारी नहीं हैं.”
दिप्रिंट ने रेवती रामचंद्रन से संपर्क किया लेकिन उनकी एकमात्र प्रतिक्रिया रविवार को जारी समिति के निष्कर्षों पर नोटिस की एक कड़ी थी.
एक कलाक्षेत्र रिपर्टरी सदस्य जिसने 4 फरवरी को इस्तीफा दे दिया था, यह आरोप लगाते हुए कि उसे आरोपी शिक्षक द्वारा मौखिक रूप से परेशान किया गया था, उसने आंतरिक समिति को उसके इस्तीफे से पहले की घटनाओं के बारे में मेल किया.
उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘लेकिन मुझे कभी भी सुनवाई के लिए नहीं बुलाया गया, और अगर कोई जांच चल रही थी तो मुझे अवगत नहीं कराया गया.’
निदेशक रामचंद्रन ने यह नहीं बताया की कि यह विशेष शिकायत समिति की जांच का हिस्सा थी या नहीं. कलाक्षेत्र फाउंडेशन के निदेशक और आंतरिक समिति के अध्यक्ष के रूप में उनकी स्थिति उन छात्रों के लिए संघर्ष का विषय थी, जिन्हें सुनवाई के निष्पक्ष नहीं होने का डर था.
आप सभी मुझे परेशान कर रहे हैं’, एक रिपर्टरी सदस्य ने आरोप लगाते हुए कहा, “निर्देशक हमें शिकायत करने की कोशिश करने से भी रोकता है.”
पूर्व छात्र भी जवाब मांगने के लिए फाउंडेशन का दरवाजा खटखटा रहे हैं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल रही है.
भरतनाट्यम शिक्षक और संस्थान के पूर्व छात्र साईं कृपा ने कहा, “मैंने अपनी व्यक्तिगत क्षमता में निदेशक से यह पूछने के लिए संपर्क किया है कि कलाक्षेत्र आरोपों के बारे में क्या कर रही हैं. मैं सिर्फ यह जानना चाहती हूं कि क्या हमारी लड़कियां सुरक्षित हैं और क्या जांच की जा रही है। लेकिन हमें कभी भी कुछ भी नहीं बताया गया. ”
संगठनों से विरोधी प्रतिक्रियाओं की शिकायतें आम हैं.
वकील हाकिम ने कहा, “आमतौर पर जब किसी वरिष्ठ कर्मचारी के खिलाफ शिकायत दर्ज की जाती है, तो स्पष्ट कारणों से PoSH शिकायतों के बढ़ने की अधिक आशंका होती है.”
राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने अभी तक कलाक्षेत्र मामले का संज्ञान नहीं लिया है. दिप्रिंट ने बीजेपी नेता खुशबू सुंदर से संपर्क किया, जो हाल ही में एनसीडब्ल्यू की सदस्य बनी हैं. सुंदर ने कहा कि वह आरोपों से अवगत हैं, उन्होंने आयोग द्वारा की गई किसी भी कार्रवाई के बारे में कोई जानकारी नहीं दी.
तमिलनाडु राज्य महिला आयुक्त एएस कुमारी ने कहा कि उन्हें कलाक्षेत्र में पढ़ने वाले या वहां काम करने वाले किसी भी व्यक्ति से यौन उत्पीड़न की कोई शिकायत नहीं मिली है. उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘अगर किसी को शिकायत दर्ज कराने के लिए समर्थन या मार्गदर्शन की आवश्यकता है, तो वे सीधे मेरे पास पहुंच सकते हैं और मैं उनकी सहायता करूंगी.’
इन घटनाक्रमों का मुख्यधारा के अंग्रेजी या तमिल समाचार पत्रों या दक्षिण-केंद्रित डिजिटल मीडिया आउटलेट्स में कोई उल्लेख नहीं मिलता है.
दर्शन कलाओं को समर्पित ऑनलाइन पत्रिका नार्थकी की संस्थापक और प्रकाशक अनीता रत्नम ने कहा, “कला जगत की खबरों को हमेशा दरकिनार किया गया है. पहले हमारी जगह एक अखबार के पेज 12 पर थी, अब हम कहीं नहीं हैं.” “हमें मुख्यधारा नहीं माना जाता है, इसलिए हमारी दुनिया में किसी भी घटनाक्रम की शायद ही कभी रिपोर्ट की जाती है.”
इसका एक अपवाद MeToo अभियान के दौरान था जब मुट्ठी भर पुरुष कलाकारों का नाम लिया गया और उन्हें शर्मिंदा किया गया.
नर्थकी की केयर स्पेसेस द्वारा पोस्ट साझा कर रहा है, और अपने पाठकों को कलाक्षेत्र के विकास के बारे में इंस्टाग्राम पर सूचित कर रहा है, हालांकि इसकी वेबसाइट पर कुछ भी नहीं है.
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परिसर में एक शक्तिशाली व्यक्तित्व
कलाक्षेत्र के नृत्य नाटिका का हिस्सा बनना युवा छात्रों के लिए एक सपने के सच होने जैसा है. चार साल तक, छात्र मंच पर एक स्थान के लिए रात-दिन मेहनत करते हैं. उनका पहला ऑन-स्टेज प्रदर्शन एक ‘कचेरी’ है जो अंतिम ग्रेजुएशन की परीक्षा है. प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण होने वालों को विश्वविद्यालय के दो वर्षीय स्नातकोत्तर डिप्लोमा कार्यक्रम में प्रवेश मिलता है, जिसमें उन्हें स्टेज की ट्रेनिंग दी जाती है.
आरोपी शिक्षक का कास्टिंग पर काफी नियंत्रण है, और कथित तौर पर जूनियर छात्रों का अनुचित लाभ उठाता है.
नरेंद्र ने दिप्रिंट को बताया, “वह अपनी इच्छा और कल्पना पर [एक लाइनअप से] एक नाम जोड़ या हटा सकता है. उन्होंने मेरा नाम उस डांस ड्रामा से हटा दिया जिसमें मैं परफॉर्म करने के लिए तैयार था. अगर यह मेरे साथ हो सकता है, तो निश्चित रूप से छात्रों के साथ भी हो सकता है.”
कई कर्मचारियों और फैक्लटी सदस्यों द्वारा शिक्षक को “शो रनर” और “परिसर में सबसे प्रभावशाली व्यक्ति” के रूप में वर्णित किया गया है.
कलाक्षेत्र की एक शिक्षिका ने दिप्रिंट को बताया,”वह निर्देशक का दाहिना हाथ है. वह [रामचंद्रन] सब कुछ उसकी सलाह के मुताबिक करती है और उस पर आंख मूंदकर भरोसा करती है. वह शो चला रहा है, रामचंद्रन नहीं.” .
कुछ ऐसा ही सोचना अन्य लोगों का भी है जो लोग शेयर कर रहे हैं.
नरेंद्र ने कहा, “रेवती एक ‘बाहरी’ है, वह कलाक्षेत्र की पूर्व छात्रा नहीं है और संस्थान में अपने तरीके से नेविगेट करने के लिए बहुत हद तक उसकी अंतर्दृष्टि पर निर्भर करती है. वह उस पर आंख मूंदकर भरोसा करती हैं.’
कलाक्षेत्र का रिपर्टरी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शन का वादा करता है. छात्रों को प्रदर्शन करने के लिए इंडोनेशिया, मलेशिया और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों में वरिष्ठ नर्तकियों के साथ यात्रा करने का मौका मिलता है.
वरिष्ठ कलाकार और कलाक्षेत्र की पूर्व छात्रा अनीता रत्नम ने कहा, “जी20 कलाक्षेत्र के छात्रों के लिए किस तरह के अवसर ला रहा है, इसे देखें. उनकी टुकड़ी कई सारे सांस्कृतिक कार्यक्रमों में प्रदर्शन करने के लिए तैयार है. ”
पोस्ट ग्रेजुएट की एक पूर्व छात्रा ने 2019 की एक घटना को याद किया, जिसने उसे शिक्षक के साथ परेशानी में डाल दिया था.
उसने याद करते हुए बताया, “मैंने पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा कोर्स अभी शुरू ही किया था, और असेंबली छोड़ दी थी क्योंकि मेरी तबीयत ठीक नहीं थी. शिक्षक ने मेरे स्वास्थ्य के बारे में पूछताछ की, और पूछा कि क्या मैं शाम के समय उनके साथ घर चल सकता हूं. मैंने मना कर दिया.” “इसके बाद, उन्होंने कलाक्षेत्र में मेरा जीवन बहुत मुश्किल बना दिया. उन्होंने कई मौकों पर मलयालम में मुझे अपशब्द कहे.”
एक दिन पहले जब वह एक नृत्य नाटक में कृष्ण को चित्रित करने के लिए तैयार थीं, वह सभागार में आए और घोषणा की कि वह मुख्य भूमिका नहीं निभाएंगी.
“उन्होंने कहा कि मैं एक ‘सही व्यक्ति’ नहीं हूं.”
रेपर्टरी के अन्य सदस्यों ने आरोप लगाया कि यह एक अलिखित नियम था कि नृत्य नाटकों में अगर खुद को बचाए रखना है तो उसे उस शिक्षक के अधीन और उसके कहे अनुसार ही चलना पड़ता था.
रिपर्टरी डांसर जिसने फरवरी में इस्तीफा दे दिया था, ने कहा, “वह सीधे आपसे संबंध बनाने के लिए पूछते हैं. लेकिन जैसे ही शाम होती वो आपसे आपके घर आने के लिए कहते हैं. ऐसा नहीं है कि वह आपको मजबूर करते हैं, उसके पास इसके अलग अलग तरीके भी थे. रेपर्टरी के सदस्य उसकी मछली को साफ करने और काटने के लिए उसके घर जाते थे, उसके लिए किराने का सामान खरीदते थे, या उसके बच्चों की देखभाल करते थे. ”
छात्रों और शिक्षकों के बीच एक भावना यह भी है कि महिला छात्र अपनी मर्जी से आरोपी शिक्षक की इन कथित मांगों को मान रही थीं.
एक शिक्षक ने कहा, “अगर चीजें दो वयस्कों के बीच सहमति से हो रही थीं, तो हमें नहीं लगा कि हमें बीच में पड़ते और हस्तक्षेप करने की जरूरत है.” लेकिन किसी ने भी उनके ‘सहमति’ वाले रिश्तों में शक्ति के असंतुलन पर सवाल नहीं उठाया. निजी कॉर्पोरेट क्षेत्र में, इसी कारण से कर्मचारियों के बीच भाईचारे पर प्रतिबंध लगाने के लिए एचआर नीति के लिए यह आम प्रथा है.
दिप्रिंट ने रामचंद्रन से पूछा कि कलाक्षेत्र में छात्र-शिक्षक संबंधों पर प्रतिबंध है या नहीं. उन्होंने अभी तक जवाब नहीं दिया है उनके जवाब देने पर यह कॉपी अपडेट कर दी जाएगी.
एक अन्य शिक्षक ने कहा, “सेवा की यह संस्कृति केवल एक शिक्षक के साथ नहीं है. उनके पहले आए गुरुओं ने भी यही काम किया था.”
कॉन्सर्ट समूह के सदस्यों ने कहा कि वरिष्ठ नर्तक अक्सर दौरे के दौरान उन्हें अपने कमरे में बुलाते थे, और ‘मालिश’ करने के लिए कहते थे. नर्तक भी अपने शरीर के बारे में अपमानजनक टिप्पणियां सुनने की रिपोर्ट करते हैं.
एक छात्र ने दिप्रिंट को बताया, “हम एक नृत्य नाटक में अप्सराओं की भूमिका निभा रहे थे, और वरिष्ठ सदस्यों द्वारा ASS-पैरा के रूप में डब किया गया था. एक बार, एक वरिष्ठ नर्तक ने एक सहकर्मी के नितंबों पर टिप्पणी की और उससे कहा कि उसके पास ‘बड़े तरबूज’ हैं. मुझे यह एक बार बताया गया तब मैं अगले दिन प्रस्तुती के लिए खुद को तैयार नहीं कर सकी.”
एक कॉलेज समय में अटक गया
कलाक्षेत्र परिसर में टहलना बहुत ही शांत और सुखद था, ठीक वैसा कि आप ध्यान तक लगा लें. एक विशाल गुरुकुलम, जहां छात्र ‘कॉटेज’ नामक कक्षाओं में प्रशिक्षण लेते हैं, जो पूरे परिसर में फैला हुआ है. जब कक्षाएं चल रही होती हैं, तो एक राहगीर तत्तापालकों की ताल पर युवा नर्तकियों के प्रशिक्षण की झलक देख सकता है.
आपकी एकाग्रता को सिर्फ चिड़ियों की चहचहाहट ही भंग कर सकती है.
छात्रों को सख्त शासन और पुराने नियमों का पालन करना होता है. अनुशासन के नाम पर प्रशासन के नियमों का गला घोंटा जा सकता है. छात्रों, शिक्षकों और आगंतुकों की आवाजाही पर कड़ी नजर रखने के लिए हर जगह सीसीटीवी कैमरे लगे हैं.
इस कॉलेज में छात्रों के बात-चीत के लिए कैंटीन भी नहीं है. कॉलेज कैंपस में कोई शोर-शराबा नहीं है, लेकिन हां हंसी नीचे हॉल में गूंज रही है.
डे स्कॉलर्स को कैंपस में घूमने से हतोत्साहित किया जाता है, जबकि हॉस्टल के छात्रों को महीने में एक वीकेंड को छोड़कर कैंपस के बाहर पैर रखने की अनुमति नहीं है.
पिंजरा तोड़ आंदोलन अभी इस परिसर तक नहीं पहुंचा है.
एक सीनियर स्टूडेंट ने बताया, “हम एडल्ट्स वुमन्स महिलाएं हैं, लेकिन हमें अपने माता-पिता से मिलने के लिए भी निदेशक से अनुमति लेनी पड़ती है.”
जनवरी 2022 में पोंगल वीकेंड पर दोस्तों का एक ग्रुप पुडुचेरी गया. उनमें से एक ने इंस्टाग्राम पर बीच की एक तस्वीर पोस्ट की.
एक दूसरे पूर्व सीनियर स्टूडेंट ने बताया, “निदेशक ने हमें अपने कार्यालय में बुलाया और कॉलेज को सूचित किए बिना छुट्टी पर जाने के बारे में हमसे पूछताछ की. हमारे माता-पिता की सहमति का कोई महत्व नहीं था. पुरुष शिक्षकों के सामने, उसने अपने क्लीवेज की ओर इशारा करते हुए एक छात्र की तस्वीर को ज़ूम किया और ‘ऐसे’ कपड़े पहनने के लिए उसे शर्मिंदा किया, गया. ”
दिप्रिंट ने इन आरोपों के संबंध में रामचंद्रन से व्हाट्सएप संदेशों और ईमेल पर संपर्क किया. लेकिन जवाब नहीं आया है प्रतिक्रिया मिलने के बाद हम स्टोरी को अपडेट करेंगे.
संस्कृति की पवित्रता
गुरु-शिष्य संबंध संस्कृति (संस्कृति) का सबसे प्रिय पहलू है, जो अधिकांश आधुनिक स्कूलों और कॉलेजों से गायब हो सकता है, लेकिन अभी भी शास्त्रीय कलाओं में एक अलिखित नियम की तरह कायम है. कलाक्षेत्र में भी इस संस्कृति का पालन साफ साफ था. जब भी कोई शिक्षक पास होता है तो छात्र सीधे खड़े हो जाते हैं और झुक जाते हैं, जैसे कोई अधिकारी जब भी गुजरता है तो सैनिक सीधा खड़ा होता है.
लेकिन MeToo अभियान के बाद से इसमें काफी बदलाव नजर आ रहा है, कलाक्षेत्र भी धीरे-धीरे जांच के दायरे में आ रहा है.
जनवरी 2022 में, कथक नर्तक बिरजू महाराज की मृत्यु के बाद उनपर यौन शोषण के आरोप कई महिलाओं ने लगाए गए थे. दिसंबर 2020 में, एक 23 वर्षीय छात्रा ने प्रख्यात पखावज प्लेयर रविशंकर उपाध्याय पर छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए पुलिस शिकायत दर्ज कराई, जो दिल्ली के कथक केंद्र में पढ़ाते थे. वह 11 साल से वहां पढ़ रही थी. नृत्य केंद्र में कोई आंतरिक शिकायत समिति नहीं थी, और पुलिस शिकायत दर्ज होने के बाद ही एक का गठन किया गया था.
भोपाल के प्रतिष्ठित ध्रुपद संस्थान के बारह छात्रों ने सितंबर 2020 में अखिलेश और रमाकांत गुंडेचा पर शारीरिक, मानसिक और यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. आंतरिक समिति ने गुंदेचा बंधुओं को दोषी पाया, लेकिन उन्होंने रिपोर्ट को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में चुनौती दी, जहां मामला चल रहा है .
दिल्ली की एक वकील अर्शिया सेठी ने कहा, “महिलाओं के दावों को आंतरिक समिति द्वारा सही ठहराया गया था. लेकिन इसने गुंडेचाओं के काम की प्रतिष्ठा को बहुत नुकसान नहीं पहुंचाया, जिन्हें अभी भी हाई-प्रोफाइल कार्यक्रमों में आमंत्रित किया जाता था और मुख्यमंत्री के साथ घूमते देखा जाता था. ”
चेन्नई में ही शास्त्रीय कला समुदाय यौन उत्पीड़न के आरोपों से हिल गया है. महान चंद्रलेखा के पति सदानंद मेनन पर चेन्नई स्थित कला फाउंडेशन SPACES में एक छात्र द्वारा यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया गया था, उनका नाम भारतीय विश्वविद्यालयों में ‘प्रिडेटर्स’ की विवादास्पद 2018 सूची में आने के बाद – कानून की छात्रा राया सरकार द्वारा संकलित किया गया था. मेनन ने इन आरोपों का खंडन किया है.
ये गुरु-शिष्य डायनमिक्स के उदाहरण हैं जिन्हें कुछ और अधिक भयावह रूप में बदल दिया गया है.
लेकिन जी नरेंद्र इसे सिरे से खारिज करते हैं. उन्होंने कहा, “अतीत का गुरु-शिष्य संबंध अब मौजूद नहीं है. हम छात्रों को पढ़ाने के लिए फीस लेते हैं, दक्षिणा नहीं. मैं इस आकलन से सहमत नहीं हूं.”
दिप्रिंट ने कलाक्षेत्र के चार वर्तमान और पूर्व स्टाफ सदस्यों और नौ छात्रों और पूर्व छात्रों से बात की. उनमें से लगभग सभी ने अनुरोध किया कि उनका नाम न छापा जाए कि बाद में उन्हें निशाना बनाया जा सकता है.
(संपादन/ पूजा मेहरोत्रा)
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